Monday 25 February 2019

मजीठिया: उप्र के श्रम मंत्री ने दिए अधिकारियों को वेजबोर्ड की अनुशंसाओं को लागू करवाने के निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाचार पत्र कर्मियों का वेज निर्धारण हेतु गठित मजीठिया वेजबोर्ड की भारत सरकार द्वारा अधिसूचित सिफारिशों को पूर्णतः लागू कराने के लिए श्रम आयुक्त को निर्देश दिए कि वे अपने स्तर से समस्त क्षेत्रीय अपर व उप श्रमायुक्त की समीक्षा बैठक कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए आदेशों का पूर्णतः अनुपालन सेवायोजकों द्वारा सुनिश्चित कराएं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप ही कार्यवाही की जाए और श्रम अधिकारी इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसमें अनावश्यक विलम्ब न हो।

श्रम मंत्री शनिवार को लखनऊ में बापू भवन स्थित सभागार में मजीठिया वेजबोर्ड की त्रिपक्षीय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में त्रिपक्षीय समिति के समक्ष उपस्थित सदस्यों द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पूर्णतः अनुपालन सेवायोजक पक्ष से कराए जाने का अनुरोध किया गया।
बोर्ड बैठक में वरिष्ठ पत्रकार मुदित माथुर ने श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम के तहत परिभाषित समाचार पत्र अधिष्ठान की परिभाषा की व्याख्या करते हुए बताया कि बहु संस्करणीय समाचार पत्रों का वर्गीकरण उनके वर्ष 2007-2008, 2008-2009 व 2009-2010 सकल कुल राजस्व के औसत के आधार पर होना है भले ही अलग-अलग संस्करण का प्रकाशन व मुद्रण अलग-अलग कंपनियां करती हों, इन सभी को जोड़ कर जो भी राजस्व होगा श्रम विभाग को उसके अनुसार ही वेतनमान निर्धारित करने का आदेश सेवायोजकों को देना चाहिए। यदि श्रम विभाग के निर्धारण के बावजूद कोई भी पक्ष असहमत महसूस करता है तो असहमति के बिंदु को राज्य सरकार सक्षम विधि के अनुसार 17(2) में अभिनिर्णय हेतु श्रम न्यायालय को संदर्भित कर सकती है।

सेवायोजकों के प्रतिनिधि में हिन्दुस्तान टाइम्स के निदेशक कार्मिक का कहना था कि उनके 20 संस्करणों का राजस्व अलग-अलग निर्धारित होना चाहिए। इस पर वरिष्‍ठ पत्रकार माथुर ने बताया कि यह बिंदु बछावत प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय पहले ही तय कर चुका है और समस्त संस्करणों का सकल राजस्व ही वर्गीकरण का आधार माना जाता है। पत्रकारों की ओर से भी कहा गया कि मजीठिया वेजबोर्ड का अनुपालन वर्ष 2011 से नहीं हो पा रहा है जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी संदर्भित प्रकरणों का निर्णय छह माह के भीतर करने के निर्देश जारी किए हैं। पत्रकारों के मामले राज्य सरकार सीधे श्रम न्यायालयों को संदर्भित करे ताकि तकनीकी आधार पर अनावश्यक विवाद लम्बित न हो सकें।

बैठक में प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन सुरेश चन्द्रा, श्रम आयुक्त अनिल कुमार, श्रम विभाग के क्षेत्रीय अपर/उप श्रम आयुक्त व सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के अधिकारी तथा समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के सेवायोजक एवं पत्रकार एवं गैर पत्रकार संगठन के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

[मजीठिया क्रांतिकारी ग्रुप से]


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Tuesday 19 February 2019

हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के कर्मियों का 15 साल का संघर्ष रंग लाया, मिला हक का पैसा

नई दिल्‍ली। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स के कर्मियों का संघर्ष 15 साल बाद रंग ले आया। प्रबंधन ने उनको उनके हक का पैसा दे दिया है। ज्‍यादातर कर्मचारी कंपनी से मिले चैक का अपने एकाउंट में डलवा चुके हैं और पैसा उनके खाते में पहुंच चुका है। इसके अलावा उन्‍हें जनवरी 2019 माह के वेतन का भुगतान कर‍ दिया गया है।

सन् 2004 में निष्‍ठुर हिंदुस्‍तान प्रबंधन ने एक झटके में 470 से ज्‍यादा कर्मियों को एक झटके से सड़क पर फेंक दिया था। जिसके बाद से इनका संघर्ष निरंतर जारी रहा। इस संघर्ष की लड़ाई से कई असमय काल के गाल में समा गए या गंभीर बीमारी से ग्रस्‍त हो गए। कई ने प्रबंधन से समझौता कर लिया। परंतु 272 कर्मचारी अपने हक के लिए मैदान में डटे रहे और डीएलसी, लेबर कोर्ट, हाई कोर्ट से लेकर उच्‍चतम न्‍यायालय तक प्रबंधन से लोहा लेते रहे। कड़कड़डूमा कोर्ट ने 23 जनवरी 2012 इनके हक में फैसला आया। परंतु प्रबंधन कभी हाईकोर्ट तो कभी उच्‍चतम न्‍यायालय में जा-जाकर मामले को लटकाने का प्रयास करता रहा। अभी इन्‍हें 2014 से 2018 तक का ही पैसा मिला है, जोकि लगभग 18 करोड़ रुपये है। ये राशि न बंटे इसके लिए भी प्रबंधन ने उच्‍चतम न्‍यायालय का रूख किया था। उच्‍चतम न्‍यायालय ने मामले में कोई स्‍टे नहीं दिया। जिसके बाद पटियाला कोर्ट ने प्रबंधन को कर्मचारियों को उनकी राशि देने को कहा। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की संपत्ति बाराखंबा रोड पर होने की वजह से ये मामला पटियाला कोर्ट में पहुंचा था। पटियाला कोर्ट के कर्मचारियों की बहाली का आदेश भी दिया था। जिसके बाद हिंदुस्‍तान प्रबंधन ने सबको ड्यूटी पर ज्‍वाइन करवाया। हां ये जरूर है कि प्रबंधन ने एक बार फिर कुटिलता का परिचय देते हुए इन कर्मचारियों को उनके पुराने कार्यस्‍थल बाराखंबा रोड पर ज्‍वाइन न करवाते हुए कादीपुर गांव में खाली पड़े एक फार्म हाउस में भेज दिया। प्रबंधन ने उन्‍हें जनवरी 2019 के मध्‍य में नौकरी पर रखा था और फरवरी में उन्‍हें उनका वेतन भी दे दिया। इन कर्मचारियों को टीडीसी और उनके हिस्‍से की पीएफ राशि का काटकर भुगतान किया गया है।

इन कर्मचारियों इस लड़ाई में पहला पड़ाव पार कर लिया है। अभी बकाया हक के लिए उनका संघर्ष जारी है।

उत्तरजन टुडे सम्मान: लक्ष्मी प्रसाद डिमरी, हरीश गुसाईं और पंकज मेंदोली को

  • उत्तरजन टुडे ग्रामीण पत्रकारिता सम्मान -2019 
  • 25 फरवरी को मधुबन होटल में लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी देंगे पुरस्कार


पिछले तीन दशक से भी अधिक समय तक ग्रामीण क्षेत्रों में जनपक्षधरता की पत्रकारिता करने और लोकसंवेदनाओं को अपनी लेखनी के माध्यम से स्वर देने वाले शब्दशिल्पी लक्ष्मी प्रसाद डिमरी को उत्तरजन टुडे ने ग्रामीण पत्रकारिता पुरस्कार देने का फैसला किया है। डिमरी रुद्रप्रयाग जिले तिलवाड़ा से पत्रकार हैं। इसके अलावा अगस्त्यमुनि से पत्रकार हरीश गुसाईं को भी यह सम्मान दिया जाएगा। गुसाईं भी लगभग तीन दशक से ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता कर रहे हैं। युवा पत्रकारों में श्रीनगर के पत्रकार पंकज मेंदोली को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। पंकज लगातार जनपक्षधरता, बेबाक और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए पाठकों में लोकप्रिय हैं। यह पुरस्कार देहरादून के मधुबन होटल में 25 फरवरी को लोकगायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी द्वारा दिए जाएंगे।

नोट - पुलवामा की घटना के चलते यह कार्यक्रम सादगी के साथ आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी।

Monday 11 February 2019

भास्‍कर ग्रुप के कर्मियों के लिए मंडे के दिन गुड न्‍यूज- 'क्‍लेम करो, लाखों पाओ देखें'! आर्डर की कॉपी



मजीठिया क्रांतिकारी सुधीर जगदाले के पक्ष में आए लेबर कोर्ट के फैसले की कॉपी पढ़ें… ये है मजीठिया अवॅार्ड को लेकर पहला आर्डर …

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में भड़ासी तेवर वाले महाराष्ट्र के क्रांतिकारी पत्रकार सुधीर जगदाले के पक्ष में आए लेबर कोर्ट के फैसले की कॉपी अब आप सब के लिए उपलब्ध है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में इस आर्डर को आज वरिष्ठ पत्रकार धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने सार्वजनिक किया। माना जा रहा है कि मजीठिया अवॅार्ड हेतु भारत के अलग-अलग राज्यों में संघर्ष कर रहे तमाम क्रांतिकारियों के लिए यह आर्डर उनके मुकदमे में काफी मददगार साबित हो सकता है।

सुधीर जगदाले मजीठिया क्रांतिकारी तब बने जब उन्होंने भड़ास पर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड से संबंधित खबरें पढ़ीं। इससे सुधीर जगदाले ने भी अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा जगी। सुधीर जगदाले तब डी. बी. कॅार्प लि. के मराठी अखबार दैनिक दिव्य मराठी के औरंगाबाद संस्करण में डिप्टी न्यूज एडिटर के बतौर काम करते थे। जगदाले ने दूसरे मजीठिया क्रांतिकारियों- धर्मेन्द्र प्रताप सिंह और शशिकांत सिंह तथा अन्य से सलाह ली और फिर आगे बढ़ना शुरू किया।

इसके तहत जगदाले ने सबसे पहले जयपुर के सीए ध्रुव गुप्ता से संपर्क करके अपने बकाए का हिसाब निकलवाया, जो देश भर के पत्रकारों की एरियर्स शीट तैयार करने के लिए चर्चित हैं। इसके बाद उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने एडवोकेट उमेश शर्मा द्वारा जारी क्लेम फॅार्मेट के साथ वह शीट संलग्न करके वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट- 1955 की धारा 17 (1) के तहत लेबर डिपार्टमेंट में क्लेम कर दिया। लेबर डिपार्टमेंट में कुछ दिनों की सुनवाई करने के बाद यह मामला 17 (2) में रेफर होकर लेबर कोर्ट पहुंचा, जहां से फैसला सुधीर जगदाले के पक्ष में आया है।

इस सफलता पर सुधीर जगदाले कहते हैं- ‘भड़ास के स्थापना दिवस पर यशवंत ने जिस तरह से नोएडा में मेरा सम्मान किया, उससे मेरा उत्साह और बढ़ गया… मुंबई से हरसंभव मदद करने के लिए धर्मेन्द्र और शशिकांत भाई हमेशा मौजूद रहे ही, सो इन सभी के मार्गदर्शन में मेरे वकीलों- प्रकाश एम. शिंदे और प्रशांत बी. जाधव ने सशक्त तैयारी करके अच्छी रणनीति बनाई। इसके अलावा ध्रुव ने अदालत में स्वयं उपस्थित होकर शीट पर अंकित एरियर्स के अमाउंट (28,27,746/-) को जिस तरह जस्टीफाई किया, वह भी अपने आप में काबिल-ए-तारीफ था!’

ज्ञात हो कि डी. बी. कॉर्प लि. को लेबर कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि वह तीन महीने के अंदर सुधीर जगदाले (मोबाइल नबंर 9923355999) को उनका पूरा बकाया (ब्याज के बिना) अदा करे।

                                                                         धर्मेंद्र प्रताप सिंह
इस आदेश की प्रति को सार्वजनिक करते हुए धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने जगदाले को बधाई व शुभकामना दी और कहा कि- ‘भविष्य में वाकई कर्मचारियों की मर्जी चलेगी! मुझे खुशी है कि आपने ज़िद की… इस फैसले को पढ़ कर लगता है कि अब दुनिया भी बदल जाएगी!!’इस अवसर पर शशिकांत सिंह ने कहा- ‘देश का नंबर वन कहलाने वाले अखबार समूह की एक पहचान यह भी है कि वह सोमवार को नकारात्मक खबरें प्रकाशित नहीं करता है… आज सोमवार है तो इसे भी पॅाजिटिव न्यूज के रूप में क्यों न देखा जाए!’

बहरहाल, सुधीर जगदाले के पक्ष में आए लेबर कोर्ट के जजमेंट (कुल 18 पृष्ठ) की कॉपी आप भी पढ़िए…




















मुंबई से शशिकांत सिंह की रिपोर्ट
पत्रकार एवं आरटीआई एक्टिविस्ट
मोबाइल: 9322411335

Tuesday 5 February 2019

शोभना भरतिया के हिन्दुस्तान में करोड़ों का पीएफ घोटाला!


प्रधानमंत्री व केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त करा रहे हैं पूरे मामले की जांच

मजीठिया क्रांतिकारी निर्मल कान्त शुक्ला ने की साक्ष्यों सहित पीएम, श्रम मंत्री, केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त से शिकायत

जांच अधिकारी के नोटिस पर हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड ने दस्तावेज व रिकार्ड देने को मांगा समय


बरेली। हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड अपने किसी भी कर्मचारी को महंगाई भत्ता (डीए) नहीं देता है। डीए ना देकर कंपनी ना सिर्फ हर साल पीएफ की चोरी कर रही है बल्कि घोटाला करके करोड़ों के बारे-न्यारे कर रही है। कंपनी के हजारों कर्मचारियों के वेतनमान में हेराफेरी करके पीएफ और डीए हड़पने के मामले की मजीठिया क्रांतिकारी व हिन्दुस्तान बरेली के वरिष्ठ उप संपादक व उत्तरप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के बरेली मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष निर्मल कान्त शुक्ला ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार व केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त सुनील बडथ्वाल से साक्ष्य सहित शिकायत की, जिस पर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने उच्चस्तरीय जांच बैठा दी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी जांच के आदेश दिए हैं। हिन्दुस्तान की सभी यूनिटों में केंद्र सरकार की आंखों में धूल झोंककर वेतनमान में हेराफेरी करके पीएफ और डीए घोटाला किया जा रहा है।

         दरअसल प्राविडेंट फंड की गणना का जो फार्मूला है, उसके मुताबिक बेसिक सेलरी व महंगाई भत्ता जोड़कर उसका 12 प्रतिशत कर्मचारी से काटा जाएगा और उतनी ही धनराशि अपने अंशदान के रूप में कंपनी प्रत्येक माह की दस तारीख तक कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में जमा करेगी। किसी भी कम्पनी को अपने कर्मचारी को महंगाई भत्ता देना अनिवार्य है। बावजूद इसके हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड तो अपनी किसी भी यूनिट में किसी भी कर्मचारी को महंगाई भत्ता ना देकर धड़ल्ले से पीएफ घोटाला कर रही है। माह नवंबर में हिन्दुस्तान के वरिष्ठ उप संपादक निर्मल कान्त शुक्ला ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार व केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त सुनील बडथ्वाल को रजिस्टर्ड शिकायत भेजी थी कि वह हिन्दुस्तान दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित करने वाली कंपनी हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड की बरेली यूनिट में 08 अक्टूबर 2009 से कार्यरत हैं। इस दौरान उनको बेसिक सेलरी के रूप में रुपये 5,250 मासिक का भुगतान किया गया। इसी दौरान रुपये 5,401 मासिक स्पेशल एलाउंस के रूप में भुगतान किए गए। बेसिक सेलरी घटाकर स्पेशल एलाउंस के रूप में प्रति माह रुपये 5,401 का भुगतान करके प्रबंधन ने सेलरी को मैनेज करने की कोशिश की, ताकि उन्हें भविष्य निधि अंशदान अधिक न देना पड़े। प्रबंधन स्पेशल एलाउंस देकर उनको लंबे समय तक भ्रम में रखकर भविष्य निधि में हेरफेर करता रहा। दौरान किसी भी तरह का डीए का भुगतान नहीं किया गया। डीए न देने से उनको भविष्य निधि के साथ बड़ा नुकसान हुआ है। इसके अलावा वर्ष 2016 में प्रबंधन स्पेशल एलाउंस की जगह पर्सनल राशि के रूप में रुपये 8,642 का मासिक भुगतान कंपनी करने लगी जबकि पर्सनल राशि की कोई वजह ही नहीं बनती थी। इस दौरान बेसिक राशि के रूप में रुपये 6,686 मासिक भुगतान किया जबकि डीए के रूप में कोई भुगतान नहीं किया गया।

              शिकायत में कहा गया कि हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड ने डीए न देकर उनका बड़ा नुकसान किया है और भविष्य निधि अंशदान में भी गलत तरीके से कटौती की है। लिहाज प्रकरण में जांच कर हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड पर दण्डात्मक कार्रवाई जाए और कर्मचारी हित में भुगतान कराया जाए।

              मजीठिया क्रांतिकारी की शिकायत पर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त सुनील बडथ्वाल ने हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड द्वारा वेतनमान में हेराफेरी करके पीएफ और डीए हड़पने के मामले में जांच बैठा दी है। सहायक भविष्य निधि आयुक्त (अनुपालन-1) ने जांच के लिए प्रवर्तन अधिकारी नियुक्त कर दिया है। जांच अधिकारी ने हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा तो कम्पनी ने दस्तावेज व रिकार्ड उपलब्ध कराने के लिए जांच अधिकारी से समय मांगा है।

मजीठिया: राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन ने मुंह की खाई




  • हाईकोर्ट ने नहीं दिया स्टे
  • प्रबंधन ने तीन कर्मचारियों को बिना काम के वेतन दिया


मजीठिया मामले में राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन का करारा झटका लगा है। लेबर कोर्ट से हारने के बाद राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन हाईकोर्ट में प्रोडक्शन के तीन कर्मचारियों के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण में गया। प्रबंधन को उम्मीद थी कि लेबर कोर्ट के आदेश पर स्टे मिल जाएगा, लेकिन हाईकोर्ट के माननीय जज श्री मनोज तिवारी ने प्रबंधन को सुनवाई से पहले तीनों कर्मचारियों को 17 (2) के तहत चार हफ्तों की अवधि में वेतन देने के आदेश दिये। इसके बाद सहारा प्रबंधन गत दिनों तीन कर्मचारियों को ढाई-ढाई महीने का वेतन बिना काम पर लिये दिया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन कर्मचारियों को अब हर माह बिना काम के सेलरी मिलेगी।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय सहारा प्रबंधन ने प्रोडक्शन में कार्यरत पूरणानंद, अनिल कुमार वर्मा और जय सिंह बिष्ट को बिना कारण और बिना नोटिस दिये नौकरी से निकाल दिया था। तीनों ने इसके खिलाफ लेबर कोर्ट में शरण ली थी और लेबर कोर्ट ने तीनों कर्मचारियों को नौकरी पर वापस लेने का आदेश दिया साथ ही यह भी फैसला सुनाई कि नौकरी से निकाले जाने से लेकर वापस लेने तक की अवधि में प्रति माह आधा वेतन के हिसाब से इन कर्मचारियों को दिया जाए। प्रबंधन को हाईकोर्ट जाना महंगा पड़ गया। हाईकोर्ट ने तुरंत प्रभाव से तीनो ंको वेतन देने का आदेश दिया है। सुनवाई तभी होगी। इस मजबूरी में प्रबंधन को तीनों कर्मचारियों को मजबूरी में वेतन देना पड़ रहा है। इससे सहारा के खिलाफ केस लड़ रहे सभी कर्मचारियों में भारी उत्साह है। 

[गुणानंद जखमोला की रिपोर्ट]


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Monday 4 February 2019

मजीठिया पर सबसे बड़ी ब्रेकिंग: लेबरकोर्ट से सुधीर जगदाले बने देश के पहले विजेता


देशभर के उन मीडियाकर्मियों के लिए एक खुश भरी खबर आई हैं, जिन्होंने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में लेबर विभाग या लेबरकोर्ट में मुकदमा कर रखा है। मजीठिया वेजबोर्ड मामले में महाराष्‍ट्र के सुधीर जगदाले की लेबर कोर्ट में शानदार जीत हुई है और वे इस मामले में लेबर कोर्ट से जीतने वाले पहले मीडियाकर्मी बने हैं। महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले सुधीर जगदाले डीबी कार्प कंपनी के मराठी अखबार दिव्य मराठी में डिप्युटी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत थे। उनको मिली शानदार जीत से भास्‍कर प्रबंधन सहित देश भर के अखबार मालिकों की नींद उड़नी तय है। जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में क्लेमकर्ता सुधीर जगदाले की बकाया राशि (एरियर) देने का आदेश औरंगाबाद लेबरकोर्ट ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी बी कार्प को दिया है। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (2) के अनुसार पूरे देश में ये पहला मामला है, जब किसी लेबर कोर्ट ने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले मे कर्मचारी के हित मे फैसला सुनाया है। मामला डी बी कार्प के समाचार पत्र दैनिक दिव्य मराठी के डिप्टी न्यूज एडिटर तथा मजीठिया क्रांतिकारी पुरस्कार प्राप्त सुधीर जगदाले से जुड़ा है। इस खबर से अखबार मालिकों में जहां हड़कंप है वहीं मजीठिया क्रांतिकारियों में खुशी की तेज लहर है। सुधीर जगदाले ने रुपये 28,27,746.12 का दावा किया था।

केंद्र सरकार ने तारीख 11/11/2011 से पत्रकार और गैरपत्रकारों के लिए मजीठिया वेजबोर्ड लागू किया। देशभर के मीडिया मालिकों ने इसके खिलाफ मा. सुप्रीमकोर्ट मे याचिका दायर की। मालिकों की यह याचिका मा. सुप्रीमकोर्ट ने खारिज की। तारीख 07/02/2014 को दिए गए आपने ऐतिहासिक फैसले के पैराग्राफ 73 में आदेश दिया कि...

73) In view of our conclusion and dismissal of all the writ petitions, the wages as revised/determined shall be payable from 11.11.2011 when the Government of India notified the recommendations of the Majithia Wage Boards. All the arrears up to March, 2014 shall be paid to all eligible persons in four equal instalments within a period of one year from today and continue to pay the revised wages from April, 2014 onwards.

इस आदेश के बाद भी डी. बी. कॉर्प ने मजीठिया वेजबोर्ड अनुसार वेतन नहीं दिया। देशभर के पत्रकारों ने फिर एक बार मा. सुप्रीमकोर्ट की शरण ली। इस दरम्यान पत्रकार सुधीर जगदालेने भी मा. सुप्रीमकोर्ट मे अवमानना याचिका दाखिल की। 19/06/2017 को मा. सुप्रीमकोर्ट ने फिर एक बार मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन देना पड़ेगा यह आदेश दिया। एरियर के लिए कर्मचारी श्रम न्यायालय/लेबर कमिशनर के पास 17 (1/2) अनुसार दावा दाखिल करने का निर्देश भी मा. सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इस निदेर्शानुसार पत्रकार सुधीर जगदाले का क्लेम मा. लेबर कोर्ट औरंगाबाद में शुरू हुआ था। इस पर मा. लेबर कोर्ट ने यह मामला तारीख 04/02/2019 को डिस्पोज किया।

[मजीठिया क्रांतिक्रारी ग्रुप से] 


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