Saturday 27 August 2016

मजीठिया: जानिए नवंबर 2011 से दिसंबर 2016 तक का डीए

23 अगस्‍त 2016 को सु्प्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद बहुत से साथी 20जे का खौफ अपने दिल से निकाल कर अपने एरियर की रिकवरी का दावा उप श्रम आयुक्‍तों के यहां पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। उन साथियों की मदद के लिए हम नवंबर 2011 से दिसंबर 2016 तक का डीए बता रहे हैं।

यह डीए सभी ग्रेडों के समाचार-पत्रों, मैग्‍जीनों और न्‍यूज एजेंसियों में किसी भी शहर में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर एक समान ही लागू होगा और यह हर छह महीने बाद (जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर) बदल जाता है।

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार इसका सही बेस प्‍वाइंट 167 है। आप कतई भी 185 या 189 के आधार पर इसकी गणना न करें, यह आपके लिए नुकसानदायक होगा।

(देखें मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश का पेज नंबर अंग्रेजी में 20 और हिंदी में 18)

DA = DA point/167
नवंबर 2011 से दिसंबर 2011 - 17 point
जनवरी 2012 से जून 2012 - 25 point
जुलाई 2012 से दिसंबर 2012 - 33 point
जनवरी 2013 से जून 2013 - 42 point
जुलाई 2013 से दिसंबर 2013 - 54 point
जनवरी 2014 से जून 2014 - 65 point
जुलाई 2014 से दिसंबर 2014 - 73 point
जनवरी 2015 से जून 2015 - 80 point
जुलाई 2015 से दिसंबर 2015 - 87 point
जनवरी 2016 से जून 2016 - 94 point
जुलाई 2016 से दिसंबर 2016 - 102 point

डीए की गणना इस तरह होगी-
DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167

नोट- आप अपना एरियर किसी एकाउंटेंट से भी बनवा सकते हैं। एरियर का क्‍लेम करते हुए एरियर चार्ट पर किसी भी सीए की मोहर की जरुरत नहीं होती। बस इतना ध्‍यान रखें जो आपका एरियर बना रहो वह मजीठिया की सिफारिशों को ढंग से समझ लें। नहीं तो आपकी गणना में कोई भी गलती आपकी एरियर राशि में मोटा नुकसान पहुंचा सकती है। इसके लिए आप समाचार पत्रों से रिटायर्ड एकाउंटेंटों की मदद भी ले सकते हैं। या आप अपने यहां की पत्रकारों की यूनियनों से मदद ले सकते हैं।


टूटा 20जे का खौफ, सबको मिलेगा मजीठिया, अब न करें देर http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/20.html


सुप्रीम कोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/x3aVK2

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/8fOiVD

श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 (हिंदी-अंग्रेजी) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/wdKXsB

 

पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-10: (ग्रेड और बी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान http://goo.gl/wWczMH



पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-17: (ग्रेड सीऔर डी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान  http://goo.gl/3GubWn



यदि इसके बाद भी आपको कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर सकते हैं।

RP Yadav ji - 09810623949
rpyadav56@gmail.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in

Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265
ravi76agg@gmail.com

M S Yadav ji (PTI) – 09810263560

यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें।(patrakarkiawaaz@gmail.com)

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MAJITHIA: DA point Nov 2011 to Dec 2016

DA = DA point/167
Nov 2011 to Dec 2011 - 17 point
Jan 2012 to June 2012 - 25 point
July 2012 to Dec 2012 - 33 point
Jan 2013 to June 2013 - 42 point
July 2013 to Dec 2013 - 54 point
Jan 2014 to June 2014 - 65 point
July 2014 to Dec 2014 - 73 point
Jan 2015 to June 2015 - 80 point
July 2015 to Dec 2015 - 87 point
Jan 2016 to June 2016 - 94 point
July 2016 to Dec 2016 – 102 point

Calculation of DA…
DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167

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RP Yadav ji 09810623949
rpyadav56@gmail.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in

Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265
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M S Yadav ji (PTI) – 09810263560

टूटा 20जे का खौफ, सबको मिलेगा मजीठिया, अब न करें देर http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/20.html


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Friday 26 August 2016

मजीठिया: कोर्ट के ताजा आदेश निराशा में आशा की किरण

 मुख्‍य बातें-

श्रमायुक्तों को शक्तियां देकर रिकवरी की गई आसान

अब श्रम आयुक्त खुद ही कर सकेंगे रिकवरी पर फैसला

शिकायतें निपटाने के लिए छह सप्ताह का समय मिला

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में 23 अगस्त की सुनवाई के दिन उपस्थित चार राज्यों के श्रमायुक्तों को वेजबोर्ड लागू करवाने और शिकायतकर्ताओं की सुनवाई स्वयं करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं 20जे के मामले में उत्साहित कर्मियों को इन आदेशों से निराशा जरूर हुई है, मगर कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगली सुनवाई के दिन यानि 04 अक्तूबर, 2016 को इस पर प्रबंधन का पक्ष सुनने के बाद निर्णय दे दिया जाएगा। हालांकि सुनवाई के दौरान जिस प्रकार से जज ने जागरण प्रबंधन के वकील को 20जे के संबंध में स्पष्ट कर दिया है, उससे यह बात साफ हो चुकी है कि अब अगली बार 20जे पर फैसला कर्मचारियों के पक्ष में ही रहेगा।

फिलहाल इस ताजा फैसले की सबसे बड़ी बात यह है कि कोर्ट ने शिकायतकर्ताओं को लेबर  इंस्पेक्टरों या डीएलसी के चक्करों से छुटकारा दिलाते हुए सीधे लेबर कमीश्ररों को एक्ट की धारा 17 के तहत मामलों की सुनवाई करके निपटाने की शक्तियां प्रदान की हैं। कोर्ट ने यूपी के लेबर कमीश्रर की रिपोर्ट के अनुसार मजीठिया वेज बोर्ड देने वाले अखबारों से जुड़े अवमानना मामलों को बंद करने की घोषणा तो की है, मगर साथ में यह भी साफ कर दिया है कि श्रमायुक्त कार्यालय अपने इस दावे को प्रमाणित करने के साथ ही ताजा आदेशों के तहत कार्रवाई करे। वहीं यूपी के जिन समाचार पत्रों ने मजीठिया वेज बोर्ड को अधूरा लागू किया है, उन्हें इसे पूरी तरह लागू करने को कहा है।

इन आदेशों में आगे लिखा गया है कि कोर्ट के पिछले एक आदेश के अनुसार, जिसमें शिकायतकर्ताओं ने भारी संख्या में इंटरलोकेटरी एप्लीकेशन, याचिकाएं व अन्य अर्जीयां लगाईं थीं उन्हें कोर्ट के लिए एक-एक करके जांचना संभव नहीं है। कोर्ट ने इन अर्जियों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्य के श्रम आयुक्त को इन्हें जांचने की अथारिटी दी थी, जिन्हें वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के तहत कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार पहले से ही प्राप्त हैं। कोर्ट ने इन ताजा आदेशों में भी इस बात को दोहराते हुए पहले पांच राज्यों यूपी, हिमाचल, उत्तराखंड, नागालैंड व मणिपुर के श्रम आयुक्तों को कोर्ट के प्राधिकारी के तौर पर विचारधीन चल रहे मामलों में ऐसी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं जिससे कोर्ट पूरा और प्रभावी निर्णय सुनाने की योग्य हो पाए। कोर्ट ने इन श्रमायुक्तों को दिए गए निर्देशों की व्याख्या इस प्रकार से की है:

क. लेबर कमीश्रर ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत अपने शपथपत्र / रिपोर्ट में जिन समाचारपत्र प्रतिष्ठानों में मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू न किए जाने की बात कही है, उनके संबंध में श्रमायुक्त विस्तृत तथ्यों के आधार पर प्रभावित पार्टी को पक्ष रखने का मौका देने के बाद निकले अपने निष्कर्ष को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

ख. लेबर कमीश्नर, मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने से जुड़े उचित मामले में, अगर वे इसे जरूर मानते हैं, तो खुद की संतुष्टि के लिए स्वयं समाचार पत्र प्रतिष्ठान के परिसर का निरीक्षण कर सकते हैं।

ग. प्रत्येक प्रभावित कर्मचारी को इस बात की खुली छूट होगी कि वह मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत देय राशि की डिटेल राज्य सरकार / श्रम आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत कर सके। यह क्लेम उसे मिल रहीं मौजूदा प्राप्तियों से अधिक राशि का होगा, जो उसे वेजबोर्ड के तहत मिलनी चाहिए थी। अगर ऐसी राहत प्रदेश सरकार / श्रम आयुक्त से मांगी जाती है, तो संबंधित अथारिटी को एक्ट की धारा 17 के तहत उचित न्यायप्रक्रिया अपनाने और इसके परिणामस्वरुप आदेश जारी करने की पूरी शक्तियां होंगी।

इन आदेशों में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के श्रमायुक्त, जो कोर्ट में उपस्थित हुए थे को निर्देश दिए हैं कि वे उपरोक्त प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत शुरू करके कोर्ट के उपरोक्त दिशानिर्देशों के आधार पर पूरा करें और अपने निष्कर्ष व परिणामों की रिपोर्ट छह सप्ताह में कोर्ट को सौंपे। मामला चार अक्‍टूबर को देखा जाएगा।


इसके बाद हिमाचल प्रदेश के संबंध में आदेश जारी करते हुए लिखा है कि कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के लेबर कमीश्रर अमित कश्यप द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट / शपथपत्र को देखा, जो पूरी तरह चिपकाई गई रिपोर्ट की तरह है और यह इस बात का खुलासा नहीं करती, जिसमें मजीठिया वेजबोर्ड को लागू किए जाने को लेकर इस कोर्ट ने आदेश जारी किए थे। कोर्ट इस शपथपत्र के बेसिक फैक्ट तक नहीं समझ पाया है। यह रिपोर्ट/शपथपत्र बहुत ही साधारण तरीके से फाइल किया गया है और लेबर कमीश्रर ने उन्हें सौपे गए दायित्व का अस्वीकार्य तरीके से निर्वाह किया है। उत्तर प्रदेश राज्य के संबंध में जारी किए गए निर्देश हिमाचल प्रदेश के लेबर कमीश्रर भी प्रभावी तरीके से लागू करेंगे। वे चार सप्ताह बाद इस संबंध में एक रिपोर्ट कोर्ट को सौंपंगे और तो चार अक्टूबर को जब मामला कोर्ट के समक्ष होगा तो वे व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में मौजूद रहेंगे।

इसके अलावा कोर्ट में नागालैंड व मणिपुर के लेबर कमीश्ररों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। नागालैंड के लेबर कमीश्रर को चार अक्टूबर को उपस्थित होने को लेकर छूट दी गई है, जबकि मणिपुर के लेबर कमीश्रर को चार अक्टूबर को उत्तर प्रदेश व हिमाचल की तरह ही निर्देशों का पालन करके रिपोर्ट के साथ उपस्थित होने को कहा गया है।

वहीं उत्तराखंड के लेबर कमीश्रर व उनके वकील के उपस्थित न होने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए यह मामला प्रदेश के मुख्य सचिव के ध्यान में लाने के निर्देश दिए गए। साथ ही मुख्य सचिव को उत्तर प्रदेश के मामले में जारी निर्देशों का पालन करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। वहीं उत्तराखंड के लेबर कमीश्रर की गिरफ्तारी के जमानती वारंट जारी करते हुए चार अक्टूबर को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके बाद अगली सुनवाई की तिथि यानी चार अक्टूबर को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, महाराष्ट्र और झारखंड राज्यों के लेबर कमीश्ररों को मजीठिया वेजबोर्ड लागू करने से संबंधित रिपोर्ट लेकर व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के आदेश जारी किए गए हैं।

आदेश के अंतिम पैराग्राफ में लिखा है कि कोर्ट ने पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मियों की ओर से उपस्थित सीनियर काउंसिल कोलिन गोन्साल्विस के उस मुद्दे को सुना, जिसमें उन्होंने पूछा है कि क्या मजीठिया वेजबोर्ड ठेके पर रखे गए पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मियों पर भी लागू होगा। साथ ही कोर्ट ने मजीठिया वेजबोर्ड के क्लाज 20जे पर भी उनकी बात सुनी। अगली तिथि को कोर्ट इन मुद्दों पर प्रबंधन का पक्ष सुनेगा और इसके बाद उचित विचार के बाद आर्डर पास किया जा सकता है।

कई केस वापस किए गए तो कुछ बंद हुए

इस ताजा आदेश के प्रारंभ में ही कुछ शिकायतकर्ताओं द्वारा केस वापस लिए जाने की बात लिखी गई है। शायद ये वे साथी हैं, जिनका संस्थान के साथ समझौता हो गया होगा। वहीं कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की रिपोर्ट के आधार पर भी मजीठिया वेजबोर्ड देने वाले संस्थानों को अवमानना से मुक्त कर दिया है। उत्तर प्रदेश श्रमायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर कौन-कौन से संस्थान अवमानना से मुक्त हुए हैं, यह बात देखने वाली है, क्योंकि यूपी से बहुत कम लोग मजीठिया की लड़ाई में शामिल हैं। अमर उजाला जैसे अखबार से तो शायद एक भी केस नहीं हुआ है। ऐसे में अगर अमर उजाला को श्रमआयुक्त की रिपोर्ट का फायदा हुआ है तो इस अखबार के कर्मियों के लिए चिंता की बात है। लिहाजा अभी भी देरी नहीं हुई है। इस संस्थान में कार्यरत साथी या फिर छोड़ चुके या निकाले जा चुके कर्मचारी एकजुट होकर श्रम आयुक्त के समक्ष रिकवरी का दावा पेश करके मजीठिया के नाम पर की गई गड़बड़ी का भंडाफोड़ करें।

-रविंद्र अग्रवाल, धर्मशाला (हिप्र)
9816103265
ravi76agg@gmail.com



मजीठिया: 20जे तो याद, परंतु नई भर्ती को भूले, अवमानना तो हुई है http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/20_17.html

 

टूटा 20जे का खौफ, सबको मिलेगा मजीठिया, अब न करें देर http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/20.html



टूटा 20जे का खौफ, सबको मिलेगा मजीठिया, अब न करें देर

साथियों, आखिर‍कार 20जे का खौफ टूट ही गया। 23 अगस्‍त 2016 का दिन मजीठिया चाहने वाले साथियों के लिए राहत भरी खबर लेकर आया। सुप्रीम कोर्ट के माननीय जज रंजन गोगोई की पीठ ने सख्‍त चेतावनी देते हुए मजीठिया वेजबोर्ड की संस्‍तुतियों को अक्षरश: लागू करने के लिए कहा। यह संस्‍तुतियों सभी कर्मचारियों पर चाहे वे स्‍थायी हो या ठेके पर या अंशकालिक संवाददता या छायाकार हो पर भी लागू होंगी।

विशेष एक्‍ट पर ही बहस
20जे पर केवल और केवल विशेष एक्‍ट यानि वर्किंग वर्किंग जनलिस्‍ट एक्‍ट 1955 के तहत ही बहस हुई। बहस के दौरान वरिष्‍ठ वकील कोलिन ने भी एक्‍ट की धारा 13 और धारा 16 का ही जिक्र किया। उन्‍होंने कोर्ट को बताया कि धारा 13 वेजबोर्ड के तहत न्‍यूनतम वेतनमान प्राप्‍त करने का कर्मचारियों को हक देती है और वहीं, धारा 16 उन कर्मचारियों के लिए है जो वेजबोर्ड से ज्‍यादा वेतन प्राप्‍त कर रहे हैं। यानि 20जे उनके अधिक वेतन को प्राप्‍त करने के अधिकार की रक्षा करती है। जिसके बाद माननीय जज रंजन गोर्गाई जी ने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि 20जे उन कर्मियों के लिए है जो वेजबोर्ड से ज्‍यादा वेतन पा रहे हैं, वहीं इससे कम वेतनमान पाने वाले कर्मियों के साथ किया गया किसी प्रकार का समझौता अमान्‍य होगा।
Rejoinder में कर दिया था विशेष एक्‍ट का जिक्र
अवमानना को लेकर दायर 411/2014 की याचिका के जवाबी शपथ पत्र में जागरण प्रबंधन ने 20जे पर किए गए कर्मचारियों के साइनों का उल्‍लेख किया था। जिसके बाद
वकील परमानंद पांडेय ने अपने rejoinder में विशेष एक्‍ट का जिक्र किया था।
एक्‍ट से बड़ा नहीं वेजबोर्ड
23 अगस्‍त की बहस से इस बात पर मोहर लगी कि एक्‍ट ही बड़ा होता है नाकि उसके तहत बनने वाले बेजवोर्ड। इस जानकारी को यहां देने का मकसद यह है कि अ‍भी कई अखबारों में यूनिटों में कैटेगरी का मामला भी उठेगा और वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट सभी यूनिटों को एक मानता है और इसपर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के अपने फैसले में भी स्‍पष्‍ट कर रखा है, जिसपर महेश जी ने एक लेख (मजीठिया: फरवरी 2014 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अखबार की सभी यूनिटों के आधार पर कंपनी को माना है एक... http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/2014.html) भी लिखा था।

सोशल मीडिया पर 20जे पर समय-समय पर आते रहे हैं लेख
20जे पर प्रबंधन के गुर्गों और उनके हित चिंतकों द्वारा किए जा रहे दुष्‍प्रचारों के बीच समय-समय ऐसे लेख भी सोशल मीडिया पर आए जिनमें इसके डर को दूर किया गया। वरिष्‍ठ वकील परमानंद पांडेय ने बहुत पहले ही अपने फेसबुक वॉल पर इस पर जानकारी दी थी। हां यह अवश्‍य है कि वह जानकारी अंग्रेजी में होने की वजह से हिंदी बहुल क्षेत्र के हमारे साथियों के बीच नहीं पहुंच पाई। धर्मशाला से रविंद्र अग्रवाल ने भी इस पर भी दो बार लिखा। पढ़े उनका 3 जुलाई का 2015 का लेख

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-3A: इकरारनामा वर्किंग जर्नलिस्ट (फिक्शेशन आफ रेट्स आफ वेजेज) एक्ट 1958 का उल्लंघन... http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2015/07/3a-1958.html


अन्‍य लेख इस प्रकार है –

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-16F: 20जे की आड़ में अवमानना से नहीं बच सकते http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/01/16f-20.html

 

महेश जी का लेख

मजीठिया: एक्ट बड़ा ना कि वेजबोर्ड की सिफारिशें http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post_90.html



20जे पर सभी की जीत
20जे पर यह सभी साथियों की जीत है। चाहें वे किसी भी अखबार के हों या किसी भी राज्‍य के। क्‍योंकि पहली सुनवाई में उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड की जगह राजस्‍थान या मध्‍यप्रदेश होते तो भी 20जे पर यह ही फैसला आता है। इसका कारण आप अब तक समझ ही चुके होंगे, जी हां, एक्‍ट बड़ा होता है नाकि वेजबोर्ड। इसलिए यह बेमानी है कि यह किसी एक अखबार या किसी एक राज्‍य की जीत है।

28जुलाई 2015 के आदेश के थे व्‍यापक मायने
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई 2015 को जब सभी राज्‍यों को बेजवोर्ड के संदर्भ में निर्देश दिए तो हमारे कई साथी परेशान हो गए कि मामला वेवजबह लंबा खींचा जा रहा है। परंतु वे इस बात की गहराई को नहीं समझ पाए कि इसमें वे संस्‍थान भी में जद में आ गए हैं जिनका कोई कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट ने यदि चंद अखबारों पर ही सुनवाई करनी होती है तो इसका फैसला कब का आ चुका होता। सुप्रीम कोर्ट फरवरी 2014 को दिए अपने फैसले की अवमानना पर सुनवाई कर रहा है। इसलिए उसने यह जानने के लिए कौन-कौन से संस्‍थानों ने उसके आदेश का उल्‍लंधन किया है 28जुलाई 2015 को यह आदेश दिया था। टि्ब्‍यून के पदाधिकारी विनोद कोहली का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का 28 जुलाई 2015 का आदेश बिल्‍कुल सही था और यह सभी कर्मचारियों के हित में था।

फैसले सभी पर लागू होते हैं एक समान
सामूहिक हित पर सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला पूरे देश में सभी पर एक समान लागू होता है। यही बात मजीठिया मामले में भी आती है चाहे 20जे का मामला हो या कैटेगरी का या फिटमैन प्रमोशन का राज्‍यवार या अखबारवार जैसे यह मुद़दा हल होता जाएगा वैसे यह सभी पर एक समान लागू होगा।

आगे आए मांगे अपना हक
साथियों अब तो 20जे का डर सुप्रीम कोर्ट ने निकाल दिया। अब किसी बात की देर कर रहे हो। विशेष तौर पर वे साथी जो रिटायर्ड हो गए हैं या नौकरी बदल चुके हैं या जिनका तबादला कर दिया गया है वे बेहिचक अपने हक के लिए सामने आए और डीएलएसी में अपने एरियर के क्‍लेम लगाए।

(23 अगस्‍त को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित पत्रकार साथियों से प्राप्‍त तथ्‍यों पर आधारित)


मजीठिया: 20जे तो याद, परंतु नई भर्ती को भूले, अवमानना तो हुई है http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/20_17.html