Tuesday 31 January 2017

मजीठिया: 6 सप्ताह में फिर शुरू होगी सुनवाई

देश भर के मीडियाकर्मियों के वेतन,एरियर और प्रमोशन से जुड़े जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई 6 सप्ताह के अंदर माननीय सुप्रीमकोर्ट फिर पहले की तरह फिर सुनेगा। देश भर के मीडिया कर्मियों के पक्ष में सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे जाने माने एडवोकेट उमेश शर्मा ने इस खबर की पुष्टि खुद की है।श्री शर्मा के मुताबिक हालही में सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर तय किया गया था कि मंगलवार को नए मामले ही सुने जाएंगे और मंगलवार को जो पहले से चल रहे पुराने मामले हैं उन्हें रोजाना किसी भी कार्य दिवस में सुने जाएँगे जिसके बाद 17 जनवरी को होने वाली जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुनवाई की डेट भी प्रभावित हुई। क्योकि इस मामले की सुनवाई भी मंगलवार को होती थी।


बताते हैं कि मंगलवार को एडवोकेट उमेश शर्मा सुबह 10.30 बजे माननीय सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और मजीठिया वेजबोर्ड मामले की सुनवाई कर रहे विद्वान् न्यायाधीश रंजन गोगोई सर के सामने केस का मेंशन किया और उनसे गुहार लगाया कि इस मामले की डेट जल्द से जल्द लगायी जाए। जिसके बाद श्री गोगोई सर ने स्पस्ट तौर पर कहा कि जितने भी केस प्रभावित हुए हैं सभी मामलों की सुनवाई 6 सप्ताह के अंदर शुरू हो जायेगी। इसके लिए किसी को भी अलग से एप्लिकेशन लगाने की जरुरत नहीं है। एप्लिकेशन लगाने पर भी वह हाल होगा।

जस्टिस रंजन गोगोई सर ने कहा जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले की सुनवाई के हम अंतिम मोड़ पर हैं और इस केस की एक एक बारीकियां मेरी नजर में है।
आपको बतादें कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले की 10 जनवरी को सुनवाई हुई थी जिसमे श्री गोगोई सर ने लंबी सुनवाई के बाद 17 जनवरी का डेट दिया था मगर इसी बीच माननीय मुख्य न्यायाधीश का आदेश आ गया कि मंगलवार को अब नए मामले की सुनवाई होगी और पुराने मामलों की सुनवाई सभी दिन होगी। 10 जनवरी को हुयी सुनवाई में पत्रकारों की तरफ से चर्चित एडवोकेट प्रशांत भूषण भी शामिल हुए थे और उन्होंने भी मीडियाकर्मियों का पक्ष रखा था। माना जारहा है कि नए डेट पर अखबार मॉलिकों के खिलाफ अवमानना की और लीगल पक्ष पर भी सुनवाई होगी।



शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट 9322411335





मजीठिया: नोएडा डीएलसी में रिकवरी लगाने वाले साथी लापरवाही बरत अपना ही कर रहे नुकसानhttp://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/12/blog-post.html    मजीठिया: इन जागरणकर्मियों की नींद कब टूटेगीhttp://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/01/blog-post.html 
 




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मजीठिया: श्रम अधीक्षक के पुर्नबहाल आदेश के बाद हिन्दुस्तान प्रबंधन गया हाईकोर्ट

झारखंड में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर के मामले में हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ रिकवरी सार्टिफिकेट जारी करवाने वाले रांचि के मीडियाकर्मी उमेश कुमार मलिक को हिन्दुस्तान प्रबंधन ने यह कहकर टर्मिनेट कर दिया कि इनका परफारमेंश खराब है। मजे की बात यह है कि टर्मिनेशन से पहले ही उमेश कुमार मलिक के वेतन में हिन्दुस्तान प्रबंधन ने दस प्रतिशत वृद्धि किया था। हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ पुरजोर लड़ाई लड़ रहे उमेश कुमार मलिक को कंपनी ने टर्मिनेट कर दिया तो उन्होने कामगार विभाग की शरण ली।

श्रम अधीक्षक ने मामले की पुरी सुनवाई के बाद  हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड को साफ कह दिया कि इन्हे फिर से बहाल किया जाये और इनका मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया दिया जाये। फिलहाल श्रम अधीक्षक के इस आदेश को लेकर हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमीटेड प्रबंधन झारखंड उच्च न्यायालय गया है जहां इस मामले पर उच्च न्यायालय ने किसी भी तरह की रोक तो नहीं लगायी है लेकिन मामले की पहली तारिख 6 फरवरी को दिया है। इसी दिन टर्मिनेशन के एक मामले में उमेश कुमार मलिक की एक सुनवाई लेबर कोर्ट में भी है। मजे की बात यह है कि हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड में डिजाईनर के पद पर कार्यरत उमेश कुमार का वर्ष 2012 से 2015 तक हिन्दुस्तान प्रबंधन ने एक पैसा वेतन नहीं बढ़ाया और मई 2016 में उनका वेतन अचानक 10 प्रतिशत बढ़ाया गया और अक्टुबर में यह कहते हुये उन्हे टर्मिनेट कर दिया गया कि उनकी परफारमेंश खराब है।

अब सवाल यह उठता है कि अगर उमेश मलिक का परफारमेंश खराब था तो हिन्दुस्तान प्रबंधन ने उनका वेतन कैसे अचानक बढ़ाया। फिलहाल टर्मिनेशन के मामले में हिन्दुस्तान प्रबंधन और उमेश कुमार मलिक के  पक्ष को 6 तारिख को झारखंड उच्च न्यायालय सुनेगा।




शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट 9322411335



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Sunday 29 January 2017

हिन्दुस्तान प्रबंधन ने लिखाया जबरन इस्तीफा, तो तनावग्रस्त कर्मचारी की मौत!

दिल्ली से हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड से एक दिल दुखा देने वाली खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार कर्मचारियों को वेतन और उनका बकाया ना देना पड़े इसके लिये प्रबंधन उन लोगों से जबरन त्यागपत्र लिखवा रहा है और टारगेट कर रहा है जिन्होंने मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन और बकाये का किसी भी अदालत में केस नहीं लगाया है और ना ही लेबर विभाग में क्लेम किया है।
नयी दिल्ली में इसी तरह हिन्दुस्तान प्रबंधन ने अपने मार्केटिंग डिपार्टमेंट में काम करने वाले अरविन्द शर्मा नामक कर्मचारी से जबरन कुछ दिन पहले त्यागपत्र लिखवा लिया था। इस अप्रत्याशित घटना और नौकरी जाने से दुखी अरविन्द शर्मा को मेट्रो के अंदर दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने प्राण त्याग दिए।
इस घटना के बाद हिन्दुस्तान के ही नहीं देश भर के पत्रकारों में जमकर गुस्से का माहौल है। चर्चा है कि अरविन्द शर्मा को 18 जनवरी के आसपास हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड के कार्मिक निदेशक राकेश गौतम ने गुड़गांव बुलाया और जबरन रिजाईन करवा लिया। इस दौरान अरविन्द शर्मा ने काफी अनुनय विनय की कि सर मेरा टारगेट पूरा होता है फिर मुझसे त्यागपत्र क्यों लिया जा रहा है, मगर उनकी एक नहीं सुनी गयी।
तथा राकेश गौतम का दिल नहीं पसीजा और उन्होंने इस कर्मचारी से त्यागपत्र ले लिया। जब से जबरन त्यागपत्र लिया गया तब से अरविन्द शर्मा काफी तनाव में था और 27 जनवरी को नयी दिल्ली में मेट्रो में यात्रा करते समय उसे अचानक हृदयाघात हुआ और उसकी मौत हो गयी।
लगभग ४२ साल के अरविन्द शर्मा की मौत के बाद हिन्दुस्तान टाईम्स के कार्मिक प्रबंधक शरद सक्सेना और राकेश गौतम को भी अस्पताल में इस कर्मचारी के पोस्टमार्टम के दौरान कई बार देखा गया जिसके बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि हिन्दुस्तान प्रबंधक अब पूरे मामले की लीपापोती में लग गया है।
इस घटना के बाद से देश भर के मीडियाकर्मियों में गुस्से का माहौल है। अरविन्द शर्मा के बारे में सूचना है कि वे जयपुर के रहने वाला था। उसके कुछ साथी उसके शव को लेकर जयपुर ले गए। उधर इस मामले में हिंदुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड का कोई पक्ष अब तक सामने नहीं आया है कि इस कर्मचारी से जबरन त्यागपत्र लिखवाया गया था या नहीं। फिलहाल हिन्दुस्तान प्रबंधन के पक्ष का इंतजार है।  



शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट 9322411335





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Friday 27 January 2017

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया को भी वेतन आयोग के दायरे में लाएंगे: दत्तात्रेय


भोपाल। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया को भी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए बनाए जाने वाले वेतन आयोग के दायरे में लाने पर विचार कर रही है।


दत्तात्रेय ने मंगलवार को यहां संवाददातओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया को भी पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों को वेतन आयोग में लाने पर विचार कर रहे हैं, ताकि इसका दायरा बढ़ाया जा सके।'
समाचार पत्र मालिकों द्वारा मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने में की जा रही देरी के संबंध में सवाल करने पर उन्होंने कहा कि आगामी संसद सत्र के बाद हम एक त्रिस्तरीय बैठक बुलाने वाले हैं, जिसमें सरकार के अलावा नियोक्ता एवं कर्मचारी संगठनों के नेता भी शामिल होंगे तथा इस मामले पर चर्चा करेंगे।


मंत्री ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने मजीठिया वेतन आयोग को लागू करवाने के आदेश दिए थे और हम इसे लागू करवाने के लिए वचनवद्ध हैं। इस मुद्दे पर समस्त राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मैं पहले ही दो बार पत्र लिख चुका हूं।' उन्होंने कहा, ‘मैंने उनको यह भी निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने राज्यों में इस बारे में साल में दो बार बैठक करें। मैंने उनसे मजीठिया वेतन आयोग को लागू करवाने के बारे में रिपोर्ट भी मांगी है।' जब उनसे पूछा गया कि पत्रकारों की यूनियन केंद्र सरकार पर नए वेतन आयोग के गठन की मांग के लिए दबाव बना रहे हैं, तो इस पर उन्होंने कहा कि मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।


दत्तात्रेय यहां उत्तर एवं मध्य क्षेत्र में आने वाले नौ राज्यों के क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेने आए थे। इसमें मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ एवं उत्तराखंड शामिल हैं। इस सम्मेलन में श्रम कानूनों के सुधारों पर चिंतन किया गया।
(साभार: भाषा)  


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Tuesday 24 January 2017

मजीठिया: ट्रिब्‍यून के वेतनमान में भी है लोचा


साथियों, नवभारत टाइम्‍स, जनसत्‍ता ही नहीं, दैनिक ट्रिब्‍यून में भी मजीठिया ढंग से लागू नहीं है। दिल्‍ली के एक साथी ने हमें चंडीगढ़ ट्रिब्‍यून में कार्यरत एक साथी की मई 2014 की सैलरी स्लिप भेजी है, जिसे देखकर तो ऐसा ही लगता है। यहां पर भी डीए की गणना 167 की जगह 189 प्‍वाइंट पर की गई है। ऊपर से डीए केवल बेसिक सैलरी पर निकाला गया है, नाकि बेसिक सैलरी और वेरियवल वे के जोड़ पर। इसलिए दोनों ही गणनाएं गलत है। इसमें एक बात और देखने को आई की इसमें आवास भत्‍ता ज्‍यादा दिया गया है। ऐसी जानकारी भी मिली है कि ट्रिब्‍यून ने अपने कर्मचारियों से कोई समझौता किया है, जिसके आधार यह वेतनमान तय किए गए हैं। इस सैलरी स्लिप को देखते हुए तो प्रथम दृष्‍यता लग रहा है कि यहां पर भी कर्मचारी ही ठगे गए हैं। यह सैलरी स्लिप मई 2014 की है। इससे पहले और बाद की सैलरी स्लिप हमारे पास उपलब्‍ध नहीं है, जिससे हम वेतनमान का गहन अध्‍ययन नहीं कर पाए हैं।

मई 2014 की सैलरी स्लिप इस प्रकार है-

BASIC Pay                            26442
Dearness Alw.                       6015.90
Variable Pay                          9255
House Rent Alw.                    11423.04
Transport Alw.                        3569.70
Medical Allowance                 500
Special Relief                         150
Reclass fitment Alw                500
Staff welfare Alw.                    200
Leave Cum Hol. Comp.          4644.45
                  
Total Amount                        62700.09
Provident Fund                      5612.00

जबकि मजीठिया के अनुसार वेतनमान इस प्रकार होना चाहिए -

BASIC Pay                            26442
Dearness Alw.                       13894
Variable Pay                          9254.7
House Rent Alw.                    7139.34
Transport Alw.                       3569.67
Medical Allowance                500
Special Relief                        150
Reclass fitment Alw               500
Staff welfare Alw.                   200
Leave Cum Hol. Comp.         4644.45

Total Amount                        66294
Provident Fund                      5951


हमें यह भी ध्‍यान रखना चाहिए कि बेसिक, डीए, वीए, आवास और परिवहन भत्‍ते के अलावा कंपनी अगर आपको कोई बेनिफट दे रही है तो वो वेजबोर्ड लागू करने की आड़ में बंद नहीं कर सकती। इसलिए मजीठिया के अनुसार वेतनमान की गणना में हमने उन भत्‍तों और लाभों को बनाए रखा है। अब यदि दोनों गणनाओं को देखा जाए तो कर्मचारी को 66294-62700= 3594 रुपये का वेतनमान में और पीएफ में 5951-5612= 339 का नुकसान हो रहा है।

अब हम अगर आवास भत्‍ते को जो कि मजीठिया वेजबोर्ड लागू करने के बाद दिया गया है उसके अनुसार इस वेतन की गणना करते हैं-

BASIC Pay                             26442
Dearness Alw.                       13894
Variable Pay                          9255
House Rent Alw.                    11423.04
Transport Alw.                        3569.70
Medical Allowance                 500
Special Relief                         150
Reclass fitment Alw               500
Staff welfare Alw.                   200
Leave Cum Hol. Comp.         4644.45
                  
Total Amount                        70578.23
Provident Fund                      5951

वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट 1955 की धारा 16 के अनुसार कंपनी कर्मचारी को वेजबोर्ड से ज्‍यादा वेतन दे सकती है। इसलिए आवास भत्‍ते के हिसाब से देखा जाए तो कर्मचारी को 70578-62700= 7878 रुपये का वेतनमान में और पीएफ में 5951-5612= 339 का नुकसान हो रहा है। अब आप जान सकते हैं कि ये नुकसान आज की तिथि में बढ़कर और भी ज्‍यादा हो गया होगा। ऐसा ही नुकसान एरियर की राशि में भी हुआ होगा।

यहां हम इस नुकसान का पूरा सही आंकलन इसलिए नहीं निकाल सकते हैं, क्‍योंकि हमें इस कर्मचारी की फिटमैन-प्रमोशन की जानकारी नहीं है। हमें इसकी डेट ऑफ ज्‍वाइनिंग और ज्‍वाइनिंग पोस्‍ट के बारे में भी जानकारी नहीं थी। केवल एक ही सैलरी के आधार पर गणनाएं निकाली गई है। यदि आपके पास ट्रिब्‍यून के किसी साथी की फिटमैन-प्रमोशन की डिटेल हो तो इस मेल आईडी (patrakarkiawaaz@gmail.com) पर भेजे, जिससे हमें वहां के वेतनमान के ढांचे के बारे में सही जानकारी प्राप्‍त हो सके।

(गणना या तथ्‍यों में कोई त्रुटि रह गई हो तो इस मेल patrakarkiawaaz@gmail.com पर सूचित करें।)

(दिल्‍ली से एक पत्रकार साथी से प्राप्‍त तथ्‍यों पर आधारित)



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मजीठिया: डी बी कॉर्प ने मुंबई के ब्यूरो चीफ सहित कई पत्रकारों को बनाया मैनेजेरियल-एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ, आरटीआई से हुआ खुलासा

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में सबसे ज्यादा शिकायत "डी बी कॉर्प लि." के अखबारों- 'दैनिक भास्कर', 'दिव्य भास्कर' और 'दिव्य मराठी' के मीडियाकर्मियों ने कर रखी है। इस संस्थान के पत्रकारों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय सहित महाराष्ट्र के लेबर डिपार्टमेंट और मुंबई के लेबर कोर्ट में तमाम शिकायतें कर रखी हैं। एक तरफ जहां डी बी कॉर्प का दावा है कि वह खूब लाभ कमा रहा है, वहीं जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन न देना पड़े, इसके लिए इस कंपनी ने अपने मुंबई के माहिम दफ्तर में कार्यरत कई सीनियर पत्रकारों को पत्रकारों के साथ-साथ मैनेजेरियल और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ बना दिया है और बेचारे पत्रकारों को इस बात की भनक तक नहीं लगी ! यही नहीं, डी बी कॉर्प ने माहिम ऑफिस में कर्मचारियों की संख्या भी काफी कम (मात्र 13) बताई है, जबकि वहां 70 से ज्यादा लोग काम करते हैं। यह खुलासा हुआ है आर टी आई के जरिये। जी हां, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि डी बी कॅार्प लि. ने मुंबई के माहिम वाले दफ्तर में कर्मचारियों की संख्या मात्र 13 बताई है, जबकि वहां पर 70-75 लोग से कम नहीं हैं ! चलिए, हम अगर 'माय एफएम', 'डी बी डिजिटल' और मार्केटिंग स्टाफ को छोड़ दें, तब भी वहां मजीठिया वेज बोर्ड के हकदार कर्मचारियों की अच्छी-खासी संख्या छिपायी गई है ! सो, भास्कर प्रबंधन जिन-जिन के नामों को छिपाकर उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों से वंचित रखना चाहता है, उनके नाम आपको हम बताएंगे... वे नाम हैं- गुजराती अखबार 'दिव्य भास्कर' के राजेश पटेल (सहायक संपादक), विपुल शाह (रिपोर्टर कम सब एडिटर), समीर पटेल (सब एडिटर) और मनीष पटेल (कंपोजिटर)। यहां पर कंपनी के चमचों को शर्म आनी चाहिए कि मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक देय राशि से बचने के लिए कुछ समय पहले ही आफिस बॅाय जॅार्ज कोली को कॅान्ट्रैक्ट पर कर दिया गया, जबकि वह करीब 10 वर्षों से पे रोल पर था ! अब बात इसी कंपनी के मराठी अखबार 'दिव्य मराठी' के कर्मवीरों की, जिनके नाम कंपनी ने छिपाए हुए हैं... ये नाम हैं- प्रशांत पवार (सहायक संपादक), प्रमोद चुंचूवार (ब्यूरो चीफ), शेखर देशमुख (संपादक-रसिक), विनोद तलेकर (प्रिंसिपल करेस्पॅान्डेंट), चंद्रकांत शिंदे (स्पेशल करेस्पॅान्डेंट), मृण्मयी रानाडे (संपादक-मधुरिमा), समीर परांजपे (सहायक समाचार संपादक), सुजॅाय शास्त्री (सहायक समाचार संपादक) और तुकाराम पवार (कंप्यूटर आपरेटर)। यही नहीं, कंपनी ने जो 13 नाम कामगार आयुक्त कार्यालय में दिए हैं, उन्हें भी पत्रकार के साथ-साथ प्रबंधकीय एवं प्रशासनिक क्षमता से लैस बता दिया है... ये नाम हैं- दैनिक भास्कर के ब्यूरो चीफ अनिल राही, जो बतौर पत्रकार महाराष्ट्र शासन द्वारा मान्यताप्राप्त हैं, मगर कंपनी उन्हें भी मैनेजेरियल स्टाफ मानती है। इसके बाद दूसरा नाम धर्मेन्द्र प्रताप सिंह का है। गौर करने की बात यह है कि पत्रकार के तौर पर धर्मेन्द्र प्रताप सिंह को भी महाराष्ट्र सरकार ने मान्यता दे रखी है और इन्होंने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर की मांग को लेकर लेबर कोर्ट के अलावा एडवोकेट उमेश शर्मा के जरिये सुप्रीम कोर्ट में भी केस लगा रखी है। अन्य प्रमुख नाम हैं- सीनियर रिपोर्टर सुनील कुकरेती, रिपोर्टर कम सब एडिटर (ऐसी पोस्ट होती ही नही है) उमेश कुमार उपाध्याय, फीचर एडिटर चंडीदत्त शुक्ला, सीनियर रिपोर्टर विनोद यादव, सीनियर करेस्पॅान्डेंट सलोनी अरोड़ा और प्रियंका चोपड़ा। डी बी कॅार्प ने जिन कर्मचारियों की लिस्ट कामगार विभाग को सौंपी है, उसमें पत्रकार से प्रबंधक और प्रशासक बने इन लोगों के अलावा लतिका चव्हाण और आलिया शेख नामक दो रिसेप्शनिस्ट का भी नाम शामिल है। यहां बताना जरूरी है कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लेकर लतिका और आलिया ने मुंबई के कामगार विभाग में कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध पहले ही शिकायत कर रखी है, जिसकी सुनवाई जारी है। हां, इस सूची में इन्वेस्टर हेड प्रसून पांडे और उनकी सहयोगी (डिप्टी मैनेजर) सोनिया अग्रवाल का नाम जरूर चौंकाता है... वह इसलिए, क्योंकि मार्केट से निवेशक ढूंढने के लिए नियुक्त इन दोनों जन को नेम ऑफ़ द जर्नलिस्ट के रूप में दिखाने की मजबूरी जहां समझ से परे है, वहीं सोनिया अग्रवाल का तो अक्टूबर (2016) की पहली तारीख को ही मुंबई से भोपाल ट्रांसफर किया जा चुका है (मुंबई के इंडस्ट्रियल कोर्ट में यह दावा एचआर के सतीश दुबे ने एक हलफनामा के जरिए किया है) !


 
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट
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