Sunday 31 January 2021

डीएनई की लड़ाई रंग लाई, भास्कर ग्रुप को 3 करोड़ रुपये 15 दिन में जमा करने के निर्देश


file photo source: social media


जोखिम उठाकर और जान की परवाह न कर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के अधिकार के तहत मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने वाले और डीबी कॉर्प के महाराष्ट्र से प्रकाशित मराठी दैनिक दिव्य मराठी को माननीय कामगार न्यायालय में सन 2019 में हराने वाले मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले की मेहनत एक बार फिर रंग लाई है। अब पीएफ कार्यालय ने दैनिक दिव्य मराठी प्रबंधन को लगभग 3 करोड़ 7 लाख 34 हजार 168 रुपये के बकाए का 15 दिनों में भुगतान का आदेश दिया है।


 

डेप्युटी न्यूज एडिटर सुधीर जगदाले ने वर्ष 2017 को इस बावत एक शिकायत केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय (पीएफ ऑफिस ) को किया था। इसके बाद इस शिकायत पर 7-A की जांच के बाद यह आदेश हाल ही में दिया गया।


नियमानुसार पीएफ की कटौती ना होने की शिकायत दैनिक दिव्य मराठी के डेप्युटी न्यूज एडिटर सुधीर जगदाले ने 13 अगस्त 2017 को औरंगाबाद के केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय में किया था।


इस शिकायत के बाद माननीय भविष्य निधि आयुक्त ने 7 -A के तहत जांच शुरू की। जांच के दौरान मजीठिया क्रांतिकारी सूरज जोशी और विजय वानखेड़े ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस लड़ाई को सुधीर जगदाले के साथ मिलकर अंजाम तक पहुंचाया।


पत्रकारों और गैरपत्रकारों की सेलरी स्लीप पर बेसिक एचआरए, कन्वेन्स एलाउन्स, मेडिकल एलाउन्स, एज्युकेशन एलाउन्स, स्पेशल एलाउन्स आदि कंपोनेंट हैं। डीबी कॉर्प ने सिर्फ बेसिक पर 12 प्रतिशत पीएफ कटौती किया था। नियमानुसार स्पेशल एलाउंस पर भी 12 प्रतिशत पीएफ कटौती होना चाहिए था।


इस संदर्भ में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने CIVIL APEAL NO(s). 6221 OF 2011 (THE REGIONAL PROVIDENT FUND COMMISIONER (II) WEST BENGAL VERSU VIVEKANANDA VIDYAMANDIR AND OTHERS) इस प्रकरण के द्वारा दि. 28 फरवरी 2019 को लैंडमार्क जजमेंट दिया था।


स्पेशल एलाउन्स बेसिक का पार्ट है, ऐसा इस आदेश में कहा गया था जबकि दिव्य मराठी प्रबंधन स्पेशल एलाउन्स पर 12 प्रतिशत पीएफ कटौती नहीं कर रहा था।


इस बात की जानकारी 7-A की जांच के दरम्यान जांच अधिकारी के सामने आई।


लगभग तीन साल यह जांच चली।


कोरोना काल में इस पर थोड़ा ब्रेक लगा। मगर उसके बाद ऑन लाइन सुनवाई शुरू हुई।


दोनों पक्ष को सुनने के बाद केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने यह आदेश जारी किया।


इस आदेशानुसार अब डीबी कॉर्प के दिव्य मराठी प्रबंधन को 15 दिन में 3 करोड़ 7 लाख 34 हजार 168 रुपए का बकाया जमा करना पड़ेगा।


यह रकम दिव्य मराठी के सभी पत्रकारों और गैर पत्रकारों की है।


सुधीर जगदाले की इस शिकायत की वजह से यह राशि दिव्य मराठी के सभी पत्रकारों और गैर पत्रकारों को मिलेगा। जो कर्मचारी नौकरी छोड़कर गए हैं वे भी इस रकम को प्राप्त करने के पात्र हैं।


तीन साल तक चली यह लड़ाई 13 अगस्त 2017 को सुधीर जगदाले द्वारा की गई एक शिकायत से शुरू हुई और अंजाम तक इसे सूरज जोशी और विजय वानखेड़े ने सुधीर जगदाले के साथ मिलकर पहुंचाई।

 

इस दौरान अनेक साथियों ने ईमेल के जरिये भी शिकायत की। मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले की इस पहल पर यह कहावत सही साबित होता है हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया।


शशिकान्त सिंह

पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी

मुंबई

9322411335

Friday 29 January 2021

मजीठियाः जागरण प्रबंधन को 22वां झटका, फिर दो साथियों ने जीता मजीठिया का केस


इंदौर नई दुनिया के जागरण प्रबंधन को मजीठिया मामले में 22वीं पराजय हाथ लगी है। बृहस्पतिवार को मजीठिया बकाया वेतन मामले के दो प्रकरणों में माननीय श्रम न्यायालय ने रितेश योगी और मुकेश वर्मा के पक्ष में अवार्ड पारित किया।

वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि बृहस्पतिवार को नई दुनिया के सर्कुलेशन विभाग में कार्यरत रितेश योगी के पक्ष में माननीय श्रम न्यायालय के विव्दान न्यायाधीश ने 11-11-2021 से दिसंबर 2014 तक के मजीठिया बकाया वेतन की राशि 5,04,758 तथा 2008 से अक्टूबर 2011 तक की अंतरिम राशि 42,000 इस प्रकार कुल 546758 रुपए का अवार्ड पारित किया।

वाडिया ने बताया कि एक अन्य प्रकरण में नई दुनिया के स्टोर विभाग में सुपर वाइजर के पद पर कार्यरत मुकेश वर्मा के पक्ष में माननीय श्रम न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए 11-11-2011 से सितंबर 2016 के मजीठिया बकाया वेतन 4,22,065 रुपये तथा 2010 से अक्टूबर 2011 तक की अंतरिम राहत राशि 43,840 रुपये यानि कुल 465905 लाख रुपये का अवार्ड पारित किया।

वाडिया ने बताया कि मुकेश वर्मा को सितंबर में 2020 में 58 वर्ष में अनिवार्य रिटायरमेंट कर दिया है, जो गैर कानूनी है, क्योंकि 60 वर्ष से पूर्व रिटायरमेंट नहीं किया जा सकता है अतः मुकेश वर्मा का 2 वर्ष की सेवानिवृत्ति का केस दर्ज करवाकर दो वर्ष का मजीठिया का बकाया वेतन तथा 2 वर्ष की सेवाओं का की राशि मांगने के लिए प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। 

इंदौर में मजीठिया के लगातार 22 केस में विजयश्री प्राप्त करने वाले सूरज आर वाडियाजी ने अपने नाम रिकार्ड बनाया है।

मजीठियाः डेढ़ माह में जागरण को 20वां झटका, प्रकाश परमार के पक्ष में अवार्ड पारित


सूरज आर. वाडिया ने बनाया रिकार्ड

मजीठिया मामले में श्रम न्यायालय इंदौर ने जागरण ग्रुप को 20वां झटका देते हुए नई दुनिया के प्रकाश परमार के पक्ष में 957569 रुपये का अवार्ड पारित किया है। सूरज आर. वाडिया ने मात्र डेढ़ माह में 20 केस मजीठिया मामले में जीतकर अपने नाम रिकार्ड स्थापित किया है।


वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि इंदौर नई दुनिया में कार्यरत प्रकाश परमार के पक्ष में इंदौर श्रम न्यायालय के विव्दान न्यायाधीश रमाकांत भारके ने 25 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया है। इस अवार्ड में 11-11-2011 से नवंबर 2016 तक तक मजीठिया के बकाया वेतन की अंतर राशि 9,34,769 रुपये तथा अप्रैल 2010 से अक्टूबर 2011 तक अंतरिम राहत राशि 22,800 रुपये देने के निर्देश दिए हैं। 


माननीय जज व वकील दोनों ने किया रिकार्ड स्थापित

कानूनविदों का कहना है कि मात्र डेढ़ माह में 20 से अधिक मजीठिया मामले में अवार्ड पारित कर माननीय श्रम न्यायालय के विव्दान न्यायाधीश रमाकांत भाकरे ने एक रिकार्ड बनाया है। अभी तक मध्यप्रदेश में 20 से अधिक मजीठिया के मामले का डेढ़ माह में निराकरण नहीं हुआ है। इस मामले में वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया के नाम भी एक रिकार्ड मध्यप्रदेश में बना है। श्री वाडिया ऐसे अभिभाषक बन गए हैं, जिन्होंने मात्र डेढ़ माह में 20 से अधिक मजीठिया के केस में विजय प्राप्त की है। अभी तक प्रदेश में किसी भी वरिष्ठ अभिभाषक ने मजीठिया मामले में डेढ़ माह में 20 से अधिक विजय प्राप्त करने का रिकार्ड नहीं है।


सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने श्रम न्यायालय में जिस तरह से बहस और अपना पक्ष रखकर विरोधी पक्ष के वकीलों की लेतलतीफी के खिलाफ आपत्तियां दर्ज कर मजीठिया मामले में विलंब को रोका है उससे निश्चित ही इंदौर श्रम न्यायालय में उनकी एक अलग ही छवि बनी है। 


Sunday 24 January 2021

मजीठिया: जागरण को 19वां झटका, अशोक पाटीदार के पक्ष में अवार्ड पारित


जागरण ग्रुप के इंदौर नईदुनिया को मजीठिया मामले में 19वां झटका लगा है। इस बार माननीय लेबर कोर्ट ने नई दुनिया के प्लांट पर कार्यरत अशोक पाटीदार के पक्ष ने अवार्ड पारित किया है।


वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर वाडिया ने बताया कि नई दुनिया के इंदौर प्लांट पर 2008 कार्यरत  अशोक पाटीदार मशीन विभाग में इलेक्ट्रिशियन के पद पर कार्यरत हैं के पक्ष में माननीय कोर्ट ने नवम्बर 2011 से दिसंबर 2016 तक का मजीठिया वेतन अंतर राशि 910005 एवं 2009 से 2011 तक का 28620 की अंतरिम राहत राशि का अवार्ड पारित किया है।


माननीय कोर्ट ने आगे भी जनवरी  2017 से मजीठिया वेज बोर्ड की अनुसंशा अनुसार वेतन देने के आदेश आदेश देने के साथ ही उसमे दिया गया वेतन समायोजित करने के आदेश भी दिए है।


नए श्रम कानूनों के विरोध में कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा


भोपाल। केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न श्रम कानूनों का एकीकरण कर श्रम न्यायालयों के अस्तित्व को समाप्त किये जाने के प्रयास के विरोध में प्रदेश के कई कर्मचारी संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन मध्यप्रदेश के राज्यपाल को सौंपा। जिसमें इन श्रमिक विरोधी कानूनों का पुरजोर विरोध करते हुए इन्हें निरस्त किये जाने की मांग की गई है। इसके पूर्व मध्यप्रदेश लेबर बार एसोसिएशन के आह्वान पर विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने औद्योगिक एवं श्रम न्यायालय प्रकोष्ठ बार एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष एडवोकेट जी.के.छिब्बर की अध्यक्षता में लिंक रोड नं.1 स्थित चिनार पार्क में बैठक आयोजित कर नये श्रम कानूनों से श्रमिकों व कर्मचारियों को होने वाले नुकसान के संबंध में विचार-विमर्श किया।


यहाँ केन्द्र सरकार द्वारा थोपे जा रहे श्रम विरोधी कानूनों को लागू नहीं किये जाने के सम्बंध में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में सभी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इन कानूनों के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा। इसी के तहत आज बैठक में उपस्थित विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने राजभवन पहुंचकर कई हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति के नाम मध्यप्रदेश की राज्यपाल को सौंपा। 


गुरुवार की बैठक में औद्योगिक एवं श्रम न्यायालय प्रकोष्ठ बार एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष एडवोकेट जी.के.छिब्बर के अलावा सचिव एडवोकेट हाशिम अली, म.प्र लेबर बार एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट अशोक श्रीवास्तव ‘रूमी’  रूपसिंह चौहान व एस.एस. मौर्या (एटक), एम.एल शाक्या, विद्युत मण्डल आरक्षित वर्ग अधिकारी कर्मचारी संघ, मप्र सेमी गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन एवं सड़क परिवहन निगम कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष श्याम सुंदर शर्मा, प्रदेश महामंत्री अनिल वाजपेयी, संभागाध्यक्ष अभिलाष जैन, जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल कर्मचारी यूनियन की राजेश्वरी उपाध्याय, स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एमपी के अध्यक्ष मयंक जैन के अलावा विभिन्न ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।


प्रस्तावित आंदोलन के लिए एक संयुक्त मोर्चा का गठन भी किया गया है, जिसमें सभी ट्रेड यूनियन से जुड़े प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। उल्लेखनीय है कि म.प्र.लेबर बार एसोसिएशन के आह्वान पर गुरुवार को प्रदेशभर में कर्मचारी संगठनों द्वारा नये श्रम कानूनों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इंदौर में एटक द्वारा जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया गया।


Friday 22 January 2021

मप्र की शिवराज सरकार ने कोर्ट आर्डर के बाद मजीठिया वेतनमान की वसूली से किए हाथ खड़े


ग्वालियर। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान भूमाफियों और अपराधियों पर कार्रवाई की भले ही डींगे हांकते हो लेकिन पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लागू मजीठिया वेतनमान की वसूली करने में हाथ खड़े कर दिए हैं। ताजा मामला जागरण के नईदुनिया अखबार से जुड़ा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ग्वालियर श्रम न्यायालय क्रमांक 01 में कर्मचारियों के प्रकरण में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में अवार्ड पारित कर वेतन अंतर की राशि की वसूली के लिए प्रकरण राज्य शासन को भेज दिया। 

वसूली का मामला एक साल से ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के यहां लम्बित है। कलेक्टर ने वसूली की जिम्मेदारी तहसीलदार को दी थी लेकिन तहसीलदार भी एक साल से वसूली नहीं कर पाए हैं। इस मामले को लेकर जब पीड़ित कर्मचारियों ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की तो यहाँ भी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया गया। कुल मिलाकर सीएम शिवराज सिंह भले ही कितनी डींगे हांक लें, लेकिन शासन, प्रशासन का अब इतना भी इकबाल नहीं है कि वे अखबार मालिकों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वसूली कर पाए। 


सीएम हेल्पलाइन पर हुई बातचीत का ऑडियो सुनने के लिए यहां क्लिक करें या निम्न path का प्रयोग करेंhttps://bit.ly/363ndu4

https://drive.google.com/file/d/1jUvzd9Ht8PoeUVsy65Hx2dtfZXKUCQgc/view?usp=sharing





जागरण को मजीठिया केस में 18वां झटका, संतोष सचान के पक्ष में 10.57 लाख का अवार्ड पारित



सैलरी स्लिप नहीं होने के बावजूद प्रताड़ित सचान पा गए अंतरिम राहत के 10,57,582 रुपए


श्रम न्यायालय ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक कर्मचारी के पास सैलरी स्लिप नहीं होने के बावजूद उनके अन्य दस्तावेजों के आधार पर उन्हें अंतरिम राहत का हकदार मानते हुए 10,57,582 का अवार्ड पारित किया।


जागरण के नई दुनिया अखबार के कर्मचारियों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर वाडिया ने बताया कि संतोष सचान नई दुनिया में सर्कुलेशन विभाग में कार्यरत थे। उन्हें पिछले कुछ माह पूर्व रिटायरमेंट के पहले नौकरी से निकाल दिया था। इस मामले में मजीठिया का केस दर्ज कराने आने पर उनके पास सैलरी स्लिप नहीं होने से कोई वकील उनका केस हाथ में नहीं लेना चाहता था। ऐसे में मेरे व्दारा उनके ज्वाइनिंग लेटर और अन्य दस्तावेजों के आधार पर मजीठिया का प्रकरण दर्ज करवाया और माननीय न्यायालय ने मेरे तर्कों से सहमत होकर अंतरिम राहत राशि के रूप में 10,57,582 रुपए का अवार्ड पारित किया।


बता दें कि उक्त केस में नई दुनिया (जागरण प्रबंधन) के वकील वरिष्ठ अभिभाषक गिरीश पटवर्धन ने अपने पूरे कानूनी दांव-पेच लगाने के बाद करीब 40 से अधिक पेजों की बहस पेश की थी। इस मामले में वाडिया के तर्कों से सहमत होकर माननीय श्रम न्यायालय इंदौर के विव्दान न्यायाधीश ने संतोष सचान के पक्ष में अंतरिम राहत राशि 10,57,582 रुपए का अवार्ड पारित करते हुए फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि 2008 से 2011 तक के सैलरी दस्तावेश पेश किए जाते हैं तो उक्त राशि की पात्रता पाने के हकदार संतोष सचान होंगे। 


इस तरह से किया था सचान को प्रताड़ित

सूत्र बताते हैं कि  संतोष नईदुनिया इंदौर में रहकर शाजापुर में सर्कुलेशन विभाग में रिकवरी के लिए कार्य करते थे, लेकिन उनके रिटायरमेंट के पूर्व ही उन्हें नौकरी से हटा दिया था। बताते हैं कि रिकवरी का पैसा उगाने वाले कर्मचारियों को TA DA पॉलिसी अनुसार खर्च राशि मिलती है, लेकिन नई दुनिया में बैठे अधिकारियों ने संतोष को TA DA  रिकवरी की राशि कभी पास ही नहीं की। इसके बावजूद  संतोष हर माह अपनी जेब से 8000-10000 तक राशि खर्च कर रिवकरी का पैसा उगाकर लाते थे और नौकरी करते थे। इतना ही नहीं अधिकारी जागरण की "सखी" पत्रिका सेल करने के लिए भी जबरन 25 कापी दे देते थे और उस पर शर्त रहती थी कि कापी बिके या ना बिके 25 कापी के पैसे आपको देना है। इतनी प्रताड़ना सहने वाले संतोष अपना पारिवारिक जीवन काफी कठिनाई में जी रहे थे और अंततः उसका प्रताड़ना का परिणाम यह हुआ कि संतोष ने आज नई दुनिया के खिलाफ 10 लाख से अधिक राशि पाकर संतोष व्यक्त करते हुए ईश्वर के साथ वाडिया और सभी मजीठिया क्रांतिकारियों को बधाई दी।  


यह पास हुआ अवार्ड

माननीय कोर्ट ने संतोष सचान के पक्ष में 2008 से 2011 तक के मजीठिया वेतनमान के अनुसार अंतरिम राहत 1056572 रुपए का अवार्ड पारित किया। इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्षों से लेबर की लड़ाई लड़ रहे एक वरिष्ठ अभिभाषक के सामने सिविल कोर्ट के वाडिया के तर्क भारी पड़े और अंततः सत्य की विजय हुई। इस पूरे प्रकरण में वाडिया की मेहतन को सलाम।


(मप्र से एक साथी की रिपोर्ट के आधार पर)

Sunday 17 January 2021

एक पत्रकार के निधन के बाद उसका परिवार क्यों बदहाल?


-  क्या पत्रकार का ही समाज के प्रति दायित्व है समाज का नहीं?

- सबक भी, जिन नेताओं की चाटुकारिता करते हैं पत्रकार, वो पल में मुंह फेर लेते हैं। 

15 जनवरी। देहरादून के मेहंुवाला के वन विहार स्थित एक मकान। ढाई साल का शिवांश मुझे देखते ही अपनी मां के पल्लू से चिपक गया और रोने लगा। पिछले चार महीने से उसका यही हाल है। वह अजनबी को देखते ही डर जाता है। इस मासूम ने कोरोना को तो मात दे दी लेकिन कोरोना ने उसके पिता आशुतोष और दादी प्रेमा ममगाईं को उससे छीन लिया। पिछले चार महीने से उसे पिता नजर नहीं आता। पहले रट लगाता था पापा-पापा, लेकिन अब इस शब्द से सरोकार नहीं रहा। पापा की सरपरस्ती हटते ही मासूम अजनबियों से डर जाता है और रोने लगता है।


31 अगस्त 2020 वो मनहूस दिन था जब आशुतोष ममगाईं का आकास्मिक निधन हो गया। 33 वर्षीय आशुतोष युवा पत्रकार था और चुनावी बिगुल साप्ताहिक अखबार निकालता था। उसे बुखार था। परिजन समझ नहीं पाये कि वो कोरोना का शिकार है। उसके निधन के पांचवें दिन उसकी मां का कोरोना से निधन हो गया। इसके बाद जांच में आशुतोष के पिता कालिका ममगाईं, पत्नी संतोषी और ढाई साल के बेटे को कोरोना की पुष्टि हुई और एम्स ऋषिकेश में उनका उपचार हो गया।


आशुतोष केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कट्टर समर्थक था। जब निशंक हरिद्वार सांसद थे वो सांसद प्रतिनिधि था। हर समय निशंक के बुलावे या समर्थन में कहीं भी पहुंच जाता। मैंने एक स्टोरी निशंक के गांव पिनानी जाकर की तो वो चिढ़ गया था और मुझसे जबरदस्त झगड़ा भी किया। मगर देखिए, नेता किसका होता है। उसके तो हजारों समर्थक होते हैं। इसी तर्ज पर रमेश पोखरियाल आशुतोष को भुला बैठे। चार महीने तक उसे याद नहीं किया। भीगी पलकों को हाथों से पोंछते पिता कालिका ममगाईं कहते हैं कि निशंक पिछले दिनों घर आए थे सांत्वना देने। कुछ मदद की या वादा किया? इस सवाल पर कालिका ममगाईं सिर इनकार में हिला देते हैं। आशुतोष ममगाईं किसी की मदद के लिए हरसमय तत्पर रहता था। कोरोना काल में उसने सैकड़ों लोगों को भोजन कराने के लिए अन्नपूर्णा अभियान में हिस्सा लिया। रात दिन प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों की सेवा में लगा रहा। शायद यह कोरोना भी उसे वहीं से मिला होगा। किसी ने मदद की? पत्रकारों की संस्था ने डेढृ लाख दिये। जबकि पत्रकार कल्याण कोष से पांच लाख और कोरोना वारियर्स के तौर पर पत्रकारों को भी दस लाख देने की सरकार की घोषणा थी, लेकिन आशुतोष के परिवार को यह मदद नहीं मिली। 


अब पति और सास की आकास्मिक मौत के बाद 27 वर्षीय संतोषी टूट चुकी है। ससुर बताते हैं कि वह गुमसुम रहती है बहुत कम बोलती है। संतोषी एमए पास है लेकिन अब भविष्य अंधकार में है। ससुर कालिका ममगाई सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उन्हें चिन्ता सता रही है कि मेरे बाद मां-बेटे का क्या होगा? 


मेरा सवाल यह है कि पत्रकार समाज के प्रति अपना दायित्व पूरा करने के लिए हरसमय तत्पर रहता है। भले ही आज वह बदनाम है उसे गोदी मीडिया या बिकाऊ कहा जा रहा हो, लेकिन यह भी कड़वी सच्चाई है कि एक पत्रकार चाय की एक प्याली में बिक जाता है। वह आपका हर सुख-दुख सुन लेता है जबकि आपके बच्चे आपकी पांच मिनट भी नहीं सुनते। ऐसे में क्या समाज का दायित्व नहीं कि वो ऐसे पत्रकारों के परिजनों की मदद के लिए आगे आएं?


[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

Thursday 14 January 2021

जागरण ग्रुप को मजीठिया में 16वां झटका, सरक्यूलेशन में कार्यरत दीपक दुग्गड को मिली विजय


इंदौर, 14 जनवरी। मजीठिया मामले में जागरण ग्रुप के इंदौर नई दुनिया को मंगलवार को एक फिर पराजय का मुंह देखना पड़ा। इस बार सरक्यूलेशन में कार्य करने वाले दीपक दुग्गड़ ने विजयश्री प्राप्त की। 

वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि मंगलवार को मजीठिया मामले में माननीय श्रम न्यायालय ने नई दुनिया के सरक्यूलेशन में कार्यरत दीपक दुग्गड के पक्ष वेतन अंतर राशि (नवंबर 11 से सितंबर 2013) तक 3,84,034 रुपये का अवार्ड पारित किया है। यह जागरण ग्रुप के नई दुनिया की मजीठिया के रूप में 16वीं पराजय है।

मजीठिया क्रांतिकारी धर्मेन्द्र हाड़ा ने बताया कि दुग्गड समाजसेवी होकर आज मप्र के जैन ग्रुप के अध्यक्ष है। वे जैन समाज के बच्चों के लिए मैरिज ब्यूरो भी चलाते हैं। नईदुनिया मे रहकर इन्होंने प्रेस का ग्रामीण क्षेत्रों में डूबा पैसा निकलकर नई दुनिया प्रबंधन को लाखों फायदा पहुंचाया था, लेकिन उसके बावजूद नईदुनिया प्रबंधन इनके कार्यो का उचित मूल्य नहीं दे सकीं ना इन्हें समझ सकीं। लेकिन अब मजीठिया वेतनमान ने दुग्गड़ की सेवा को उन्हें इनाम दिया।


अब भी रूको और देखो में लगे वकील

मजीठिया के फैसले नई दुनिया के खिलाफ धड़ाधड़ जा रहे हैं, लेकिन इस मामले में अन्य अखबार के खिलाफ केस लड़ रहे वकील अभी भी रूको और देखो की नीति अपनाएं हुए हैं। मुझे याद है मेरे एक वरिष्ठ साथी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट हम गए हैं तथा सबसे पहले फैसला हमारा आएगा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि अभी तक प्रकरण में बहस तक पेश नहीं हुई। कुल मिलाकर अभिभाषक सूरज आर. वाडिया के अलावा कोई अभिभाषक मजीठिया मामले में गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है, जिससे अन्य प्रकरणों के आने में विलंब हो रहा है।


इसे कहते हैं एकजुटता

साथियों नई दुनिया प्रबंधन द्वारा मजीठिया मामले में हाईकोर्ट में शरण लेने की खबर मिलते ही  मैंने मुंबई, दिल्ली, राजस्थान के वरिष्ठ साथियों को अवगत कराया था। इस पर  मुंबई से वरिष्ठ साथी शशिकांत ने मुझे तुरंत ऐसे दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट के भेजे हैं, जिसमें स्पष्ट है कि मजीठिया मामले में लेबर कोर्ट के फैसले पर स्वयं सुप्रीम कोर्ट दैनिक भास्कर के मामले में स्पष्ट कह चुका है कि वे लेबर कोर्ट के फैसले के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं। अतः पूरा मामले आपके सामने स्पष्ट है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कापी मेरे द्वारा नई दुनिया के मजीठिया क्रांतिकारी धर्मेन्द्र हाडा को दे दी है। 

साथियों कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि आज जहां पत्रकार एक-दूसरे की टांग खींच रहे हैं, तथा कर्मचारी-कर्मचारी को नीचा दिखाने में लगा है ऐसे में मजीठिया केस में दूसरे शहर के साथी कैसे मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। 

(मप्र के एक साथी की रिपोर्ट)

Tuesday 12 January 2021

जागरण को एक ओर झटका, अभय छजलानी को वाहन सुख देने वाले नरेंद्र शर्मा ने पाई विजय


इंदौर, 12 जनवरी। जागरण प्रबंधन के नई दुनिया इंदौर को मजीठिया मामले में झटके पर झटके लग रहे हैं, लेकिन ना प्रबंधन और ना मालिक सुधरने का नाम ले रहे हैं। सोमवार को नई दुनिया में ड्राइवर के पद पर कार्यरत रहे नरेंद्र शर्मा ने मजीठिया में विजय प्राप्त कर अपने बुढ़ापे में नई दुनिया में की गई सेवा का ब्याज प्राप्त किया है।


वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि सोमवार को नरेंद्र शर्मा के पक्ष में माननीय लेबर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वेतन अंतर की राशि 27611 अंतरिम राहत राशि 52650 इस प्रकार कुल 81,261 रुपये का अवार्ड पारित किया है।


आपको बता दें कि यह राशि मात्र 4 माह यानि 2011 से मार्च 2012 तक की है। मात्र 4 माह की राशि प्राप्त कर बुजुर्ग साथी नरेंद्र शर्मा ने अपने बुढ़ापे में नई दुनिया में की गई सेवा का ब्याज वसूला है। वास्तव में इस बुढ़ापे में भी नरेंद्र शर्मा ने जिस साहस से केस लड़़कर विजय प्राप्त की उसके लिए उन्हें सलाम। ऐसे बुजुर्ग से युवा साथियों को सबक लेना चाहिए।


अभय छजलानी के थे ड्राइवर

नरेंद्र शर्मा नई दुनिया में अभय छजलानी के ड्राइवर थे। उन्होंने अभय की खूब सेवा की। यूं कहे कि उन्होंने कभी अभय को जमीन पर पांव रखने नहीं दिए। वे हमेशा उनकी सेवा में तत्पर रहते थे। नरेंद्र शर्मा वरिष्ठ मजीठिया क्रांतिकारी पदम शर्मा के पिता है। उन्होंने मजीठिया का केस स्वयं तो लगाया ही साथ ही अपने पुत्र पदम शर्मा को केस लड़़ने के लिए प्रेरित भी किया। ऐसे पिता को हम प्रमाण करते हैं।


जागरण प्रबंधन नहीं ले रहा सबक

20जे मामले में हाईकोर्ट से मात खा चुका जागरण प्रबंधन अब मजीठिया के केस में भी हाईकोर्ट की शरण में गया है। इस मामले में सभी मजीठिया केस में विजय कर्मचारियों को नोटिस भी भेजे गए हैं। लेकिन सोमवार को एक मामले में जागरण प्रबंधन को कोर्ट ने  दवज चतमेे करना पड़ा। वैसे कानूनविदों का कहना है कि हाईकोर्ट उसी कंडिशन में मजीठिया केस की सुनवाई कर सकता है, जब लेबर कोर्ट में विजयी कर्मचारी को जारी किए अवार्ड की आधी राशि जमा करें। इसके पश्चात ही हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। वैसे इस मामले में वाडिया का साफ कहना है कि हाईकोर्ट में मात खाकर लौटेंगे। माननीय श्रम न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है उस पर माननीय हाईकोर्ट अपनी मोहर लगाएगा और जागरण प्रबंधन को पुनः मुंह की खानी पड़ेगी।

(देखें हाईकोर्ट के नोटिस की कापी)




Saturday 9 January 2021

दैनिक जागरण को मिली 12वीं पराजय, पप्पू जाट ने जीता मजीठिया का केस


जागरण प्रबंधन को देना है एक माह में लगभग 51,90,665 का बकाया 

इंदौर। नई दुनिया (जागरण प्रकाशन लिमिटेड) को मजीठिया वेतनमान के केस में लगातार 12वीं पराजय मिली है। 12वें विजेता  मजीठिया क्रांतिकारी पप्पू जाट रहे हैं। अब तक के 12 मजीठिया प्रकरणों के परिणामों में जागरण प्रबंधन (दैनिक जागरण) के खिलाफ 51,90,665 रुपये के अवार्ड पारित हुए हैं। उक्त राशि एक माह में जमा कराने का कोर्ट का फरमान है। अगर एक माह में राशि जमा नहीं की तो प्रति प्रकरण प्रतिमाह 2000 रुपये के हिसाब से दंड स्वरूप देय होगा।

वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि शुक्रवार को मजीठिया बकाया प्रकरण में नई दुनिया के पप्पू जाट के पक्ष में माननीय न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए आवर्ड पारित किया।

माननीय न्यायालय ने पप्पू जाट को २००८ से २०११ तक का अंतरिम राहत राशि ३५९४०/- एवं २०११ से वेतन अंतर राशि ६,४४,५७७/- कुल 6,80,517/- राशि एक माह मे देने के आदेश पारित किए हैं।  

पप्पू जाट की विजय के साथ ही नई दुनिया (जागरण प्रबंधन) की यह 12वीं मजीठिया केस में पराजय है। 12 प्रकरणों में अब जागरण प्रबंधन पर लगभग 51,90,665 लाख का बकाया वेतन के अवार्ड माननीय न्यायालय द्वारा पारित किए जा चुके हैं। सभी प्रकरणों में बकाया वेतनमान एक माह में जमा नहीं करने पर 2000 रुपये प्रति प्रकरण दंड भी शामिल है। 

आपको बता दें जागरण प्रबंधन के खिलाफ अभी जीतने भी मजीठिया क्रांतिकारियों ने फतह प्राप्त की उनका 1 से 4 वर्ष का बकाया वेतन था। अभी तो बड़े-बड़े प्रकरणों का फैसला आना बाकी है। आपको बता दे इंदौर नई दुनिया के ही करीब 100 अधिक मजीठिया बकाया वेतनमान के प्रकरण माननीय श्रम न्यायालय में चल रहे हैं। 

ये हैं 12  विजेता 

इंदौर। नई दुनिया से संजय हटकर, निशिकांत मंडलोई, विजय चैहान, दिव्या सिंगर, सुरेश चैधरी,  सुरेंद्र सिंह, मुंशीलाल कायत, पद्म शर्मा, दीपक पाठक, हामिद अली, सुभाष चोरमा और पप्पू जाट के पक्ष में अवार्ड पारित हुए हैं। यह अवार्ड मात्र 15 दिनों में माननीय कोर्ट ने पारित किए हैं। इंदौर में मजीठिया की लड़ाई में यह बड़ी सफलता है। 

सन्मार्ग अखबार के मीडियाकर्मियों को 97 लाख रुपये पीएफ का बकाया मिलेगा


पीएफ कमिश्नर ने दिया 15 दिनों में भुगतान का आदेश

जिन मीडिया हॉउस के मालिकों को ये गुमान हो गया है कि वे कानून से बड़े हैं उन्हें धरातल पर आने के लिए सन्मार्ग अखबार प्रबंधन के खिलाफ केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय आयुक्त (पीएफ कमिश्नर) की तरफ से आया ये फैसला पढ़ना चाहिए।


कर्मचारियों का पीएफ न काटे जाने पर केंद्रीय भविष्य निधि कार्यालय ने सन्मार्ग झारखंड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड प्रबंधन के खिलाफ एक आदेश जारी कर 15 दिनों के अंदर कर्मचारियों का बकाया 97 लाख 54 हजार रुपये जमा करने का आदेश जारी किया है।


ये राशि सन्मार्ग के 21 कर्मचारियों का बकाया है।


बताते हैं कि सन्मार्ग के एक कर्मचारी नवल किशोर सिंह ने रांची से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार के प्रबंधन के विरुद्ध भविष्य निधि कार्यालय के क्षेत्रीय कार्यालय रांची में भविष्य निधि नहीं काटे जाने संबंधी शिकायत दर्ज कराते हुए न्याय की गुहार लगाई थी।


इससे पूर्व प्रबंधन ने नवल किशोर सिंह का स्थानांतरण सन्मार्ग के पटना कार्यालय में कर दिया था। उन्होंने काफी अनुरोध किया कि मेरा स्थानांतरण आदेश निरस्त कर मुझे रांची में ही रहने दिया जाए। लेकिन प्रबंधन अपने निर्णय पर अडिग रहा। अंतत: उन्होंने संस्थान से इस्तीफा दे दिया और अपने भविष्य निधि की मांग करते हुए भविष्य निधि कार्यालय में आवेदन दिया।


इस पर तीन साल के बाद 23 दिसंबर 2020 को क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने केस के संबंध में अंतिम निर्णय दिया।


कमिश्नर के आदेश के अनुसार सन्मार्ग प्रबंधन को 97.54 लाख रुपए कर्मियों के बकाया भविष्य निधि राशि के रूप में 15 दिन के अंदर जारी करना है। इसका लाभ संस्थान के 21 कर्मियों को मिलेगा।

आपको बता दें कि सन्मार्ग अखबार के बारे में पहले भी इस बात की चर्चा थी कि इस अखबार का प्रबंधन ज्यादातर कर्मचारियों को मजदूरों की तरह लाइन में लगवाकर उनका मासिक वेतन देता है। इस अखबार में कई कर्मचारियों का पीएफ कटौती भी नहीं होता था। इसकी शिकायत के बाद केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने सुनवाई की और 21 कर्मचारियों का 97.54 लाख रुपये देने का आदेश दिया।

यह आदेश क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सी एण्ड आर) श्री विकास आनंद ने देते हुए सन्मार्ग प्रबंधन को यह भी कहा है कि अगर 15 दिनों में भुगतान नहीं किया जाता है तो केंद्रीय भविष्य निधि एक्ट के तहत प्रबंधन के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

इस अखबार के कुछ कर्मचारियों ने मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार अपने बकाए का मुकदमा भी कर रखा है।

[source: bhadas4media.com]

Thursday 7 January 2021

दैनिक जागरण की कोर्ट में लगातार 11वीं पराजय, फिर तीन साथियों ने जीता मजीठिया का केस


इंदौर में जागरण प्रबंधन के नई दुनिया अखबार के पत्रकार और श्रमजीवी पत्रकारों को मजीठिया मामले में 11वीं विजयश्री प्राप्त हुई है। पिछले दो दिनों में आए कोर्ट के फैसले में दीपक पाठक, हामिद अली और सुभाष चोरमा ने फतह प्राप्त की है।


वरिष्ठ अभिभाषक वाडियाजी और धर्मेन्द्र हाडा ने बताया कि 5 जनवरी को आए केस के फैसले में नई दुनिया के दीपक पाठक को कोर्ट ने 3,09,490/-+अंतरिम 30%, हामिद अली 2,48,114 के पक्ष में अवार्ड पारित हुआ है। इसके अलावा पत्रकार सुभाष चोरमा ने भी मजीठिया के केस में विजय प्राप्त की है।


नई दुनिया में कार्य करने वाले दीपक पाठक खुद का न्यूज पेपर “संगीत सेवा सहारा” निकालते हैं तथा गायक ‘किशोर कुमार का चिंतन’ ‘kkc club’ संचालित करते हैं। पाठक को इस kkc क्लब के लिए अवार्ड मिल चुका है। इसके अलावा श्री पाठक सांई बाबा के अनन्य भक्त हैं। वे कई बार इंदौर से शिर्डी 500 km की यात्रा अपने सैकड़ों, मित्रों, साथियों तथा परिवार के साथ पैदल जाकर कर चुके हैं।


इधर, बुधवार को पत्रकार सुभाष चोरमा के पक्ष में भी कोर्ट ने आर्डर सुनाया है। अभी सुभाष चोरमा के आर्डर की कापी हमारे हाथ नहीं लगी है।


प्रमोद दाभाड़े

पत्रकार एवं मजीठिया क्रांतिकारी