Saturday 26 March 2016

तानाशाही पर उतरे रतलाम कलेक्टर बोरकर!

रतलाम। इतिहास गवाह रहा है की जब-जब किसी प्रदेश में सत्ता की पारी लम्बी चली है तब-तब नौकरशाह सरकार और खासकर जनता पर हावी हुए है। पूर्व की दिग्विजय सरकार पर भी इस प्रकार के आरोप लगे परन्तु वर्तमान शिवराज सरकार के नौकरशाहों ने तो यह साबित कर दिया है। यू तो व्यापमं घोटाला, पीएमटी घोटाला, मनरेगा घोटाला व ड्रिप इरीगेशन घोटाला आदि कई घोटालों से सरकार की छाती पर खासे तमगे लगाए हैं, पर अब रतलाम कलेक्टर चन्द्र शेखर बोरकर जो की सरकार के करीबी माने जाते हैं अपनी छाती पर तमगा लगाने के लालच में उच्च न्यायालय की अवमानना पर उतर आए हैं।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के सीधी जिले के मनरेगा के करोड़ों के घोटाले के आरोपी व प्रदेश के इतिहास में भोपाल गैस त्रासदी के बाद सबसे बड़े हादसे पेटलावद ब्लास्ट के आंशिक रूप से जिम्मेदार (सेवानिवृत्त न्यायाधिपति श्री ए के सक्सेना की रिपोर्ट) इस अधिकारी को सूबे के मुखिया ने बकायदा सरकारी योजनाओं के क्रियांवयन हेतु पुरस्कृत भी किया है व कुछ ही दिनों पूर्व राज्यपाल से पुरस्कृत होते हुए इस अधिकारी की फोटो मोबाइलों पर काफी वायरल हुई थी, परंतु किस कार्य हेतु पुरस्कृत किया गया इसका उल्लेख कहीं देखने को नहीं मिला था। इन वाकयों से रतलाम कलेक्टर बोरकर की सियासी पहुंच का अंदाजा लगाया जा सकता है।

वर्तमान रतलाम कलेक्टर बोरकर अपने राजनैतिक आका मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत के फरमानों की पूर्ति के चक्कर में एक स्थानीय पत्रकार विशेष के पीछे सारे नियम कायदे तोड़कर पड़ चुके हैं। उल्लेखनीय है कि रतलाम कलेक्टर बोरकर के राजनीतिक आका मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत की पहली पत्नी से संबंधित को लेकर म.प्र. विधानसभा चुनाव 2013 के समय समाचार प्रकाशित हुआ था जिसपर माननीय आज तक रूष्ट है व अपने मातहतों के जरिए अपनी नाराजगी का हिसाब चुकता करने पर आमादा है। उक्त चुनाव में माननीय के ट्रांसपोर्ट व्यवसायी 40 वर्षीय पुत्र रतलाम की आलोट विधानसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे थे, समाचार से रूष्ट होकर माननीय ने तत्कालीन राज्यसभा सांसद की हैसियत से शिकायत प्रेस परिषद नई दिल्ली को की थी जिसपर बीते वर्ष 2015 में माननीय के दबाव के चलते परि‍निंदा का फैसला सुनाया गया है। प्रेस परिषद नई दिल्ली के परिनिंदा के फैसले को संपादक रोमेश जोशी द्वारा उच्च न्यायालय इदौर खण्डपीठ में चुनौती दी है।

प्राप्त जानकारी अनुसार रमेश मिश्र चंचल पत्रकार द्वारा नगर निगम रतलाम में व्याप्त घोटालों व वर्तमान नगर निगम रतलाम आयुक्त सोमनाथ झारिया के विरूद्ध सीरीज छापी गई थी व शिकायत पर राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ट उज्जैन ईकाई ने रतलाम निगम द्वारा शहर में लगाई गई शासन द्वारा प्रतिबंधित हाई मास्ट लाइटों के संबंध में प्रकरण क्रं 100/2015 पंजीकृत किया है। जिससे रूष्ट होकर निगमायुक्त ने पत्रकार की रहवासी निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत को जमींदोज करने का नोटिस एमओएस (मिनिमम मार्जिनल/ओपन स्पेस) को आधार बनाकर दिया। उल्लेखनीय है कि पत्रकार द्वारा स्थानीय सिविल न्यायालय से उक्त आदेश पर स्थगन आदेश प्राप्त किया गया, रतलाम शहर में लगभग 99 प्रतिशत आवास-दुकानों में उक्त नियम का पालन नहीं किया गया है, पत्रकार द्वारा अपनी निर्माणाधीन भवन में नगर पालिका अधिनियम अंतर्गत कंपाउंडिग हेतु भी आवेदन दिया परंतु कलेक्टर बोरकर व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे निगमायुक्त ने सभी नियमों व सिविल न्यायालय के स्थगन आदेश को धता बताते हुए भवन को जेसीबी मशीन, शहर पुलिस अधीक्षक, संबंधित थाना प्रभारी व महिला पुलिस बल, अनुविभागीय दण्डाधिकारी (शहर), तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक - पटवारी समेत उच्च स्तरीय नाटक करते हुए उक्त भवन को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर अपनी व राजनीतिक आका मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत की ताकत का परिचय पत्रकार रमेश मिश्र चंचल को दिया। यहां गौरतलब होगा कि इस भवन के पूर्व स्थानीय न्यू रोड़ पर सर्वानंद नामक किराना स्टोर समेत सैकड़ों दुकानदारों को भी न.पा.नि अधिनियम के तहत धारा 435 का नोटिस दिया गया था जो कि मुख्य सड़क पर निर्मित है परंतु शासन द्वारा पुरस्तृत रतलाम कलेक्टर बोरकर व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे निगमायुक्त सोमनाथ झारिया की कार्यवाही केवल पत्रकार के निर्माणाधीन भवन जो कि कॉलोनी की गली के अंतिम छोर पर नाले के किनारे है पर ही सिमट गई। न्यायालय की अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। गौरतलब है कि रतलाम कलेक्टर बोरकर के सीधी मनरेगा कांड और पेटलावद कांड की जांच की ही तरह निगमायुक्त सोमनाथ झारिया पर भी राज्य लोकायुक्त संगठन द्वारा उनके देवास जिले के नगर निगम आयुक्त कार्यकाल की भी जांच लंबित है व बीते दिनों रतलाम में आर्थिक अपराध प्रकोष्ट के उप पुलिस अधीक्षक श्री विश्वकर्मा द्वारा भी पड़ताल की गई व बयान लिए गए परंतु भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे निगमायुक्त सोमनाथ झारिया उप पुलिस अधीक्षक के लिए समय नहीं निकाल पाए और उप पुलिस अधीक्षक को उनके पीए से भेंट कर रवाना होना पड़़ा।

रतलाम कलेक्टर बोरकर की तानाशाही इस पर भी नहीं रूकी, इनके द्वारा पत्रकार से जुड़े समाचार पत्रों की पूर्व में भेजी गई घोषणा को निरस्त करते हुए भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय को 16.12.2015 को भेजी गई, उल्लेखनीय है कि भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक ने भी राजनीतिक पकड़ वाले रतलाम कलेक्टर बोरकर के पत्र पर त्वरित कार्यवाही करते हुए उसी दिवस यानी कि 16.12.2015 को ही समाचार पत्रों के पंजीयन निरस्त कर दिए गए। जबकि कलेक्टर बोरकर की अनुसंशा पंजीकृत डाक द्वारा पत्रकार के कार्यालय पर 18.12.2015 को प्राप्त हुई। प्रेस की स्वतंत्रता पर हुए इस कुठाराघात की जांच भी एक विचारणीय मुद्दा है। पत्रकार व संपादक द्वारा उच्च न्यायालय की शरण लेकर स्थगन आदेश लिया गया माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उक्त आदेश में प्रक्रियात्मक कमी देखते हुए स्थगन आदेश जारी कर विवादास्पद आदेश का क्रियांवयन पर आगामी सुनवाई तक रोक लगा दी है। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रेस परिषद द्वारा समूह के एक समाचार पत्र के विरूद्ध परिनिंदा का फैसला सुनाया था जबकि रतलाम कलेक्टर बोरकर द्वारा अनर्गल आरोप लगाते हुए समूह के दोनों समाचार पत्रों के घोषणा पत्रों को निरस्त कर अपने मंसूबे पूरे किए, जिसमें माननीय के दबाव के चलते भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक ने भी अमल कर उसी दिवस निरस्तीकरण का फैसला लिया।

यहां उल्लेखनीय है सीधी जिले के करोड़ों के गबन के मामले राज्य शासन ने रतलाम कलेक्टर बोरकर की राजनैतिक पहुंच होने कारण क्लीनचि‍ट देते हुए केवल प्रक्रियात्मक गलती स्वीकारी है और भविष्य में सावधान रहने की सलाह देते हुए दोषमुक्त किया है, जबकि जांच अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से तत्कालीन जिला पंचायत सीधी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बोरकर व तत्कालीन कलेक्टर सीधी को भी दोषी पाया व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 1 (ग) 1(घ) व भा.द.वि. की धारा 120बी 420, 467, 468, 471 के तहत प्रकरण दर्ज कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 के तहत आर्थिक प्रकोष्ट के उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच की अनुशंसा की थी। परंतु सियासी गलियारों व मुख्यमंत्री निवास के संपर्कों के चलते तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी चंद्रशेखर बोरकर से कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर बन गए एवं ठाठ से लगातार कई जिलों की कलेक्टरी कर अब रतलाम में प्रक्रियात्मक त्रुटियों की पराकाष्टा व पत्रकार पर जोर आजमाइश कर राजनीतिक आका को तृप्त करने पर अमादा है।

यहां पर भी रतलाम कलेक्टर बोरकर की तानाशाही खत्म होती नजर नहीं आ रही है, पत्रकार के समाचार पत्रों के प्रकाशन स्थल व शासन द्वारा आबंटित भूखण्ड पर भी अब इस अधिकारी की नजर पड़ गई है। जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के अधिकारियों पर दबाव बनाकर रतलाम कलेक्टर बोरकर ने भू-खण्ड की लीज निरस्त कराने के मंसूबे में है साथ ही उक्त भूखण्ड पर निर्मित भवन को जमींदोज करने के है।

उल्लेखनीय है कि रतलाम कलेक्टर बोरकर द्वारा सारा षड्यंत्र आयुक्त झारिया व माननीय के तथाकथित निज सचिव आदतन शिकायतकर्ता स्थानीय निवासी अशोक सौभाग्यमल जैन की एक शिकायत कर की गई है, यहां गौरतलब है कि माननीय के करीबी व निज सचिव अशोक सौभाग्यमल जैन के स्वामित्व की सैलाना लॉज पर इनके चौकीदार व मैनेजर की हत्या हुई थी, जहां से पुलिस को तफ्तीश करने पर करोड़ों रुपयों की अवैध शराब धरी थी। इतना ही नहीं लॉज में अवैध देह व्यापार का भी पर्दाफाश हुआ था, साथ ही साथ खुद मृतक चौकीदार द्वारा उक्त कारोबार संचालित करना और मृतक के पुत्र के द्वारा ही अपने पिता की सुपारी 5 लाख रुपये में देकर हत्या करवाने का सनसनीखेज कांड उजागर हुआ था। पुलिस द्वारा हत्या का तो पर्दाफाश किया गया परंतु इतनी ज्यादा मात्रा में अवैध शराब का भंडारण व अवैध देह व्यापार संचालन पर कोई कार्यवाही न होना फिर मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत के दखल की ओर इशारा करता है।

पत्रकार रमेश मिश्र चंचल द्वारा उनके साथ घट रही घटनाओं को लेकर एक पत्र महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय, महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यालय के साथ-साथ प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश से लेकर स्थानीय सांसद व विधायक को भी दिया है जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि इस तरह की आततायी, आतंकवादी प्रशासनिक कार्यवाही अंग्रेजों के बाद आपातकाल में भी नहीं हुए थी, परंतु कोई खासी कार्यवाही कहीं भी आज तक नहीं हो पाई है। स्थानीय रतलाम प्रेस क्लब भी इस मामले में केवल पत्र लिख कर मौन है अब रतलाम के नहीं प्रदेश एवं देश भर के पत्रकारों को रतलाम की घटनाओ की जानकारी प्रेषित की गई है। श्री मिश्र ने यह भी कहा कि वह बहरहाल न्याय व्यवस्था पर विश्वास रखने व स्लो जस्टीस इज नो जस्टीस के जुमले को झेलने पर मजबूर है उन्हें आशंका है कि उनके एवं उनके परिजनों के साथ जान-मान का खतरा तो बना ही हुआ है साथ संपत्ति ध्वस्त करने के अलावा किसी झूठे प्रकरणों में उन्हें या परिजनों को फंसाने की साजिश भी की जी सकती है जो मोदी सरकार के काबिना मंत्री थावरचंद गेहलोत, इनके विधायक पुत्र जितेन्द्र गेहलोत, कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर, आयुक्त सोमनाथ झारिया या शासन/प्रशासन के प्रतिनिधि के द्वारा की जा सकती है।


Ramesh Mishra Chanchal
SABHAR DARSHAN ( HINDI DAILY)
Sabhar Complex,165-166 Mhow Road
RATLAM 457001

[उपरोक्‍त समाचार से पत्रकार की आवाज का सहमत होना आवश्यक नहीं है। तथ्यों की प्रामाणिकता हेतु पत्रकार स्वयं उत्तरदायी होगा।]

Wednesday 23 March 2016

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-19a: यदि नहीं किया है तो अब‍ भी कर सकते हैं अंतरिम राहत का दावा, डाउनलोड करें Notification की कॉपी

साथियों, आप में से कइयों ने अपने एरियर का दावा उप श्रमायुक्‍त (DLC) या सक्षम प्राधिकरण के समक्ष कर रखा है। यदि आपने अपने इस दावे में अंतरिम राहत की राशि नहीं जोड़ी है, तो आप अभी भी इसके लिए दावा कर सकते हैं। जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि अंतरिम राहत 30 फीसद की दर से 8 जनवरी 2008 से 10 नवंबर 2011 के बीच के लिए लागू होती है (इसके बाद 11 नवंबर 2011 से मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू हो गई थी)। आप अपनी मूल मजदूरी (basic wage) पर अंतरिम राहत की राशि ब्‍याज सहित निकाल कर एक कवरिंग लैटर के साथ अपने एरियर राशि के क्‍लेम में जुड़वा सकते हैं।

केंद्र सरकार ने श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम 1955 की धारा 13क की उप-धारा (1) और धारा 13घ के साथ पठित 13क की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए शुक्रवार, 24 अक्‍टूबर 2008 को अंतरिम दरों की अधिसूचना (Notification) क्रमश: S.O.2524(E) और S.O.2525(E) जारी की थी। S.O.2524(E) श्रमजीवी पत्रकारों और S.O.2525(E) गैर-पत्रकार समाचारपत्र कर्मचारियों एवं समाचार अभिकरण कर्मचारियों (news agency employees) के संबंध में हैं। जब तक वेजबोर्ड लागू नहीं होता तब तक अंतरिम राहत मिलती रहती है। अंतरिम राहत का उल्‍लेख मजीठिया वेजबोर्ड (हिंदी में पेज नंबर 18 और अंग्रेजी में 20 नंबर पर) में भी हैं। इसकी तिथि की त्रुटि को पेज नंबर 2 (हिंदी व अंग्रेजी) पर संशोधित किया गया है।
दो पृष्ठ में समाहित अंतरिम राहत की अधिसूचना (Notification) हम आप को उपलब्‍ध करवा रहे हैं। जरुरत पड़ने पर आप अंतरिम राहत के क्‍लेम के साथ इसकी कॉपी लगा सकते हैं। इसकी jpg और pdf फाइल डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें- https://goo.gl/ZaFDwx








यदि आपको इसकी Attested हार्ड कॉपी चाहिए तो इसके लिए कुल 75 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसमें 70 रुपये शुल्‍क और पांच रुपये फोटोकॉपी के हैं। अप्रैल 2016 से यह शुल्‍क 90 रुपये हो जाएगा और आपको इसके 95 रुपये अदा करने पड़ेंगे। अधिसूचना (Notification) मांगते हुए आपको दिनांक 24 अक्‍टूबर 2008 के साथ S.O.2524(E) और S.O.2525(E) का उल्‍लेख भी करना पड़ेगा। इसके लिए आप यहां संपर्क कर सकते हैं:-

DEPARTMENT OF PUBLICATION
CIVIL LINES, BEHIND OLD SECRETARIAT
(DELHI VIDHAN SABHA)
DELHI-110054
Website: www.deptpub.gov.in
Email: acop-dep@nic.in and pub.dep@nic.in
PH. 011-23817823/9689
Metro Station: Vidhan Sabha

(नोट- यदि आप इसे व्‍यक्तिगत रुप से लेने जा रहे हैं तो सरकारी कार्यदिवस पर और कम से कम 1 घंटे का समय लेकर जाएं। क्‍योंकि इसकी Attested कॉपी और शुल्‍क अदा करने में इतना समय लग जाएगा। इस जगह को ढूंढने में भी आपको थोड़ी सी दिक्‍कत आ सकती है।)

इसको आप यहां (http://egazette.nic.in/) से भी डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें- http://goo.gl/r6tnpe


नोट- साथियों, जैसा कि आप जानते हैं कि 14 मार्च 2016 के अपने ताजा आदेश में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने 20 जे की आड़ में मजीठिया वेजबोर्ड देने से बच रहे अखबार मालिकानों को आईना दिखा दिया है और अपना हक लेने के लिए कर्मचारियों को रिकवरी डालने का ऑप्‍शन भी दिया है। यदि आपने मजीठिया वेजबोर्ड के लिए अभी तक कोई दावा पेश नहीं किया है और इसके बारे में सोच रहे हैं तो जल्‍द ही अंतरिम राहत समेत रिकवरी बनवाकर अपना दावा पेश करें। दावा कैसे पेश किया जाए इसको समझने में यदि आपको कोई दिक्‍कत आ रही है तो आप कर्मचारियों की तरफ से माननीय सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस लड़ रहे हैं वकीलों से या फि‍र जिन साथियों ने रिकवरी डाल रखी है उनसे बेहिचक संपर्क कर सकते हैं।


मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/8fOiVD



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Thursday 17 March 2016

मजीठिया वेजबोर्ड: जीत के करीब हैं हम, देखें ताजा आदेश के मायने

[रविंद्र अग्रवाल]

आखिरकार मजीठिया वेज बोर्ड के तहत अपने हक की लड़ाई लड़ रहे अखबार कर्मियों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय से एक बड़ा निर्णय हासिल हुआ है। अदालत में लंबित अवमानना याचिकाओं की 14 मार्च को हुई सुनवाई पर लंबे इंतजार के बाद आज अदालत का आर्डर सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हो चुका है। इसमें माननीय अदालत ने जो आदेश दिए हैं, उन्हें देख कर अखबार मालिकों के होश उड़ गए होंगे। हालांकि अभी भी अदालत ने उन्हें अपनी गलती सुधारने का एक अवसर प्रदान किया है। अदालत के आदेशों के अनुसार अब इस मामले की अंतिम सुनवाई 19 जुलाई , 2016 को होगी। माननीय न्यायाधिश ने अपने आदेशों में रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि अगली तारीख 19 जुलाई होगी और अखबार मालिकों के खिलाफ अवमानना के सभी मामले इस दिन सबसे पहले सूचीबद्ध किए जाएं। लिहाजा अब दूध का दूध और पानी का पानी होने वाला है।


कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा है कि मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने को लेकर तलब की गई रिपोर्ट मेघालय, हिमाचल प्रदेश और पुडुचेरी ने प्रस्तुत की है। इसे कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया है और इन राज्यों की स्थिति का अध्ययन किया गया है। कोर्ट ने कहा है कि जिन राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से रिपेार्ट मिली है, जिनमें इस न्यायालय के आदेश की आंशिक अनुपालना की बात कही गई है। वहां से संबंधित पक्षों के प्रतिष्ठानों(समाचारपत्रों)  को स्पष्ट किया जाता है कि वे न्यायालय के आदेश का पालन 19 जुलाई, 2016 से पहले करें।


कोर्ट ने अपने 28 अप्रैल, 2015 के आदेशों के तहत प्रदेश की स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल न करने पर उत्तर प्रदेश (आंशिक), उत्तराखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, गोवा और असम राज्यों के रवैये पर चिंता जाहिर करते हुए निर्देश दिए हैं कि वे 5 जुलाई,2016 से पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल करें।


कोर्ट ने कहा है कि ऐसा न करने पर इन राज्यों के मुख्य सचिवों को 19 जुलाई, 2016 को में व्यक्ति तौर पर कोर्ट के समक्ष हाजिर होना होगा।  साथ ही निर्देश दिए हैं कि इन राज्यों की रिपोर्ट आने पर अगर बचाव पक्ष की कोई आपत्ति होगी, तो वह 12 जुलाई, 2016 तक रिकार्ड में लाई जाएगी।


कोर्ट के आदेशों का सबसे अहम हिस्सा यह है कि कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे कर्मियों के उत्पीडऩ को गंभीरता से लिया है। इसके तहत कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोर्ट ने उन सभी इंटरलोकेटरी एप्लिकेशन को रिकार्ड कर लिया गया है, जिसमें कोर्ट के आदेशों की अनुपालना के तहत अपनी देनदारियों से बचने के लिए संस्थानों ने अपने कर्मियों की सेवाओं को गलत तरीके से समाप्त किया है और वेतन बोर्ड की सिफारिशों के तहत अधिकारों को समाप्त करने के लिए धोखाधड़ी से आत्मसमर्पण करने को मजबूर किया गया है।


आदेशों ने लिखा है कि कोर्ट के पास इस तरह की शिकायतें भारी संख्या में प्राप्त हुई हैं। ऐसे में न्यायालय एक-एक शिकायत को व्यक्तिगत रूप से जांचने की स्थिति में नहीं है। लिहाजा प्रत्येक राज्य के श्रम आयुक्त को निर्देश दिए जाते हैं कि वह ऐसी सभी शिकायतों पर गौर करके न्यायालय के समक्ष एक ही आवश्यक फाइल बनाकर 12 जुलाई, 2016 से पहले अपनी जांच रिपोर्ट दायर करे।


आगे कोर्ट ने एक और बड़ा निर्णय सुनाते हुए अपने इन आदेशों में लिखा है कि हम उन सभी कर्मचारियों को जिन्होंने उत्पीडऩ से जुड़ी इंटरलोकेटरी एप्लिकेशन दायर की है और उन सभी कर्मियों को जिन्होंने इस न्यायालय में याचिका दयर की है, मगर वे उत्पीडऩ की शिकायत नहीं कर पाए हैं उन सभी को अपने राज्य के श्रम आयुक्त के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता देते हैं।


यहां मैं एक बात यह भी जोडऩा  चाहूंगा कि जो डरपोक लोग माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के इंतजार में थे, अब उनके लिए कोई आसान रास्ता नहीं नजर आ रहा है। अब उनके लिए एक ही रास्ता है कि वे सीधे श्रम विभाग में शिकायत करके अपनी रिकवरी का केस फाइल करें, नहीं तो उन्हें अखबार मालिकों के गुलाम बनकर आधे टुकड़े पर पलते रहना होगा। बात भी अब साफ हो गई है कि जिन अखबारों ने 20 जे के तहत वेज बोर्ड न देने का रास्ता खोजा था, उन्हें इन ताजा आदेशों मे कोर्ट का फैसला नजर आ जाएगा। वहीं इनसे भी ज्यादा चालाक उन अखबार मालिकों को भी इन आदेशों में आखिरी मौका मिला है, जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड को तोड़ मरोड़ कर लागू किया और अदालत की अवमानना से बचने के सपने देख रहे थे। उन्हें कोर्ट ने इन आदेशों के जरिये अंतिम अवसर दे दिया है।


साथ ही अखबार मालिकों से डरने वाले और मजीठिया वेजबोर्ड की शिकायतों पर आंखें मूंदे बैठे राज्यों के श्रम अधिकारियों को भी कोर्ट ने साफ संकेत दे दिया है कि अब उनकी लापरवाही नहीं चलेगी। कोर्ट ने इन आदेशों में श्रम आयुक्तों को शामिल करके श्रम विभाग को भी अंतिम अवसर और छदम चेतावनी दी है।


O R D E R
All these cases will now be heard finally on19th July, 2016. Registry is directed to list the cases on the top of the list on the said date. The   reports   submitted   on   behalf   of   the States of Meghalaya, Himachal Pradesh and the Union Territory of Puducherry are taken on record and we have perused the same.

Insofar as the States and Union Territories in respect of which reports have been filed and compliance of the order of this Court is partial, we make it clear that all concerned establishments which are yet to comply with the order of the Court would do so on or before the date fixed i.e. 19th July, 2016.

So   far   as   the   States   of   Uttar Pradesh(partial), Uttarakhand, Odisha, West Bengal, Telangana, Andhra Pradesh, Karnataka, Tamil Nadu, Kerala, Goa and Assam are concerned, we direct that the reports in terms of this Court's Order dated 28th April, 2015 be filed on or before the 5th July,2016, failing which the Chief Secretaries of the States will appear in-person on 19th July, 2016. Objections, if any, to such reports as may be filed shall be brought on record on or before 12th July, 2016. We   have   also   taken   note   of   the   various interlocutory   applications   that   have   been   filed alleging   wrongful   termination   of   services   and fraudulent surrender of the rights under the Wage Board recommendations to avoid liabilities in terms of the order of the Court.   As such complaints received till date are substantial in number, this Court is not in a position to individually examine each   case.   We,   therefore,   direct   the   Labour Commissioner of each of the States to look into all such grievances and on determination of the same file necessary reports before the Court which will also be so filed on or before 12th July, 2016. We grant liberty to each of the individual employees who have filed the interlocutory applications  and also such employees who are yet to approach this Court but have a grievance of the kind indicated above to move the Labour Commissioner of the State concerned in terms of the present order.
Link: Link: http://goo.gl/uaChRJ
[साभार: http://firlive.com]

Majithia Case: Order of SC dated 14th March 2016 and other related orders

Dated: 14/03/2014

ITEM NO.2+50 COURT NO.7 SECTION X
 S U P R E M E C O U R T O F I N D I A
 RECORD OF PROCEEDINGS
CONTEMPT PETITON(C) No.411/2014 In WRIT PETITION(C) No.246/2011
AVISHEK RAJA & ORS. Petitioner(s)
 VERSUS
SANJAY GUPTA Respondent(s)
(with appln. (s) for exemption from filing O.T., impleadment seeking permission to bring additional facts and office report)
WITH
 CONTEMPT PETITION (C) NO.33/2015 IN WRIT PETITION (C) NO.246/2011
(With appln.(s) for permission to place addl. documents on record
and Office Report)  Date : 14/03/2016 These petitions were called on for hearing today.
CORAM :
 HON'BLE MR. JUSTICE RANJAN GOGOI
 HON'BLE MR. JUSTICE PRAFULLA C. PANT 

UPON hearing the counsel the Court made the following

 O R D E R

All these cases will now be heard finally on 19th July, 2016. Registry is directed to list the cases on the top of the list on the said date.

The reports submitted on behalf of the States of Meghalaya, Himachal Pradesh and the Union Territory of Puducherry are taken on record and we have perused the same.
Insofar as the States and Union Territories in respect of which reports have been filed and compliance of the order of this Court is partial, we make it clear that all concerned establishments which are yet to comply with the order of the Court would do so on or before the date fixed i.e. 19th July, 2016.

So far as the States of Uttar Pradesh(partial), Uttarakhand, Odisha, West Bengal, Telangana, Andhra Pradesh, Karnataka, Tamil Nadu, Kerala, Goa and Assam are concerned, we direct that the reports in terms of this Court's Order dated 28th April, 2015 be filed on or before the 5th July, 2016, failing which the Chief Secretaries of the States will appear in-person on 19th July, 2016. Objections, if any, to such reports as may be filed shall be brought on record on or before 12th July, 2016.

We have also taken note of the various interlocutory applications that have been filed alleging wrongful termination of services and fraudulent surrender of the rights under the Wage Board recommendations to avoid liabilities in terms of the order of the Court. As such complaints received till date are substantial in number, this Court is not in a position to individually examine each case. We, therefore, direct the Labour Commissioner of each of the States to look into all such grievances and on determination of the same file necessary reports before the Court which will also be so filed on or before 12th July, 2016. We grant liberty to each of the individual employees who have filed the interlocutory applications and also such employees who are yet to approach this Court but have a grievance of the kind indicated above to move the Labour Commissioner of the State concerned in terms of the present order.

(Neetu Khajuria) Sr.P.A.
(Asha Soni) Court Master

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Dated: 12/01/2016

ITEM NO.2 COURT NO.7 SECTION X 
S U P R E M E C O U R T O F I N D I A 
RECORD OF PROCEEDINGS 
CONTEMPT PETITION (C) NO. 411/2014 
IN 
WRIT PETITION (C) NO. 246/2011 
AVISHEK RAJA & ORS. PETITIONER(S) 
VERSUS SANJAY GUPTA RESPONDENT(S) 
(WITH APPLN. (S) FOR IMPLEADMENT AND OFFICE REPORT) 
WITH CONMT.PET.(C) NO. 33/2015 IN W.P.(C) NO. 246/2011 
(WITH APPLN.(S) FOR PERMISSION TO PLACE ADDL. DOCUMENTS ON RECORD AND OFFICE REPORT)

ON hearing the counsel the Court made the following

O R D E R

ON hearing the counsel the Court made the following O R D E R Pursuant to the order of this Court appointing Inspectors under Section 17-B of the Working Journalists and Other Newspaper Employees (Conditions of Service) and Miscellaneous Provisions Act, 1955, the Inspectors so appointed in respect of some of the States/Union Territories, namely, Bihar, Nagaland, Chhattisgarh, Sikkim, Chandigarh, Maharashtra, Jharkhand, Arunachal Pradesh, Andaman and Nicobar Administration, Govt. of Manipur, Jammu & Kashmir, Gujarat, Madhya Pradesh, Rajasthan, Punjab, Delhi, Uttar Pradesh, have filed their respective reports. The said reports would go to show that while recommendations of the Majithia Wage Board have been implemented in full by some of the establishments such implementation has been in part by other establishments whereas in the case of majority of the establishments the Majithia Wage Board recommendations remain unimplemented. There are certain other features, which are relevant to the subject matter, that are mentioned in the report of the Inspectors. A copy of the aforesaid reports be made 11 available to the learned counsel for all the contesting parties by the Registry within a period of two weeks from today. The parties may file their respective response within a period of four weeks thereafter. Such of the States in respect of which report(s) has not been submitted may do so within the aforesaid period of six weeks and a copy of the said reports as and when filed will be made available by the Registry to all the contesting parties without there being any further order in this regard by the Court. Response(s) to the said report(s) may also be filed by the contesting parties before the next date of hearing. 

It has been brought to our notice by the learned counsels for some of the contesting parties that in case of some establishments, details of which need not be specifically mentioned herein, employees have been retrenched/terminated and in respect of certain other establishments the employees have been forced/compelled to sign undertakings which were later on used as to make out declarations that the employees do not desire to be covered by the Wage Board recommendations. While the latter aspect of the matter is mentioned in the several reports of the Inspectors appointed under Section 17-B, the contesting parties will be at liberty to bring forward all materials in this regard and the establishments in question will, 12 naturally, be at liberty to rebut/counter the said allegations. 

List all these cases for further consideration after eight weeks. 

[VINOD LAKHINA] COURT MASTER [ASHA SONI] COURT MASTER

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Dated: 03/12/2015

ITEM NO.801 COURT NO.7 SECTION X 
S U P R E M E C O U R T O F I N D I A 
RECORD OF PROCEEDINGS CONMT.PET.(C) NO. 411/2014 IN W.P.(C) NO. 246/2011 
AVISHEK RAJA & ORS. Petitioner(s) 
VERSUS SANJAY GUPTA Respondent(s) 
Date : 03/12/2015 This petition was mentioned today. 
CORAM : HON'BLE MR. JUSTICE RANJAN GOGOI 
HON'BLE MR. JUSTICE N.V. RAMANA 
For Petitioner(s) Mr. Parmanand Pandey, Adv. 
For Respondent(s) 

UPON hearing the counsel the Court made the following O R D E R Not to be deleted from the cause list. 

[VINOD LAKHINA] COURT MASTER [ASHA SONI] COURT MASTER

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Dated: 28/04/2015

ITEM NO.2 COURT NO.8 SECTION X 
S U P R E M E C O U R T O F I N D I A 
RECORD OF PROCEEDINGS CONMT.PET.(C) No. 411/2014 In W.P.(C) No. 246/2011
 AVISHEK RAJA & ORS. Petitioner(s) 
VERSUS 
SANJAY GUPTA Alleged Contenmor/Respondent(s) 
(With appln. (s) for impleadment and office report) WITH CONMT.PET.(C) No. 33/2015 In W.P.(C) No. 246/2011 (With appln.(s) for permission to place addl. documents on record and Office Report)

UPON hearing the counsel the Court made the following 

O R D E R 

While keeping these contempt petitions pending we issue the following directions: 
All the State Governments acting through their respective Chief Secretaries shall, within four weeks from today, appoint Inspectors under Section 17(b) of the Working Journalists and Other Newspaper Employees (Conditions of Service) and Miscellaneous Provisions 7 Act, 1955 to determine as to whether the dues and entitlements of all categories of Newspaper Employees including Journalists under the Majithia Wage Board award has been implemented in accordance with the terms thereof. The inspectors appointed by the State Government will naturally exercise their powers as provided under the Act and shall submit their report to this Court through the Labour Commissioners of each State indicating the precise findings on the issue indicated above. This will be done within a period of three months from the date of appointment under Section 17(b) of the Act. 

The cases will be listed again after receipt of the report as above stated. 

All contentions with regard to maintainability of the contempt petitions are kept open.
(MADHU BALA) COURT MASTER (ASHA SONI) COURT MASTER

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Dated: 10/03/2015

ITEM NO.1 COURT NO.8  SECTION X 
S U P R E M E C O U R T O F I N D I A 
RECORD OF PROCEEDINGS 
CONMT.PET.(C) NO. 411/2014 IN W.P.(C) NO. 246/2011 
AVISHEK RAJA & ORS. PETITIONER(S) 
VERSUS 
SANJAY GUPTA RESPONDENT(S) 
(WITH APPLN. (S) FOR IMPLEADMENT AND OFFICE REPORT) WITH CONMT.PET.(C) NO. 33/2015 IN W.P.(C) NO. 246/2011 (WITH OFFICE REPORT)

UPON hearing the counsel the Court made the following 
O R D E R 
Learned counsels for all the parties in this group of cases are agreed that the matters can be conveniently heard by the Court on 28th April, 2015 by which time all such pleadings that may be required by the contesting parties will be brought on record. 
In view of the aforesaid stand taken by the learned counsels for all the contesting parties, we fix the hearing of the case on 28th April, 2015 making it clear that on the said date there will be no further adjournment. 

The requisite pleadings may be brought on record by the concerned parties well in time to enable the responses thereto to be made and also to enable the court to go through the same. 

[VINOD LAKHINA] COURT MASTER [ASHA SONI] COURT MASTER

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Tuesday 8 March 2016

मजीठिया: लेटलतीफी और समय पर जवाब न देने पर जागरण पर लगा 10 हजार रुपये का जुर्माना

नई‍ दिल्‍ली। दिल्‍ली में विश्‍वकर्मा नगर (झिलमिल कालोनी) स्थित उप श्रमायुक्‍त कार्यालय में चल रहे रिकवरी मामले में लेटलतीफी और समय पर जवाब नहीं देने पर दैनिक जागरण पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

जागरण के रवैये से नाराज उप श्रमायुक्‍त ने पहले 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। जागरण प्रबंधन द्वारा गुहार करने पर बाद में यह रकम 10 हजार रुपये कर दी गई। मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई लड़ रहे जागरण कर्मी श्‍याम सुंदर ने यहां 69 लाख रुपये से ऊपर की रिकवरी लगा रखी है।


सूत्रों के अनुसार रिकवरी मामले में जागरण प्रबंधन उप श्रमायुक्‍त कार्यालय में कभी भी समय पर नहीं पहुंचता या फि‍र आता ही नहीं है। मालूम हो कि नई दुनिया के एक कर्मी की रिकवरी मामले में भी दैनिक जागरण 1 हजार रुपये का जुर्माना भर चुका है।



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Saturday 5 March 2016

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-19: ग्रेड-‘ई’/सिटी-‘वाई’ का वेतनमान देखने के लिए यहां क्लिक करें:-



अनुसूची- I.- ई ग्रेड समाचार पञ  (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ वाई’)
(समाचार-पञ प्रतिष्‍ठानों में श्रमजीवी पञकारों का समूहन)
समूह-1: कार्यकारी संपादक, स्‍थानीय संपादक एवं अन्‍य...
BASIC : 16000
VA : 3200
DA : 10807
HRA : 3840
TRA : 1920  
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 3601
GROSS SALARY : 40,718

समूह-2: सहायक संपादक, समाचार संपादक एवं अन्‍य...
BASIC : 14000
VA : 2800
DA : 9456
HRA : 3360
TRA : 1680
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 3151
GROSS SALARY : 35,797

समूह-3: मुख्‍य संवाददाता, मुख्‍य उप-संपादक,  सहायक समाचार संपादक, कार्टूनिस्‍ट, पेज डिजाईनर एवं अन्‍य...
BASIC : 13000
VA : 2600
DA : 8781
HRA : 3120
TRA : 1560
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2926
GROSS SALARY : 33,337

समूह-4: वरिष्‍ठ उप-संपादक, डिप्‍युटी पेज डिजाईनर एवं अन्‍य...
BASIC : 12000
VA : 2400
DA : 8105
HRA : 2880
TRA : 1440
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2701
GROSS SALARY : 30,876

समूह-5: उप-संपादक, रिपोर्टर, कलाकार, मुख्‍य प्रूफशोधक एवं अन्‍य...
BASIC : 11000
VA : 2200
DA : 7430
HRA : 2640
TRA : 1320
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2476
GROSS SALARY : 28,416

समूह-6: प्रूफशोधक एवं अन्‍य... समस्‍त श्रमजीवी पञकार...
BASIC : 10000
VA : 2000
DA : 6754
HRA : 2400
TRA : 1200
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2251
GROSS SALARY : 25,955

( मजीठिया के अनुसार हिंदी में अपना बेसिक देखने के लिए देखें पेज नंबर 30, सारणी-I, अंग्रेजी में पेज नंबर 35)

अपने पद की श्रेणी देखने के लिए हिंदी मजीठिया रिपोर्ट का पेज नंबर 2 या 18 देखें


*****

अनुसूची- II.  ई ग्रेड समाचार पञ (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ वाई’)
(गैर पञकार समाचार-पञ कर्मचारी-प्रशासनिक स्‍टाफ का वर्गीकरण)
समूह-1: वरिष्‍ठ सहायक महाप्रबंधक, वेब प्रशासक, इलैक्‍ट्रोनिक अथवा सॉफ्टवेयर अभियंता, मुख्‍य लेखाकार एवं अन्‍य...
BASIC : 11000
VA : 2200
DA : 7430
HRA : 2640
TRA : 1320
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2476
GROSS SALARY : 28,416

समूह-2: अपर प्रबंधक, लेखा अधिकारी, कल्‍याण अधिकारी एवं अन्‍य...

BASIC : 10000
VA : 2000
DA : 6754
HRA : 2400
TRA : 1200
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2251
GROSS SALARY : 25,955

समूह-3: अधिकारी अथवा विभागीय मुखिया, हेड क्‍लर्क, डीटीपी इंचार्ज, प्रोग्रामर एवं अन्‍य...
BASIC : 9000
VA : 1800
DA : 6079
HRA : 2160
TRA : 1080
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2025
GROSS SALARY : 23,495

समूह-4: वरिष्‍ठ स्‍टेनो सचिव, सुरक्षा पर्यवेक्षक एवं अन्‍य...
BASIC : 8500
VA : 1700
DA : 5741
HRA : 2040
TRA : 1020
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1913
GROSS SALARY : 22,264

समूह-5: कनिष्‍ठ क्‍लर्क, टेलीफोन/फैक्‍स मशीन ऑपरेटर, ड्राइवर, कारपेंटर, प्‍लम्‍बर, राजमिस्‍ञी एवं अन्‍य...
BASIC : 7500
VA : 1500
DA : 5066
HRA : 1800
TRA : 900
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1688
GROSS SALARY : 19,804

समूह-6: बिल कलैक्‍टर्स, पिओन (चपरासी) एवं अन्‍य...
BASIC : 7000
VA : 1400
DA : 4728
HRA : 1680
TRA : 840
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1575
GROSS SALARY : 18,574

( मजीठिया के अनुसार हिंदी में अपना बेसिक देखने के लिए देखें पेज नंबर 32, सारणी-II, अंग्रेजी में पेज नंबर 36)

अपने पद की श्रेणी देखने के लिए हिंदी मजीठिया रिपोर्ट का पेज नंबर 26 देखें


*****


अनुसूची- III. ई ग्रेड समाचार पञ (शहरों का वर्गीकरण- क्षेञ वाई’)
(गैर पञकार समाचार-पञ कर्मचारियों-फैक्‍ट्री स्‍टाफ का वर्गीकरण)

समूह-1: वरिष्‍ठ अभियंता, सहायक अभियंता एवं अन्‍य...
BASIC : 10000
VA : 2000
DA : 6754
HRA : 2400
TRA : 1200
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2251
GROSS SALARY : 25,955

समूह-2: वरिष्‍ठ पर्यवेक्षक, फोरमैन एवं अन्‍य...
BASIC : 9000
VA : 1800
DA : 6079
HRA : 2160
TRA : 1080
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 2025
GROSS SALARY : 23,495

समूह-3: वरिष्‍ठ उत्‍पादन सहायक, कनिष्‍ठ वीडीटी संचालक, ऑफसेट मशीनमैन एवं अन्‍य...
BASIC : 8000
VA : 1600
DA : 5404
HRA : 1920
TRA : 960
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1800
GROSS SALARY : 21,034

समूह-4: कन्‍वेयर स्‍ट्रीकेट मशीन-मैन, आर्ट विभाग में पेस्‍ट-अप मैन, प्‍लम्‍बर एवं अन्‍य...
BASIC : 7500
VA : 1500
DA : 5066
HRA : 1800
TRA : 900
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1688
GROSS SALARY : 19,804

समूह-5: सहायक इलैक्‍ट्रीशियन, ट्रीडलमैन तथा डीएफ प्रेसमैन एवं अन्‍य...
BASIC : 6500
VA : 1300
DA : 4390
HRA : 1560
TRA : 780
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1463
GROSS SALARY : 17,343

समूह-6: बालर मुकदम, रील लोडर तथा अनलोडर, ट्रोली मैन एवं अन्‍य...
BASIC : 6000
VA : 1200
DA : 4053
HRA : 1440
TRA : 720
Night Allowance : 1350
Provident Fund : 1350
GROSS SALARY : 16,113

( मजीठिया के अनुसार हिंदी में अपना बेसिक देखने के लिए देखें पेज नंबर 34, सारणी-III, अंग्रेजी में पेज नंबर 37)

अपने पद की श्रेणी देखने के लिए हिंदी मजीठिया रिपोर्ट का पेज नंबर 28 देखें

(हिंदी में अपने शहर को देखने के लिए पेज नंबर 37-38 या 55-56 देखें)

Formula:
Basic Pay = As per Majithia
Variable Pay = @20% of Basic Pay
DA = Basic Pay + Variable Pay x DA point/167
HRA = @20% of Basic Pay + Variable Pay
TRA = @10% of Basic Pay + Variable Pay
PF: Employer's Contribution = Basic Pay + Variable Pay + DA point/167 x 12%
******
March DA point 2016 = 94 (Applicable for Jan 2016 to June 2016)
HS/other Allowance = Rs. 500 per month (As Applicable)
Night Allowance : Rs. 50 per day (weekly off Sunday)

सुप्रीम कोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/x3aVK2

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें अंग्रेजी में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें-   https://goo.gl/vtzDMO

मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें हिंदी (सभी पेज) में डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें या निम्‍न Path का प्रयोग करें- https://goo.gl/8fOiVD

साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार यह वेतनमान उन सहयोगियों का है जिन्‍होंने मार्च 2016 में ई ग्रेड के किसी भी समाचार पञ  (शहरी वर्गीकरण वाई, यानि आगरा, अजमेर, अलीगढ़, इलाहाबाद, अमृतसर, बरेली, भोपाल, चंडीगढ़, जमेशदपुर, पटना आदि) को ज्‍वाइन किया होगा। आप जो वर्तमान वेतन प्राप्‍त कर हैं उससे आपका वेतन कहीं ज्‍यादा होगा यदि आपके संस्‍थान में  मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशें लागू हो जाती हैं तो। इसको देखकर आप समझ सकते हैं कि केवल सामूहिक प्रयास ही हमें अपना हक दिलवा सकता है। इसलिए साथियों एकजुट हो जाइए, ताकि आप अपना और अपने परिवार का भविष्‍य सुरक्षित कर सकें।

नोट- ईएसई के अंतर्गत आने वाले साथियों को चिकित्‍सीय भत्‍ता नहीं मिलेगा।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-

Advocate Parmanand Pandey ji  - 09868553507
parmanand.pandey@gmail.com
parmanandpandey@yahoo.com

RP Yadav ji - 09810623949
rpyadav56@gmail.com

Vinod Kohli ji  – 09815551892
President, Chandigarh-Punjab Union of Journalists (CPUJ)
Indian Journalists Union

Ashok Arora ji (Chandigarh) - 09417006028, 09914342345
Indian Journalists Union
arora_1957@yahoo.co.in

M S Yadav ji (PTI) - 09810263560

Advocate Colin Gonsalves

Umesh Sharma ji (Bhadas4media Advocate)

मजीठिया के अनुसार वेतन क्या होना चाहिएउसकी गणना कैसे होगी... इसकी विस्तृत जानकारी आपको लगातार PatrakarKiAwaaz के फेसबुक (Patrakar Awaaz), ट्विटर (@PatrakarKiAwaaz) और ब्लाग (http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/) के अलावा भड़ास4मीडियाजनसत्तासमाचार4मीडिया आदि द्वारा भी मिलती रहेगी।

यदि हमसे कहीं तथ्यों या गणना में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें।(patrakarkiawaaz@gmail.com)


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