Wednesday 30 June 2021

अमर उजाला को झटका, लेबर कोर्ट जम्‍मू ने तबादला किया स्‍टे, डाउनलोड करें आर्डर


मजीठिया क्रांतिकारियों के लिए जम्‍मू से एक अच्‍छी खबर है। यहां अमर उजाला के खिलाफ मजीठिया वेजबोर्ड के तहत क्‍लेम लगाने वाले एक साथी को प्रताड़ित करने के लिए किए गए तबादले पर लेबर कोर्ट जम्‍मू ने स्‍टे आर्डर जारी किया है। साथ ही कोर्ट ने संस्‍थान को पिछला वेतन और आगामी वेतन जारी करने के निर्देश भी दिए हैं। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार अमर उजाला के जम्‍मू सेंटर में तैनात अमिताभ अरोड़ा ने संस्थान में कार्य करते हुए मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतनमान व एरियर का केस लेबर विभाग में लगाया था और इसी साल मार्च माह में विभाग ने यह मामला वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट की धारा (17-2) के तहत लेबर कोर्ट, जम्‍मू-कश्‍मीर को फैसले के लिए संदर्भित कर दिया था।








जैसे ही कोर्ट में सुनवाई शुरू होने का समन संस्‍थान को मिला, अमिताभ को प्रताड़ित करने के लिए तबादला आदेश जारी कर दिए गए। इतना ही नहीं इन आदेशों में उसे तत्‍काल जम्‍मू के कार्य से हटाने और मुदरादाबाद में ज्‍वाइन करने को कहा गया था। हैरानी की बात यह रही कि जब ये आदेश जारी किए गए, तब पूरे देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन चल रहा था। वहीं इन आदेशों से इनके मेलाफाइड होने और कर्मचारी के उत्‍पीड़न की बात साफ साबित हो रही थी।

रिकवरी का मामला पहले ही लेबरकोर्ट में था, इसे देखते हुए न्‍यूजपेपर इम्‍पलाइज यूनियन आफ इंडिया (एनईयूइंडिया) के मार्गदर्शन में अमिताभ की सर्विस कंडिशन बदलने की शिकायत आईडी एक्‍ट की धारा 33ए के तहत लेबर कोर्ट में दायरा की गई और साथ ही मामले की सुनवाई तक तबादला आदेशों को स्‍टे करने की अर्जी भी दाखिल की गई। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना और अमिताभ के पक्ष को सही पाते हुए 28 जून को स्‍टे आर्डर जारी किया है। इस मामले में कोर्ट ने लॉकडाउन के बावजूद ऑनलाइन सुनवाई की और कर्मचारी को राहत प्रदान की। ज्ञात रहे कि अमिताभ अरोड़ा एनईयूइंडिया का सदस्‍य भी है। यूनियन के सहयोग के चलते ही उन्‍हें यह सफलता हाथ लग पाई है। अक्‍सर तबादलों के मामले में कोर्ट से स्‍टे लेना डेढी खीर होती है।

Thursday 17 June 2021

वरिष्ठ पत्रकार संतोष श्रीवास्तव के आकस्मिक निधन से सभी स्तब्ध


पत्रकार जगत में शोक की लहर, दी श्रद्धांजलि

दैनिक भास्कर सहित विभिन्न समाचार पत्रों में करीब तीन दशक तक कार्यरत रहे तलवंडी निवासी वरिष्ठ पत्रकार संतोष श्रीवास्तव (58) का आज गुरुवार सुबह कोटा हार्ट अस्पताल में आकस्मिक निधन हो गया। उन्हें कल दिन में घर पर तबीयत खराब हो जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

जानकारी के अनुसार कल दिन को करीब 11 बजे संतोष श्रीवास्तव घर पर अचानक तेज चक्कर आने से नीचे गिर गए। इसके बाद उन्हें कोटा हार्ट अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने जांच कर उन्हें मामूली ब्लड प्रेशर की शिकायत बताई। साथ ही ऑक्सीजन की भी समस्या बताई। मगर हालात खतरे से बाहर बताते हुए एक-दो दिन में ही उनके ठीक हो जाने की बात कही। बताया गया है कि कल शाम तक भी श्रीवास्तव की तबीयत सामान्य थी। इससे उनके जल्दी ही डिस्चार्ज होने हो जाने की उम्मीद थी। मगर आज सुबह अस्पताल में ही अचानक उनका निधन हो गया। जैसे ही यह समाचार मिला पत्रकार जगत में भारी शोक की लहर दौड़ गई। उल्लेखनीय है कि श्रीवास्तव को कई साल से ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। इस कारण उनका इलाज भी चल रहा था। मगर दो दिन से उनकी यह समस्या बढ़ गई थी।

आज सुबह 11 बजे बाद किशोरपुरा श्मशान घाट पर कोविड गाइड लाइन के अनुसार संतोष श्रीवास्तव की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके निधन पर राजस्थान पत्रकार संघ (जार) सहित विभिन्न पत्रकार संगठनों, पत्रकारों और बड़ी संख्या में राजनेताओं ने दुख प्रकट करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। भगवान से उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करने की प्रार्थना के साथ उनके परिजनों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की कामना भी की गई।


सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में थी दिलचस्पी

संतोष श्रीवास्तव विभिन्न सामाजिक गतिविधियों से भी जुड़े हुए थे। वह अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश प्रवक्ता रह चुके थे। संगीत का भी उन्हें काफी शौक था। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप माथुर, महामंत्री धर्मेंद्र जौहरी, प्रदेश प्रवक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना सहित सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने संतोष श्रीवास्तव के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की है।

(source: newschakraindia.com)

Tuesday 15 June 2021

मीडियाकर्मियों की संगठित लड़ाई रंग लाई, डीएनए प्रेस वर्कर्स को मिलेगा सवा पांच करोड़ रुपये!



सेटलमेंट संबंधी प्रेस रिलीज

कहते हैं संगठन में ही शक्ति है. पर मीडिया फील्ड में काम करने वालों के बीच आपसी एकता, आपसी संगठन बहुत कम है। जहां जहां ये संगठन की शक्ति दिखती है वहां वहां फैसला आम मीडियाकर्मियों के हक में होता है। मुंबई में ऐसा ही हुआ।


मुंबई से प्रकाशित डीएनएन अखबार के प्रबंधन ने एक दिन अचानक सबकी छंटनी की घोषणा कर दी। अखबार प्रबंधन ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के सेक्शन 25-N के तहत प्रार्थना पत्र देकर छंटनी की थी। पर बाद में कोर्ट में ये अप्लीकेशन रिजेक्ट हो गया।


कानूनी न्यायिक लड़ाई के साथ साथ आपसी बातचीत का दौर भी चलता रहा। आखिरकार प्रबंधन और कर्मियों में सहमित बन गई। अंग्रेजी अखबार डीएएन के प्रबंधन ने छंटनी के शिकार कर्मियों को 5 करोड़ 22 लाख रुपये देने का फैसला किया है।


इस राशि में मजीठिया वेजबोर्ड के हिसाब से एरियर भी जोड़ दिया गया है ताकि हर मीडियाकर्मी को सात लाख से लेकर ग्यारह लाख रुपये तक एरियर मिल सके।




Sunday 6 June 2021

श्रम संहिताओं को लागू करने की तैयारी, हाथ में आने वाला वेतन घटेगा, बढ़ेगा पीएफ


नई दिल्ली, 6 जून। आगामी कुछ माह में चारों श्रम संहिताएं लागू हो जाएंगी। केंद्र सरकार इन कानूनों के क्रियान्वयन पर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है। ये कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ में आने वाला वेतन (टेक होम) घट जाएगा, वहीं साथ ही कंपनियों की भविष्य निधि (पीएफ) की देनदारी बढ़ जाएगी।

वेतन संहिता लागू होने के बाद कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि की गणना के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आएगा।

श्रम मंत्रालय इन चार संहिताओं....औद्योगिक संबंध, वेतन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक और स्वास्थ्य सुरक्षा तथा कार्यस्थिति को एक अप्रैल, 2021 से लागू करना चाहता था। इन चार श्रम संहिताओं से 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को सुसंगत किया जा सकेगा।

मंत्रालय ने इन चार संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप भी दे दिया था। लेकिन इनका क्रियान्वयन नहीं हो सका, क्योंकि कई राज्य अपने यहां संहिताओं के तहत इन नियमों को अधिसूचित करने की स्थिति में नहीं थे।

भारत के संविधान के तहत श्रम समवर्ती विषय है। ऐसे में इन चार संहिताओं के तहत केंद्र और राज्यों दोनों को इन नियमों को अधिसूचित करना होगा, तभी संबंधित राज्यों में ये कानून अस्तित्व में आएंगे।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘कई प्रमुख राज्यों ने इन चार संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है। कुछ राज्य इन कानूनों के क्रियान्वयन के लिए नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। केंद्र सरकार हमेशा इस बात का इंतजार नहीं कर सकती कि राज्य इन नियमों को अंतिम रूप दें। ऐसे में सरकार की योजना एक-दो माह में इन कानूनों के क्रियान्वयन की है क्योंकि कंपनियों और प्रतिष्ठानों को नए कानूनों से तालमेल बैठाने के लिए कुछ समय देना होगा।

सूत्र ने बताया कि कुछ राज्यों ने नियमों का मसौदा पहले ही जारी कर दिया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड शामिल हैं।

नई वेतन संहिता के तहत भत्तों को 50 प्रतिशत पर सीमित रखा जाएगा। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 प्रतिशत मूल वेतन होगा। भविष्य निधि की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के आधार पर की जाती है। इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है।

अभी नियोक्ता वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देते हैं। इससे मूल वेतन कम रहता है, जिससे भविष्य निधि तथा आयकर में योगदान भी नीचे रहता है। नई वेतन संहिता में भविष्य निधि योगदान कुल वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से तय किया जाएगा।

(साभारः भाषा)