Wednesday 30 March 2022

चिटफंड कंपनी ने इस पत्रकार से 29 लाख हड़पे! एफआईआर दर्ज

प्रति; पुलिस उपायुक्त परिमंडल- 5 मुंबई- 400018 वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक धारावी पुलिस स्टेशन, मुंबई- 400017 विषय: ‘महेश को-आप. क्रेडिट सोसायटी लि.’ में जमा मेरी धनराशि को मुझे दिलवाने के संदर्भ में… आदरणीय महोदय, आपके पुलिस स्टेशन की सीमा में स्थित ‘महेश को-आप. क्रेडिट सोसायटी लि.’ (पता: राजीव गांधी नगर, रूम नं. सी- 12, ब्लॉक नं. 03, एम. जी. रोड, धारावी, मुंबई- 400017) में मैंने कुल 29,00,000/- (उन्तीस लाख रुपए मात्र) जमा किया है. यह राशि मेरे (15,50,000/-), मेरी पत्नी श्रीमती रेखा सिंह (8,00,000/-) और मेरी सुपुत्री सुश्री गीतिका सिंह (5,50,000/-) के नाम से जमा की गई है, जिसका अकाउंट नंबर हमें (क्रमशः) 0101060000000326, 0101060000000325 और 0101060000000324 तथा मेंबरशिप नंबर (क्रमशः) 0101एम00000011265, 0101एम00000002882 और 0101एम00000011290 प्राप्त हुआ है. श्रीमान, मुझे शीघ्र ही अपनी बेटी की शादी करनी है और मैंने अपना घर भी इसीलिए बेचा, ताकि बेटी की शादी करने में मुझे किसी प्रकार की आर्थिक दिक्कत का सामना न करना पड़े… आपको बताना चाहता हूं कि इसके लिए मैंने यह धनराशि अपना घर बेच कर जुटाई है. यह बात जब सुरेन्द्र मौर्य को पता चली कि बिके हुए घर का पैसा मेरे पास सुरक्षित है, तब वह मुझसे नियमित रूप से मिलकर मुझे इस बात के लिए राजी करने लगे कि जब तक मेरी बेटी की शादी तय नहीं हो जाती है अथवा मुझे किसी और कार्य के लिए जरूरत न पड़े, मैं यह धनराशि ‘महेश को-आप. क्रेडिट सोसायटी लि.’ में जमा कर दूं. इसके बावजूद मैं आगे नहीं बढ़ रहा था, क्योंकि इस तरह की सोसायटीज द्वारा किए जा रहे फ्राड की खबरों से मैं वाकिफ़ था. फिर भी मान्यवर, सुरेन्द्र मौर्य अपने मकसद में तब सफल हो गए, जब उन्होंने मेरी मुलाकात उक्त सोसायटी के चेयरमैन महेन्द्र मौर्य से करवाई… सुरेन्द्र मौर्य ने दावा किया कि महेन्द्र मौर्य उनके अपने सगे चचेरे भाई हैं, इसलिए मुझे किसी प्रकार की चिंता नहीं करनी चाहिए… इसके बाद मौर्य बंधुओं ने जमा की जाने वाली धनराशि के बदले में मुझे अच्छी-खासी ब्याज देने का लालच दिया, साथ ही वादा किया कि चाहूं तो मैं चार महीने बाद कभी भी पैसे निकाल सकूंगा. इस पर जब मैंने ब्याज की रकम पूछी तो दोनों भाइयों ने चर्चा करके जवाब दिया- ‘कम से कम दो परसेंट के हिसाब से आपको जरूर मिलेगा !’ इसके बाद मैंने अलग-अलग किश्तों (कैश / चेक / एनईएफटी / आरटीजीएस) के माध्यम से 15 जनवरी, 2020 तक कुल 29,00,000/- की राशि उक्त सोसायटी में जमा करवा दी, तत्पश्चात 16 या 17 जनवरी को महेन्द्र मौर्य ने मुझे तीन सर्टिफिकेट-कम-फर्स्ट रसीद दी. इन सर्टिफिकेट्स को देख कर मैंने फौरन यह सवाल किया कि इनमें तो आपने 36 महीने लिखा है, जबकि मुझे पैसे तो चार-पांच महीने बाद ही लगेंगे ! इस पर महेन्द्र मौर्य ने कहा कि ‘उसे ध्यान मत दो… मैं बैठा हूं न… आपने एक महीने पहले से पैसे देना शुरू किया था, इसलिए मैंने भी फैसला किया है कि आप अगले महीने (यानी कि फरवरी, 2020) की 10 तारीख को ही आकर अपना 58,000/- ले जाना… आपके ब्याज की तारीख हर महीने की 10 तारीख ही रहेगी और आपका पूरा मूल धन 10 से 15 मई (2020) के बीच आपके उन खातों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा, जिन खातों से हमारे पास आपने पैसे भिजवाए हैं.’ महोदय, इस बीच सुरेन्द्र मौर्य जहां अपने पिता के निधन के चलते पैतृक गांव चले गए थे, वहीं निजी कारणों से मैं भी 22 जनवरी, 2020 को अपने गांव चला गया… फरवरी, 2020 के पहले सप्ताह में मैं मुंबई वापस आया और आते ही सुरेन्द्र मौर्य से संपर्क किया, पर मिलने के बाबत वह लगातार टाल-म-टोल करते रहे… आखिर 10 फरवरी, 2020 को वह तब मिले, जब मैंने बहुत आग्रह किया कि ‘मुझे दो लाख रुपए की बड़ी जरूरत है, मुझे अविलंब दिलवा दीजिए.’ लेकिन इस मुलाकात के दौरान ही सुरेन्द्र मौर्य ने यह कह कर मेरे पैरों तले से जमीन खिसका दी कि ‘महेन्द्र मौर्य तो 24 जनवरी, 2020 से ही लापता हैं !’ सुरेन्द्र मौर्य के साथ इस समय चूंकि सोसायटी के कोषाध्यक्ष अरुण जैसवार भी मौजूद थे, लिहाजा मैंने तुरंत प्रश्न किया- ‘फिर मेरा पैसा ?’ इन दोनों ने मुझे सांत्वना दी कि ‘शुक्र है, महेन्द्र मौर्य ही लापता हैं… सोसायटी का पूरा पैसा बैंक में पूरी तरह सुरक्षित है !’ मैंने ज़िद की अगर ऐसा है तो मुझे संबंधित बैंक का स्टेटमेंट दिखाइए, पर स्टेटमेंट निकालने में इन्होंने पांच-छह दिन का समय लगा दिया… आश्चर्य है कि स्टेटमेंट निकालने के बाद इन लोगों को पता चला कि सोसायटी के लिए मैंने धारावी स्थित जिस भारत बैंक में पैसे ट्रांसफर किए, उसमें बमुश्किल 50,000/- बचे हैं !’ जाहिर है कि इस तथ्य के सामने आने से मैं तो जीते जी मर गया ! बस, तसल्ली थी तो इतनी ही कि सोसायटी का कोषाध्यक्ष अभी कोई रास्ता निकालने का भरोसा दे रहा है, साथ ही सुरेन्द्र मौर्य ने भी कहा कि ‘लोन के रूप में सोसायटी का 1,70,00,000/- (एक करोड़ सत्तर लाख रुपए मात्र) मार्केट में मौजूद है, जहां से कलेक्शन भी हो रहा है… मैं हर महीने की ब्याज तो समय पर देता ही रहूंगा, अप्रैल के एंड तक पूरा मूल धन भी आपको दे दूंगा.’ लेकिन सुरेन्द्र मौर्य ने ऐसा कुछ नहीं किया… उन्होंने न तो ब्याज देने की शुरुआत की, न ही मूल धन देने की उनकी नीयत दिख रही है. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि आए दिन नए-नए बहाने कर रहा यह शख्स अब नैतिकता को भी ताक पर रख चुका है. जब पैसे जमा करवाना था, तब तो खुद को चेयरमैन का भाई बताते हुए बड़ा इतराता था… लेकिन अब जबकि महेन्द्र मौर्य अंडरग्राउंड है, सुरेन्द्र मौर्य ने मुझसे ही कहना शुरू कर दिया है कि यदि मैं अपनी रकम हासिल करना चाहता हूं तो महेन्द्र मौर्य को खोज कर मैं स्वयं उसे अपने स्तर पर मुंबई लाऊं !’ श्रीमान, मेरे लिए यह असंभव है… असल में यह पारिवारिक फ्राड है, क्योंकि मौर्य परिवार के किसी भी सदस्य ने अभी तक महेन्द्र मौर्य की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में लिखवाई नहीं है. इस सोसायटी के चेयरमैन महेन्द्र मौर्य के बाद जहां सेक्रेटरी भी फरार हुआ, वहीं अब तो कोषाध्यक्ष भी कहीं छुप गया है. इस फ्राड के सार्वजनिक होते ही महेन्द्र मौर्य का अपना निजी परिवार (पत्नी, बच्चे और पिताजी) गांव शिफ्ट हो गया तो इसी को देखते हुए मुझे आशंका है कि सुरेन्द्र मौर्य भी मुंबई से अब कभी भी पलायन कर सकता है ! अत: मेरा विनम्र निवेदन है कि मेरी ओर से सुरेन्द्र मौर्य और महेन्द्र मौर्य के विरुद्ध प्राथमिकी (F.I.R.) दर्ज करके इन दोनों भाइयों पर यथोचित कार्यवाही की जाए, साथ ही आप कृपया ब्याज सहित मेरी उपरोक्त संपूर्ण धनराशि मुझे दिलवाने की कृपा कीजिएगा, मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा… सधन्यवाद; आपका कृपाभिलाषी, (धर्मेन्द्र प्रताप सिंह) पत्रकार मुंबई मोबाइल: 9920371264 दिनांक: 17/03/2020