Thursday 10 December 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16E: दूर करें भ्रांतियां

साथियों, आपके मन में बहुत सारे प्रश्‍न उठते रहते होंगे जिनका समाधान अभी तक आपको नहीं मिल पाया होगा। इसलिए हम यहां कुछ प्रश्‍नों के उत्‍तर दे रहे हैं जो कि आपके माध्‍यम से हमारे पास पहुंच रहे हैं। आपके मन में यदि इसके अतिरिक्‍त अन्‍य कोई भी प्रश्‍न हो तो उसे हमें लिखें। आप की पहचान गुप्‍त रखी जाएगी।

प्र. मेरा स्‍थानांतरण ग्रुप की दूसरी कंपनी में कर दिया गया है। मैं जिस कंपनी में था वह ए ग्रुप की कंपनी थी। मेरा विभाग और पद भी बदल दिया गया है, ऐसे में वेजबोर्ड लागू होने पर मेरे वेतन का आधार क्‍या होगा।
. आपके या इसी तरह के किसी अन्‍य केस में कंपनी आपको ए ग्रेड के हिसाब से मिलने वाले लाभ से वंचित नहीं कर सकती है। आपका तबादला जिस तिथि में हुआ उस तिथि में मजीठिया के अनुसार आपका जो वेतनमान होना चाहिए उससे एक भी नया पैसा आपको संस्‍थान कम नहीं दे सकती है। आपका एरियर भी ए ग्रेड के वेतनमान के अनुसार ही कंपनी को देना होगा। दूसरी कंपनी में रहते भी हुए आप ए ग्रेड की कंपनी के वेतनमान के अनुसार ही वेतन पाने के अधिकारी हैं। ग्रुप ए के वेतनमान से कंपनी आपको वंचित नहीं कर सकती।


प्र. जिस संस्‍थान में मैं कार्य कर रहा हूं वेजबोर्ड में उसका ग्रेड सी है। ऐसी अफवाह है कि संस्‍थान पूरी तरह से वेजबोर्ड के लाभ नहीं देने के मकसद से कंपनी को दो तीन भागों में बांट कर अपने मुनाफे का बंटवारा करना चाहता है। जिससे वे सी ग्रेड के वेतनमान देने से बच सकें।
. कंपनी को कई भागों में बांटने के बावजूद आपका संस्‍थान आपको सी ग्रेड के लाभ से वंचित नहीं कर सकता।

प्र. मैं पिछले पांच साल से बी ग्रेड की कंपनी में अनुबंध कर्मी के रुप में कार्य कर रहा हूं। क्‍या मैं भी वेजबोर्ड का लाभ पाने का हकदार हूं।
. जी हां। आप वेजबोर्ड के अनुसार वेतनमान पाने के हकदार हैं।

प्र. मेरे एक सहयोगी जोकि मेरे बहुत अच्‍छे मित्र भी हैं प्रबंधन से वेजबोर्ड मांगने वालों में सबसे आगे थे। संस्‍थान में एक दिन शराब पीकर आने पर उनका कुछ लोगों के साथ विवाद हो गया। बाद में इस वजह से उन्‍हें नौकरी छोड़नी पड़ी। क्‍या वो दोबारा नौकरी ज्‍वाइन कर सकते हैं या उनको वेजबोर्ड के लाभ मिल पाएंगे।
उ- यहां आपको एक बात स्‍पष्‍ट कर देना चाहते हैं कि कोई भी कानून आपको इस तरह की हरकतों के लिए संरक्षण नहीं दे सकता है। यदि उन्‍होंने इस्‍तीफा खुद दिया है तो अब कानूनी रुप से उनके नौकरी पर वापस आने के रास्‍ते बंद हो चुके हैं। यहां एक संभावना तब बन सकती थी, जब उन्‍होंने खुद इस्‍तीफा नहीं दिया होता और कंपनी अपनी तरफ से कोई कार्रवाई करती।
फि‍र भी आपको एक बार दोबारा स्‍पष्‍ट करना चाहेंगे कि आप नौकरी के दौरान अपनी एवं कार्यालय की मर्यादाओं का ध्‍यान रखें और कोई ऐसा गैर कानूनी कार्य न करें जिसका बचाव न हो सकें। रहा वेजबोर्ड का लाभ, तो वे 11 नवंबर 2011 से नौकरी छोड़ने के परियड तक सभी लाभ प्राप्‍त करने के कानूनी रुप से हकदार हैं। यहां तो उन्‍होंने खुद नौकरी छोड़ी है इसकी जगह इसी तरह के किसी आरोप में उनको कंपनी से बाहर निकाला गया होता तो भी वह उस परियड के सभी लाभ पाने के कानूनी हकदार होते। एक बात और यदि जनवरी 2008 को भी वे उसी कंपनी में कार्यरत थे और उनको अंतरिम राहत नहीं दी गई थी तो वे उसके भी हकदार होंगे।  


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जागरण की कथनी और करनी में अंतर!


यह है स्‍वच्‍छ भारत अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेने का दावा करने वाले दैनिक जागरण के नोएडा से-62 स्थित कार्यालय के मेन गेट के बाहर का नजारा। मालूम हो कि आजकल खाली पड़ी इस 12-13 मंजिला इमारत में लगभग 200 निलंबित कर्मचारियों की हाजिरी और घरेलू जांच चल रही है। इस दौरान जागरण के निदेशक श्री सतीश मिश्रा, सीजीएम श्री नीतेंद्र श्रीवास्‍तव, एचआर हेड श्री मनोज दुबे और कार्मिक विभाग के अधिकारियों का लगातार आनाजाना लगा रहता है। अपने निलंबित कर्मचारियों को सेक्‍टर 63 स्थित कार्यालय के आगे शांति पूर्ण प्रदर्शन करने से रोकने के लिए अपनी ताकत का प्रयोग करने वाला दैनिक जागरण यहां पड़ी गंदगी पर आंख मूंदे बैठा है।
चलते-चलते एक और बात, इस इमारत के बाहर रोज शाम को रेहड़ी-पटरी बाजार लगता था, जिससे लगभग 200-250 परिवारों का पेट पल रहा था। परंतु पिछले एक सप्‍ताह से यह बाजार बंद है। बताया जा रहा है कि इस बाजार पर जागरण की नजर टेढ़ी हो गई थी। इस बाजार के अचानक बंद हो जाने से इन परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट तो बन ही पड़ा है, वहीं खोड़ा और आसपास की कालोनियों में रहने वाले हजारों निवासी एक सस्‍ते बाजार से वंचित हो गए हैं। 

Friday 4 December 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16D: जानिए जागरण कर्मियों ने कैसे पेश किया 1 करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर का दावा

साथियों, जैसा कि हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि दैनिक जागरण के तीन कर्मचारियों ने मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार दिल्‍ली में डीएलसी के यहां 1 करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर का दावा पेश किया है। उनका यह दावा अब तक के पेश दावों में सबसे बेहतर बताया जा रहा है। उनके द्वारा कुल 1,10,76,593 रुपये का दावा पेश किया गया है। इन दावों में पीएफ की राशि शामिल नहीं हैं। दावों का भुगतान होने के बाद पीएफ की यह राशि कंपनी को खुद-ब-खुद ब्‍याज समेत पीएफ कार्यालय में जमा करवानी पड़ेगी।

ये दावे इस प्रकार हैं- ये दावे इस प्रकार हैं-
1. फोटोग्राफर
Annexure - I
एरियर राशि - 22,72,162
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 34,22,806
एलटीए - 1,19,306
कुल - 35,42,112
PF amount - 3,43,492


(Annexure - I डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/rJFUOo)

Annexure - II
अं‍तरिम राहत - 1,75,932
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 5,18,192
अंतरिम राहत समेत कुल एरियर राशि - 5,18,192 + 35,42,112 = 40,60,304



(Annexure - II डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/dyVOAc)


2. फोटोग्राफर
Annexure - II
एरियर राशि - 18,72,361
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 28,35,673
एलटीए - 1,01,982
कुल - 29,37,655
PF amount - 2,66,864

Annexure - II
अं‍तरिम राहत - 2,02,517
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 6,02,980
अंतरिम राहत समेत कुल एरियर राशि - 6,02,980 + 29,37,655 = 35,40,635


3. सिस्‍टम इंजीनियर
Annexure - I
एरियर राशि - 19,03,591
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 28,94,159
एलटीए - 1,09,502
कुल - 30,03,661
PF amount - 2,84,268
Annexure - II
अं‍तरिम राहत - 1,61,644
18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्वि ब्‍याज दर के साथ - 4,71,993
अंतरिम राहत समेत कुल एरियर राशि - 4,71,993 + 30,03,661 = 34,75,654

इन साथियों ने सितंबर 2015 माह की सैलरी स्लिप नहीं मिलने के कारण अगस्‍त 2015 तक के एरियर का ही दावा डीएलसी में दावा पेश किया है। आगे भी दावा पेश करने का विकल्‍प खुला रखते हुए उन्‍होंने कवरिंग लैटर में क्‍लॉज डाल दी है। यह क्‍लॉज उनके द्वारा किसी भी तरह की हुई भूल को सुधारने के लिए है। इसके द्वारा व़े अगस्‍त 2015 के बाद की एरियर राशि अथवा इसके अलावा यदि कोई और भी दावा निकल रहा हो तो उसके लिए दोबारा डीएलसी के पास जा सकते हैं।
(कवरिंग लैटर का पहला पेज डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें अथवा निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/EcJAgT)


(कवरिंग लैटर का दूसरा पेज डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें अथवा निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/pd8af0) 




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Saturday 28 November 2015

जागरण कर्मी बोतल से बाहर निकालेंगे बछावत और मणिसाणा का जिन्‍न

जागरण प्रबंधन के अड़ियल रुख से खफा बर्खास्‍त व निबंलित जागरण कर्मी अब मजीठिया के बाद बछावत और मणिसाणा का जिन्‍न भी बोतल से बाहर निकालने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्‍होंने रिटायर कर्मियों और जागरण छोड़कर दूसरे संस्‍थानों में जा चुके अपने साथियों से संपर्क साधना शुरु कर दिया है। जल्‍द ही इन साथियों के एरियर निकालने के बाद इनके दावे संबंधित डीएलसी कार्यालयों में पेश किए जाएंगे।

क्‍योंकि 1955 का जर्नलिस्‍ट एक्‍ट इस बात को सुनिश्‍चित करता है कि वेजबोर्ड के अनुसार ही कर्मचारियों का वेतन हो। कोई भी संस्‍थान उसकी सिफारिशों से कम वेतन नहीं दे सकता। यदि कोई संस्‍थान ऐसा करता है तो वह इस एक्‍ट का उल्‍लंघन कर रहा है। इस दौरान ऐसा कोई भी समझौता जो वेजबोर्ड से कम वेतन देने की बात कहता है, वह अमान्‍य और गलत है। जागरण प्रबंधन अभी तक आए सभी वेजबोर्ड का बखूबी उल्‍लंघन करता आ रहा है। यह उसकी वेतन पर्ची दर्शाती है।

Saturday 21 November 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16C: दैनिक जागरण के तीन कर्मियों ने किया 1 करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर का दावा

हाल ही में दैनिक जागरण के तीन कर्मचारियों ने मजीठिया के हिसाब से दिल्‍ली में एक करोड़ 10 लाख रुपये से ऊपर की रिकवरी फाइल की है। इसमें 1 जनवरी 2008 से 10 नवंबर 2011 तक के कार्यकाल की अंतरिम राहत भी शामिल है। उनकी रिकवरी फाइल को डीएलसी ने आगे बढ़ा दिया है। इस बात से जागरण कर्मी खुश और उत्‍साहित हैं। वे सब भी जल्‍द रिकवरी फाइल करने वाले हैं। इनमें से दो फोटोग्राफर और एक सिस्‍टम इंजीनियर है। जिनमें से एक ने लगभग 40 लाख रुपये से ऊपर का दावा पेश किया है।
इससे पहले,  जागरण से ही संबंधित नई दुनिया के दिल्‍ली कार्यकाल में मुख्‍य उप संपादक पद पर कार्यरत एक साथी ने भी लगभग 12 लाख रुपये की रिकवरी फाइल की थी। जोकि अब निर्णायक प्रक्रिया पर है। 
इधर, पिछले दिनों एक खबर नागपुर स्थित लोकमत अखबार से आई जिससे भी बर्खास्‍त और निलंबित जागरण कर्मियों का मनोबल और ऊंचा उठा है। लोकमत के बर्खाख्‍त एक कर्मचारी के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला देते हुए पालेकर, बछावत, मणिसाणा और मजीठिया के अनुसार 50 लाख रुपये एरियर देने का आदेश दिया है। साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उसकी नौकरी भी बहाल रखने का आदेश दिया है।



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Thursday 19 November 2015

मोदी के 'स्‍वच्‍छ भारत अभियान' को पलीता लगा रहा है दैनिक जागरण!


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्‍वच्‍छ भारत अभियान' में अपने आप को सबसे आगे दिखाने की होड़ में लगा दैनिक जागरण खुद इस अभियान को कैसे पलीता लगा रहा है इसका उदाहरण आप नोएडा में सेक्‍टर 62 स्थित इसकी इमारत में देख सकते हैं।
यहां पर दैनिक जागरण द्वारा निलंबित लगभग 200 कर्मियों की हाजिरी और घरेलू जांच कार्रवाई चल रही है। निलंबित कर्मियों द्वारा कहे जाने पर भी उन्‍हें इमारत के भीतर शौचालय की सुविधा उपलब्‍ध नहीं करवाई जा रही है। जिस कारण मजबूरन जागरण के निलंबित कर्मियों को खुले में निवृत्‍त होना पड़ रहा है। यह फोटो इसका जीता-जागता उदाहरण है।
इसके अलावा जागरण प्रबंधन कर्मियों को लगातार परेशान करने से बाज नहीं आ रहा है। निलंबित कर्मियों को जांच के नाम पर दोपहर को बुला लिया जाता है और देर रात को छोड़ा जाता है। उन्‍हें साप्‍ताहिक अवकाश के दिन जांच के नाम पर जबरन बुलाया जाता है। नि‍लंबित कर्मियों द्वारा दिए गए अवकाश के आवेदन को स्‍वीकार करने के लिए आनाकानी की जाती है।

एक गौर करने वाली बात यह भी है कि सभी निलंबित कर्मचारी पुरुष हैं, लेकिन जागरण प्रबंधन ने कई महिला सुरक्षागार्डों और स्‍टॉफ को यहां रखा है और लगातार इनकी संख्‍या बढ़ती जा रही है। यह जागरण प्रबंधन की गंदी साजिश भी हो सकती है। 12-13 मंजिला यह इमारत पूरी तरह से खाली पड़ी है और इसे केवल निलंबित कर्मियों की हाजिरी लगवाने और उनकी जांच के लिए ही इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

Wednesday 18 November 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16B: एरियर के साथ अंतरिम राहत का भी करें क्‍लेम

हममें से कई साथियों ने मजीठिया वेतनमान के अनुसार अपने एरियर के क्‍लेम उप श्रम आयुक्‍त या संबंधित अदालतों में लगा दिए हैं या लगाने जा रहे हैं। साथियों एरियर का क्‍लेम बनाते हुए आप अंतरिम राहत (30 प्रतिशत) को जोड़ना ना भूलें।
अंतरिम राहत 1 जनवरी 2008 से 10 नवंबर 2011 तक के कार्यकाल पर लागू होंगी। अंतरिम राहत की राशि पर आप 24 प्रतिशत तक का साधारण या सालाना चक्रवृद्वि ब्‍याज मांग सकते हैं। इसके अलावा चक्रवृद्वि ब्‍याज दर की गणना प्रतिदिन या महीने के अनुसार भी की जा सकती है।

कौन हैं हकदार

1.   जिन संस्‍थानों में मजीठिया लागू नहीं किया गया और अंतरिम राहत भी नहीं दी गई।

2.   जिन संस्‍थानों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मजीठिया वेतनमान तो लागू कर दिया, परंतु वेजबोर्ड लागू करने से पहले अंतरिम राहत नहीं दी थी।


इस पर अधिक जानकारी के लिए आप वकील श्री परमानंद पांडेय जी और श्री आरपी यादव जी से भी संपर्क कर सकते हैं-

Advocate Parmanand Pandey ji  - 09868553507
Off: 011-23418871 (3.00 PM to 7.00 PM/Sunday Close)
parmanand.pandey@gmail.com
parmanandpandey@yahoo.com
ifwj.media@gmail.com

RP Yadav ji (ifwj) - 09810623949
rpyadav56@gmail.com


31 दिसंबर 2010 को समाचार एजेंसी भाषा द्वारा जारी किया गया समाचार-

पत्रकारों के वेतन में 65 फीसदी वृद्धि की सिफारिश
नई दिल्ली। पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेज बोर्ड ने अखबारी और एजेंसी कर्मियों के लिए 65 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि की सिफारिश की है तथा साथ में मूल वेतन का 40 प्रतिशत तक आवास भत्ता और 20 प्रतिशत तक परिवहन भत्ता देने का सुझाव दिया है।

न्यायमूर्ति जी आर मजीठिया के नेतृत्व वाले वेतन बोर्ड ने शुक्रवार को यह भी सिफारिश की कि नए वेतनमान जनवरी 2008 से लागू किए जाएं। बोर्ड ने पहले ही मूल वेतन का 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि के रूप में देने का ऐलान कर दिया था। मजीठिया ने केंद्रीय श्रम सचिव पी के चतुर्वेदी को रिपोर्ट सौंपी। चतुर्वेदी ने आश्वासन दिया कि सरकार इस रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद इसे जल्द से जल्द लागू कराने का प्रयास करेगी। बोर्ड ने 35 प्रतिशत वैरिएबल पे देने की सिफारिश की है। समाचार पत्र उद्योग के इतिहास में किसी वेतन बोर्ड ने इस तरह की सिफारिश पहली बार की है।

मजीठिया वेतन बोर्ड ने पत्रकारों और अन्य अखबारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाकर 65 साल करने, महंगाई भत्ते के मूल वेतन में शत प्रतिशत न्यूट्रलाइजेशन और विवादों के निपटारे के लिए स्थायी न्यायाधिकरण बनाने की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति मजीठिया ने संवाददाताओं से कहा कि इस बार की रिपोर्ट में सबसे निचले ग्रेड के लिए भी अच्छे वेतन की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि नए फार्मूले के अनुसार पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों का मूल वेतन उसके वर्तमान मूल वेतन और डीए में, 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि और 35 प्रतिशत वैरिएबल पे को जोडकर तय किया गया है। महंगाई भत्ता मूल वेतन में शत प्रतिशत 'न्यूट्रलाइजेशन' के साथ जुड़ेगा। ऐसा अब तक केवल सरकारी कर्मचारियों के मामले में होता आया है।

वेतन बोर्ड ने 60 करोड़ रुपये या इससे अधिक के सकल राजस्व वाली समाचार एजेंसियों को शीर्ष श्रेणी वाले समाचार पत्रों के साथ रखा है। इस प्रकार समाचार एजेंसी पीटीआई शीर्ष श्रेणी में जबकि यूएनआई दूसरी श्रेणी में रखी गई है। मजीठिया बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ता एक्स श्रेणी के शहरों के लिए मूल वेतन का 40 प्रतिशत होगा, जो दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद, चंडीगढ़, अहमदाबाद, कानपुर, लखनऊ और नागपुर पर लागू होगा। वाई श्रेणी के शहरों के लिए यह मूल वेतन का 30 प्रतिशत होगा। वाई श्रेणी के शहरों में आगरा, अजमेर, अलीगढ़, इलाहाबाद, अमृतसर, बरेली, बीकानेर, भोपाल, भुवनेश्वर, कोयंबटूर, दुर्गापुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जमशेदपुर, कोच्चि, कोटा, मदुरै, मेरठ, पटना, पुणे, रायपुर, राजकोट, रांची, श्रीनगर, सूरत, तिरूवनंतपुरम, बड़ोदरा, वाराणसी, विशाखापट्टनम, मंगलौर, पुडुचेरी, धनबाद, देहरादून, जम्मू, जामनगर आदि शामिल हैं। शेष अन्य शहरों को जेड श्रेणी में रखा गया है, जहां के कर्मचारियों को एचआरए मूल वेतन का 20 प्रतिशत मिलेगा।

वेतन बोर्ड ने वार्षिक वेतन बढ़ोतरी की दर पहली से चौथी श्रेणी के लिए छह प्रतिशत, पांचवीं और छठीं के लिए पांच प्रतिशत, सात से नौ के लिए चार, दस से 11 के लिए तीन प्रतिशत तय की है। मजीठिया बोर्ड ने जनवरी 2008 में अंतरिम राहत घोषित की थी और इसी तारीख से कर्मियों को एरियर मिल सकेगा। इसके अलावा बोर्ड ने एक्स श्रेणी के शहरों के लिए 20 प्रतिशत परिवहन भत्ता, वाई श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत और जेड श्रेणी के लिए पांच प्रतिशत परिवहन भत्ता देने की सिफारिश की है।

बोर्ड ने रात्रि भत्तों में भारी बढ़ोतरी करते हुए इसे पहली और दूसरी श्रेणी के लिए सौ रुपये, तीसरी और चौथी के लिए 75 रुपये तथा पांचवीं से 11श्रेणी के लिए 50 रुपये तय कर दिया है। इसके अलावा 1000 रुपये मासिक 'कठिनाई भत्ता' निर्धारित किया है। एलटीए दो साल में एक बार मिलेगा और मूल वेतन के बराबर होगा। बोर्ड ने मेडिकल भत्ते में बढ़ोतरी करते हुए इसे पहली और दूसरी श्रेणी के लिए 1000 रुपये मासिक, तीसरी और चौथी श्रेणी के लिए 500 रुपये मासिक किया है। जिन लोगों पर ईएसआई लागू है, वे ये भत्ता हासिल नहीं कर सकेंगे। बोर्ड ने एरियर का भुगतान तीन समान किस्तों में करने की सिफारिश की है।

इस बीच कांफेडरेशन आफ न्यूजपेपर एंड न्यूजएजेंसी इम्प्लाइज आर्गेनाइजेशन्स के महासचिव एम एस यादव ने कहा कि वेतन बोर्ड अध्यक्ष ने श्रमजीवी पत्रकार एवं अन्य कर्मचारी कानून में प्रदत्त अधिकारों से वंचित रखते हुए बोर्ड सदस्यों को कई महत्वपूर्ण मसलों पर वोटिंग नहीं करने दिया लेकिन 'इस बात की खुशी है कि कई महत्वपूर्ण मांगों पर बोर्ड ने सकारात्मक फैसला लिया है और दीर्घकाल में इससे कर्मचारियों को फायदा होगा। रिटायरमेंट आयु बढ़ाना, वैरिएबल पे और परिवहन भत्ता इनमें से एक है।' कान्फेडरेशन में शामिल इंडियन जर्नलिस्टस यूनियन के अध्यक्ष सुरेश अखौरी, नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स-आई के वरिष्ठ नेता डॉ. नंद किशोर त्रिखा, आल इंडिया न्यूजपेपर इम्प्लाइज फेडरेशन के महासचिव मदन तलवार, फेडरेशन आफ पीटीआई इम्प्लाइज यूनियन्स के अध्यक्ष जान सी गोन्जाल्विस, यूएनआई वर्कर्स यूनियन के नेता एम एल जोशी ने वेतन बोर्ड को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी।


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