Saturday 24 November 2018

मी टू के जमाने में अफसर बना मसीहा


राष्‍ट्रीय सहारा देहरादून में आउटसोर्स कर्मी बनी चर्चा का विषय
महिलाकर्मी को लेकर अधिकारी की कई से हो चुकी है झड़प

सहारा के मीडियाकर्मी भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं। उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और मिल भी रहा है तो स्लैब बनाकर मिल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक सहारा को मीडिया कर्मचारियों का लगभग 100 करोड़ की देनदारी है यानी बैकलॉग बढ़ता जा रहा है। ऐसे में देहरादून यूनिट का एक अधिकारी आउटसोर्स पर एक युवती को ले आया। युवती को अखबारी ज्ञान नहीं है। अधिकारी इस युवती पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं। बताया जाता है कि अधिकारी उस युवती को अपने बाद सारे अधिकार देना चाहता है। इसलिए वहां अक्सर टकराव होता है।

यह अधिकारी रिपोर्टिंग के एक चीफ से, एकाउंट प्रभारी से और विज्ञापन प्रभारी से भिड़ चुका है। कारण, यही है कि इस युवती को काम सिखाया जाएं। सूत्रों का कहना है कि जब युवती को काम ही नहीं आता तो उसे रखा ही क्यों गया? सहारा में पहले ही स्टाफ की भारी कमी है। अधिकांश लोग वेतन न मिलने और अनियमित वेतन की वजह से नौकरी छोड़ चुके हैं। जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उन पर काम का बोझ बढ़ गया है। ऐसे में कोई भी इस युवती को काम सिखाने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन अधिकारी चाहता है युवती को हर हाल में काम सिखाया जाए। अखबार के सूत्रों का कहना है कि युवती से यह लगाव समझ से परे है। जबकि इस यूनिट में कई अन्य को भी आउटसोर्सिंग से भर्ती किया गया है लेकिन वे अपने काम में पारंगत हैं तो ऐसे में युवती को किसलिए बिना अनुभव के नियुक्ति दी गई है।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से]

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