Saturday 29 May 2021

भीख मांगें या उधार लें, कर्मियों के वेतन का भुगतान करना ही होगा



नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश के बावजूद कर्मचारियों और अवकाश प्राप्त कर्मचारियों को पेंशन व बकाया राशि का भुगतान न करने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने उत्तरी एमसीडी के आयुक्त को तलब किया है।


न्यायमूर्ति विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि आप भीख मांगे, उधार लें या चोरी करे लेकिन आपको कर्मचारियों की राशि का भुगतान करना ही होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि अगली तारीख तक 5 अप्रैल के आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उत्तरी एमसीडी आयुक्त संजय गोयल सुनवाई में मौजूद रहेंगे।


अदालत का यह निर्देश अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षामित्र संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याची के अधिवक्ता रंजीत शर्मा ने अदालत को बताया कि न्यायिक आदेशों के बावजूद सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के खिलाफ अवमानना शुरू करने की मांग की।


अदालत ने उत्तरी एमसीडी को इस मामले में नोटिस जारी कर दो दिन में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 31 मई तय की है।


उत्तरी एमसीडी की और से पेश अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे ने कहा कि वे वेतन मामलों में रिपोर्ट दाखिल करने की प्रक्रिया में हैं और उन्होंने वेतन और पेंशन के लिए पैसे वितरित करने की कोशिश की है और अप्रैल तक वेतन का भुगतान कर दिया है। 


खंडपीठ ने उनके तर्क को खारिज करते हुए कहा, हम इस बारे में चिंतित नहीं हैं। आप भीख मांगते हैं, उधार लेते हैं या चोरी करते हैं लेकिन राशि का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने इससे पहले भी सभी श्रेणियों के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वेतन और पेंशन का बकाया राशि स्पष्ट करने के लिए समय बढ़ाने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने सभी बकाया राशि को मंजूर करने के लिए 5 अप्रैल तक का समय दिया था।


अदालत ने दिल्ली की तीनों एमसीडी को 5 अप्रैल को या उससे पहले सभी पूर्व कर्मचारियों और सभी श्रेणियों के सेवारत कर्मचारियों की पेंशन और वेतन के सभी बकाया राशि को जारी करने निर्देश दिया था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि तीनों एमसीडी आयुक्त राशि का भगतान समय पर हो यह सुनिश्चित करे।


अदालत ने न्यूज पेपरों में प्रकाशित कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डाक्टरों की धमकी पर भी संज्ञान लिया था कि यदि पिछले वर्ष मार्च माह से रूके पूरे वेतन का भुगतान न हुआ तो वे त्यागपत्र दे देगें।


(साभारः अमरउजाला डॉट काम)


Friday 14 May 2021

IFWJ calls upon media to desist from naming Indian mutant of Corona Virus

New Delhi, 14 May. Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) has expressed extreme shock and huge concern over the use of the term ‘Indian variants’ for the Coronavirus, which is presently sweeping like a tsunami in India and many other countries.  It has called upon all journalists and media houses of the world not to call it an Indian variant as its origin is not even remotely linked with India.


It is highly distressing that even some Indian journalists and media houses have also fallen into the trap of the forces that are inimical to India and are making all efforts to create an atmosphere of fear and panic among the people of the world about India, said the statement of the IFWJ jointly issued by President BV Mallikarjunaih, the Vice-President Hemant Tiwari, and the Secretary-General Parmanand Pandey.  


It is a well-known fact that the origin of the Coronavirus can be traced only and only to China as it has been developed in the Wuhan Virological Institute as a deadly biological weapon to cause massive destruction and devastation to the lives and properties of the world and yet the media across the globe has failed to show the courage to call it a Chinese virus. Initially, some countries used to name it the Wuhan virus but due to the threat, pressure and bullying of China, even the media of the developed and democratic countries shamelessly stopped calling spade a spade. 


So much so, the WHO has proved to be the servile stooge of the Chinese government and has obviously failed to show the requisite courage to ask to enquire about the genesis and the spread of the damning virus leading to the pandemic. It is a well-known fact that China even did not allow entering the WHO’s team of doctors for good 15 days in the virological institute of Wuhan but there was hardly any outrage in the media.


IFWJ has further said that it is highly disturbing that instead of 'naming and shaming China', the original culprit, the media is calling it the Indian mutant, which is a victim country. The media will do a great service to humanity by emphasising upon the WHO and other countries of the world to thoroughly enquire into the role of the Wuhan Virological Institute for leaking the virus, which has actually proved to be the enemy of humanity.


The IFWJ has also asked the Government of India and other regulatory bodies like the Press Council of India to ensure that Indian media is not carried away by the nasty and sinister campaign of the foreign media, which has been perpetually hostile to India. 


Shri Bhagwan Bhardwaj

Office Secretary: IFWJ

मजीठिया: अखबारों के डीटीपी ऑपरेटरों के लिए खुशी की खबर...



अदालत ने दिया 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स' के डीटीपी ऑपरेटरों को भी मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने का आदेश 


कंपनी ने दावा किया था कि मजीठिया वेज बोर्ड में नहीं आते डीटीपी ऑपरेटर


सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा की मेहनत फिर रंग लाई


जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में महाराष्ट्र से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' के तीन डीटीपी ऑपरेटरों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुम्बई के लेबर कोर्ट से शानदार जीत हासिल की है। ये डीटीपी ऑपरेटर हैं- हरीश पुजारी, भारती उमेश कोटियन और दामोदर पुजारी। ये तीनों डीटीपी ऑपरेटर 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' के कन्नड़ दैनिक 'कर्नाटक मल्ला' में कार्यरत हैं, जिन्होंने देश भर के समाचार पत्रों में कई साल से उपेक्षित डीटीपी ऑपरेटरों के सामने एक नजीर पेश कर दी है। 


असल में मजीठिया वेजबोर्ड के रिकमेंडेशन में डीटीपी ऑपरेटर के पोस्ट का स्पष्ट उल्लेख नहीं था, जिसके कारण कंपनी इन्हें मजीठिया वेजबोर्ड की सुविधाएं नहीं दे रहीं थीं। इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों के पास नियुक्ति पत्र तक नहीं था और इनकी सैलरी स्लिप से इनका पोस्ट भी कई सालों से हटा लिया गया था। फिर भी, इन्होंने हिम्मत दिखाई और अपनी लड़ाई लड़ी। इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों ने महाराष्ट्र के मजीठिया क्रांतिकारी और 'श्री अंबिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' में ही कार्यरत शशिकांत सिंह से संपर्क किया। इसके बाद शशिकांत सिंह ने इनके मामले का पूरा स्टडी किया और सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने एडवोकेट उमेश शर्मा को पूरे मामले की जानकारी दी, तत्पश्चात् केस का गंभीरता से अध्ययन खुद उमेश शर्मा ने किया और पाया कि मजीठिया वेजबोर्ड के रिकमेंडेशन में भले डीटीपी ऑपरेटरों का पोस्ट गायब है, लेकिन पहले के कई रिकमेंडेशन में ये या इसके समानांतर पोस्ट रहे हैं और कार्य की प्रक्रिया भी समान है।


इसके बाद शशिकांत सिंह ने उमेश शर्मा के मार्गदर्शन में आरटीआई का सहारा लिया। उमेश शर्मा ने इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों से वर्ष 2016 में ही कह दिया था कि आप लोग केस लगाइए... आपकी जीत तय है। उमेश शर्मा ने इस मामले की सुनवाई के दौरान खुद दिल्ली से आ कर मुंबई स्थित लेबर कोर्ट में उपस्थित होकर अदालत से लिखित रूप से निवेदन किया कि इन कर्मचारियों के डॉक्युमेंट्स को अदालत में जमा कराया जाए। अदालत ने उमेश शर्मा के इस आवेदन को स्वीकार कर लिया और कंपनी को निर्देश दिया कि इन कर्मचारियों के डॉक्युमेंट्स अदालत में जमा किए जाएं। आखिर कंपनी ने कर्मचारियों के डॉक्युमेंट्स अदालत में जमा कराए और कहा कि डीटीपी ऑपरेटर पोस्ट को लेकर मजीठिया वेजबोर्ड में कहीं उल्लेख नहीं है। फिर भी, कंपनी द्वारा जमा कराए गए डॉक्युमेंट्स और आरटीआई से इन कर्मचारियों को बहुत मदद मिली... उमेश शर्मा ने अदालत में जमकर बहस भी की। इस दौरान कंपनी ने कोर्ट में अपने वकील और उनकी टीम को भेजा तो उमेश शर्मा ने अदालत को इन डीटीपी ऑपरेटरों के कार्य के बारे में विस्तार से बताया।


मुम्बई के बांद्रा स्थित चतुर्थ लेबर कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश एफ. एम. पठान ने उमेश शर्मा के तर्क और साक्ष्य को सही माना और तीनों डीटीपी ऑपरेटरों को मजीठिया वेजबोर्ड के रिकमेंडेशन का हिस्सा माना और इन कर्मचारियों को मजीठिया वेजबोर्ड में कंपनी को ग्रुप 5 में मानते हुए उसी अनुसार एरियर देने और वेतन वृद्धि करने का आदेश दिया, जबकि कंपनी इन कर्मचारियों को सातवें ग्रेड से वेतन दे रही थी। अब इन डीटीपी ऑपरेटरों के लिए कंपनी को 5वें ग्रेड के हिसाब से लाखों रुपये देने होंगे, साथ ही इनका मासिक वेतन भी 50 हजार के करीब करना होगा। माननीय न्यायाधीश ने इन सभी कर्मचारियों में जिनकी सेवा 10 साल हो गई है, उन्हें एक प्रमोशन तो बीस साल होने पर दो प्रमोशन और तीस साल की सेवा पूरी होने पर तीन प्रमोशन देने का भी आदेश दिया। इस आदेश के बाद इन तीनों डीटीपी ऑपरेटरों को दो-दो प्रमोशन एक साथ मिलेगा। इसी के साथ प्रत्येक 2 साल पर इन कर्मचारियों को नियमानुसार, एलटीए देने का भी अदालत ने आदेश दिया। साथ ही कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट, पांचवें ग्रेड के हिसाब से हाउस रेंट, ट्रांसपोर्ट एलाउंस देने और अन्य भत्ते देने का भी आदेश अदालत ने दिया है।


इसके साथ ही इन सभी कर्मचारियों ने दावा किया था कि 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' द्वारा हमें आज तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है, जिस पर कंपनी ने कर्मचारियों के इस दावे को गलत बताते हुए कहा था कि कर्मचारियों का यह दावा बिल्कुल हास्यास्पद है कि उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है ! माननीय न्यायाधीश ने कर्मचारियों के दावे को सही माना और कंपनी को लिखित रूप से आदेश दिया कि इन कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र भी दिया जाए। इन कर्मचारियों ने बताया कि 'श्री अम्बिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशंस' हम लोगों को जो सैलरी स्लिप देती है, उस पर हमारे पोस्ट लिख कर नहीं देती है। इस पर माननीय अदालत ने अपने आदेश में साफ तौर पर आदेश दिया कि कर्मचारियों के सैलरी स्लिप में उनके पोस्ट भी डाले जाएं। आपको बता दें कि इन कर्मचारियों ने लगभग 5 साल तक मजीठिया अवार्ड की लड़ाई लड़ी। इस मामले की मुम्बई के बांद्रा स्थित 8वें लेबर कोर्ट की विद्वान न्यायाधीश आर. एन. कुलकर्णी के पास लंबे समय तक सुनवाई चली थी, जिसके बाद में इसे चौथे लेबर कोर्ट के न्यायाधीश एम. एफ. पठान के पास भेजा गया था। मुम्बई में एडवोकेट राज यादव इस लड़ाई को उमेश शर्मा के सान्निध्य में लड़ा, जबकि कंपनी की तरफ से एडवोकेट एम. एस. टोपकर और एम. पवित्रा थीं। 


बहरहाल, इन सभी कर्मचारियों ने एडवोकेट उमेश शर्मा का आभार माना और कहा कि उन्होंने जिस तरह हमारी इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया, इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। इन कर्मचारियों ने जाने-माने एडवोकेट उमेश शर्मा, ला फर्म 'मुल्ला एंड मुल्ला' और उसके वकील श्री एग्नल, एडवोकेट महेश शुक्ला, एडवोकेट राज यादव, जयपुर के सीए ध्रुव गुप्ता सहित मजीठिया क्रांतिकारियों- शशिकांत सिंह, धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ('न्यूजपेपर एंप्लॉयीज यूनियन आफ इंडिया' के जनरल सेक्रेटरी), दिनेश कुमार पाल, ताराचंद्र रॉय, नागेश पुजारी, डॉक्टर अजय मुखर्जी आदि से मिले सुझाव और सहयोग के लिए भी उनका धन्यवाद दिया है।


धर्मेन्द्र प्रताप सिंह

जनरल सेक्रेटरी

न्यूजपेपर एम्प्लॉयीज यूनियन ऑफ इंडिया

मोबाइल: 9920371264

Wednesday 12 May 2021

MAJITHIA: DA point Nov 2011 to June 2021

 

DA = DA point/167


Nov 2011 to Dec 2011 - 
17 point

 

Jan 2012 to June 2012 - 25 point

 

July 2012 to Dec 2012 - 33 point

 

Jan 2013 to June 2013 - 42 point

 

July 2013 to Dec 2013 - 54 point

 

Jan 2014 to June 2014 - 65 point

 

July 2014 to Dec 2014 - 73 point

 

Jan 2015 to June 2015 - 80 point

 

July 2015 to Dec 2015 - 87 point

 

Jan 2016 to June 2016 - 94 point

 

July 2016 to Dec 2016 – 102 point

 

Jan 2017 to June 2017 - 107 point

 

July 2017 to Dec 2017 – 110 point

 

Jan 2018 to June 2018 - 114 point

 

July 2018 to Dec 2018 – 120 point

 

Jan 2019 to June 2019 – 128 point

 

July 2019 to Dec 2019 –  139 point

 

Jan 2020 to June 2020 – 150 point



July 2020 to Dec 2020 –  160 point

 

Jan 2021 to June 2021 – 168 point




Calculation of DA…

DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167

 

For other help contact...

 

Vinod Kohli ji  – 09815551892

President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)

Indian Journalists Union

kohlichd@gmail.com

 

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345

Indian Journalists Union

arora_1957@yahoo.co.in

 

Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265

ravi76agg@gmail.com

 

(patrakarkiawaaz@gmail.com)

 

 

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हमें क्यों चाहिए मजीठिया: जानिए नवंबर 2011 से जून 2021 तक का डीए

साथियोंइस बार जनवरी 2021 से लेकर जून 2021 तक का डीए 168 प्‍वाइंट है। जो साथी एरियर की रिकवरी का दावा पेश करने की तैयारी कर रहे हैं उनकी मदद के लिए हम नवंबर 2011 से जून 2021 तक का डीए बता रहे हैं।


इसके अलावा जिन साथियों ने डीएलसी में दावा पेश किया था और अभी भी उसी कंपनी में कार्यरत हैं और उनके केस लेबर कोर्ट रेफर हो गए हैं ये उनके लिए आज तक की रिकवरी को अपडेट करने के लिए भी काम आएगा।

उदाहरण- रवि ने जनवरी 2019 में डीएलसी में रिकवरी लगाई थी। उसने मजीठिया के अनुसार अं‍तरिम राहत समेत दिसंबर 2018 तक क्‍लेम लगाया था। डीएलसी ने अक्‍टूबर 2019 में उसके केस को लेबर कोर्ट रेफर किया। रवि अभी भी उसी कंपनी में कार्यरत है इसलिए उसने नवंबर 2019 में रेफरेंस के आधार पर लेबर कोर्ट में केस दायर करने से पहले अपने दावे में 23 महीने यानि जनवरी 2019 से अक्‍टूबर 2019 तक का मजीठिया के अनुसार वेतन के अंतर को एरियर राशि में भी जोड़ा है।

(नोट- कुछ साथियों को लगता है कि एक बार आपने जो डीएलसी में क्‍लेम लगा दिया तो उसमें आप सुधार नहीं कर सकते। यह धारणा बिल्‍कुल गलत है। आप इसमें कभी भी सुधार कर सकते हैं और इसके लिए क्‍या करना होता है आपका वकील अच्‍छी तरह से जानता है।)


यह डीए सभी ग्रेडों के समाचार-पत्रोंमैग्‍जीनों और न्‍यूज एजेंसियों में किसी भी शहर में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर एक समान ही लागू होगा और यह हर छह महीने बाद (जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर) बदल जाता है।


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार इसका सही बेस प्‍वाइंट 167 है। आप कतई भी 185 या 189 के आधार पर इसकी गणना न करेंयह आपके लिए नुकसानदायक होगा।


(देखें मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश का पेज नंबर अंग्रेजी में 20 और हिंदी में 18)



DA = DA point/167
नवंबर 2011 से दिसंबर 2011 - 17 point

जनवरी 2012 से जून 2012 - 25 point

जुलाई 2012 से दिसंबर 2012 - 33 point

जनवरी 2013 से जून 2013 - 42 point

जुलाई 2013 से दिसंबर 2013 - 54 point

जनवरी 2014 से जून 2014 - 65 point

जुलाई 2014 से दिसंबर 2014 - 73 point

जनवरी 2015 से जून 2015 - 80 point

जुलाई 2015 से दिसंबर 2015 - 87 point

जनवरी 2016 से जून 2016 - 94 point

जुलाई 2016 से दिसंबर 2016 - 102 point

जनवरी 2017 से जून 2017 - 107 point

जुलाई 2017 से दिसंबर 2017 - 110 point

जनवरी 2018 से जून 2018 - 114 point

जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 - 120 point

जनवरी 2019 से जून 2019 - 128 point

जुलाई 2019 से दिसंबर 2019 - 139 point
जनवरी 2020 से जून 2020 - 150 point

जुलाई 2020 से दिसंबर 2020 - 160 point
जनवरी 2021 से जून 2021 - 168 point


डीए की गणना इस तरह होगी-

DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167
नोट- आप अपना एरियर किसी एकाउंटेंट से भी बनवा सकते हैं। एरियर का क्‍लेम करते हुए एरियर चार्ट पर किसी भी सीए की मोहर की जरुरत नहीं होती। बस इतना ध्‍यान रखें जो आपका एरियर बना रहा है वह मजीठिया की सिफारिशों को ढंग से समझ लें। नहीं तो आपकी गणना में कोई भी गलती आपकी एरियर राशि में मोटा नुकसान पहुंचा सकती है। इसके लिए आप समाचार पत्रों से रिटायर्ड एकाउंटेंटों की मदद भी ले सकते हैं। या आप अपने यहां की पत्रकारों की यूनियनों से मदद ले सकते हैं।

  

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-https://goo.gl/8fOiVD


श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 (हिंदी-अंग्रेजीमें डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-https://goo.gl/wdKXsB

पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-10: (ग्रेड  और बी’) खुद निकालेंअपना एरियर और नया वेतनमान http://goo.gl/wWczMH







यदि इसके बाद भी आपको कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर सकते हैं।


Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union


Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in


Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265
ravi76agg@gmail.com



यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें। (patrakarkiawaaz@gmail.com)



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