Thursday 8 September 2016

मजीठिया: सभी साथी ध्‍यान दें, कैटेगरी, 20जे भूलो, लगाओ क्‍लेम, वकील की नहीं है जरुरत, नहीं कर सकते वेतन कम

साथियों हममें से बहुत से प्रबंधन द्वारा अपने चमचों के माध्‍यम से फैलाई जा रही अफवाहों को तो सच मान लेते हैं परंतु जो अदालत या कानून कहता है उसको जानने की कोशिश नहीं करते और अपने मजीठिया लेने के प्रयासों पर विराम लगा देते हैं। हम आपको एक फि‍र से स्‍पष्‍ट करना चाहते हैं कि एक्‍ट बड़ा होता है ना कि उसके तहत बनने वाली वेजबोर्ड की सिफारिशें। यानि की वेजबोर्ड यदि कुछ कह रहा है और एक्‍ट कुछ और तो वहां एक्‍ट ही प्रभावी माना जाएगा।

20जे
प्रबंधन द्वारा अभी भी 20जे को लेकर कर्मचारियों को बरगलाया जा रहा है। जबकि 23 अगस्‍त की सुनवाई में अदालत ने उप्र के लेबर कमीशनर को स्‍पष्‍ट कर दिया था कि 20जे उनके लिए है जो वेजबोर्ड से ज्‍यादा पा रहे हैं, नाकि कम वालों के लिए। और सुप्रीम कोर्ट का यह ही आदेश अन्‍य लेबर कमीशनरों पर भी समान रुप से लागू होता है।

कैटेगरी
कैटेगरी पर लेकर भी अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिंदुस्‍तान, दैनिक भास्‍कर, राजस्‍थान पञिका जैसे लोगों की नजरों में सम्‍मानित अखबार भ्रम फैला रहे हैं और श्रम कार्यालयों को भी गलत जानकारी दे रहे हैं। मजीठिया से जुड़े कर्मचारियों के वकीलों की राय है कि आप इस मुद्दे को उनपर (वकीलों पर) छोड़कर श्रम कार्यालयों में मजीठिया के अनुसार वेतन न मिलने की अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इससे कम से कम कंपनी के ऊपर अवमानना तो साबित होगी। जिसका मतलब मालिकों को जेल भी हो सकती है, जिससे मालिकान बचने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। क्‍या आप मलिकान को असानी से छोड़ देने के मूड में है। नहीं, तो फि‍र देर किस बात की है जल्‍द ही अपने साथियों के साथ श्रम कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराएं। गोरखपुर हिंदुस्‍तान के साथियों के लिए यह संदेश तो विशेष तौर पर है।

कम नहीं हो सकता वेतन
साथियों, आपके मन से एक और बड़ी गलतफहमी और दूर करनी है। प्रबंधन आपको कैटेगरी कम बताकर आपका वेतन कम करने की बात करता है। जो कि प्रबंधन द्वारा आपको गुमराह करने की कोशिश है। कोई भी नया वेजबोर्ड आने पर किसी भी कर्मचारी का वेतन पुराने वेजबोर्ड से कतई कम नहीं हो सकता। यानि अगर आपका बेसिक 10 हजार है और नए वेतनमान वह बेसिक 9 हजार है तो आपको प्रबंधन 9 हजार के बेसिक पर नहीं ला सकता। उसे आपको 10 हजार के बेसिक पर ही सभी सुविधाएं देनी होगी। आपके अधिकतम वेतन की रक्षा वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट की धारा 16 करती है। और मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार 20जे आपके अधिकतम वेतन पाने के अधिकार की रक्षा के लिए ही है।

भत्‍ते बने रहेंगे
एक साथी ने भड़ास पर प्रश्‍न किया है कि राष्‍ट्रीय सहारा अपने कर्मचारियों को बेसिक, डीए, एचआर आदि कम दे रहा है और अन्‍य मदों में ज्‍यादा पैसा दे रहा है। यह तो वहां के साथियों के लिए अच्‍छी बात है क्‍योंकि जब वहां मजीठिया लागू होगा तो उनके बेसिक, डीए और एचआर वेजबोर्ड के हिसाब से बढ़ेंगे ही और साथ में जो भत्‍ते हैं वह भी मिलते रहेंगे। परंतु यहां एक बात ध्‍यान देने वाली है कि वेजबोर्ड लागू होते ही प्रबंधन इन भत्‍तों को खाने की कोशिश करेगा और इनको आपकी एरियर राशि में से काट लेगा, जैसा कि नवभारत टाइम्‍स जैसे अखबारों में भी हुआ है, और वे भी सुप्रीम कोर्ट में कैटेगरी, फि‍टमेन-प्रमोशन आदि मुद़दों पर लड़ाई लड़ रहे हैं। इसको लेने के लिए आपको खुद भी प्रयास करने होंगे और श्रम कार्यालय में अपनी एरियर राशि का क्‍लेम करते हुए पुराने वेतन और मजीठिया के अनुसार वेतनमान में इन भत्‍तों को दर्शाना होगा। कोई भी वेजबोर्ड आपके अन्‍य भत्‍तों को कम करने की बात नहीं करता, वे जस के तस रहते हैं। यह तथ्‍य सभी अखबारों के साथियों पर भी लागू होते हैं।

कम नहीं हो सकता पद या प्रबंधक बना कर छीन नहीं सकता मजीठिया
संस्‍थान आपके पद को कम नहीं कर सकता। मजीठिया में आपको 30 साल के कैरियर में 3 प्रमोशन देने का भी प्रावधान रखा गया है और हर 5 साल में एक विशेष इक्रीमेंट का भी। चाहे आपको कार्य करते हुए 25 साल हो गए हों या आपकी अभी 25 साल की नौकरी बची हो सबपर समान रुप से लागू होगी। इसमें आपके सालाना वेतनव़द़धि का भी प्रावधान रखा गया है अखबारों की कैटेगरी के अनुसार। इसलिए भूल जाइए प्रबंधन आपको वर्तमान पद से नीचे करके या प्रबंधकों की श्रेणी में डालकर आपका हक मार सकता है।

हिंदुस्‍तान के कर्मचारी न आए प्रबंधन के झांसे में
ऐसी सूचना आ रही है कि हिंदुस्‍तान प्रबंधन ने पटना व गोरखपुर में कर्मचारियों को गुमराह करने के लिए एक फार्म निकाला है जिसमें उनकी शैक्षिणक योग्‍यता से लेकर कई सवाल पूछे गए हैं। साथियों आपको इससे परेशान होने की जरुरत नहीं है। मजीठिया बेवबोर्ड में इन सबकी काट पहले ही दे रखी है। इसमें आपका सालाना इंक्रीमेंट, पांच साल पर एक स्‍पेशल इंक्रीमेंट और हर दस साल बाद एक प्रमोशन का बंदोबस्‍त कर रखा है। जोकि पूरे तीस साल के सर्विस परियड में तीन बार मिलेगी। जिसको चाह कर भी प्रबंधन आपकी शैक्षिणक योग्‍यता आदि की आड़ में छीन नहीं सकता। 

श्रम कार्यालयों द्वारा जारी फार्म को भरें
उप्र और मप्र राज्‍यों के श्रम कार्यालयों ने कर्मचारियों से भरवाने के लिए अपने प्रपत्र निकाले हैं। परंतु मालिकों ने उन्‍हें दबा लिया। चिंता न करें आप श्रम कार्यालय जाएं या अपने किसी साथी जिसके पास यह उपलब्‍ध हो वह लें और खुद भरकर श्रम कार्यालय में कवरिंग लैटर के साथ जमा करवाएं और उसकी डुप्‍लीकेट कॉपी पर वहां के कर्मचारी के साइन, तिथि और मोहर लगवा कर मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों के वकीलों को इसकी जानकारी दें। उप्र के प्रपत्र में आप एरियर राशि के आगे - नहीं लिखें। मजीठिया के अनुसार वेतमान मिल रहा है उसके आगे भी - नहीं लिखें। और उसके नीचे वाली लाइन यानि 20जे वाली में यह लिखें - लागू नहीं

क्‍लेम के लिए डिमांड नोटिस और वकील की जरुरत नहीं
23 अगस्‍त की सुनवाई में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमीशनरों को अपनी अथारिटी के रुप में काम करने के आदेश दिए हैं। इसका मलतब है अब लेबर कमीशनरों और सुप्रीम कोर्ट के बीच और कोई कोर्ट नहीं आ सकती। यानि अब आपको अपना क्‍लेम श्रम कार्यालय में डालने से पहले कंपनी को डिमांड नोटिस भेजने की भी जरुरत नहीं रह गई है। आपने जो क्‍लेम बनाया है उसके लिए वरिष्‍ठ वकील उमेश शर्मा ने भड़ास पर एक फार्मेट अपलोड किया हुआ है वहां से लेकर उसे भरे और श्रम कार्यालय में जाकर खुद ही जमा करवाएं। इसके लिए आपको किसी वकील की जरुरत नहीं है और न ही उसे किसी तरह की फीस देने की। श्रम कार्यालय को आपकी शिकायत पर ध्‍यान देना ही होगा। यदि आपको क्‍लेम लगाने में कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप अपने इन साथियों से बेहिचक संपर्क कर सकते हैं यह निस्‍वार्थ भाव से आपके क्‍लेम लगवाने में आपकी मदद करेंगे।

महाराष्‍ट्र में
शशिकांत सिंह - 09322411335
shashikantsingh2@gmail.com

दिल्‍ली में
महेश कुमार - 09873029029
mkumar1973@gmail.com
kmahesh0006@gmail.com

हिमाचल में
रविंद्र अग्रवाल
9816103265
ravi76agg@gmail.com)

उत्‍तर प्रदेश में (नोएडा-गाजियाबाद)
बिजय - 09891079085
bijayindian@gmail.com

नोट- 1. ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कई साथियों का एरियर में हजारों-लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। शायद उनका एरियर बनाते हुए बुनियादी तथ्‍यों का ध्‍यान नहीं रखा गया। हमारी राय है कि आप इस काम में किसी विशेषज्ञ की मदद लें तो ज्‍यादा अच्‍छा है।

2. साथियों, सुप्रीम कोर्ट में आप अपने राज्‍य की बारी आने का इंतजार न करें। 17(1) के तहत अपनी रिकवरी लगाना शुरु कर दें, जिससे आपके प्रबंधन पर दबाव बढ़ता चला जाए।

3. यह लड़ाई किसी एक की नहीं है, यह सामूहिक है। इसलिए यदि आपके पास कोई जानकारी है तो दूसरों से शेयर करें और हो सके तो सामूहिक रुप से जाकर अपनी शिकायत श्रम कार्यालयों में करें। हमारे बहुत से साथी जो मशीन आदि में कार्यरत हैं वो सोशल मीडिया से जुड़े हुए नहीं है ऐसे में आप का भी कर्तव्‍य बनता है उनको सही जानकारी देना। जितने ज्‍यादा क्‍लेम या शिकायतें इस समय श्रम कार्यालयों में मजीठिया को लेकर दर्ज होगी उतना ज्‍यादा अच्‍छा होगा। आप अपने साथ के सेवानिवृत्‍त, नौकरी बदल चुके साथियों को भी ढूंढे और उनकी शिकायत भी श्रम कार्यालयों में दर्ज करवाएं। यदि कोई साथी इस दुनिया में नहीं है उनके परिजनों की मदद श्रम कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाने में करें। 

टूटा 20जे का खौफ, सबको मिलेगा मजीठिया, अब न करें देर http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/20.html


सुप्रीम कोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/x3aVK2

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/8fOiVD

श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 (हिंदी-अंग्रेजी) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/wdKXsB

 

पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-10: (ग्रेड और बी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान http://goo.gl/wWczMH



पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-17: (ग्रेड सीऔर डी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान  http://goo.gl/3GubWn



यदि इसके बाद भी आपको कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर सकते हैं।

RP Yadav ji - 09810623949
rpyadav56@gmail.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in

यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें।(patrakarkiawaaz@gmail.com)


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मजीठिया: श्रमायुक्त की याचिका पर सुनवाई 16 सितंबर को

सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने उत्तराखंड के श्रम आयुक्त की याचिका/आवेदन को सुनवाई के लिए 16 सितंबर, 2016 की अग्रिम सूची में सूचीबद्ध किया है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत की खंडपीठ उत्तराखंड के श्रम आयुक्त के गिरफ्तारी वारंट को वापस लने की इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तराखंड के श्रम आयुक्त डा. आनंद श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में कहा है कि उनका 11 साल का विवादरहित और शानदार कैरियर रिकार्ड रहा है। सुनवाई की पिछली तारीख, 23 अगस्त, 2016 को माननीय न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित न हो पाने का अविवेक ना तो जानबूझकर और न ही इरादतन किया गया था। माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किया गया उनकी गिरफ्तारी का वारंट निश्चित तौर पर उनके भविष्य की सेवा संभावनाओं पर असर डालेगा। लिहाजा उन्होंने इस आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई है।

परमानंद पांडे
सेक्रेटरी जनरल-आईएफडब्ल्यूजे
[अनुवाद: रविंद्र अग्रवाल]

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Majithia Case: Labour Commissioner’s Petition Likely to Come up on 16th Sept.

 The Registry of the Supreme Court of India has listed the Petition/Application of the Labour Commissioner of Uttarakhand to be heard on 16.09.2016, in its advance list by the bench comprising Justice Ranjan Gogoi and Justice P.C. Pant for recalling the warrant of his arrest

It needs to be mentioned here that the Labour Commissioner Dr. Anand Srivastava has said in his petition that he has a flawless and bright service career record of eleven years. This indiscretion of not attending the Hon’ble Court in person on the last date of hearing i.e. 23.08.2016 was neither deliberate nor intentional. The order issued by the Hon’ble Supreme Court for his arrest will certainly have the bearing on his future service prospect and therefore he has prayed the order to be recalled.
  
Parmanand Pandey
Secretary General-IFWJ


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Monday 5 September 2016

मजीठिया: उत्तराखंड के श्रम आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी

उत्तराखंड के श्रम आयुक्त डा. आनंद श्रीवास्तव ने 23 अगस्त, 2016 को मजीठिया मामले में रखी गई सुनवाई की तिथि को उपस्थित ना हो पाने के लिए माननीय सर्वोच्‍च न्यायालय से दिल की गहराई से माफी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथपत्र में उन्‍होंने कहा है कि यह सब अनजाने में गलतफहमी के चलते हुआ है, वह यह समझ बैठे थे कि श्रम आयुक्त को अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित होना है। ज्ञात रहे कि पिछली तारीख 19 जुलाई 2016 को कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर के श्रम आयुक्त कोर्ट रूम में व्यक्तिगत तौर पर अपने वकील के साथ मौजूद रहेंगे, ताकि वे मजीठिया वेजबोर्ड के क्रियान्वयन की स्थिति के संबंध में पूछे जाने वाले सवालों का जवाब दे सकें।

जबकि 23 अगस्त, 2016 को सुनवाई वाले दिन चार राज्यों उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड व मणिपुर के श्रम आयुक्त अपने-अपने वकील के साथ कोर्ट में मौजूद थे, वहीं उत्तराखंड की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ था। तब कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए माननीय न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत ने उत्तराखंड के श्रम आयुक्त के जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे, ताकि अगली तारीख को कोर्ट द्वारा मांगी गई जानकारी के साथ उनकी उपस्थित सुनिश्चित की जा सके।

श्रम आयुक्त डा. श्रीवास्तव ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगते हुए वादा किया है कि वह भविष्य में ऐसे मामलों में अधिक चौकस व स्तर्क रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनके कैरियर रिकार्ड में 11 वर्षों का सेवाकाल जुड़ा हुआ है और इस दौरान वे प्रत्येक अदालत के निर्देशों का पालन करते आए हैं। उनके पूर्व के सेवाकाल को मद्देनजर रखते हुए वह कोर्ट से प्रार्थना करते हैं कि उनकी गैरहाजिरी के चलते जारी किए गए गिरफ्तारी के वारंट के आदेश वापिस लिए जाएं।

परमानंद पांडे
सेक्रेटरी जनरल-आईएफडब्ल्यूजे
[अनुवाद: रविंद्र अग्रवाल]

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