Sunday 31 October 2021

मणिसाना बेजबोर्ड: अदालत ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को जवाब देने का मौका किया समाप्त


मणिसाना बेजबोर्ड मामले में जयपुर की एक अदालत ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को बार-बार मौका दिया कि वह अपना पक्ष रखे मगर दैनिक भास्कर प्रबंधन या उनका प्रतिनिधि अदालत में हाजिर नहीं हुआ जिसके बाद जयपुर की अदालत ने दैनिक भास्कर के प्रबंधन को जवाब देने का मौका ही समाप्त कर दिया।

बताते हैं कि दैनिक भास्कर के कई कर्मचारियों द्वारा मणिसाना वेज बोर्ड की सिफारिशों के अंतर्गत बकाया राशि पाने हेतु दैनिक भास्कर के विरुद्ध केस फाइल किया गया है जिसकी सुनवाई जयपुर के श्रम न्यायालय प्रथम में चल रही है।

इस सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीश महोदय ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को चार मार्च 2021, 12 अप्रैल 2021, 2 सितंबर 2021 और 17 नवंबर 2021 जवाब देने का मौका दिया मगर भास्कर प्रबंधन ने जवाब नहीं दाखिल किया जिसके बाद श्रम न्यायालय प्रथम ने एक आदेश जारी कर साफ कर दिया कि अब बार-बार अवसर देने के बाद भी भास्कर प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद 6 अक्टूबर को अदालत ने दैनिक भास्कर के प्रबंधन का जवाब देने का मौका समाप्त कर दिया।

अचरज की बात यह है कि दैनिक भास्कर प्रबंधन ने मणिसाना बेज वोर्ड मामले में 25 जुलाई 2005 को एक शपथपत्र देकर साफ किया था कि वह अपने कर्मचारियों को मणिसाना वेज बोर्ड का लाभ दे रहा है। उसने अपने शपथपत्र में उस समय अपने कर्मचारियों की संख्या तक बताई थी और कहा था कि उसके समाचार पत्र में जयपुर में श्रमजीवी पत्रकारों की संख्या 43 है और गैर श्रमजीवी पत्रकारों में पुरुषों की संख्या 94 और महिलाओं की संख्या 14 है। इस तरह गैर श्रमजीवी पत्रकारों की संख्या 108 है।

दैनिक भास्कर ने अपने कर्मचारियों में अन्य कर्मचारियों की संख्या पुरुष 247 तथा महिलाएं 7 इस तरह कुल 254 अन्य कर्मचारी बताया था। जयपुर में जिन कर्मचारियों ने मणिसाना वेज बोर्ड के तहत बकाया पाने का मामला श्रम न्यायालय में लगाया है उनकी बकाया राशि एक करोड़ से तीन करोड़ रुपए तक है। इन कर्मचारियों में अधिकांश ने मनिसाना वेज बोर्ड के साथ – साथ श्रम न्यायालय में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत भी मुकदमा कर रखा है।


शशिकांत सिंह

पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता

9322411335

Monday 4 October 2021

जागरण नईदुनिया से दो माह में करो मजीठिया की वसूली: हाईकोर्ट



वसूली कर जमा करनी होगी कंप्लायंस रिपोर्ट

ग्वालियर। मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ की डबल बैंच ने मजीटिया मामले में दो माह में जागरण नईदुनिया से अवार्ड की वसूली कर कर्मचारियों को दिलाने का ऐतिहासिक आदेश सोमवार 4 अक्टूबर को पारित किया है। माननीय जस्टिस श्री शील नागू की बेंच ने शासन को आदेश दिया है कि 31 दिसम्बर तक जागरण से मजीठिया अवार्ड की राशि वसूल की जाए। साथ ही जनवरी के दूसरे सप्ताह में हाईकोर्ट में कम्प्लायंस रिपोर्ट जमा की जाए। 

दरअसल जागरण नईदुनिया के अनेक कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2017 में राज्य सरकार से ग्वालियर लेबर कोर्ट में मामले रेफर होने के बाद क्लेम पेश किया था। कोर्ट में करीब 2 साल मामला चला। जागरण नईदुनिया ने यहां 20जे को लेकर आपत्ति ली और इस आधार पर केस खारिज किये जाने को मुख्य आधार बनाया। लेकिन श्रम न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश श्री कुबेरचन्द यादव ने 20जे को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ठीक नहीं माना। उन्होंने व्याख्या की कि निर्धारित वेतन से कम पर 20जे का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह लेबर कोर्ट ने 10 कर्मचारियों के पक्ष में करीब ढाई करोड़ के आवर्ड अगस्त 2019 में पारित किए।

अवार्ड पारित होने के बाद कर्मचारियों ने जागरण के एमडी महेंद्र मोहन, सीईओ संजय गुप्त समेत अन्य को लीगल नोटिस भेजकर अवॉर्ड का पालन करने की अपील की। लेकिन मालिक के चाटुकारों ने इन अहंकारी और धृतराष्ट्र मालिकों के सामने कोई नई गोटी फेंक दी। अहंकारी मालिकों ने करीब दो साल तक लेबर कोर्ट के आदेश की पालना तक नहीं की। चाटुकारों ने धृतराष्ट्र को भरोसा दिलाया था कि आपका कुछ नहीं होगा हम हैं न। 



कर्मचारियों के जज्बे से निकला जीत का रास्ता

इस मामले में कर्मचारियों का जज्बा और अधिवक्ताओं के उचित मार्गदर्शन ने जीत का रास्ता आसान बना दिया। कर्मचारियों ने 2 साल तक धैर्य रखा और शासन में उच्च स्तर तक वसूली के लिए कागजी कार्रवाई करते रहे। चूंकि मामला अखबार से जुड़ा था और जागरण नईदुनिया भाजपा का चारणभाट मुखपत्र है, जिस कारण वसूली को लेकर शासन हीलाहवाली करता रहा। इसके बाद कर्मचारियों ने अगस्त में हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ में रिट फाइल की। मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के हक में आदेश दिया है।