Sunday 30 December 2018

दून प्रेस क्लब में ट्रैक सूट घोटाला!


आरोप, क्लब के सदस्यों से वसूले पैसे से खरीदे गए ट्रैक सूट
जब पत्रकार ही भ्रष्ट होंगे तो भ्रष्टाचारियों पर चोट कौन करेगा?
क्या पिछले साल का आय-व्यय का ब्योरा लेगी नई कार्यकारिणी?

उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून के पूर्व पदाधिकारियों पर ट्रैक सूट घोटाले के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि क्लब के पदाधिकारियों ने चुनाव से ठीक पहले क्लब के सदस्यों से 1200-1200 रुपये की वसूली की और आधे दाम में घटिया ट्रैक सूट खरीदकर अपने ही उन साथियों में बांट दिए जो चुनाव में उन्हें वोट दे सकते थे। इसका नतीजा रहा कि चुनाव नूरा कुश्ती साबित हुई और विकास धूलिया पैनल जीत गया।

विकास धूलिया यूं तो दैनिक जागरण के अच्छे पत्रकारों में शुमार माने जाते हैं और भ्रष्ट व्यवस्था पर प्रहार करते हैं, लेकिन अब उनके इस तरह से अध्यक्ष बनने से उनकी छवि धूमिल हो सकती है क्योंकि इस प्रेस क्लब में अधिकांश अध्यक्ष विवादित ही रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष नवीन थलेड़ी ने अपनी शिक्षिका पत्नी को दून में अटैच करवा करवा कर सरकार के चरणों में सिर टिका दिया था तो क्लब में खोले गए बार में असामाजिक तत्वों की मौजूदगी और ट्रैक सूट घोटाले के आरोप में भूपेंद्र कंडारी भी फंस गए हैं। यदि ट्रैक सूट घोटाला हुआ तो पत्रकारों के घोटाले की जांच कौन करेगा? यह अलग सवाल है।

वैसे भी क्लब के पदाधिकारियों पर पहले भी आय-व्यय का ब्योरा न देने, नजूल भूमि का दुरुपयोग कर किराया वसूलने और अधिकृत रूप से बार चलाने और जीएसटी न देने से मोदी के सपनों पर कुठाराघात करने का आरोप है। यही नहीं, यहां शराब पीने वाले गेस्ट में पत्रकार कम और आटो रिक्शा चालक और टेम्पो चालक अधिक शामिल होने का भी आरोप हैं। यह भी आरोप है कि दारू पीने के लिए कुछ शिक्षक भी यहीं दिन भर पड़े रहते हैं और इनका बिल भी बिना जीएसटी के गैरकानूनी ढंग से वसूला जाता है।

आरोप यह भी है कि प्रेस क्लब पदाघिकारियों ने क्लब को अलाट की गई जमीन से कहीं अधिक जमीन पर गेट बना कर कब्जा किया है और न ही यहां से धरना देने वाले स्थल से लोगों को आने-जाने दिया जाता है। कुल मिलाकर प्रेस क्लब अतिक्रमण का शिकार है।

जानकारी के अनुसार हाल में एमडीडीए की टीम ने भी यहां का दौरा किया था, लेकिन पत्रकारों के दबाव के चलते अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका। विडम्बना है कि इस प्रेस क्लब में रचनात्मक व सकारात्मक गतिविधियां कम और गैरकानूनी और नशाखोरी की गतिविधियां चलाने का आरोप हैं। ऐसे में जब नई कार्यकारिणी भी नियोजित तरीके से चुनी गई है तो यह तय है यह कार्यकारिणी क्या करेगी? अब देखना यह है कि दैनिक जागरण के तेज-तर्रार पत्रकारों में शुमार विकास धूलिया क्या सच में कुछ कर पाएंगे या वो भी निजी स्वार्थ में लिप्त होंगे? क्या वो पिछली कार्यकारिणी के आय-व्यय का ब्योरा लेंगे? बार में असमाजिक तत्वों की इंट्री को बैन करेंगे? क्लब का जीएसटी नंबर लेंगे और अवैध कमाई को वैध कर सरकार को टैक्स देंगे?

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से]

Thursday 27 December 2018

Hindustan Times agrees to pay over Rs 14 crore to 147 employees sacked in 2004


Hindustan Times agrees to pay over Rs 14 crore to 147 employees sacked in 2004
In August, the Delhi High Court had told the company to reinstate 272 employees who were sacked and pay them back wages.


The Hindustan Times told a Delhi court on Monday that it will pay more than Rs 14 crore to 147 employees who had been sacked in 2004. These employees are among the 272 employees who were fired by Hindustan Times Limited in 2004 after the company’s media business was transferred to Hindustan Times Media Limited.

More than 20 employees have since diedand some are bed-ridden. In August, the Delhi High Court had told the company to reinstate the 272 employees who were sacked and pay them back wages for the period between January 1, 2004 and August 31, 2018.

“TO BEGIN WITH, LET THE MANAGEMENT DEPOSIT THE WAGES OF ALL THE WORKMEN, WHO HAVE NOT YET ATTAINED THE AGE OF SUPERANNUATION WITH BENEFIT OF CONTINUITY OF SERVICE AS PER TERMS AND CONDITIONS OF SERVICE FOR THE PERIOD FROM 01.01.2014 TILL 31.08.2018 AS PER THE AWARD WITH THE EXECUTING COURT WITHIN ONE MONTH WHICH SHALL BE DISBURSED BY THE EXECUTING COURT TO EACH WORKMAN INDIVIDUALLY,” THE HIGH COURT HAD SAID IN ITS JUDGEMENT.

The company told the Executing Court on Monday “an amount of Rs 14,71,30,178 is due towards these [147] employees and the same is being deposited by way of a cheque in the name of the court”. The company also told the court that it did not know of the employees who had since died.

The 70-odd decree holders, or former Hindustan Times employees in whose favour the High Court had ruled, however, claimed the company’s list of 147 employees is incorrect. They said there were 158 employees who have not yet “attained superannuation”. They also submitted to the court that they were disputing the amount the company is releasing, but said they were “willing to accept the amount offered subject to their rights to dispute the same and file objections”.

Judge Twinkle Wadhwa directed the company to release the amount to the workers by January 8, along with the relevant calculations on the basis of which the company reached the amount. The judge also directed Hindustan Timesto obtain the necessary documents pertaining to the death of the over 20 former employees and release their dues to their legal representatives. The court will next hear the case on February 5.

(Source: Scroll)

Monday 24 December 2018

मजीठिया: लो, माई फ्रेंड गणेश भी निकला मीरजाफर


हाईकोर्ट में केस कोई भी जीते, लेकिन हारेगी दोस्ती
सहारा प्रबंधन ने पत्रकार के खिलाफ पत्रकार खड़ा किया

मजीठिया व बकाया वेतन भुगतान को लेकर मैं राष्ट्रीय सहारा के खिलाफ लेबर कोर्ट गया और वहां से जीत भी गया। अब सहारा प्रबंधन ने लेबर कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में सहारा प्रबंधन के पैरोकार बने हैं एडवोकेट राजेश जोशी और प्रबंधन की ओर से नुमाइंदगी करेंगे हल्द्वानी के राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार गणेश पाठक। एडवोकेट राजेश जोशी राष्ट्रीय सहारा में हाईकोर्ट के समाचार वर्षों से देते आए हैं। सहारा उनको खबरों की एवज में एक रुपये भी नहीं देता है। चूंकि मैं सहारा में लंबे समय तक गढ़वाल व कुमाऊं प्रभारी रहा। मैंने कई बार राजेश जोशी और उनकी तरह ही अन्य कई स्ट्रिंगर को मानदेय देने का मुद्दा भी तत्कालीन संपादकों के आगे उठाया था। चलो, जोशी से कोई शिकायत नहीं। उनका काम जो है वही कर रहे हैं। लेकिन गणेश पाठक तो पत्रकार हैं और सबसे बड़ी बात वो मेरे दोस्त भी हैं।

वेतन न मिलने पर हम दोनों मिलकर सहारा प्रबंधन को घंटों कोसते थे। गणेश भी सहारा के मालिक सुब्रत राय से लेकर ग्रुप संपादकों को खूब कोसते थे, लेकिन आज जब अपने अधिकारों और इंसाफ की लड़ाई की बात हुई तो गणेश प्रबंधन के आगे झुक गए। मैं समझता हूं कि उनकी मजबूरी होगी, लेकिन ऐसी मजबूरी भी क्या? जो दोस्त को दोस्त के खिलाफ खड़ा कर दे। पूरे देश में मजीठिया की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों के लिए यह मिसाल है कि प्रबंधन ने एक पत्रकार के खिलाफ कोर्ट में पत्रकार को खड़ा कर दिया।

सहारा में ऐसा ही होता है। जयचंदों को उपहार हैं। जब हम वेतन के लिए सहारा में आंदोलन कर रहे थे और हमने तीन दिन तक अखबार नहीं निकलने दिया तो ब्यूरो प्रभारी जितेंद्र नेगी और भूपेंद्र कंडारी ने प्रबंधन का साथ दिया। ईनाम जितेंद्र नेगी को संपादक बना दिया और देहरादून के पत्रकारों ने तो गजब ही ढा दिया। मजीठिया और पत्रकारों के हकों के घोर विरोधी भूपेंद्र कंडारी को प्रेस क्लब का अध्यक्ष बना दिया। शायद यही कारण है कि गणेश पाठक ने भी प्रबंधन के तलुवे चाटने की सोची हो, भावी संपादक बनने के लिए। बस, शिकवा तो यही है कि पापी पेट और दोस्ती की लड़ाई में दोस्ती हार गयी। लेकिन, यह तो धर्मयुद्ध है, इंसाफ और अपने हक की लड़ाई है, मुझे तो लड़ना ही होगा और मैं लडूंगा।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से]

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Sunday 16 December 2018

मजीठिया का क्लेम लगाने पर भास्कर कर रहा परेशान, मामला पहुंचा पुलिस तक

जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार अपने बकाए रकम की मांग करने और क्लेम लगाने पर दैनिक भास्कर  प्रबंधन अपने कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न कर रहा है।ताजा वाक्या  इंदौर का है जहां जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार अपना बकाया मांगने और लेबर विभाग में क्लेम लगाने पर  कर्मचारी रमेश सक्सेना को गेट के अंदर घुसने नही दिया गया।पता चला कि वाचमैन को ऑफिस प्रबंधन ने ऐसा करने के लिए कहा था।फिलहाल मामला पुलिस तक पहुंच गया है। आप भी पढ़िए रमेश सक्सेना द्वारा भास्कर प्रबंधन के खिलाफ की गई शिकायती पत्र ।


प्रति  श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय पूर्व जिला इंदौर एमपी

विषय में मजीठिया केस लगाएं होने कारण मुझे कार्यस्थल पर जाने से रोकने जाने के संबंध में शिकायत।

 महोदय

मैं दिनांक 12/12/2018 को मैं अपने कार्य स्थल दैनिक भास्कर प्लाट सावेर रौड इंडस्ट्रियल एरिया जरमन टूल्स एन्ड ट्रेवलर के सामने अपने कार्य समय 8:40 पर कार्य स्थल पर ड्यूटी करने गया. वहां मेन गेट पर सिक्योरिटी  गार्ड  शक्ति सिहं ने अंदर जाने नहीं दीया , तब मैंने अधिकारी से बात कि तो उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी गार्ड को मेनेजर शचिकांत बिथरिया, असिस्टेंट मनेजर, विजैन्द़ राणा और एच.आर. रोहन जैन जी ने निजी आदेश दिया है कि मुझे यानि रमेश सक्सेना को ड्यूटी पर नहीं आने दिया जाय.

जबकि मै पूर्व में ली गई मेरी बीमारी की छुट्टी की जानकारी आपको व इनहे दे चुका था, ये लोग प्लांट पर अपनी मनमानी कर मुझे परेशान कर रहे हैं व मुझे अपने कार्य स्थल पर कार्य करने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं ।

अतः निवेदन है कि इन्हें मनमानी करने से व मुझे रात बिरात परेशान करने से रोका जाय।
कार्य स्थल पर मुझे रात में ड्यूटी करने दिया  जाए, मुझे मुझे दो दिनो से बहुत परेशान कर रहे हैं।
मैं काफी समय से ड्यूटी जा रहा हूँ और गेट के बाहर ही खडा रहता हूँ मुझे अन्दर नहीं जाने दिया जा रहा है, व कार्य करने से रोका जा रहा है।
अतः रात में या आते जाते समय अथवा ड्यूटी में मेरे साथ कोई दुर्घटना या कोई हमला होता है तो मेनेजर शचिकांत बिथरिया, असिस्टैंट मेनेजर विजैन्द़ राणा, एच. आर. रोहन जैन जी जिम्मेदार होंगे ।श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय इंदौर पूर्व प्राथमिक सूचना दे रहा हूं कृपया उचित जांच कर कार्रवाई की जाए।

 रमेश सक्सेना पिता लछमन सक्सेना 273/2 मालवीय नगर इंदौर 452010
मो.न 9753058079

Monday 10 December 2018

रोते हुए गले मिले और विदा हुए हिंदुस्तान टाइम्स पटना के मीडियाकर्मी

रविवार यूं तो छुट्टी का दिन रहता है और लोग खुश दिखते हैं लेकिन पटना के हिंदुस्तान टाइम्स के मीडियाकर्मियों के लिए रविवार का दिन दुखभरा था। 20 साल तक एक साथ काम करने और मिलजुल कर रहने वाले पटना के हिंदुस्तान टाइम्स के मीडियाकर्मी मिले तो गम में डूबे थे। उप संपादक और उससे ऊपर के पद के उन लोगों का जिनका ट्रांसफर कर यहां से एडिशन बंद करने की घोषणा कर दी गई थी उनका रविवार को कार्यालय में अंतिम दिन था।

जिन लोगों को नई जगह पर 18 दिसंबर तक ज्वाइन करना है उन्हें सोमवार से ऑफिस आने से मना कर दिया गया है। इस दौरान भड़ास 4 मीडिया में आई एडिशन बंद करने की जानकारी किसने लीक की इसपर प्रबंधन के फोन भी आए। अब सोमवार को पटना कार्यालय में सिर्फ संपादक और रिपोर्टर तथा वेजबोर्ड में आने वाले कुछ लोग बचे हैं। एक ई मेल बना दिया गया है जिसपर रिपोर्टरों को बोला गया है कि आप इस ईमेल पर रिपोर्ट भेजिए। इस ईमेल की रिपोर्ट एडिटर दिल्ली भेजेंगे जहां से कल से पेज बनकर आएगा। सभी रिपोर्टरों को बोल दिया गया है कि मंगलवार से तीन बजे दोपहर तक अपनी रिपोर्ट मेल कर दें, ताकि उसे दिल्ली भेजा जा सके।

आपको बता दें कि हिंदुस्तान टाइम्स पटना में कार्यरत रिपोर्टरों और कुछ वेज में आने वाले कर्मचारियों पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। इनपर भी जल्द गाज गिरने का संकेत मिला है। दिल्ली से बनकर आने वाला पेज पटना में प्रिंट कर बिहार में वितरित किया जाएगा। फिलहाल हिंदुस्तान टाइम्स का पटना एडिशन बंद होने से देश भर के मीडियाकर्मियों में हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन के खिलाफ गुस्से का माहौल है।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335

यूएनआई मसले पर बैठक 21 को

नई दिल्ली। समाचार एजेंसी यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यू.एन.आई) की ताजा स्तिथि पर आगे की रणनीति बनाने के लिए आगामी 21 दिसंबर को यहां यूएनआई बचाओ अभियान के कोर कमिटी की बैठक बुलाई गई है।
इस बैठक में पत्रकारों, साहित्यकारों, लेखकों के अलावा ट्रेड यूनियनों, सामाजिक संगठनों एवं राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है।

यह जानकारी आंदोलन के सचिव लालू चौपाल एवं कोर कमेटी के सदस्यों प्रो. अमरेंद्र झा, सुबीर सेन, कुमार समत, बाबू मुन्ना, श्याम सिंह, सुल्तान कुरैशी एवं श्रीमती कांता रानी ने यहां दी।

उन्होंने बताया कि इस बैठक में यूएनआई की ताजा स्थिति के अलावा निदेशक मंडल में शामिल रहे प्रफ्फुल कुमार माहेश्वरी के निधन से उत्पन स्थिति पर चर्चा होगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी।

एक सवाल के जवाब में आंदोलन से जुड़े नेताओं ने कहा कि माहेश्वरी अपने भाई के हिस्से में पड़े अखबार के कोटे से यूएनआई निदेशक मंडल में शामिल थे और उन्हीं की वजह से इस संस्थान की इतनी दुर्दशा हुई है। अब माहेश्वरी बंधु इन चीजों को सुलझाने में कैसा रवैया अख्तयार करते हैं। यह उनपर निर्भर करता है। हम लोग भी इसी परिपेक्ष में निर्णय लेंगे। यह स्वाभाविक है।

Sunday 9 December 2018

हिंदुस्तान टाइम्स पटना के मीडियाकर्मियों को मिली 5 दिन की मोहलत

पटना के हिंदुस्तान टाइम्स के उन  मीडियाकर्मियों को 5 दिन की राहत मिली है जिनका  देश के दुसरे हिस्सो में ट्रांसफर कर दिया गया था। अब उन्हें 13 दिसम्बर की जगह 18 दिसम्बर तक नई जगह पर ज्वाइन करना है।

उधर हिंदुस्तान टाइम्स का पटना एडिशन कल से बंद हो रहा है। परसो सुबह से  जो कॉपी पटना में हिंदुस्तान टाइम्स की आएगी उसका पेज दिल्ली से बनेगा। कुछ लोग जो  वेज बोर्ड के हैं वे यहां से मैटर  सीधे दिल्ली भेजेंगे जहां से पेज बनकर सीधे पटना के प्रिंटिंग प्रेस में जायेगा और कॉपी डिस्ट्रीब्यूट होगी। हिंदुस्तान टाइम्स पटना में कार्यरत वेज बोर्ड में आने वाले मीडियाकर्मियों  और रिपोर्टरों पर  निर्णय अभी नही लिया गया है और इसपर भी निर्णय जल्द लिया जाएगा। जो बिना वेज वाले उपसंपादक के ऊपर के पोस्ट के  कर्मी थे उनको कंपनी ने ट्रांसफर कर एडिशन बन्द करने की सूचना समन्धित लोगो को दे दिया  है।

ट्रांसफर किये गए हिंदुस्तान टाइम्स के मीडियाकर्मियों ने कंपनी प्रबंधन को एक मेल भेजकर 2 महीने तक ट्रांसफर रोके जाने की मोहलत मांगी थी जिसपर कंपनी ने मेल का रिप्लाय देते हुए उन्हें सिर्फ पांच दिन का मोहलत दिया है।उधर नाम न छापने की शर्त पर पर हिंदुस्तान टाइम्स के एक कर्मचारी ने बताया कि रिपोर्टरों को भी ट्रांसफर मोड पर रहने के लिए मौखिक रूप से यहां के संपादक ने कह दिया है।फिलहाल हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन की इस नीति से देश  भर के पत्रकारों में गुस्से का माहौल है।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335


Saturday 8 December 2018

टेलीग्राफ के पटना ब्यूरो पर 13 दिसंबर से गिरेगी गाज

बिहार में इन दिनों अंग्रेजी अखबारों के विकेट बहुत तेजी से गिर रहे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स के पटना एडिशन के सोमवार से बंद होने की खबर के बाद अब खबर आ रही है कि यहां के एक और अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ का भी पटना एडिशन 13 दिसंबर से बंद हो रहा है। टेलीग्राफ के पटना ब्यूरो के सभी कर्मचारियों को बुलाकर यह मौखिक सूचना दे दी गई है।

सूत्रों के मुताबिक टेलीग्राफ पटना से 8 साल से ज्यादा समय से प्रकाशित हो रहा था और इसमें ब्यूरो चीफ सहित 7 लोग काम करते थे। सूत्रों के मुताबिक टेलीग्राफ में कार्यरत ज्यादातर कर्मचारी परमानेंट थे और उन्हें अब बता दिया गया है कि आपको नौकरी नहीं रह जाएगी। बदले में 6 माह की बेसिक सेलरी प्रदान की जाएगी।

टेलीग्राफ के पटना ब्यूरो में कार्यरत ब्यूरो चीफ और 6 रिपोर्टर्स को बुलाकर प्रबंधन ने कह दिया गया है कि 13 दिसंबर से टेलीग्राफ का पटना में प्रकाशन बंद किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो टेलीग्राफ का प्रकाशन हिन्दुस्तान टाइम्स के प्रिटिंग प्रेस में होता था। वहां भी प्रकाशन बंद होने की सूचना दे दी गई है। एक सूत्र ने यह भी कहा है कि हो सकता है कि टेलीग्राफ प्रबंधन अपने ब्यूरो चीफ को न निकाले क्योंकि जल्द ही लोकसभा का चुनाव होने वाला है। मगर ब्यूरो के 6 रिपोर्टर्स को प्रबंधन ने फरमान सुना दिया है कि आप नई नौकरी तलाश लें। लोगों का कहना है कि पूरी जिंदगी एक अखबार में खपा देने के बाद सिर्फ 6 माह की बेसिक सेलरी देकर विदा करना कहां तक न्यायसंगत है।

इस अखबार के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने साफ साफ कहा कि यह सब मोदी जी की पॉलिसी है। आज पत्रकार सड़क पर आ गए हैं। सिर्फ 6 माह की बेसिक सेलरी से जिंदगी कैसे कटेगी, समझ में नहीं आ रहा है। बहरहाल अखबार मालिकों की इस चाल से देश भर के पत्रकारों में गुस्से का माहौल है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५

Friday 7 December 2018

हिन्दुस्तान टाइम्स का पटना एडिशन सोमवार से हो जाएगा बंद

नई दिल्ली के हिन्दुस्तान टाइम्स एडिशन से निकाले गए 272 कर्मचारियों को वापस काम पर रखे जाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीमकोर्ट से हार का सामना कर चुकी हिन्दुस्तान टाइम्स अब अपना 32 साल से चल रहा पटना एडिशन सोमवार से बंद कर रहा है। इस एडिशन में कार्यरत उपसंपादक या उससे ऊपर के लोगों को देश के दूसरे हिस्सों में ट्रांसफर लेटर थमा दिया गया है। इस खबर की पुष्टि‍ खुद कई कर्मचारियों ने की है। बताते हैं कि नई दिल्ली के बाद हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपना पटना एडिशन वर्ष 1986 में शुरु किया था। 5 दिसंबर को नई दिल्ली से कंपनी की कार्मिक विभाग की हेड मोनिका अग्रवाल पटना पहुंची और उन उप संपादकों या उससे ऊपर के कर्मचारियों को जो वेजबोर्ड में नहीं हैं। उन्हें एक-एक कर केबिन में बुलाया और उनका ट्रांसफर लेटर थमाकर साफ कह दिया कि हम 10 दिसंबर से हिन्दुस्तान टाइम्स का पटना एडिशन बंद कर रहे हैं।

इस पटना एडिशन में पहले 150 से ज्यादा लोग काम करते थे मगर बाद में यह संख्या कम होती गई और नई भर्ती ना के बराबर हुई, जिसके बाद बाकी बचे लोगों को मुंबई, दिल्ली, कोलकाता , बरेली आदि जगहों पर ट्रांसफर का लेटर थमा दिया गया। नाम ना छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि हिन्दुस्तान टाइम्स में अपनी पूरी जिंदगी खपा देने वाले उन लोगों को जिन्होंने हमेशा डेस्क पर काम किया और उनकी उम्र पचास साल हो गई है उन्हें कंपनी ने रिर्पोटिंग में लगा दिया है। हिन्दुस्तान टाइम्स के जिन लोगों का पटना एडिशन से ट्रांसफर किया गया है उन्हें नई जगह पर 13 दिसंबर तक ज्वाइन करने का फरमान भी सुना दिया गया है। हालांकि यह भी साफ कर दूं कि कंपनी ने अभी अपने स्टाफ रिर्पोटरों का ट्रांसफर नहीं किया है मगर रिर्पोटरों के चेहरे पर भी हवाईयां उड़ रही हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स के पटना संस्करण बंद करने की खबर से देश भर के पत्रकारों में हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ गुस्से का माहौल है। सूत्रों की माने तो सोमवार से हिन्दुस्तान टाइम्स का पटना पेज दिल्ली से बनकर आएगा। जिन लोगों का कंपनी ने देश के दूसरे हिस्सों में ट्रांसफर किया है उनमें सीनियर न्यूज एडिटर, डिप्युटी न्यूज एडिटर, सब एडिटर और रांची डेस्क इंचार्ज सहित अन्य लोग हैं। जिन लोगों का ट्रांसफर किया गया है उनमें एक कांट्रेक्ट कर्मचारी है, जबकि अन्य सीटीसी पर रखे गए कर्मचारी हैं।

शशिकांत सिंह 
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५

Thursday 6 December 2018

सुप्रीम कोर्ट में भी एचटी मैनेजमेंट ध्वस्त, जीत के बाद मीडियाकर्मियों ने लगाया नारा- ‘शोभना भरतिया मुर्दाबाद’!



नई दिल्ली के हिंदुस्तान टाइम्स अखबार से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां हिन्दुस्तान टाइम्स से वर्ष 2004 में निकाले गए 272 कर्मचारियों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन को राहत देने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया है।

आपको बता दें कि इन 272 कर्मचारियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने वापस काम पर रखने और उनकी सेवा 2004 से ही बरकरार रखने का आदेश दिया था। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आर्डर के खिलाफ कंपनी प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट चला गया था। अब उसे यहां भी मुंह की खानी पड़ी है। इससे नौकरी से निकाले गए 272 कर्मचारियों का चौदह साल का बनवास खत्म हो गया है। इस खबर से निकाले गए कर्मचारियों में खुशी की लहर है। कई कर्मचारियों ने सूचना मिलते ही नारा लगाया- ‘शोभना भरतिया मुर्दाबाद’!

ज्ञात हो कि शोभना भरतिया हिंदुस्तान टाइम्स समूह की मालकिन हैं और अपने इंप्लाइज का खून पीने के लिए कुख्यात हैं। उनके सत्ताधारी नेताओं से हमेशा मधुर संबंध रहे हैं जिसका फायदा वह अपने कर्मचारियों का शोषण करने में उठाती हैं। यही कारण है कि वे नियम-कानून सबको धता बताकर अपने यहां से चौदह साल पहले साढ़े तीन सौ से ज्यादा मीडियाकर्मियों को एक झटके में बाहर निकाल दिया था।

बताते हैं कि हिन्दुस्तान टाइम्स प्रबंधन दिल्ली ने अपने यहां कार्यरत लगभग 470 से ज्यादा कर्मचारियों को 3 अक्टूबर 2004 को एक झटके में निकाल दिया था। इसके बाद देश भर के मीडिया हाउसों में हड़कंप मच गया। बाद में कुछ कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन से समझौता कर लिया। मगर 272 कर्मचारी लेबर कोर्ट की शरण में चले गए। जहां उनकी जीत हुई थी।

बाद में कंपनी दिल्ली हाईकोर्ट चली गई जहां आयताराम एंड अदर्स वर्सेज हिन्दुस्तान टाइम्स के मामले की लंबी लड़ाई के बाद अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा तथा अन्य की मेहनत रंग लाई। दिल्ली हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश विनोद गोयल ने इस मामले की सुनवाई की और अपना फैसला 10 अगस्त को सुरक्षित रख लिया।

बीते रोज कर्मचारियों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में हिन्दुस्तान टाइम्स के निकाले गए 272 कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आया और उनकी सेवा को वर्ष 2004 से कांटीन्यू मानते हुए एक माह में उन्हें वापस काम पर रखने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था। इसके बाद कंपनी सुप्रीम कोर्ट गई जहां प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ी। सुप्रीमकोर्ट के इस आदेश से देश भर के पत्रकारों में खुशी की लहर है।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335

Wednesday 5 December 2018

Video: पत्रकार ने अमित शाह को मजीठिया वेजबोर्ड के सवाल पर घेरा तो बगलें झांकने लगे


जयपुर में बुधवार को अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस में मजीठिया वेजबोर्ड को लेकर कुछ पत्रकारों ने सवालों का ऐसा गोला दागा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बगले झांकने लगे और बड़ी बेशर्मी से अमित शाह ने कह दिया कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के बारे में कुछ नहीं मालूम। अमित शाह पर सवालों का ये गोला दागा था राजस्थान के मजीठिया क्रांतिकारी अमित मिश्रा ने।

दरअसल राजस्थान की राजधानी जयपुर के भाजपा मीडिया सेंटर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस थी। इस प्रेस कांफ्रेंस में अमित शाह राजस्थान में चुनाव को लेकर अपनी पार्टी की फिर से बहुमत से सरकार बनने का दावा पत्रकारों के सामने कर रहे थे। बाद में उन्होंने अपनी सरकार का गुणगान किया। सवाल जवाब का सिलसिला चला तो जयपुर के मजीठिया क्रांतिकारी अमित मिश्रा ने अमित शाह से सवाल पूछा कि देश के अधिकांश राज्यों में आपकी सरकार है, सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भी पूरे देश मे एक भी अखबार मालिक ने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश लागू नहीं किया, आखिर क्यों।



इस पर अमित शाह पहले तो बात करने को तैयार नहीं हुए फिर अमित मिश्रा से कहा कि आप जनता से जुड़े सवाल पूछिये, जिस पर अमित मिश्रा ने कहा कि पत्रकार भी जनता का ही हिस्सा होता है। अमित शाह ने काफी बेशर्मी से कहा कि पूछो पूछो, क्या पूछना है। अमित मिश्रा ने अपना सवाल फिर दोहराया तो अमित शाह ने कहा कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड नहीं मालूम, वे अखबार मालिकों से बात करेंगे।

इस पर अमित मिश्रा ने कहा कि हमारी तो लड़ाई ही अखबार मालिकों से चल रही है, तो अमित शाह ने सवाल टालते हुए कहा वे इस मुद्दे को देखेंगे। आपको बता दें कि अमित मिश्रा ने राजस्थान पत्रिका प्रबंधन के खिलाफ जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से अपने बकाये का क्लेम लगाया हुआ है और 2014 में उन्होंने राजस्थान पत्रिका प्रबंधन के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना की याचिका भी लगाई थी।  कंपनी ने उन्हें क्लेम लगाने के बाद 2015 में निलंबित और जुलाई 2016 में बर्खास्त कर दिया था। अपने तेवर और सरोकार के कारण अमित मिश्रा की हर तरफ तारीफ हो रही है।

अमित मिश्रा ने सभी पत्रकारों से निवेदन किया है कि नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस में मजीठिया वेजबोर्ड का मुद्दा जरूर उठायें ताकि उनकी नींद खुले। आपको बता दें कि अमित शाह साफ-साफ मजीठिया मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं कि उन्हें इस वेजबोर्ड के बारे में नहीं पता क्योंकि दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जारी भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में साफ साफ दावा किया गया था कि भाजपा की सरकार बनी तो पत्रकारों के लिए मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश लागू किया जाएगा। इस घोषणापत्र को खुद अमित शाह ने ही मीडिया के सामने जारी किया था।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335


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मजीठिया क्रांतिकारी का 37 लाख रुपये बकाया कोर्ट में जमा करने का दैनिक भास्कर को निर्देश


जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में पंजाब से एक बड़ी खबर आ रही है। पंजाब हाईकोर्ट ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डीबी कार्प को निर्देश दिया है कि वह क्लेमकर्ता की पूरी बकाया राशि को रजिस्ट्रार कार्यालय में दस दिनों के अंदर जमा कराए। पूरे देश में ये पहला मामला है जब किसी हाईकोर्ट ने किसी कंपनी को जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में पूरी बकाया राशि अदालत में जमा करने का निर्देश दिया है। मामला डीबी कार्प के समाचार पत्र दैनिक भास्कर के फिरोजपुर के पूर्व ब्यूरो चीफ राजेन्द्र मल्होत्रा से जुड़ा है।

राजेन्द्र मल्होत्रा ने 18 साल तक दैनिक भास्कर में सेवा दी। वे पंजाब के फिरोजपुर में ब्यूरो चीफ भी थे। उन्होंने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने बकाये राशि 23 लाख 52 हजार 945 रुपये 99 पैसे के लिए और ब्याज की राशि मिलाकर 37 लाख का क्लेम सहायक कामगार आयुक्त के यहां लगाया था।

इस क्लेम से नाराज दैनिक भास्कर समूह ने उन्हें अगस्त 2018 में बिना किसी ठोस कारण के बर्खास्‍त कर दिया। इस मामले में सहायक कामगार आयुक्त फिरोजपुर ने राजेन्द्र मल्होत्रा के दावे को सही माना और डीबी कार्प को निर्देश दिया कि वह राजेन्द्र मल्होत्रा को उनका बकाया जल्द से जल्द दे।

कंपनी प्रबंधन ने इस बात को अनसुना कर दिया तो सहायक कामगार आयुक्त ने एक नोटिस जारी कर रिकवरी कार्रवाई शुरू कर दी और डीबी कार्प के कार्यालय पर नोटिस भी चस्पा करा दिया। इसी बीच राजेन्द्र मल्होत्रा की पहल पर दैनिक भास्कर समूह की कंपनी डीबी कार्प का चंडीगढ़ का एक बैंक खाता भी सील कर दिया गया।

घबरायी कंपनी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंची जहां दैनिक भास्कर वर्सेज स्टेट आफ पंजाब और अन्य मामले की सुनवाई करते हुए उच्‍च न्‍यायालय ने डीबी कार्प को निर्देश दिया है कि वह इस अवार्ड के तहत निर्धारित की गई पूरी रकम को 10 दिन के अंदर इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल के पास जमा करे जिसे फिक्स डिपोजिट में रखा जाएगा। साथ में एफिडेविट, कैलकुलेशन सीट भी जमा करने का निर्देश भी दिया है। यह आदेश पंजाब हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश राजीव नारायण रैना ने दिया है। इस आदेश से मजीठिया क्रांतिकारियों में खुशी का माहौल है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५

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Sunday 2 December 2018

MAJITHIA: DA point Nov 2011 to Dec 2018

DA = DA point/167
Nov 2011 to Dec 2011 - 17 point

Jan 2012 to June 2012 - 25 point

July 2012 to Dec 2012 - 33 point

Jan 2013 to June 2013 42 point

July 2013 to Dec 2013 - 54 point

Jan 2014 to June 2014 - 65 point

July 2014 to Dec 2014 - 73 point

Jan 2015 to June 2015 - 80 point

July 2015 to Dec 2015 - 87 point

Jan 2016 to June 2016 - 94 point

July 2016 to Dec 2016 – 102 point

Jan 2017 to June 2017 - 107 point

July 2017 to Dec 2017 – 110 point

Jan 2018 to June 2018 - 114 point

July 2018 to Dec 2018 – 120 point


Calculation of DA…
DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167

For other help contact...

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in

Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265
ravi76agg@gmail.com

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हमें क्यों चाहिए मजीठिया: जानिए नवंबर 2011 से दिसंबर 2018 तक का डीए

साथियोंइस बार जुलाई 2018 से लेकर दिसंबर 2018 तक का डीए 120 प्‍वाइंट है। जो साथी एरियर की रिकवरी का दावा पेश करने की तैयारी कर रहे हैं उनकी मदद के लिए हम नवंबर 2011 से दिसम्बर 2018 तक का डीए बता रहे हैं।


इसके अलावा जिन साथियों ने डीएलसी में दावा पेश किया था और अभी भी उसी कंपनी में कार्यरत हैं और उनके केस लेबर कोर्ट रेफर हो गए हैं ये उनके लिए आज तक की रिकवरी को अपडेट करने के लिए भी काम आएगा।

उदाहरण- रवि ने जनवरी 2018 में डीएलसी में रिकवरी लगाई थी। उसने मजीठिया के अनुसार अं‍तरिम राहत समेत दिसंबर 2017 तक क्‍लेम लगाया था। डीएलसी ने अक्‍टूबर 2018 में उसके केस को लेबर कोर्ट रेफर किया। रवि अभी भी उसी कंपनी में कार्यरत है इसलिए उसने नवंबर 2018 में रेफरेंस के आधार पर लेबर कोर्ट में केस दायर करने से पहले अपने दावे में 23 महीने यानि जनवरी 2108 से अक्‍टूबर 2018 तक का मजीठिया के अनुसार वेतन के अंतर को एरियर राशि को भी जोड़ा है।

(नोट- कुछ साथियों को लगता है कि एक बार आपने जो डीएलसी में क्‍लेम लगा दिया तो उसमें आप सुधार नहीं कर सकते। यह धारणा बिल्‍कुल गलत है। आप इसमें कभी भी सुधार कर सकते हैं और इसके लिए क्‍या करना होता है आपका वकील अच्‍छी तरह से जानता है।)


यह डीए सभी ग्रेडों के समाचार-पत्रोंमैग्‍जीनों और न्‍यूज एजेंसियों में किसी भी शहर में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर एक समान ही लागू होगा और यह हर छह महीने बाद (जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर) बदल जाता है।


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार इसका सही बेस प्‍वाइंट 167 है। आप कतई भी 185 या 189 के आधार पर इसकी गणना न करेंयह आपके लिए नुकसानदायक होगा।

(देखें मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश का पेज नंबर अंग्रेजी में 20 और हिंदी में 18)


DA = DA point/167

नवंबर 2011 से दिसंबर 2011 - 17 point

जनवरी 2012 से जून 2012 - 25 point

जुलाई 2012 से दिसंबर 2012 - 33 point

जनवरी 2013 से जून 2013 - 42 point

जुलाई 2013 से दिसंबर 2013 - 54 point

जनवरी 2014 से जून 2014 - 65 point

जुलाई 2014 से दिसंबर 2014 - 73 point

जनवरी 2015 से जून 2015 - 80 point

जुलाई 2015 से दिसंबर 2015 - 87 point

जनवरी 2016 से जून 2016 - 94 point

जुलाई 2016 से दिसंबर 2016 - 102 point

जनवरी 2017 से जून 2017 - 107 point

जुलाई 2017 से दिसंबर 2017 - 110 point

जनवरी 2018 से जून 2018 - 114 point

जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 - 120 point


डीए की गणना इस तरह होगी-

DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167


नोट- आप अपना एरियर किसी एकाउंटेंट से भी बनवा सकते हैं। एरियर का क्‍लेम करते हुए एरियर चार्ट पर किसी भी सीए की मोहर की जरुरत नहीं होती। बस इतना ध्‍यान रखें जो आपका एरियर बना रहा है वह मजीठिया की सिफारिशों को ढंग से समझ लें। नहीं तो आपकी गणना में कोई भी गलती आपकी एरियर राशि में मोटा नुकसान पहुंचा सकती है। इसके लिए आप समाचार पत्रों से रिटायर्ड एकाउंटेंटों की मदद भी ले सकते हैं। या आप अपने यहां की पत्रकारों की यूनियनों से मदद ले सकते हैं।

  

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-https://goo.gl/8fOiVD


श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 (हिंदी-अंग्रेजीमें डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-https://goo.gl/wdKXsB

 

पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-10: (ग्रेड  और बी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान http://goo.gl/wWczMH



पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-17: (ग्रेड सी और डी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान  http://goo.gl/3GubWn






यदि इसके बाद भी आपको कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर सकते हैं।


Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union


Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in


Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265
ravi76agg@gmail.com



यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें। (patrakarkiawaaz@gmail.com)



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