Thursday 31 August 2017

मजीठिया: जानिए नवंबर 2011 से दिसंबर 2017 तक का डीए

साथियोंइस बार जुलाई 2017 से लेकर दिसम्बर 2017 तक का डीए 110 प्‍वाइंट है। जो साथी एरियर की रिकवरी का दावा पेश करने की तैयारी कर रहे हैं उनकी मदद के लिए हम नवंबर 2011 से दिसम्बर 2017 तक का डीए बता रहे हैं।


यह डीए सभी ग्रेडों के समाचार-पत्रोंमैग्‍जीनों और न्‍यूज एजेंसियों में किसी भी शहर में कार्यरत सभी कर्मचारियों पर एक समान ही लागू होगा और यह हर छह महीने बाद (जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर) बदल जाता है।

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार इसका सही बेस प्‍वाइंट 167 है। आप कतई भी 185 या 189 के आधार पर इसकी गणना न करें, यह आपके लिए नुकसानदायक होगा।

(देखें मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिश का पेज नंबर अंग्रेजी में 20 और हिंदी में 18)

DA = DA point/167
नवंबर 2011 से दिसंबर 2011 - 17 point
जनवरी 2012 से जून 2012 - 25 point
जुलाई 2012 से दिसंबर 2012 - 33 point
जनवरी 2013 से जून 2013 - 42 point
जुलाई 2013 से दिसंबर 2013 - 54 point
जनवरी 2014 से जून 2014 - 65 point
जुलाई 2014 से दिसंबर 2014 - 73 point
जनवरी 2015 से जून 2015 - 80 point
जुलाई 2015 से दिसंबर 2015 - 87 point
जनवरी 2016 से जून 2016 - 94 point
जुलाई 2016 से दिसंबर 2016 - 102 point
जनवरी 2017 से जून 2017 - 107 point
जुलाई 2017 से दिसंबर 2016 - 110 point


डीए की गणना इस तरह होगी-
DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167

नोट- आप अपना एरियर किसी एकाउंटेंट से भी बनवा सकते हैं। एरियर का क्‍लेम करते हुए एरियर चार्ट पर किसी भी सीए की मोहर की जरुरत नहीं होती। बस इतना ध्‍यान रखें जो आपका एरियर बना रहा है वह मजीठिया की सिफारिशों को ढंग से समझ लें। नहीं तो आपकी गणना में कोई भी गलती आपकी एरियर राशि में मोटा नुकसान पहुंचा सकती है। इसके लिए आप समाचार पत्रों से रिटायर्ड एकाउंटेंटों की मदद भी ले सकते हैं। या आप अपने यहां की पत्रकारों की यूनियनों से मदद ले सकते हैं।


टूटा 20जे का खौफ, सबको मिलेगा मजीठिया, अब न करें देरhttp://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/20.html


सुप्रीम कोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍नPath का प्रयोग करें- https://goo.gl/x3aVK2

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-https://goo.gl/8fOiVD

श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 (हिंदी-अंग्रेजीमें डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-https://goo.gl/wdKXsB

 

पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-10: (ग्रेड  और बी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान http://goo.gl/wWczMH



पढ़े- हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-17: (ग्रेड सी और डी’) खुद निकालें अपना एरियर और नया वेतनमान  http://goo.gl/3GubWn




यदि इसके बाद भी आपको कोई दिक्‍कत आ रही हो तो आप बेहिचक इनसे संपर्क कर सकते हैं।

RP Yadav ji - 09810623949
rpyadav56@gmail.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in

Ravinder Aggarwal ji (HP) - 9816103265
ravi76agg@gmail.com

M S Yadav ji (PTI) – 09810263560

यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें।(patrakarkiawaaz@gmail.com)

#MajithiaWageBoardsSalary, MajithiaWageBoardsSalary, Majithia Wage Boards Salary



MAJITHIA: DA point Nov 2011 to Dec 2017

DA = DA point/167
Nov 2011 to Dec 2011 - 17 point
Jan 2012 to June 2012 - 25 point
July 2012 to Dec 2012 - 33 point
Jan 2013 to June 2013 42 point
July 2013 to Dec 2013 - 54 point
Jan 2014 to June 2014 - 65 point
July 2014 to Dec 2014 - 73 point
Jan 2015 to June 2015 - 80 point
July 2015 to Dec 2015 - 87 point
Jan 2016 to June 2016 - 94 point
July 2016 to Dec 2016 – 102 point
Jan 2017 to June 2017 - 107 point
July 2017 to Dec 2017 – 110 point


Calculation of DA…
DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167

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rpyadav56@gmail.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
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टूटा 20जे का खौफसबको मिलेगा मजीठियाअब न करें देर http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/08/20.html


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Sunday 27 August 2017

मजीठिया: 19 सितम्बर के डर से पत्रिका प्रबन्धन की बन्धी घिग्घी

सुप्रीम कोर्ट के 19 जून के फैसले के बाद पत्रिका भोपाल के 7 कर्मचारियों ने मजीठिया वेजबोर्ड पाने के लिए DLC को आवेदन दिया।
जब पत्रिका प्रबन्धन को DLC का नोटिस मिला तो आवेदन करने वाले सभी कर्मचारियों से उनका मूल कार्य छीन कर सभी को दूसरे कार्यों में लगा दिया जिससे खफा होकर बागी कर्मचारियों ने ऑफिस आना बन्द कर दिया।
इसी बीच मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे पत्रिका ग्वालियर के जितेंद्र जाट के टर्मिनेशन केस का फैसला ग्वालियर लेबर कोर्ट से आ गया जिसमें पत्रिका प्रबन्धन की हार हुई।
ग्वालियर लेबर कोर्ट के फैसले से पत्रिका प्रबन्धन में बैचेनी बढ़ गई और कर्मचारियों में जोश आ गया। पत्रिका भोपाल में बागियों की संख्या बढ़ने के आसार ज्यादा हो गए।
गौरतलब है कि पत्रिका में मजीठिया की चिंगारी भी भोपाल से ही अमित मिश्रा और विजय शर्मा के नेतृत्व में दिसम्बर 2014 में भड़की थी जो जनवरी 2015 तक पत्रिका के कई कार्यालयों तक फ़ैल गई थी।
इस तमाम घटनाक्रम से पत्रिका प्रबन्धन घबराया हुआ तो था ही और एक कहावत भी है कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर ही पीता है।
और इन 7 बागी कर्मचारियों से सैटलमेंट करने और बचे हुए कर्मचारियों को बागी होने से रोकने के लिए पत्रिका के मुख्यालय जयपुर से बड़े अधिकारियों का दल आनन फानन में भोपाल पहुंचा और बातचीत शुरू की।
क्योंकि इस बार तो सभी अखबार मालिक सुप्रीम कोर्ट में ये कह कर बच गए कि हम नोटिफिकेशन को समझ नहीं पाए और कोर्ट ने इनकी बात मानते हुए इनको एक मौका और दे दिया। और उस मौके का समय 19 सितम्बर 2017 है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 19 जून से तीन माह यानी 19 सितम्बर तक एरियर की पहली किश्त कर्मचारियों के खाते में जमा हो जानी चाहिए। और यदि 19 सितम्बर तक एरियर की पहली किश्त नहीं दी और कोई कर्मचारी नया पिटिशनर बन कर कंटेम्प्ट लगाने सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया तो?
तो फिर इनको जेल जाने से कोई नहीं रोक पायेगा।
इसी डर और खौफ के कारण पत्रिका मालिकों की घिग्घी बन्धी हुई है।

इन्‍हें भी पढ़े-

 

मजीठिया: जागरण प्रबंधन के वकील ने कहा, 'फैसले में कर्मचारियों की चिंताओं को दूर किया गया है http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_13.html


 

मजीठिया: रिकवरी लगाने वालों के लिए सुरक्षा कवच है 16A http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/16a.html



मजीठिया: बर्खास्‍तगीतबादले की धमकी से ना डरेना दे जबरन इस्‍तीफा http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/05/blog-post_29.html




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Saturday 26 August 2017

आओ मिलकर जीत लें मजीठिया की लड़ाई

साथियों माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट मीडिया से जुड़े साथियों को जीवन सुधारने का स्वर्णिम अवसर दिया है। मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने श्रमायुक्तों को लताड़ लगाई है, उससे यह तो जाहिर हो गया कि अब सरकारें मजीठिया को लेकर ज्यादा राजनीति नहीं कर पाएंगी। न ही अखबार मालिकों के लिए श्रमायुक्त जेल जाएंगे।
हां यह जरूर याद रखना होगा कि मजीठिया घर बैठे नहीं मिलेगा। इसके लिए लड़ना होगा। मामला लाखों का है, जो अखबार मालिक समय से वेतन नहीं देना चाहते उनसे मजीठिया निकलना इतना आसान नहीं है। इसलिए जो साथी जिस तरह से मजीठिया की लड़ाई लड़ सकता है वह उसी तरह से लड़ाई लड़े पर यह समझ लो कि इस लड़ाई के जीतते के लिए हम लोगों एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। हां यह तय है कि मजीठिया वेज बोर्ड मिलते ही सभी अखबार कर्मियों के दिन बदल जाएंगे। लड़ाई जीतने की जो ख़ुशी होगी वह अखबार जगत में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी। जो साथी दलाई करने के लिए पत्रकारिता कर रहे हैं उनसे कहना चाहता हूं, पत्रकार वह शब्द है, जिसने न केवल देश की आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि देश की राजनीति की दिशा व दशा तय करने में इस शब्द का बहुत योगदान रहा है। आज देश जिस मुकाम पर खड़ा है, वह बताने की जरूरत नहीं है। ऐसे समय में पत्रकारों के बड़ी जिम्मेदारी बनती है। जब हम अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकते तो देश और समाज की लड़ाई क्या लड़ेंगे ?
तो समय आ गया है की अपना जमीर जगाकर और हिम्मत करके मजीठिया की लड़ाई लड़ने के लिए खड़ो हो जाओ। यह लड़ाई प्रिंट पत्रकारिता की शक्ल ही बदल कर रख देगी। कर्तव्यनिष्ठ, स्वाभिमान और ईमानदार पत्रकारों का रूतबा बढ़ेगा। दलाली पर अंकुश लगेगा। जब पत्रकार आत्मनिर्भर होंगे तो पत्रकारिता का इस्तेमाल निजी स्वार्थों के लिए नहीं बल्कि देश और समाज के लिए होगा। इसलिए भी यह लड़ाई जीतनी जरूरी है। तो आइये हम सब साथी मिलकर इस लड़ाई को पूरी मजबूती से लड़ें। यह तय है कि यदि हम लोगों ने इस लड़ाई को एकजुटता के साथ लड़ लिया तो यह लड़ाई देश को स्थिरता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जो साथी लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं वे उन साथियों के होंशले से प्रेरणा लें जो मजीठिया मांगने पर अखबारों से निकाल दिए गए। बेरोजगार होकर भी ये लोग पूरे जज्बे के साथ लड़ाई को अंजाम देने में लगे हैं। इस लड़ाई को जीतने के लिए इन लोगों ने सब कुछ दांव पर लगा दिया है। तो साथियों आओ हर दबाव  को चीरते हुए हम सब साथी मिलकर इस लड़ाई को जीत कर अख़बारों पर अपनी विजय पताका फहराएं।
(मजीठिया क्रांतिकारी ग्रुप से)

Thursday 24 August 2017

घूस लेते धरा गया श्रम विभाग का बाबू

कानपुर। लेबरो का रजिस्ट्रेशन करने के एवज में श्रम विभाग के एक बाबू को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथो पकड़ लिया। विजिलेंस ने उसके पास से दिये गये रिश्वत के रूपये बरामद कर लिये।

श्रम विभाग में कार्यरत स्टेनो बाबू चन्दशेखर लेबरो के रजिस्ट्रेशन करने के एवज में सभी से घूस की मांग कर रहा था। पीड़ित भीमसेन निवासी सतीश भी अपना रजिस्टेशन कराने के लिये श्रम विभाग पहुंचा जहां पर बाबू चन्द्रशेखर ने उसे काफी दिनो तक टहलाया और जब सतीश परेशान हो गया तब उसने बाबू से काम कैसे होगा के बारे में पूछा जिस पर बाबू चन्दशेखर ने सतीश से 6 हजार की रिश्वत मांगी। सतीश बाबू को रिश्वत देने के लिये तैयार हो गया। सतीश इस भ्रष्टाचार के मामले को लेकर एसपी विजिलेंस संजय कुमार के पास गया और प्रार्थना पत्र दिया जिस पर उन्होंने अपनी टीम को भेज कर छापेमारी करवायी और रिश्वत लेते हुए बाबू चन्द्रशेखर को रंगे हाथ पकड़ लिया। पकड़ने वाली विजिलेंस टीम में मुख्य रूप से टीम लीडर प्रदीप यादव, निरीक्षक एस.एन.त्रिपाठी, संजय भदौरिया, आनन्द मोहन पाठक, सीमा सिंह, एचसीपी रणवीर, सुभाष, आरक्षी रामलखन व यादवेन्द्र रहे। विजिलेंस ने आरोपी बाबू के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया है।

Thursday 17 August 2017

मजीठिया: श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण से जुर्माना वसूला

आज सुबह मजीठिया वेज बोर्ड मामले से जुड़े दिलीप कुुमार द्विवेदी बनाम जागरण प्रकाशन लिमिटेड के मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय ने दैनिक जागरण से दो हजार रुपये जूर्माना वसूलकर वर्करों को दिलवाया और जागरण से अपना जवाब देने के लिए कहा। दिल्ली की कड़कड़डूमा श्रम न्यायालय में दैनिक जागरण के उन 15 लोगों, जिन्होने जस्टिस मजीठिया बेज बोर्ड की मांग को लेकर जागरण प्रबंधन के खिलाफ केस लगाया था, के मामले की आज सुनवाई थी। इन सभी वर्कर को जागरण ने बिना किसी जाँच के झूठे आरोप लगाकर टर्मिनेट कर दिया था।
हुआ यह था कि पिछली तारीख के दिन जब न्यायालय में पुकार हुयी तो इन कर्मचारियों के वकील ने अपनी बात बताई। इस पर जागरण प्रबंधन के वकील आर के दुबे ने कहा था कि मेरे सीनियर वकील कागजात के साथ आ रहे हैं। वे रास्ते में हैं। माननीय जज ने कहा कि अगली तारीख पर दे देंगे, इस पर वर्कर के वकील ने कहा था कि हुजूर, ये कॉपी नहीं देना चाहते। वैसे ही हम बहुत लेट हो चुके हैं, आज हम देर से ही सही, आपके सामने इनका जवाब लेंगे, इस पर माननीय जज साहब ने पासओवर दे दिया और कहा कि 12 बजे आइये। तय समय पर वर्कर अपने वकील के साथ हाजिर हुए, तो मैनेजमेंट की ओर से कोई नहीं आया था। जज साहब ने फिर वर्कर को साढ़े बारह बजे आने के लिए कहा। फिर सभी उक्त समय पर हाजिर हुए, तब भी मैनेजमेंट के लोग गायब रहे। इसी बात पर कानून के हिसाब से जागरण पर 2 हज़ार रुपये का जुर्माना लगा था, जिसे जागरण ने आज कोर्ट में दिया है। इस मामले की अगली तारीख 8 नवंबर 2017 लगी है।

Saturday 12 August 2017

नवभारत अखबार में पीएफ अधिकारियों का छापा


मुम्बई से एक बड़ी खबर आरही है।यहां मुम्बई के चर्चित हिंदी दैनिक नवभारत के नई मुम्बई  में सानपाड़ा स्थित कार्यालय में निर्भीक कर्मचारी और मजीठिया क्रांतिकारी अरुण कुमार गुप्ता की शिकायत पर भविष्यनिधि (पी एफ़) अधिकारियों ने छापा मारा है।अरुण गुप्ता ने इस खबर की पुष्टि करते हुए फेसबुक वॉल पर लिखा है।

प्रिय साथियों एक शुभ
समाचार
कल  11 अगस्त 2017को इंफोर्समेंट ऑफिसर प्रोविडेंट फंड वाशी डिवीजन में सानपाड़ा स्थित नवभारत कार्यालय का दौरा किया इस दौरान पीएफ ऑफिसर ने मेरे द्वारा पी एफ़  को लेकर की गई शिकायत पर ध्यान देते हुए प्रबंधन से सारे डाक्यूमेंट्स मंगवा कर देखें जिसमें मेरी शिकायत के अनुसार कम डिडक्शन वाली बात सामने आई क्योंकि नवभारत प्रबंधन 1997 से 2006 तक कई लोगों का पी एफ़  डिडक्शन किया ही नहीं है और 2006 से लेकर अगस्त 2014 तक मात्र ₹780 डिडक्शन करते आया है सितंबर 2014 से प्रबंधन ने 18 सौ रुपए निरीक्षण करना शुरू किया जबकि न्यूज़पेपर इंप्लाइज अंडर पैराग्राफ 80 आप EPF स्कीम 1952 के तहत मीडिया कर्मियों का पी एफ़  को लेकर कोई सीलिंग नहीं है लेकिन प्रबंधन ने लोगों को पी एफ़ अधिकारियों को अंधेरे में रखकर सीलिंग का हवाला देते हुए पहले तो ₹780 काटता रहा इसके बाद 18 सौ रुपए काटना शुरु किया अपने इंस्पेक्शन के दौरान जब पीएफ अधिकारी ने कहा कि मीडिया कर्मियों के लिए सीलिंग नहीं होता और उसका ग्रास सैलरी पर पी एफ़  कटना चाहिए तो प्रबंधन की ओर से बैठक में उपस्थित डीजीएम फाइनेंस श्री रोहित बंसल ने कहा कि हमें इस नियम की जानकारी नहीं है इस पर मैंने कहा कि आपको सरकार को चूना लगाते हुए 40000 प्रति छापकर 400000 दिखाकर डीएवीपी का रेट 112 रूपया स्क्वायर सेंटीमीटर लेने में तो कोई हिचक नहीं है कर्मचारियों को देने के लिए आपको नियम की जानकारी नहीं है यह तो आश्चर्य है साथियों पीएफ अधिकारी ने अपने दौरे का विवरण एक प्रति महाराष्ट्र मीडिया इंप्लाइज यूनियन के नवभारत इकाई के अध्यक्ष श्री केसर सिंह बिष्ट जी को सौंपी और एक प्रति प्रबंधन को दिया इसके बाद वासी के पी एफ़  अधिकारी ने कहा की फाइनल रिपोर्ट 1 सप्ताह में  हेड ऑफिस बांद्रा और उसकी प्रति शिकायतकर्ता को भेज देंगे साथियों सैलरी के अनुसार सभी कर्मचारियों का 3:00 से लेकर 500000 रुपए का नुकसान हुआ है अब पी एफ़  विभाग की ओर से कार्रवाई के बाद सैलरी के अनुसार सबके पी एफ़  अकाउंट में उतना अमाउंट ब्याज के साथ प्रबंधन को डालना होगा।
माना जारहा है कि इस कार्रवाई से दूसरे मॉलिकों को भी अकल आएगी।

Friday 11 August 2017

मजीठिया: कानपुर श्रम विभाग व ht प्रबंधन की मिलीभगत से क्लेम खारिज करने की साजिश!

कानपुर श्रम विभाग द्वारा हिंदुस्तान अखबार के कर्मचारियों का क्लेम पार्थना पत्र अखबार प्रबंधन की मिलीभगत से खारिज किया जा रहा है। बताया जाता है कि हिंदुस्तान के 7 लोगों ने कानपूर उप श्रमायुक्त कार्यालय में विगत 8 माह पहले क्लेम लगाया है लेकिन कार्यालय के बाबू व प्राधिकारी की मिलीभगत से सुनवाई के दिन गये लोगों के हस्ताक्षर न कराकर कार्रवाई बाद में लिखने को कह दिया जाता है और उसमें उन्हें अनुपस्थिति दिखा दिया जाता है जिससे कर्मचारी भी नही समझ पाता और अधिकारी मिलीभगत करके यह कारनामा कर रहे है। जानकारी हुई है पंकज कुमार की rti से मिली सुचना देखने पर। जिसमे प्राधिकारी rp तिवारी द्वारा 28/03/3017 को पक्ष को उपस्थित दिखाया गया औऱ 3/4/2017, 15/5/2017 सहित कई डेट पर स्वतः अनुपस्थित दिखाकर बाद को ख़ारिज किया जा रहा है। जिसमे बताया जाता है कि प्रबंधन से अच्छा माल कमाया जा रहा है।


सुझाव: ये साथी इसकी शिकायत श्रम सचिव से करें औऱ किसी कानून के जानकार से मिलकर उचित राय भी लें।

इसके अलावा इस मामले को देखते हुए जिन साथियों के रिकवरी या बर्खास्तगी आदि के केस श्रम कायार्लय में चल रहे उनसे अनुरोध है कि वे श्रम अधिकारी या कर्मचारियों की मीठी मीठी बातों में ना आएं और अपनी पूरी कार्रवाई को अपने सामने दर्ज करवाए औऱ हस्ताक्षर करने से पहले उसे ध्यान से पढ़े। यदि कोई आपत्तिजनक लाइन लिखी हो तो उसे हटवाने के बाद ही हस्ताक्षर करें। यदि आपके विरोध के बाद भी वह लाइन नही हटाई जाती तो आप उस लाइन को लेकर शीट पर अपनी आपत्ति दर्ज करें और उसके बाद अपने हस्ताक्षर करें। यह आपका कानूनी हक है और ऐसा करने से वे आपको रोक नही सकते। साथ ही अपने केस को लेकर कानून के जानकारो लगातार संपर्क में रहिए। जिससे आपका केस सही दिशा में चलता रहे।

Tuesday 8 August 2017

मजीठिया: दो माह के भीतर होगा केसों का निस्तारण

लेबर आफिस पहुंच जिलाधिकारी ने की पत्रकारो के मुकदमों की समीक्षा

मजीठिया आन्दोलन में सफलता की जुड़ी एक और कड़ी

वाराणसी। मजीठिया को लेकर पत्रकारों व गैर पत्रकारों के आन्दोलन की अगुवाई कर कर रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ को आज एक और सफलता मिली ।मजीठिया समेत अन्य मामलों को लेकर पत्रकारों की ओर से डीएलसी के यहां दायर मुकदमों की समीक्षा के लिए जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र लेबर आफिस पहुंच गये। इस दौरान हुई बैठक में डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिया कि पत्रकारों के अब तक दर्ज मुकदमों का निस्तारण दो माह के भीतर कर लिया जाय।
  डीएलसी कार्यालय में हुई इस बैठक में  डीएम ने  पत्रकारों की ओर से दायर मुकदमों का विवरण लेने के साथ ही उनमें अब तक हुई कारवाई का विवरण जाना। बैठक में डीएम ने निर्देश दिया कि पत्रकारों के मुकदमों का त्वरित निस्तारण हो। उन्होने कहा कि अब तक जो  मामले दर्ज है उन्हें दो माह के भीतर निबटा लिया जाय। कहा कि इसमें लापरवाही नहीं होनी चाहिए। समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के नेताओं की मौजूदगी मे हुई इस बैठक में डीएलसी राकेश कुमार ने जिलाधिकारी को भरोसा दिलाया कि व मुकदमों के त्वरित निस्तारण में कोई कोर कसर नहीं छोडेंगे। तय समय सीमा के भीतर वह मामलों का निस्तारण कर उसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगे। मालूम हो कि मजीठिया को लेकर पत्रकारों व गैर पत्रकारो की लड़ाईं लड़ रहे समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन व काशी पत्रकार संघ के एक प्रतिनिधिमण्डल ने गत दिनों जिलाघिकारी योगेश्वर राम मिश्र से मुलाकात कर उन्हें जानकारी दी थी कि पत्रकारों के दायर मुकदमों के निस्तारण में किस तरह से लापरवाही बरती जा रही है। तब जिलाघिकारी ने प्रतिनिधि मण्डल को आश्वासन दिया था कि वह इसकी समीक्षा के लिए स्वयं डीएलसी कार्यालय जायेंगे। तय कार्यक्रम के तहत जिलाघिकारी दोपहर 12 बजे डीएलसी कार्यालय पहुंचे I वे वहां लगभग एक घंटे तक रहें। इस दौरान हुई बैठक में मुकदमों की सुनवाई में अत्यधिक विलम्ब पर नाराजगी जतायी । डीएम ने बैठक में मौजूद डीएलसी से साफ तौर पर कहा कि पत्रकारों से सम्वन्धित मुकदमों की सूची तैयार कर उनमें हो रही कार्यवाही का पूरा विवरण उन्हें उपलब्ध करायें । उन्होंने कहा कि इसकी वे समीक्षा करेंगें । डीएम ने यह भी निर्देश दिया कि मुकदमों में तीन दिन से ज्यादा की डेट न दी जाए। तीन से चार डेट में मुकदमों का निस्तारण हर हाल में सुनिश्चित किया जाय।
बैठक में एएलसी दिप्ती भान भट्ट के अलावा समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के मंत्री अजय मुखर्जी . काशी पत्रकार संघ अध्यक्ष सुमाष सिंह. महामंत्री अत्रि भारद्वाज , पूर्व अध्यक्ष विकास पाठक, पूर्व अध्यक्ष संजय अस्थाना, पूर्व महामंत्री राजेन्द्र रंगप्पा के अलावा एके लारी ,  रमेश राय, मनोज श्रीवास्तव, लक्ष्मी कांत द्विवेदी, जगधारी,  संजय से ठ , विनोद शर्मा, महेश से ठ, आशीष टण्डन , सुशील , दिनेश से ठ , अरविन्द मिश्र, बाबूलाल ,संजय त्रिपाठी, संजल प्रसाद आदि शामिल थे।

मजीठिया: बैठक में हिंदुस्तान की बोलती बंद हुई

उपहास का केंद्र बना हिन्दुस्तान के एचआर हेड राकेश गौतम

लखनऊ। मजीठिया के मद्दे पर यूपी सरकार की ओर से बुलाई बैठक में हिंदुस्तान की खूब खिल्ली उड़ी।
मंगलवार को मौका था यूपी सरकार की ओर से बुलाई गई मजीठिया की बैठक का। बैठक शुरू होते ही कर्मचारियों की ओर से बात रखी गई। इसके बाद नंबर आया अखबार मालिकों का। सहारा मैनजमेंट ने साफ बताया कि उनका अखबार चौथी कटेगरी में आता है। इसलिए हम उस कैटगरी का वेतन देने के लिए वचनबद्ध हैं।
फिर श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदुस्तान के मैनेजमेंट की ओर इशारा किया कि आप अपनी बात रखें। हिंदुस्तान के नेशनल एचआर हेड आरके गौतम ने बताया कि हमारी कंपनी मजिठिया के अनुपालन में लगी है। और हमने कई यूनिट्स में लागू भी कर दिया है। यह सुनते ही मजिठिया निगरानी समिति के सदस्य लोकेश त्रिपाठी बिफर पड़ऐ।
श्री लोकेश ने बताया कि हिन्दुस्तान किसी भी यूनिट में मजिठिया नही दे रहा है। जिसके उन्होंने सबूत भी दिए। फिर क्या था। सबूत देखते मंत्री और उनके अधिकारियों ने पूछा कि आप किस कैटोगरी में मजीठिया का वेतन दे रहे हैं। स्पस्ट रूख से पूछे गये सवालों का उत्तर देने के बजाय आरके गौतम बगलें निहारने लगे। यह देख कुछ पत्रकारों ने मेज भी थपथपा दी। तो पूरा माहौल मजाकिया बन गया। इसके बाद आरके गौतम बैठक खत्म होते ही ऐसे भागे कि वहाँ आमंत्रित लंच में भी हिस्सा नही लिया।

मजीठिया: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराएगी उप्र सरकार

अखबार मालिकों से दरियादिली दिखाने की अपेक्षा की यूपी के श्रम मंत्री ने

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की रौशनी में मीडियाकर्मियों को न्याय मिले
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के मामले में सरकार की मंशा साफ़ है. सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अक्षरशः अनुपालन हो. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मालिकान अगर अपने स्तर से सुनिश्चित कराते हैं तो यह उनकी महानता होगी. उन्होंने कहा कि इरादे नेक हों तो हर समस्या का हल किया जा सकता है.
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कराने के सम्बन्ध में विधानभवन के तिलक हाल में आयोजित त्रिपक्षीय बैठक के दौरान राज्य के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह विषय बहस और चर्चा का नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के सम्मान का विषय है. मुद्दे का सम्मानजनक हल निकले इसकी पहल यदि समूह मालिकों की ओर से होगी तो स्वागत करेंगे. हमारी भूमिका प्रशासक की नहीं बल्कि बातचीत से सुलझाने की होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि मंशा साफ़ नहीं होती तो यह बैठक बुलाई ही नहीं गयी होती. हम किसी पर दबाव नहीं बनाना चाहते लेकिन अनुरोध है कि सरकार के किसी हस्तक्षेप की गुंजाइश न रहे, अखबार मालिकों को दरियादिली दिखानी पड़ेगी. श्रम मंत्री ने 19 जून के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अध्ययन करने की बात कही, साथ ही प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि किसी सीनियर अफसर को इस मामले के लिए नियुक्त किया जाए जो मजीठिया आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन को अवगत कराते रहें.
मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के लागू न हो पाने के पीछे समूहों के प्रतिनिधियों के अलग-अलग बयान के कारण भ्रम की स्थिति बनी है.  सहारा प्रबंधन की ओर से सकल लाभ को जोड़कर सेलेरी बढ़ाने की बात की गयी जबकि हिन्दुस्तान की राय इससे भिन्न थी. स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था कि आयोग के निर्णयों के क्रियान्वयन में पारदर्शिता रहे और सकारात्मक दिशा में आगे बढे.
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष और इन्डियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट के उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने इस बैठक में कहा कि हम पत्रकार व गैर पत्रकार मीडिया कर्मियों के मामले में आपसे साकारात्मक हस्तक्षेप की अपेक्षा रखते हैं. उन्होंने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय के आलोक में मीडिया समूहों को अपने कर्मियों को उचित वेतन देने के लिए बाध्यकारी आदेश पारित करे और उसका अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए.
श्री तिवारी ने श्रम मंत्री का ध्यान मजीठिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कुछ प्रमुख बिंदुओं की ओर दिलाया. उन्होंने कहा कि हम आपसे इन निर्देशों के सुनिश्चित अनुपालन कराने की अपेक्षा रखते हैं.
हेमंत तिवारी ने श्रम मंत्री से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने 19 जून 2017 के आदेश में यह साफ कहा कि सभी समाचार पत्र समूह व मीडिया समूह मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करें.
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि मीडिया समूहों के जिन कर्मियों ने प्रबंधन के साथ समझौते के तहत मजीठिया वेज बोर्ड की 20 जे के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं उन्हें भी वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन दिया जाना अनुमन्य होगा. य़दि उनका कुल वेतन मजीठिया आयोग की सिफारिशों से कम है.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें उन सभी नियमित व ठेके पर रखे गए मीडिया कर्मियों पर भी लागू होंगी जिनका उल्लेख वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 16 में है.
इसके अलावा वैरिएबल डियरनेस अलाउंस सभी मीडिया कर्मियों को दिया जाएगा. मीडिया समूह इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकते. सभी मीडिया कर्मियों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरुप वेतन व भत्ते दिए जाने का स्पष्ट निर्देश है.
उन्होंने कहा कि वेतन आयोग की रिपोर्ट में उल्लिखित समाचार पत्रों की श्रेणियों, उनके सालाना टर्नओवर के आधार पर श्रम विभाग के पास उपलब्ध है. अब सरकार से उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुपालन की अपेक्षा है.
मीडिया कर्मियों का पक्ष रखते हुए हेमंत तिवारी ने सभी पत्रकार संगठनों की तरफ से उत्तर प्रदेश सरकार की इस पहल का स्वागत किया जिसमें मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालन कराने की दिशा में अपनी रुचि दिखाई.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन केन्द्र सरकार की ओर से मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें मानने और उसके अनुपालन को लेकर उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी उत्तर प्रदेश में अधिकांश मीडिया कर्मी इसके लाभों से वंचित हैं. इतना ही नही मजीठिया की सिफारिशों के अनुरुप वेतन देने से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के बड़े मीडिया समूहों ने ओछे व निम्न स्तर के हथकंडे अपनाए हैं जिसमें उचित वेतन की मांग कर रहे मीडिया कर्मियों को नौकरी से निकालना, तबादला व अन्य तरह का उत्पीड़न शामिल है.
इस त्रिपक्षीय बैठक में श्रम मंत्री के अलावा श्रम राज्य मंत्री मन्नू लाल कुरील, अपर मुख्य सचिव श्रम राजेन्द्र तिवारी, अपर मुख्य सचिव एवं श्रमायुक्त पीके मोहंती, प्रदेश के विभिन्न मंडलों के उप श्रमायुक्त शामिल थे. समाचार पत्र प्रबंधन की ओर से इंडियन एक्सप्रेस, टाईम्स आफ इंडिया, हिन्दुस्तान टाईम्स, दैनिक जागरण, पायनियर, राष्ट्रीय सहारा तथा अन्य समूहीं के प्रतिनिधि शामिल हुए. IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी के साथ भाष्कर दुबे, मो कामरान, राजेश मिश्रा, मो ताहिर, तमन्ना फरीदी, मो अजीज, नसीमुल्लाह, राजेन्द्र प्रसाद और उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के संयुक्त सचिव श्रीधर अग्निहोत्री, कोषाध्यक्ष इन्द्रेश रस्तोगी, मो अतहर रजा और अविनाश मिश्र शामिल थे.

Thursday 3 August 2017

मजीठिया: बड़ी खबर, मप्र में पीपुल्स ग्रुप ने लागू की सिफारिशें

अगले माह मिलेगा कर्मचारियों को

इंदौर। दोस्तों सबसे बड़ी खुश-खबरी यह है  पीपुल्स ग्रुप ने 2 अगस्त बुधवार को अपने कर्मचारियों को मजीठिया देने की घोषणा कर दी है।  प्रदेश में पहला ऐसा अखबार पीपुल्स ग्रुप है जो सितम्बर से अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेतनमान के अनुसार वेतन वितिरत करेगा।
बुधवार को पीपुल्स ग्रुप चेयरमैन केप्टन रुचि विजयवर्गीय ने  इंदौर प्रेस काम्प्लेक्स स्थित पीपुल्स समाचार के कर्मचारियों की बैठक लेकर घोषणा की कि सितम्बर से कर्मचारियों को मजीठिया वेतनमान के अनुसार वेतन दिया जाएगा। घोषणा होने के बाद पीपुल्स समाचार के कर्मचारियों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं। इधर समाचार की जानकारी लगते ही कई प्रेस मालिकों की नींद उड़ी है, क्योंकि एक अखबार के मजीठिया लागू होने के बाद दूसरों पर भी दबाव बनेगा।
पुराने एरियर की बात नहीं
बैठक में पीपुल्स चैयरमैन ने सितम्बर से मजीठिया देने की घोषणा तो की है, लेकिन पुराने एरियर की बात नहीं की। यानी 2011 से अब तक कर्मचारियों को जो एरियन एक वर्ष के भीतर चार किश्तों में देना है उस पर कोई चर्चा नहीं है। इधर पत्रकार और कर्मचारी केवल वेतन की बात से फुलकर गुब्बारे हो गए हैं।
मेहनत लाई रंग
दोस्तों आपको बता दे कि पीपुल्स सहित सभी अखबार मालिकों के मजीठिया दिलाओ समिति ने करीब 20 से अधिक शिकायत और आरटीआई में जानकारी मांगी थी। इतना ही पीपुल्स समाचार के करीब 10 कर्मचारियों ने मजीठिया दिलाने के लिए लिखित में भी श्रमायुक्त को शिकायत की थी, लेकिन बाद में संपादक के दबाव के बाद शिकायत वापस ले ली थी, लेकिन पिछले दिनों पीपुल्स की वेतन शीट की पूरी कापी श्रमायुक्त कार्यालय में पहुंचने के बाद पीपुल्स मालिकों के होश उड़ गए थे और उन पर मजीठिया का दबाव लगातार बना हुआ था, जिसके बाद उक्त फैसला पीपुल्स ग्रुप को करना पड़ा। अब सवाल यह है कि पीपुल्स समाचार किस श्रेणी के हिसाब से अपने कर्मचारियों की मजीठिया देता है। खैर जो भी हो, लेकिन मध्यप्रदेश में मजीठिया पाने वाले पहले पत्रकार और कर्मचारी होंगे पीपुल्स संस्थान के कर्मचारी। वैसे तो कहा यह जा रहा है कि करीब 20 से 30 हजार रुपए प्रति कर्मचारी के हिसाब से वेतन पत्रकार और कर्मचारियों को मिलेगा।   इसके लिए पीपुल्स ग्रुप की चेयरमैन और सभी साथियों को बधाई, और जो लोग सो रहे हैं उन्हें जागने की नसीहत।
(मजीठिया क्रांतिकारी ग्रुप से)