Thursday 29 December 2016

मजीठिया मांगने के बाद हुआ है ट्रांसफर तो मीडियाकर्मी इस मेल पर सूचित करें

मजीठिया मांगने के बाद हुआ है ट्रांसफर तो मीडियाकर्मी इस मेल पर सूचित करें
देश भर के मीडियाकर्मियों के लिए एक और अच्छी खबर आई है। जिन मीडिया कर्मियों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत माननीय सुप्रीमकोर्ट में या देश के किसी भी कामगार न्यायालय अथवा कामगार आयुक्त कार्यालय में अपना क्लेम, मुकदमा या लिखित सूचना दिया है और लिखित सूचना देने, क्लेम लगाने या मुकदमा करने के बाद अखबार मालिकों ने उनका ट्रांसफर, टर्मिनेशन या सस्पेंशन किया है तो ऐसे सभी मीडियाकर्मी अपना नाम, पोस्ट, अखबार का नाम, अखबार की कंपनी का नॉम, क्लेम करने की तिथि या मुकदमा करने की तिथि, कहां से कहां ट्रांसफर किया गया और किस तारीख को ट्रांसफर या टर्मिनेशन या सस्पेंशन किया गया का पूरा विवरण जल्द से जल्द दें.

इस मुद्दे को माननीय सुप्रीमकोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा. मीडियाकर्मियों को ये पता होगा कि गलत तरीके से किये गये एक ट्रांसफर के मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने प्रभात खबर के बिहार के आरा के ब्यूरोचीफ मिथलेश को स्टे दे दिया है. अगर आपके किसी परिचित का मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन और एरियर मांगने पर ट्रांसफर टर्मिनेशन हुआ है तो उनको भी इस बात की जानकारी दें. आप पूरा विवरण shashikantsingh2@gmail.com और ssaini1970@gmail.com पर भेज दें.
कोई दिक्कत हो तो 9672868980 या 9322411335 पर काल कर सकते हैं.


शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट, मुंबई
9322411335





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Saturday 24 December 2016

मजीठिया: प्रभात खबर के आरा ब्यूरो चीफ के तबादले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक


         
देश भर के मीडियाकर्मियों में खुशी की लहर एडवोकेट उमेश शर्मा ने भी सुप्रीमकोर्ट के इस कदम का किया स्वागत

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की लड़ाई लड़ रहे देश भर के मीडियाकर्मियों के पक्ष में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने एक और बड़ा कदम उठाया है। प्रबंधन के खिलाफ जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे प्रभातखबर के झारखंड के रांचि के व्यूरोचीफ मिथिलेश कुमार का प्रबंधन ने तबादला कर दिया तो मिथिलेश कुमार ने सीधे सुप्रीमकोर्ट में अपने एडवोकेट दिनेश तिवारी के जरिये गुहार लगा दी। इस मामले में मजीठिया वेज बोर्ड की सुनवाई कर रहे सुप्रीमकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश रंजन गोगोई और नागेश्वर राव की खंड पीठ ने मिथिलेश कुमार के पक्ष में कदम उठाते हुये उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दिया। आपको बतादें कि रंजन गोगोई जी ही जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अवमानना मामने की सुनवाई कर रहे हैं।   अवमानना मामले की भी स्टेआर्डर में चर्चा  है। इस स्टे के बाद से ना सिर्फ प्रभातखबर बल्की सभी अखबारों के पत्रकारों के चेहरे खिल गये हैं। प्रभात खबर के आरा ब्यूरो चीफ मिथिलेश कुमार का तबादला प्रभात खबर के चीफ ह्यूमन रिसोर्स आफिसर्स श्री अंजय शर्मा द्वारा चाईबासा कर दिया गया था। मिथिलेश कुमार ने तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने उनके तबादले पर स्थगन आदेश जारी करते हुए नयी जिम्मेदारी सौंपने पर रोक लगा दी। साथ ही मिथिलेश कुमार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट पीटिशन को अन्य कर्मचारियों के मामले के साथ शामिल करते हुए निर्धारित 10 जनवरी 2017 को सुनवाई की जाएगी। उधर इस मामले में देश भर के पत्रकारों के पक्ष में जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है कि इस फैसले से देश भर के उन सभी मीडियाकर्मियो को फायदा होगा जिनको मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मांगने और क्लेम करने के कारण प्रबंधन अपना निशाना बनाकर ट्रांसफर कर रहा है। उमेश शर्मा ने कहा है कि वे इस मामले का फैक्ट क्या है अभी वे देख रहे हैं। लेकिन वाकई ये सुप्रीमकोर्ट का बहुत बढिया कदम है और इससे अखबार मालिक अपनी मनमानी बंद करेंगे। 


शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट
9322411335





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Wednesday 21 December 2016

मजीठिया: नोएडा डीएलसी में रिकवरी लगाने वाले साथी लापरवाही बरत अपना ही कर रहे नुकसान

नोएडा डीएलसी में रिकवरी लगाने वाले बहुत से साथी लापरवाही बरत कर अपना ही नुकसान कर रहे हैं। इनमें से कई साथियों को बार-बार सूचित किए जाने पर भी वे अपनी डेट पर नहीं पहुंचते और जिससे उनकी लगातार अनुपस्थिति दर्ज हो रही है और प्रबंधन की उपस्थिति। यदि वे इसी तरह अनुपस्थिति रहे तो नुकसान उनका ही होगा। इनमें से कई कर्मियों की रिकवरी का रिज्वाइंडर दो डेट पहले ही प्रबंधन ने दाखिल कर दिया है और वह डीएलसी में उनकी ही फाइल में लगा हुआ है। कम से कम वे उसे लेकर उसका जवाब तो दे दें। जिससे कार्रवाई आगे चल सके।

इनमें से दो महिला सहकर्मियों ने सितंबर की शुरुआत में ही क्‍लेम लगा दिया था, परंतु उनकी फाइल कहां है या उसका डायरी नंबर क्‍या है उसका कहीं कुछ पता नहीं। तीन महीने बीतने के बाद भी इन दोनों सहयोगियों ने डीएलसी में झांका तक नहीं। जबकि इन्‍हीं की एक सहयोगी ने इनके साथ ही उसी डेट में क्‍लेम लगाया था, उसकी तो कई डेट भी लग चुकी हैं। इनके अलावा कई साथियों ने रिकवरी की कॉपी प्रबंधन को नहीं दी है। प्रबंधन हर डेट पर कॉपी मांगता है, जो कि उनको मिलती ही नहीं, क्‍योंकि हमारे साथी ही अनुपस्थिति रहते हैं। 

सहायक श्रम आयुक्‍त एनके शुक्‍ल के यहां जागरण व अन्‍य समाचार पत्रों के जिन कर्मियों की डेट 14 दिसंबर थी अब 23 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से हो गई है। ऐसा बताया जा रहा है शुक्‍ल के यहां अब मजीठिया से जुड़े सभी साथियों के केस एक साथ एक ही डेट और समय (दोपहर 12 बजे) पर चलेंगे।

वहीं, दूसरे सहायक श्रम आयुक्‍त हरीशचंद्र (शायद यही नाम है) के यहां जिन साथियों की डेट 15 दिसंबर थी, अब 4 जनवरी 2017 हो गई है।

नोएडा डीएलसी में कुछ साथियों को अपनी रिकवरी का डायरी नंबर और सुनवाई की डेट पता करने के लिए भी काफी जद़दोजहद करनी पड़ी थी। आप समझ सकते हैं इसका कहीं न कहीं फायदा प्रबंधन को ही मिलता है, इसीलिए लापरवाही न बरते और अपने केस को खुद कमजोर न करें। जिन्‍होंने रिकवरी की कॉपी प्रबंधन को नहीं दी है वे अपनी सुनवाई की डेट में उसको लेकर आएं।

(एक पत्रकार साथी से प्राप्‍त तथ्‍यों पर आधारित)





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