Sunday 29 October 2017

मजीठिया: सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरकार के माध्यम से लागू करवाएं

पत्रकारों और अखबार कर्मियों से जुड़ी देश की सभी यूनियनें और अन्य संगठन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेशों का लाभ उठाने के लिए सक्रिय हो जाएं। अब यूनियन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के 19.06.2017 के निर्णय सहित टाइम बाउंड के 13 और 27 अक्टूबर को आए आर्डर की कापी लगाकर प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री, मुख्य सचिव,  श्रम सचिव और श्रमायुक्त को पत्र लिखकर मांग करें की वे वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट के तहत रिकवरी,  ट्रांसफर और टर्मिनेशन के मामलों की सुनवाई श्रम विभाग और लेबर कोर्ट में 6 माह में पूरी करने के शासनादेश जारी करें। इससे मालिकों के दबाव में चल रही सरकारी मशीनरी सक्रिय होगी।

मेरे द्वारा भेजे गए ऐसे पत्र की प्रति संलग्न है।

सेवा में,
सचिव,
श्रम विभाग,
हिमाचल प्रदेश सरकार।

विषय: माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश लागू करवाने के लिए निवेदन।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्ट,1955 के तहत भारत सरकार द्वारा पत्रकारों और अन्य अखबार कर्मचारियों के लिए गठित मजीठिया वेजबोर्ड को 11 नवंबर, 2011 से लागू करने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल रिट पेटिशन नंबर 246 आफ 2011 पर 07 फरवरी, 2014 को निर्णय सुनाया था। इस निर्णय को लागू न किए जाने पर अवमानना याचिका नंबर 411 आफ 2014 के साथ संबद्ध अन्य अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 19 जून, 2017 को दिए गए फैसले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम दिशानिर्देश दिए थे। इस कांटेम्पट पेटिशन (सिविल) नंबर 411 आफ 2014 सहित देशभर से दायर की गई अन्य अवमानना याचिकाओं की सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के श्रम सविचों सहित श्रमायुक्तों को मजीठिया वेजबोर्ड लागू करवाने के लिए विभिन्न आदेशों के जरिए आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी किए थे।

इसके बावजूद प्रदेश में मौजूद समाचारपत्र स्थापनाओं में माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है। मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर कई कर्मचारी उत्पीडऩ का शिकार हुए हैं। इनकी ट्रांस्फर या टर्मिनेशन से जुड़े मामलों सहित एक्ट की धारा 17(2) के तहत रिकवरी के मामले या तो लेबर विभाग के समक्ष लंबित हैं या फिर इन्हें लेबर कोर्ट में रेफर कर दिया गया है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 19 जून, 2017 को अपने निर्णय के संबंध में 13 अक्तूबर, 2017 को एक्ट की धारा 17(2) के तहत लेबर कोर्ट में रेफर किए गए रिकवरी के मामलों की सुनवाई 6 माह में पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। वहीं 27  अक्तूबर, 2017 को ट्रांस्फर व टर्मिनेशन के मामलों की सुनवाई को भी समयबद्ध करते हुए इनकी सुनवाई संबंधित अथॉरिटी द्वारा भी 6 माह में पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों की प्रतियां ससंलग्र की गई हैं।
निवेदन है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के तहत श्रम विभाग के संबंधित प्राधिकारियों सहित प्रदेश के श्रम न्यायालयों को मजीठिया वेजबोर्ड के तहत रिकवरी और इसे मांगने पर विभिन्न तरीकों से उत्पीडऩ का शिकार हुए अखबार कर्मियों के मामलों की सुनवाई को श्रम विभाग के संबंधित प्राधिकारियों सहित श्रम न्यायालयों में छह माह के भीतर निपटाने के निर्देश जारी करने का कष्ट कीजिएगा।
सधन्यवाद

दिनांक: 30 अक्तूबर,2017 भवदीय

रविंद्र अग्रवाल
संपर्क: 9816103265, 9736003265
मेल:ravi76agg@gmail.com   ............................................................

संलग्र: आदेश दिनांक 19 जून, 2017, 13 अक्तूबर, 2017 और 27 अक्तूबर, 2017 की प्रति।

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Saturday 28 October 2017

Home Minister Assured IFWJ Delegation of Journalists Security Bill


New Delhi, 28 October; The Union Home Minister Rajnath Singh today assured to a delegation of the Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) that his government would soon introduce such laws as will adequately protect and guard the safety and security of journalists, so that they can pursue their profession without any without any fear or obstacle from anybody. The delegation of the ‘Indian Federation of Working Journalists’ (IFWJ), met him at his residence and submitted a memorandum demanding among other things, the comprehensive change in the Working Journalists Act and constitution of new Wage Board. Shri Singh congratulated the IFWJ on its 68th foundation day and wished it to continuously work for the cause of journalists and journalism.

The delegation was led by the IFWJ Vice-President Shri Hemant Tiwari, which consisted of the Secretary General Parmanand Pandey, Secretary Siddharth Kalhans, Treasurer Rinku Yadav and the legal advisor Mohan Babu Agrawal.

The Home Minister Shri Singh gave a very patient hearing to the delegation for more than one hour. During the meeting IFWJ Vice-President Shri Tiwari pointed out that some of the important office bearers of the IFWJ have been harassed in some states for exposing the misdeeds of the some of the politicians. Shri Singh assured to look into all such complaints and would ask the state government to take action against those responsible for such acts.

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून शीघ्र: राजनाथ सिंह

गृहमंत्री से मिला आईएफडब्ल्यूजे का प्रतिनिधि मंडल


नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज इंडियन फैडेरेशन आफ वर्किगं जर्नलिस्ट के एक शिष्टमंडल को आश्वस्त किया कि उनकी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिये शीघ्र ही ऐसा कानून बनायेगी जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और वे भयमुक्त होकर अपना कार्य कर सकें।

उन्होंने आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के 68वें स्थापना दिवस पर पत्रकारों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह संगठन हमेशा की तरह पत्रकारों के हितों के लिये अनाव्रत कार्य करता रहेगा। शिष्टमंडल का नेतृत्व आई.एफ.डब्ल्यू.जे. के उपाध्यक्ष श्री हेमेत तिवारी ने किया जिसमें महासचिव परमानंद पाण्डेय, सचिव सिद्धार्थ कलहंस, कोषाध्यक्ष रिंकू यादव और संगठन के विधि सलाहाकार श्री मोहन बाबू अग्रवाल भी शामिल थे। गृहमंत्री श्री सिंह ने शिष्टमंडल से लगभग एक घंटे धैर्यपूर्वक बात की, उन्होने कहा कि पत्रकारों के उत्पीडन की जो भी घटना उनके संज्ञान में लायी जायेगी उनपर वे तत्परता से कार्यवाही करने के लिये राज्य सरकारों को हिदायत देंगे।

उल्लेखनीय है कि आज पूरे देशभर में आई.एफ.डब्ल्यू.जे. का 68वां स्थापना दिवस मनाया गया। मुख्य समारोह दिल्ली में शहीदी पार्क में आयोजित हुआ जिसमें 200 से अधिक मीडियाकर्मी शामिल हुये। समारोह को वरिष्ठ पत्रकार श्री अरविंद कुमार सिंह, उपाध्यक्ष हेमेंत तिवारी और इंडियन एम्प्लाईज यूनियन के महासचिव श्री सीएस नायडू ने भी संबोधित किया। 

IFWJ Celebrates Its 68th Foundation Day


New Delhi, 28 October: Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) vowed today to fight for bringing about the comprehensive amendment to the Working Journalists Act, 1955, protection of journalists, constitution of new Wage Board and the proper implementation of the Majithia Wage Board. Journalists across the country observed the 68thfoundation day of the IFWJ, which was born on 28thOctober, 1950 under Banyan tree at Jantar Mantar of New Delhi.

The main function was organised at Shahidi Park at the feet of statue of the revolutionaries, where hundreds of media persons assembled to celebrate the foundation day. While addressing the meeting the IFWJ Vice-President Hemant Tiwari exhorted the journalists to unite and fight for their rights. He said the expulsion of the unscrupulous elements the IFWJ has become more vibrant, dynamic and strong. Those, who have been misusing this organisation for their own personal interests have now been thrown out of it. The organisation which was digressed from its main aim of fighting for raising the standards of journalism, economic betterment of the journalists and their protection has now been brought on the rails. Shri Tiwari said that thousands of employees who have been deprived of their wages as per the Majithia Wage Board recommendations would not have to wait long for achieving their dues.

The meeting was addressed among others by veteran journalist Arvind Kumar Singh, who emphasized that the media persons who are fragmented in different camps must be brought under one umbrella to make it a strong and cohesive force. IFWJ’s Secretary General Parmanand Pandey recalled the history of the IFWJ and its contribution for the welfare of journalists. The national Secretary Siddhardh Kalhans said that the journalists of the country need to be congratulated for the remarkable unity that they have exuded achieving the goal.

The working President of the Delhi Union of Working Journalists Alkshendra Singh Negi said that there has never been so urgent need for the union than today when thousands of employees are struggling for the implementation of the Majithia Wage Board.

The General Secretary of Indian Express Employees Union CS Naidu expressed his solidarity with the IFWJ and said that the workers will never lag behind if any struggle is launched for the welfare for the media employees. He said that the organisation must wage struggle for the constitution of new Wage Board.

IFWJ Treasurer Rinku Yadav and its legal advisor Mohan Babu Agarwal, C.K. Pandey and R.B. Tiwari, R.S. Tiwari of the Times of India, Ashok Sharma, Mangat Ram Sharma, Mangal Kumar (Dainik Bhaskar) were among the hundreds of those present on the occasion. The Senior Assistant Editor of the Hindi Tribune Dr. Upendra Pandey presence in the IFWJ’s foundation celebration was noteworthy.

Similar programmes were organised in other states. In Chennai the CUJ President Anbu and IFWJ’s national Secretary K. Asudhulla led the celebration.

In Bhubaneswar and Sambhalpur, the UJA orgarnised a massive celebration function. IFWJ Vice President Bibhuti Bhushan Kar has said that the union will soon submit a charter of demands to the state government. As per the reports All Bihar Press Mens’ Union submitted the memorandum to the state government. In Jaipur the IFWJ Vice President Vashisth Kumar Sharma, senior journalist Ish Madhu Talwar and the Rajasthan Working Journalists Union President Harish Gupta and its General Secretary Sanjeev Pachauri led the grand celebration rally.

In Madhya Pradesh five senior journalists who have once been the office bearers of the IFWJ were hononed in the foundation day celebration. The Vice-President K.M. Jha and Madhya Bharat Working Journalists Union President led the show. Reports are pouring in from other states like Haryana where the celebration function was organised by the National Secretary Randeep Ghangas. In Chhattisgarh Journalists Union President Ishwar Dube exposed the misdeeds of those who have been misusing the organisation for enriching themselves.

In Karnataka the IFWJ’s President B.V. Mallikarjunaiah organised a grand function and he said that his Guru in journalism the late S.V. Jayasheela Rao had inculcated the spirit of honesty and devotion to the cause of the trade unions. He said that the IFWJ will never deviate from its path of struggle and unity for the betterment of journalists.

In Uttar Pradesh foundation day celebration function were organised in the capital town Lucknow and other district headquarters. In Uttarakhand the main function was organised under the leadership of Shankar Dutt Sharma, the state president.

In Assam the function is being organised at many places including the Press Club at Guwahati under the leadership of IFWJ Vice President Keshab Kalita, Secretary Gitika Talukdar and the General Secretary of the AUWJ Tutumoni Phukan.

Siddharth Kalhans
Secretary-IFWJ


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Friday 27 October 2017

मजीठिया: अखबार कर्मियों को दिवाली के बाद छठ का तोहफा

पंकज कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनाया उत्साहजनक आदेश

ट्रांस्फर/टर्मिनेशन के मामले भी छह माह में निपटाने होंगे: सुप्रीम कोर्ट





अखबार मालिकों के सताए अखबार कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से एक और बड़ी राहत भरी खबर मिली है। माननीय सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस गोगोई और जस्टिस सिन्हा की बैंच ने आज मजीठिया वेजबोर्ड मांगने पर की गई टर्मिनेशन और ट्रांस्फर के मामलों को भी छह माह में निपटाने के आदेश जारी किए हैं। आज दैनिक जागरण गया के कर्मचारी पंकज की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों के खिलाफ लगाई गई अवमानना याचिाकाओं पर 19 जून को दिए गए आने निर्णय के पैरा नंबर 28 में बर्खास्तगी और तबादलों को लेकर दिए गए निर्देशों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17(2) के तहत रेफर किए गए रिकवरी के मामलों में 13 अक्तूबर को दिए गए टाइम बाउंड के आर्डर के साथ अटैच करते हुए इन मामलों की सुनवाई भी छह माह के भीतर ही पूरी करने के निर्देश जारी किए हैं।


ज्ञात रहे कि गया के मजीठिया क्रांतिकारी पंकज कुमार मजीठिया वेजबोर्ड मांगने के चलते तबादले का शिकार हुए थे और उन्होंने पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश रह चुके सेवानिवृत्त जस्टिस नागेंद्र राय के सहयोग से दैनिक जागरण की इस तनाशाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कार्यवाही करने से पल्ला झाड़ लिया था कि ट्रांस्फर व टर्मिनेशन के मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत इतने उच्च स्तर की रिट याचिका में उठाना उचित नहीं है, क्योंकि ये मामले कर्मचारी की सेवा शर्तों से जुड़े होते हैं और इन्हें उचित प्राधिकारी के समक्ष ही उठाया जाना उचित रहेगा।


19 जून की जजमेंट के पैरा 28 का अनुवाद इस प्रकार से है-
"28. जहां तक कि तबादलों/ बर्खास्तगी के मामलों में हस्तक्षेप की मांग करने वाली रिट याचिकाओं के रूप में, जैसा कि मामला हो सकता है, से संबंध है, ऐसा लगता है कि ये संबंधित रिट याचिकाकर्ताओं की सेवा शर्तों से संबंधित है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अत्याधिक विशेषाधिकार रिट क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल इस तरह के सवाल के अधिनिर्णय के लिए करना न केवल अनुचित होगा परंतु ऐसे सवालों को अधिनियम के तहत या कानूनसंगत प्रावधानों(औद्योगिक विवाद अधिनियमए 1947 इत्यादि), जैसा कि मामला हो सकता है, के तहत उपयुक्त प्राधिकारी के समक्ष समाधान के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।"


उधर, माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले 13 अक्तूबर, 2017 को 17(2) के तहत मजीठिया वेजबोर्ड के रिकवरी के मामलों की सुनवाई को श्रम न्यायालयों में रेफ्रेंस प्राप्त होने के छह माह के भीतर प्राथमिकता के तौर पर निपटाने के आदेशों के बाद आज यानि 27 अक्तूबर को अवमानना याचिकाओं पर दिए गए निर्णय के पैरा 28 में उदृत्त ट्रांस्फर और टर्मिनेशन के मामलों को भी इन्हीं आदेशों से जोड़ कर छह माह में ही निपटाने के आदेश जारी करके अखबार मालिकों की लेटलतीफी की रणनीति से परेशान मजीठिया क्रांतिकारियों का उत्साह दोगुना कर दिया है। उनकी पिछले छह वर्षों से चली आ रही यह जंग अब निर्णयक दौर में है।


आज के इस निर्णय के लिए पंकज कुमार को इस मुकाम तक पहुंचने में निशुल्क मदद करने वाले पूर्व जस्टिस एवं अधिवक्ता नागेंद्र राय जी और उनकी टीम बधाई और आभार की पात्र है। उनकी टीम के सह अधिवक्ता मदन तिवारी और शशि शेखर ने पंकज कुमार को काफी हौसला दिया था। पंकज कुमार ने इस निर्णय के बाद खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वे अपने अधिवक्ता पूर्व जस्टिस नागेंद्र राय के आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें बिना किसी फीस के इस मुकाम तक पहुंचने में मदद की। वहीं उनके सह अधिवक्ताओं ने हमेशा उनकी हौसला अफजाई की और दिलासा देते रहे कि यकीन रखें जीत हमेशा सत्य की ही होती है।


उधर, 13 अक्तूबर के निर्णय के लिए मुख्य अवमानना याचिका संख्या 411/2014 के अभिषेक राजा और उनके वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंज़ाल्विस भी उतने ही बधाई और आभार के पात्र हैं, जिन्होंने 19 जून और 13 अक्तूबर के निर्णयों में अहम भूमिका निभाई थी।

-रविंद्र अग्रवाल, वरिष्ठ संवाददाता धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश
9816103265








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मजीठिया: जागरण प्रबंधन के वकील ने कहा, 'फैसले में कर्मचारियों की चिंताओं को दूर किया गया है'  http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_13.html


 

मजीठिया: रिकवरी लगाने वालों के लिए सुरक्षा कवच है 16A http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/16a.html


मजीठिया: बर्खास्‍तगी, तबादले की धमकी से ना डरे, ना दे जबरन इस्‍तीफा http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/05/blog-post_29.html

 

लोकमत प्रबंधन को मात देने वाले महेश साकुरे के पक्ष में आए विभिन्‍न अदालतों के आदेशों को करें डाउनलोड http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post.html


मजीठिया: ठेका कर्मियों को निकालने से बचेंगे अखबार मालिक http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_22.html


मजीठिया: दैनिक जागरण के दो पत्रकारों के तबादले पर रोक

http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/06/blog-post_2.html


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Tuesday 24 October 2017

मजीठिया: 6 माह में करना होगा रिकवरी केस का फैसला: सुप्रीम कोर्ट




नई दिल्ली। अखबार मालिकों के खिलाफ मजीठिया वेजबोर्ड की जंग लड़ रहे पत्रकार और गैर पत्रकार अखबार कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट में एक और बड़ी जीत हासिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश नवीन सिन्हा की खंड पीठ ने वेजबोर्ड के तहत वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17(2)के मामलों को निपटाने के लिए देश भर के लेबर कोर्टों/ट्रिब्यूनलों को श्रम विभाग द्वारा रेफरेंस करके भेजे गए रिकवरी के मामलों को छह माह के भितर प्राथमिकता से निपटाने के आदेश जारी किए हैं। आज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर यह आदेश अपलोड होते ही मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे अखबार कर्मियों में खुशी की लहर दौड़ गई। ज्ञात रहे कि हजारों अखबार कर्मी सात फरवरी 2014 को दिए गए सुप्रीम कार्ट के आदेशों के तहत मजीठिया वेजबोर्ड के तहत एरियर व वेतनमान की जंग लड़ रहे हैं। इनमें से सैकड़ों कर्मी अपनी नौकरी तक खो चुके हैं।

(रविन्द्र अग्रवाल)


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मांगा था मजीठिया का हक इसलिए नहीं छापा निधन का समाचार

जिनके साथ 25 साल गुजारा उनका भी मर गया जमीर

नहीं शामिल हुए अंतिम यात्रा में, यह है सहारा परिवार का सच



वाराणसी,  सहारा समुह के हुक्मरान सुब्रतराय सहारा एक तरफ जहां सहारा को एक कंपनी नहीं बल्की परिवार मानने का दंभ भरते हैं वहीं इसी सहारा समूह के पत्रकार रह चुके एक पत्रकार जयप्रकाश श्रीवास्तव के निधन  की एक लाईन की भी खबर इसलिये राष्टÑीय सहारा अखबार में नहीं लगायी गयी कि जयप्रकाश ने अखबार प्रबंधन से जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपना बकाया मांग लिया था। राष्ट्रीय सहारा के वरिष्ठ पत्रकार श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव का सोमवार को वाराणसी के सिंह मेडिकल एण्ड रिसर्च सेंटर, मलदहिया में निधन हो गया। ६४ वर्षीय श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव मधुमेह एवं हृदय रोग से पीड़ित थे। उनके निधन पर समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन के अजय मुूखर्जी सहित कई पत्रकारों ने शोक जताया है।  स्व॰ जयप्रकाश श्रीवास्तव लम्बे समय से पत्रकारिता से जुड़े रहे।  वे अपने पीछे पत्नी, तीन पुत्रियां और एक पुत्र छोड़ गये हैं।  उनके निधन पर देश भर के मजीठिया क्रांतिकारियों ने शोेक जताया है और साफ कहा है कि इस क्रांतिकारी का बलिदान र्ब्यथ नहीं जाने दिया जायेगा।

जयप्रकाश श्रीवास्तव  कसूर बस इतना था कि उन्होंने मजीठिया के लिए श्रम न्यायालय में केस कर रखा था। नतीजा रहा कि उनके निधन का समाचार नहीं छापा गया। यह कड़वी  हकीकत है सच कहने की हिम्मत का नारा देने वाले राष्ट्रीय सहारा अखबार का। इस अखबार की वाराणसी यूनिट में जयप्रकाश श्रीवास्तव लगभग 25 वर्ष रिपोर्टर रहने के बाद एक वर्ष पहले रिटायर्ड हो गये थे। सोमवार की शाम हार्ट अटैक के चलते उनका निधन हो गया। उनके निधन की जानकारी मिलते ही राष्ट्रीय सहारा में शोक सभा की तैयारी शुरू हुई। फोटो ग्राफर ने जयप्रकाश की फाइल फोटो कम्प्यूटर में खोज कर निकाला ताकि वह उनके निधन के समाचार के साथ प्रकाशित हो सके। निधन का समाचार एक रिपोर्टर ने कम्पोज करना शुरू ही किया कि ऊपर से मौखिक  निर्देश आ गया। बताया गया कि जय प्रकाश ने मजीठिया का हक पाने के लिए लेबर कोर्ट में संस्थान के खिलाफ मुकदमा कर रखा है इसलिए उनके निधन का समाचार राष्ट्रीय सहारा में नहीं छपेगा। यह सूचना मिलते रिपोर्टर ने खबर और फोटोग्राफर ने कम्प्यूटर से जयप्रकाश की फोटो डिलीट कर दी। इतना ही नही इशारों में एक दूसरे को कुछ ऐसे संकेत हुए कि राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार साथी न तो संवेदना व्यक्त करने के लिए जयप्रकाश के घर गये और न ही उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए ( एक स्टाफर और चार पाच स्ट्रींगर को छोड़ कर ) । जयप्रकाश ने लगभग 25 साल राष्ट्रीय सहारा में सेवा की। वह ब्यूरो के स्टाफ थे। उनके साथ ही सहारा में नौकरी शुरू करने वाले लगभग डेढ दर्ज़न कर्मचारी आज भी सहारा की वाराणसी यूनिट में है जिनके साथ जयप्रकाश के घरेलू रिश्ते रहे लेकिन ऐसे लोगों ने भी नौकरी जाने के भय में अपना जमीर गिरवी रख दिया। वे भी संवेदना व्यक्त करने के लिए जयप्रकाश के घर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। सहारा को परिवार बताने वाले सुब्रत राय के इस संस्थान की ओर से एक माला तक नसीब हो सकी जय प्रकाश को।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५


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रविंद्र को नहीं मिल पाया अपनों का कंधा, साथियों का आरोप- HT प्रबंधन के दबाव में पुलिस ने लावारिस के रुप में किया अंतिम संस्‍कार   http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/10/ht.html?m=1



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Sunday 22 October 2017

मजीठिया: केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने मीडिया हाउस से सीधे मांगी एक्शन टेकन रिपोर्ट

मप्र पत्रकार संगठन की शिकायत पर कार्रवाई

केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने मजीठिया वेज बोर्ड के दायरे में आने वाले मीडिया हाउस से मजीठिया वेज बोर्ड के अंतर्गत तय वेतन के आधार पर पी एफ की कटौती के मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में मध्यप्रदेश पत्रकार संगठन ने केंद्रीय श्रम मंत्रालय में शिकायत की थी।

इस शिकायत में संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सुचेन्द्र मिश्रा ने मांग की थी कि 19 जून 2017 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में मजीठिया वेज बोर्ड देने के निर्देश दिए गए थे। इस आधार पर संगठन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने मजीठिया वेज बोर्ड द्वारा निर्धारित वेतन के आधार पर भविष्य निधि की कटौती करने और जुलाई 2010 से बकाया की वसूली करने की मांग की गई थी। इस मामले को श्रम मंत्रालय ने अपनी कंप्लायंस विंग को सौंप दिया है और इस विंग ने सीधे मजीठिया वेज बोर्ड के दायरे में आने वाले मीडिया हाउसेस को नोटिस जारी कर उनसे इस मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट भेजने को कहा है।

भविष्य निधि केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय के अंतर्गत आता है इसके चलते इस मामले में केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्य के श्रम विभागों पर निर्भर नहीं है। वही मजीठिया वेज बोर्ड के अंतर्गत वेतन दिलाने का मामला राज्य के श्रम विभागों के अंतर्गत आता है।

इस तरह से पहली बार मजीठिया मामलों में केंद्रीय श्रम मंत्रालय मीडिया हाउसेस से जवाब तलब करेगा। इसके चलते भविष्य निधि के मामले में कार्रवाई की उम्मीद बंधी है।

(साभर: मजीठिया बिगुल)

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बिहार के श्रम मंत्री बोले- मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा एवं SC के आदेश का होगा अनुपालन

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गया से पंकज कुमार
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बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि पूरे राज्य का 80 प्रतिशत बाल मजदूर अकेले गया जिले में है। श्रम मंत्री ने कहा कि बिहार को बाल मजदूर से मुक्त कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। श्रम मंत्री का दावा है कि राज्य सरकार जस्टिस मजीठिया आयोग की अनुशंसा के आलोक में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को क्रियान्वित कराने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी। मंत्री सिन्हा गया में इस संवाददाता से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को लेकर काफी गंभीर है कि न्यूनतम मजदूरी से कोई वंचित न रहे। चाहे वह कोई मीडियाकर्मी ही क्यों न हों। मंत्री श्सिन्हा ने आगे बताया कि तीन नवंबर को विभाग के सभी वरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर श्रम कानून का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए निर्णय लिया जाएगा। इसके पूर्व मंत्री सिन्हा ने विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। डॉ. अपर्णा, विजय कुमार ‌जुबैर अहमद, डॉ. पराशर सहित कई अधिकारी समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।

शुक्रवार 13 अक्टूबर  को दैनिक जागरण के गया यूनिट के कर्मियों को श्रम कानून के तहत ईपीएफ, ईएसआई सुविधा, सर्विस बुक एवं अन्य सुविधा न दिए जाने के आरोप की जांच करने मगध प्रमंडल के उप श्रमायुक्त डॉ. अपर्णा के नेतृत्व में विभागीय टीम गयी थी। लेकिन जांच टीम के समक्ष कर्मियों को दी जाने वाली सुविधाओं के सम्बन्ध में कोई कागजात उपलब्ध नहीं कराया गया ताकि स्पष्ट हो सके कि कितने कर्मचारी कार्यरत हैं, उनमें कितने का ईपीएफ नम्बर है, कितने कर्मियों को ईएसआई सुविधा प्राप्त है, सर्विस बुक कितनों को कम्पनी ने दे रखा है। मंत्री विजय कुमार सिन्हा से जब पूछा गया कि दैनिक जागरण के गया यूनिट के कितने कर्मचारी को ईपीएफ, ईएसआई सुविधा प्राप्त है, तो मंत्री सिन्हा ने कहा कि वे इस सम्बन्ध में श्रम आयुक्त से बात कर जबाव दे पाएंगे।

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Wednesday 18 October 2017

मजीठिया: पत्रिकाकर्मी सावधान! फंसाने के लिए रचा रहा है षड्यंत्र

पत्रिका प्रबन्धन मजीठिया का केस करने वाले उन कर्मचारियों को फंसाने के लिए षड्यंत्र रच रहा है जो अभी पत्रिका में ही नौकरी कर रहे हैं।

यदि ऐसा नहीं है तो फिर अभी तक केस करने वाले कर्मचारियों के काम में बिना वजह कमियां क्यों निकाली जा रही थी? उनको सस्पेंड करने ट्रांसफर करने की धमकियां क्यों दी जा रही थी?

अचानक ऐसा क्या हो गया कि जिन कर्मचारियों के कार्य में कमियां निकाली जा रही थी उनको पदौन्नति दी जा रही है?
निश्चित तौर पर यह पत्रिका प्रबन्धन की सोची समझी साजिश है जिसमें मजीठिया का केस करने वाले कर्मचारियों को फंसाने( झूठे आरोप लगा कर टर्मिनेट करने) की कुत्सित चाल है।

केस करने वाले कर्मचारियों के साथ ही उनको भी पदोन्नति पत्र दिए जा रहे हैं जिन्होंने केस नहीं किया। और यह सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए किया जा रहा है इसलिए मजीठिया फाइटर्स को इससे सावधान रहने की जरूरत है।

क्योकि अव से पहले पदोन्नति पत्र दिया जाता था तो उसमें पे स्केल की पूरी डिटेल होती थी लेकिन अभी दिए जा रहे प्रमोशन लेटर में वेतनमान का कोई जिक्र नहीं है।


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Tuesday 17 October 2017

रविंद्र को नहीं मिल पाया अपनों का कंधा, साथियों का आरोप- HT प्रबंधन के दबाव में पुलिस ने लावारिस के रुप में किया अंतिम संस्‍कार



नई दिल्‍ली। 13 साल तक न्‍याय के लिए संघर्ष करने के बाद बुधवार की अंधेरी रात में मौत की आगोश में हमेशा-हमेशा के लिए सो जाने वाले हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के कर्मी रविंद्र ठाकुर को ना ही परिजनों का और ना ही अपने संघर्ष के दिनों के साथियों का कंधा मिल पाया। मंगलवार धनतेरस के दिन दिल्‍ली पुलिस ने उसकी पार्थिव देह का अं‍तिम संस्‍कार कर दिया। उसके अंतिम संस्‍कार के समय न तो उसके परिजन मौजूद थे और न ही उसके संस्‍थान के साथी।

रविंद्र ठाकुर के साथियों का आरोप है कि पुलिस ने हिंदुस्‍तान प्रबंधन के दबाव में जानबूझकर ऐसे दिन और समय का चुनाव किया कि जिससे कि हम उसके अंतिम संस्‍कार में पहुंच ही ना सके। उन्‍होंने बताया कि मंगलवार दोपहर को उन्‍हें दिल्‍ली पुलिस की तरफ से फोन आया कि रविंद्र के शव को अंतिम संस्‍कार के लिए सराय काले खां स्थित श्‍मशान घाट ले जाया जा रहा है। ये वो समय था जब वे दिल्‍ली हाईकोर्ट में थे और उनके केस की सुनवाई किसी भी समय शुरु हो सकती थी। जब तक हमारी सूचना पर दूसरे साथी श्‍मशान घाट पहुंचते तब तक पुलिस रविंद्र का अंतिम संस्‍कार करवा कर लौट चुकी थी।

उन्‍होंने बताया कि हम पुलिस से पहले दिन से ही मांग कर रह रहे थे कि यदि रविंद्र के परिजन नहीं मिल पाते हैं तो उसकी पार्थिव देह को हमें सौंप दिया जाए, जिससे उसका अंतिम संस्‍कार हम खुद कर सके। ऐसे में अचानक ऐसे समय में फोन आना जब हम हिंदुस्‍तान प्रबंधन से चल रही न्‍याय की लड़ाई से संबंधित एक केस के सिलसिले में कोर्ट में थे, दाल में कुछ काला है कि ओर संकेत करता है। पुलिस चाहती तो हमें समय रहते सूचित कर सकती थी, जबकि हम लगातार पुलिस के संपर्क में थे। उनका आरोप है कि पुलिस प्रबंधन पर दबाव बनाती तो रविंद्र के हिमाचल प्रदेश स्थित गांव का पता मिल जाता और आज उसके शव का लावारिस के रुप में अंतिम संस्‍कार नहीं होता। उन्‍होंने बताया कि इससे हम सकते में है। हमें ऐसी कतई उम्‍मीद नहीं थी कि बिड़ला जी के आदर्शों पर खड़ा यह मीडिया ग्रुप अपने एक कर्मचारी की मौत के बाद भी उसके परिजनों को उसके अंतिम संस्‍कार से महरुम रखने में अपनी ताकत का बेजा इस्‍तेमाल करेगा।

2004 में रविंद्र ठाकुर को हिंदुस्‍तान टाइम्‍स ने लगभग 400 अन्‍य कर्मियों के साथ निकाल दिया था। कड़कड़डूमा कोर्ट से जीतने के बावजूद भी ये कर्मी अभी तक सड़क पर ही हैं और अपनी वापसी के लिए अभी भी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। रविंद्र कस्‍तूरबा गांधी स्थित हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की बिल्डिंग के बाहर ही रात को सोता था, जहां वह और उसके साथी अपने हक के लिए आंदोलन करते थे। बुधवार रात उसी धरनास्‍थल पर उसका निधन हो गया। समय के थपेड़ों ने रविंद्र को अंर्तमुर्खी बना दिया था। जिस वजह से वह अपने साथियों से अपने परिजनों के बारे में कुछ बात नहीं करता था।
 
(हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के साथियों से मिले तथ्‍यों पर आधारित)
 

रविंद्र से जुड़ी इन खबरों को भी पढ़े-

13 साल से न्‍याय की आस में धरना स्‍थल पर बैठे मीडियाकर्मी ने दमतोड़ा http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/10/13.html?m=1



निष्ठुर प्रबंधन का नहीं पिघला दिल, नहीं दिया मृतक मीडियाकर्मी के परिजनों का पता, अब कौन देगा कंधा... http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/10/blog-post_14.html




Video: https://goo.gl/ckucFy

 


बड़ी खबर: एचटी के 400 लोगों ने मुकदमा जीता, होंगे बहाल, मिलेगा बकाया http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/05/400.html

मजीठिया: श्रम विभाग ने लगायी जागरणकर्मी के ट्रांसफर पर रोक



उत्तर प्रदेश के कानपुर से दैनिक जागरण को एक बड़ा झटका लगा है। कानपुर जहां दैनिक जागरण का मुख्यालय है वहां दैनिक जागरण के मालिकान को ताजा झटका कानपुर श्रम विभाग से मिला है।  वह भी जागरण के एक सेल्समैन ने उसकी स्थिती से उसको अवगत करा दिया है। सहायक श्रम आयुक्त आरपी तिवारी ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप वेतन एवं बकाये की मांग करने वाले दैनिक जागरण कानपुर में कार्यरत सेल्सकर्मचारी रामजी मिश्रा के सिलीगुड़ी स्थानांतरण पर फिलहाल रोक लगा दी है। श्री तिवारी द्वारा जारी आदेश में दैनिक जागरण प्रबंधन की ओर से रामजी मिश्रा का कानपुर कार्यालय से सिलिगुड़ी किए गए तबादले को अनुचित एवं अवैधानिक करार दिया गया है और इस ट्रांसफर पर रोक लगा दी गयी है। रामजी मिश्रा दैनिक जागरण में सेल्समैन के रुप में वर्ष २००० से कार्यरत हैं।

गौरतलब है कि रामजी मिश्रा ने कानपुर श्रम विभाग में दिनांक 18 जुलाई 2017 को जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में  रिकवरी का क्लेम फाइल किया था। जिससे झुब्ध होकर दैनिक जागरण के  प्रबंधक ने दिनांक 24 जुलाई 2017 को रामजी का तबादला सिलीगुड़ी कर दिया था। जिसके बाद रामजी ने तबादला निरस्त किए जाने की गुहार कानपुर श्रम विभाग में लगाई थी। बतातें चलें कि 19 जून  2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से देश के स्वघोषित इस  नंबरवन अखबार के मालिक सकते में आ गए थे। कोर्ट के रुख और भविष्य की अड़चनों को सतही तौर पर ध्यान में रखते हुए मलिकान ने "कमजोर पेड़" काटने की "सुपारी" प्रबंधक अजय सिंह को दे दी थी। जिसके बाद अजय सिंह ने बेहद शातिराना अंदाज में उत्पीड़न करने के बाद 23 लोगों का तबादला कर दिया था। ये फैसला इन्हीं 23 कर्मचारियों में शामिल रामजी मिश्रा के मामले में आया है।  फिलहाल श्रम विभाग द्वारा लगाये गये इस रोक से जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मांगने वाले कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है। देखना है कि इसी तरह दुसरे श्रम विभाग कब पहल करते हैं।  एक बातचीत में रामजी मिश्रा ने कहा कि वे मजीठिया से रिलेटेड किसी भी ग्रूप में शामिल नहीं हैं और मजीठिया वेज बोर्ड की न्यूज सोशल मीडिया पर पढ़कर उन्होने भी क्लेम लगा दिया और उसके बाद उनका कंपनी ने सिलीगुड़ी ट्रांसफर कर दिया था।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
९३२२४११३३५

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Sunday 15 October 2017

मजीठिया: क्लेम करने वालों की जीत तय

एडवोकेट उमेश शर्मा ने टाइमबांउण्ड के निर्णय का किया स्वागत


जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट में देश भर के मीडियाकर्मियों का केस लड़ रहे जाने माने एडवोकेट उमेश शर्मा ने 13 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड मामले को श्रम न्यायालय और कामगार विभाग द्वारा  टाइमबाउंड करने के निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले में क्लेम लगाने वाले मीडियाकर्मियों की जीत तय है।इससे एक बार फिर साबित हो गया है कि जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ उनको ही मिलेगा जो वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (१) के तहत क्लेम लगाएंगे।एडवोकेट उमेश शर्मा ने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट का आदेश साफ संकेत देता है कि मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ पाने का दो रास्ता है या तो मालिक अपने से इसकी शिफारिश लागूं कर दें जो कि असंभव है तो फिर सिर्फ एक रास्ता बचता है और वो है 17 (1) का क्लेम लगाना।उमेश शर्मा ने साफ कहा है कि जो भी मीडियाकर्मी क्लेम लगाएंगे उनकी जीत तय है।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उमेश शर्मा ने कहा कि मैं शुरू से ही इस मामले को टाइमबाउंड कराने और इस बावत एक कमेटी बनाने पर जोर दे दे रहा था। आपको बतादें कि माननीय

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को  जस्टिस माजीठिया वेज बोर्ड  मामले में अहम फैसला सुनाते हुए देश के सभी राज्यों के श्रम विभाग एवं श्रम अदालतों को निर्देश दिया कि वे अखबार कर्मचारियों के मजीठिया संबंधी बकाये सहित सभी मामलों को छह महीने के अंदर निपटाएं।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की पीठ ने ये निर्देश अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता/दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई करते हुए दिए। गौरतलब है कि मजीठिया के अवमानना मामले में 19 जून 2017 के फैसले में इस बात का जिक्र नहीं था जिसे लेकर अभिषेक राजा ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्पष्टीकरण की गुहार लगाई थी। एडवोकेट उमेश शर्मा ने सभी मीडियाकर्मियों से मजीठिया वेज बोर्ड मामले में क्लेम लगाने का निवेदन किया है।


शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट
9322411335

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Saturday 14 October 2017

निष्ठुर प्रबंधन का नहीं पिघला दिल, नहीं दिया मृतक मीडियाकर्मी के परिजनों का पता, अब कौन देगा कंधा...



नई दिल्ली। अपने धरनारत कर्मी की मौत के बाद भी निष्ठुर हिन्दुस्तान प्रबंधन का दिल नहीं पिघला और उसने दिल्ली पुलिस को मृतक रविन्द्र ठाकुर के परिजनों के गांव का पता नहीं दिया। जिससे रविन्द्र को अपनों का कंधा मिलने की उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है।

न्याय के लिए संघर्षरत रविन्द्र के साथियों का आरोप है कि संस्थान के गेट के बाहर ही आंदोलनरत अपने एक कर्मी की मौत से भी प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा और उसने प्रेस परिसर में शुक्रवार को आई दिल्ली पुलिस को रविन्द्र के गांव के पते को मुहैया नहीं कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन के पास रविन्द्र का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध है, उसने जानबूझकर बाराखंभा पुलिस को पता नहीं दिया। उन्होंने बताया कि किसी भी नई भर्ती होने वाले कर्मी का HR पूरा रिकॉर्ड रखता है। उस रिकॉर्ड में कर्मी का स्थायी पता यानि गांव का पता भी सौ प्रतिशत दर्ज किया जाता है। ऐसे में जब रविन्द्र के पिता रंगीला सिंह भी हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार से 1992 में सेवानिवृत्त हुए थे, उनके गांव के पते का ना होने का तर्क बेमानी है। रंगीला सिंह भी इसी संस्थान में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में कार्यरत थे, जबकि रविन्द्र डिस्पैच में।

रविन्द्र के साथियों ने बताया कि वह अपने बारे में किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। बस इतना ही पता है कि वह हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले का रहनेवाला है और उसका घर पंजाब सीमा पर पड़ता है। वह दिल्ली में अपने पिता, भाई-भाभी आदि के साथ 118/1, सराय रोहिल्ला, कच्चा मोतीबाग में रहता था। कई साल पहले उसका परिवार उस मकान को बेचकर कहीं और शिफ्ट हो गया था। रविन्द्र की मौत के बाद जब उनके पड़ोसियों से संपर्क किया तो वे उनके परिजनों के बारे में कुछ भी नहीं बता पाए। उनका कहना था कि वे कहां शिफ्ट हुए उसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। क्योंकि रविन्द्र के परिजनों ने शिफ्ट होने के बाद से आज तक उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। रविन्द्र के संघर्षरत साथियों का कहना है प्रबंधन के असहयोग के चलते कहीं हमारा साथी अंतिम समय में अपने परिजनों के कंधों से महरूम ना हो जाए।

उन्होंने देश के सभी न्यायप्रिय और जागरूक नागरिको से रविन्द्र के परिजनों का पता लगाने के लिए इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर और फारवर्ड करने की अपील की। उनका कहना है कि अखबार कर्मी के दुःखदर्द को कोई भी मीडिया हाउस जगह नहीँ देता, ऐसे में देश की जनता ही उनकी उम्मीद और सहारा है।

यदि किसी को भी रविन्द्र के परिजनों के बारे कुछ भी जानकारी मिले तो उनके इन साथियों को सूचना देने का कष्ट करें...

अखिलेश राय - 9873892581

महेश राय - 9213760508

आरएस नेगी - 9990886337


रविन्द्र से जुड़ी इस खबर को भी पढ़े...

13 साल से न्‍याय की आस में धरना स्‍थल पर बैठे मीडियाकर्मी ने दमतोड़ा  http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/10/13.html?m=1




Friday 13 October 2017

मजीठिया: नवभारत के 47 कर्मचारियों ने लगाया क्लेम

मुंबई। महाराष्ट्र के प्रमुख हिंदी दैनिक नवभारत में माननीय सुप्रीमकोर्ट के 13 अक्टूबर यानि आज के आदेश का असर दिखने लगा है। यहां आज दिनांक 13 अक्टूबर को बांबे यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट संलग्न महाराष्ट्र मीडिया एंप्लाइज यूनियन से जुड़े नवभारत हिंदी दैनिक के 47 कर्मचारियों ने सामूहिक रुप से ठाणे लेबर कमिश्नर कार्यालय में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाये का क्लेम फाइल किया।
इसी बीच खबर आयी कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि छह माह के अंदर श्रम विभाग और श्रम न्यायालय में मजीठिया वेज बोर्ड से संबंधित सभी मामलों का निपटारा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के ताजे आदेश की खबर और ठाणे लेबर कमिश्नर कार्यालय में क्लेम फाइल की खबर मिलते ही नवभारत कर्मियों ने खुशी का इजहार किया और वहीं प्रबंधन की सांस फूलने लगी है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
9322411335
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एचटी बिल्डिंग के सामने सिर्फ एक मीडियाकर्मी नहीं मरा, मर गया लोकतंत्र और मर गए इसके सारे खंभे



शर्म मगर इस देश के मीडिया मालिकों, नेताओं, अफसरों और न्यायाधीशों को बिलकुल नहीं आती... ये जो शख्स लेटा हुआ है.. असल में मरा पड़ा है.. एक मीडियाकर्मी है... एचटी ग्रुप से तेरह साल पहले चार सौ लोग निकाले गए थे... उसमें से एक ये भी है... एचटी के आफिस के सामने तेरह साल से धरना दे रहा था.. मिलता तो खा लेता.. न मिले तो भूखे सो जाता... आसपास के दुकानदारों और कुछ जानने वालों के रहमोकरम पर था.. कोर्ट कचहरी मंत्रालय सरोकार दुकान पुलिस सत्ता मीडिया सब कुछ दिल्ली में है.. पर सब अंधे हैं... सब बेशर्म हैं... आंख पर काला कपड़ा बांधे हैं...

ये शख्स सोया तो सुबह उठ न पाया.. करते रहिए न्याय... बनाते रहिए लोकतंत्र का चोखा... बकते बजाते रहिए सरोकार और संवेदना की पिपहिरी... हम सब के लिए शर्म का दिन है... खासकर मुझे अफसोस है.. अंदर एक हूक सी उठ रही है... क्यों न कभी इनके धरने पर गया... क्यों न कभी इनकी मदद की... ओफ्ह.... शर्मनाक... मुझे खुद पर घिन आ रही है... दूसरों को क्या कहूं... हिमाचल प्रदेश के रवींद्र ठाकुर की ये मौत दरअसल लोकतंत्र की मौत है.. लोकतंत्र के सारे खंभों-स्तंभों की मौत है... किसी से कोई उम्मीद न करने का दौर है...

(यशवंत सिंह/भड़ास)


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Thursday 12 October 2017

मजीठिया पर आज सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को माजीठिया मामले में अहम फैसला सुनाते हुए देश के सभी राज्यों के श्रम विभाग एवं श्रम अदालतों को निर्देश दिया कि वे अखबार कर्मचारियों के मजीठिया संबंधी बकाये सहित सभी मामलों को छह महीने के अंदर निपटाएं।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की पीठ ने ये निर्देश अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता/दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई करते हुए दिए। गौरतलब है कि मजीठिया के अवमानना मामले में 19 जून 2017 के फैसले में इस बात का जिक्र नहीं था जिसे लेकर अभिषेक राजा ने सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्पष्टीकरण की गुहार लगाई थी। हालांकि स्पष्टीकरण की याचिका जुलाई में ही दायर कर दी गई थी मगर इस पर फैसला आज आया जिससे मीडियाकर्मियों में एक बार फिर खुशी की       लहर है।

आप सभी मीडियाकर्मियों से अपील है कि अपना बकाया हासिल करने के लिेए श्रम विभाग में क्लेम जरूर डालें अन्यथा आप इससे वंचित रह सकते हैं। अब अखबार मालिक किसी भी तरह से आनाकानी नहीं कर सकेंगे या फिर या मामले को लंबा नहीं खिच सकेंगे। अगर वे ऐसा करते हैं तो इस बार वे निश्चित रूप से विलफुल डिफेमेशन के दोषी करार दिए जाएंगे।

(साभर: 4पिलर)


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13 साल से न्‍याय की आस में धरना स्‍थल पर बैठे मीडियाकर्मी ने दमतोड़ा



नई दिल्‍ली। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के सामने पिछले 13 साल से न्‍याय की आस में बैठे रविंद्र ठाकुर बृहस्‍पतिवार सुबह धरने स्‍थल पर मृत पाए गए। लगभग 56-57 वर्षीय रविंद्र ठाकुर मूल रुप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। बाराखंभा पुलिस को रविंद्र के परिजनों का इंतजार है, जिससे वह उनके शव का पोस्‍टमार्टम करवा सके। 

हिंदुस्‍तान टाइम्‍स ने 2004 में लगभग 400 कर्मियों को एक झटके में सड़क पर ला कर खड़ा कर दिया था। जिसमें रविंद्र ठाकुर भी शामिल थे। इसके बाद शुरु हुई न्‍याय की जंग में रविंद्र ने अपने कई साथियों को बदहाल हालत में असमय दुनिया छोड़ते हुए देखा। बदहाली के दौर से गुजर रहे इनके कुछ साथियों ने तो खुदकुशी करने जैसे आत्‍मघाती कदम तक उठा लिए। अपने कई साथियों को कंधे देने वाला यह शख्‍स खुद इस तरह इस दुनिया से रुखस्‍त हो जाएगा किसी ने सोचा भी ना था।

रविंद्र ने पिछले 13 सालों में कई उतार-चढ़ाव देखे। कभी किसी कोर्ट से राहत की खबर के बाद चेहरे पर खुशी की लहर, तो कभी प्रबंधन द्वारा स्‍टे ले लेने पर चेहरे पर उपजी निराशा। रविंद्र के लिए तो कस्‍तूबरा गांधी मार्ग में हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के कार्यालय के बाहर स्थित धरना स्‍थल ही जैसे घर बन गया हो। उसके साथियों के अनुसार वह पिछले कई सालों से अपने घर भी नहीं गए थे। वह रात में धरनास्‍थल पर ही सोते थे।

रोजगार का कोई अन्‍य साधन न होने की वजह से वह अपने साथियों व आसपास स्थित दुकानदारों पर निर्भर थे। कभी मिला तो खा लिया, नहीं मिला तो भूखे ही सो गए। इस फाकामस्‍ती के दौर में वह जल्‍द-जल्‍द बीमारी की पकड़ में भी आने लगे थे। परंतु उन्‍होंने कभी धरनास्‍थल नहीं छोड़ा। पिछले 13 साल से धरने स्‍थल पर रहने वाले रविंद्र ठाकुर की मौत की खबर पाकर वहां पहुंचे साथियों को उनके परिजनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बस वे इतना ही जानते हैं कि उसका घर हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर कहीं स्थित है।

अपने कई साथियों को कंधे देने वाले इस शख्‍स की आत्‍मा को आज खुद अपनी पार्थिव देह के अंतिम संस्‍कार के लिए अपने परिजनों के कंधे की तलाश है। इस खबर को पढ़ने वालों से अनुरोध है कि वह इसको शेयर या फारवर्ड जरुर करें, जिससे असमय काल के गाल में गए जुझारु रविंद्र ठाकुर को उनकी अंतिम यात्रा में उनके परिजनों का कंधा मिल सके। भगवान उनकी आत्‍मा का शांति दे एवं हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के निष्‍ठुर हो चुके प्रबंधन को सद्बुद्वि दे कि वह अपने इन कर्मियों की सुधि ले और उनके साथ न्‍याय करे।

(हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के साथियों से मिले तथ्‍यों पर आधारित) 

Video: https://goo.gl/ckucFy

 


बड़ी खबर: एचटी के 400 लोगों ने मुकदमा जीता, होंगे बहाल, मिलेगा बकाया http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/05/400.html

Tuesday 10 October 2017

मजीठिया: जाट की जीत से पत्रिका प्रबन्धन में जबरदस्त बौखलाहट, CCTV से रखी जा रही नजर

पत्रिका ग्वालियर के जितेंद्र जाट की शानदार जीत पत्रिका प्रबन्धन को हजम नहीं हो रही, इसीलिए जाट को जिस जगह बैठाया गया है उस जगह पर ख़ास तौर से CCTV कैमरा लगाया गया है ताकि यह देखा जा सके कि जाट से कौन कौन कर्मचारी बात कर रहा है? और जाट से बात करने वाले कर्मचारी को सजा दी जा सके। साथ ही जाट के CCTV रेंज से बाहर जाते ही फोन कर पूछा जाता है कि जाट इस समय कहाँ पर है? कहीं कर्मचारियों से बात कर उनको मजीठिया क्लेम के लिए तैयार तो नहीं कर रहा?

इस तरह की तमाम आशंकाओं के डर से जाट पर पत्रिका के हैड ऑफिस जयपुर और ग्वालियर से दोहरी नजर रखी जा रही है। वहीँ दूसरी तरफ भोपाल के साथियों का केस भी फैसले के नजदीक है जिसमें पत्रिका प्रबन्धन को 100 प्रतिशत आशंका है कि भोपाल से भी 440 वोल्ट का झटका लगने वाला है इसीलिए भोपाल लेबर कोर्ट में न तो पत्रिका के लीगल मामले देखने वाला उपस्थित हो रहा और ना ही पत्रिका का वकील यह कह रहा कि जवाब जयपुर से आएगा।
वर्ना अभी तक पत्रिका का वकील जयपुर से मिले दिशानिर्देश के अनुसार ही काम किया करता था लेकिन अब वकील अपने हिसाब से ही कोर्ट की कार्यवाही निबटा रहा है।
इससे साफ़ तौर पर पत्रिका प्रबन्धन की घबराहट नजर आ रही है।

जाट की जीत से पहले तक अपने आपको चाणक्य मानने वाले पत्रिका के आला अधिकारियों ने अपने मालिकों को आश्वस्त किया हुआ था कि आप चिंता मत करो हम बैठे हुए हैं हम कर्मचारियों को जीतने नहीं देंगे लेकिन हुआ उलटा ही। जिससे पत्रिका के मालिक चिढ गए उन चाणक्यों पर, और इसी वजह से आला अधिकारियों का फ्यूज उड़ गया। अब उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा कि क्या किया जाये?

इसे भी पढ़े…

मजीठिया: पत्रिका को मुंह की खानी पड़ी, जाट आज करेगा जॉइन http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2017/10/blog-post_4.html?m=1


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Wednesday 4 October 2017

मजीठिया: पत्रिका को मुंह की खानी पड़ी, जाट आज करेगा जॉइन

पत्रिका ग्वालियर से मजीठिया के लड़ाके जितेंद्र जाट को पत्रिका प्रबन्धन ने द्वेषवश टर्मिनेट कर दिया था। जाट ने इस टर्मिनेशन को ग्वालियर लेबरकोर्ट में चुनौती दी। लगभग 6 माह इस मामले की सुनवाई चली जिसमें पत्रिका प्रबन्धन ने झूठ छल प्रपंच का जमकर सहारा लिया लेकिन पत्रिका प्रबन्धन को मुंह की खानी पड़ी और लेबर कोर्ट ने जितेंद्र जाट के टर्मिनेशन को अवैध करार देते हुए जाट को नौकरी पर बहाल करने के आदेश कर दिए। पत्रिका प्रबन्धन ने लेबर कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

हाई कोर्ट में जितेंद्र जाट की तरफ से आवेदन दिया गया कि मामले की सुनवाई से पहले 17 ख का पालन करवाया जाए जिसको हाईकोर्ट ने स्वीकृति देते हुए पत्रिका प्रबन्धन को आदेश दिया कि जितेंद्र जाट को नौकरी पर बहाल किया जाय फिर मामले की सुनवाई शुरू होगी।

इस पर पत्रिका प्रबन्धन की हवा निकल गई और खिसियाते हुए कोर्ट की अवमानना के डर से जाट को जॉइनिंग लेटर देना पड़ा। लेटर मिलने के बाद जाट आज जॉइन करेंगे। वहीँ दूसरी तरफ पत्रिका भोपाल के 6 कर्मचारियों के ट्रांसफर का केस और 3 कर्मचारियों का टर्मिनेशन केस भी भोपाल लेबर कोर्ट में निर्णय के करीब है।

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Tuesday 3 October 2017

नवभारत के निदेशक के खिलाफ ड्राइवर ने कराया मामला दर्ज

महाराष्ट्र के नई मुम्बई से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां  नवभारत अखबार के निदेशक के खिलाफ उन्ही के ड्राइवर द्वारा दलित उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने की सूचना सामने आई है ।

सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र मीडिया एंप्लाइज यूनियन नवभारत इकाई सदस्यों द्वारा विजयादशमी के दिन गेट मीटिंग में शामिल नवभारत के निदेशक डी वी शर्मा के ड्राइवर रमाकांत को शर्मा द्वारा दलित विरोधी गाली देते हुए कंपनी से निकाल दिया गया। रमाकांत ने  दिनांक 3 अक्टूबर को शाम 4:00 बजे सानपाड़ा पुलिस स्टेशन में शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस अधिकारी काकड़े ने  शर्मा को फोन कर बुलाया तो शर्मा ने शाम 7:00 बजे आने की बात कही, लेकिन वे पुलिस स्टेशन  नही पहुंचे। शर्मा ने नवभारत के एक और कर्मचारी संतोष जयसवाल को भी गाली देते हुए कंपनी से निकाल देने की धमकी दी है। इसके बाद संतोष जायसवाल ने भी सानपाड़ा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया । ये दोनों कर्मचारी मजीठिया की मांग को लेकर और स्थाई करने की मांग को लेकर यूनियन से जुड़े हुए हैं, लेकिन शर्मा को इन दोनों का यूनियन से जुड़ना नागवार गुजरा। इसलिए शर्मा ने दोनों को बुलाकर यूनियन से  बाहर निकलने की बात की और ना निकलने पर दलित शब्द का उपयोग करते हुए गालियां दी तथा कंपनी से निकालने की धमकी दी ।रमाकांत ड्राइवर को कल  बाहर निकाल भी दिया गया। शर्मा की इस कार्यवाही से आहत ड्राइवर रमाकांत ने सानपाड़ा पुलिस स्टेशन मैं मामला दर्ज कराया है। पुलिस फिलहाल पूरे मामले की छानबीन कर रही है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्सपर्ट
9322411335

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