Tuesday 27 November 2018

दिल्ली हाईकार्ट ने पीटीआई से निकाले गए 297 कर्मियों के मामले में स्‍टे दिया



न्यूज एजेंसी पीटीआई के मैनेजमेंट द्वारा जारी किए गए रिट्रेंचमेंट के अवैध आदेश पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इस मामले के अंतिम फैसले तक यह स्टे जारी रहेगा। पीटीआई यूनियन की इस बड़ी न्यायिक जीत पर कर्मचारियों में प्रसन्नता है। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी जल्द ही कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी।

मीडिया ट्रेड यूनियनिज्म के इतिहास में पहली बार इस तरह का आदेश फेडरेशन ऑफ पीटीआई इम्प्लाइज यूनियंस ने दिल्ली हाईकोर्ट से जीता है। फेडरेशन के रिट पिटीशन संख्या 10605/2018 पर आज अपना आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति श्री हरि शंकर ने मैनेजमेंट के रिट्रेंचमेंट के 29 सितंबर 2018 के आदेश पर रोक लगा दी।

इसके परिणामस्वरूप पीटीआई के सभी 297 कर्मचारी अगले 1 से 2 दिन में अपनी ड्यूटी पर आ जाएंगे। सरकार के किसी भी हस्तक्षेप के बिना फेडरेशन ने यह मामला अपने पक्ष में जीत लिया। सरकार को इस बात पर स्वयं भी विचार करना चाहिए कि इतने बड़े अन्याय पर वह आंखें बंद कर क्यों मौन थी।

सरकार ने एक बयान तक नहीं जारी किया। वह तो भला हो माननीय उच्च न्यायालय का जिन्होंने कर्मचारियों के हित में यह फैसला दिया। भला हो फेडरेशन की लीडरशिप का, जिसके महासचिव बलराम सिंह दहिया अध्यक्ष एजी मोहन उपाध्यक्ष सागर T Bhurke, संयुक्त सचिव अतनु पाल एवं Bhorker तथा कोषाध्यक्ष जेएस रावत हैं, ने एकजुट होकर कर्मचारियों के हित में यह लड़ाई लड़ी और जीत ली है।

इस लड़ाई को खत्म करने के लिए या यूं कहिए कि ध्वस्त करने के लिए मैनेजमेंट का कुछ दलाल पहले दिन ही 4 अक्टूबर को असिस्टेंट लेबर कमिश्नर के ऑफिस पहुंच गए थे और यदि वहां यह मसला शुरू हो गया होता तो आज माननीय उच्च न्यायालय से यह राहत नहीं मिली होती।

फेडरेशन आफ पीटीआई इम्प्लाइज यूनियन ने मैनेजमेंट को पत्र दे दिया है कि सारे कर्मचारियों को कल से ही ड्यूटी पर वापस ले लिया जाए अन्यथा यह माननीय न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन होगा।

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