Friday 23 June 2023

मजीठिया के बाद पीएफ की लड़ाई भी जीते कुणाल, मिले 10 लाख रुपये

 


- मजीठिया वेज बोर्ड के तहत पहले ही पा चुके हैं 24 लाख रुपये


- प्रभात खबर अखबार को एक और झटका 


देश में मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन पाने वाले पहले पत्रकार कुणाल प्रियदर्शी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गयी है।अब वे मजीठिया वेतनमान के तहत पीएफ की राशि हासिल करने वाले भी देश के पहले पत्रकार बन गये हैं। पीएफ कमिशनर के आदेश पर प्रभात खबर की  न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड प्रबंधन को उनके पीएफ अकाउंट में करीब 10 लाख रुपये जमा करने को मजबूर होना पड़ा है। इसमें बैक अमाउंट के साथ ब्याज भी शामिल है। कुणाल को इस उपलब्धि के लिए करीब तीन साल तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कुणाल मुजफ्फरपुर जिले के मेघ रतवारा के मूल निवासी हैं।

 

वर्ष 2018 में उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के तहत वेतन के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की थी। जून 2020 में लेबर कोर्ट मुजफ्फरपुर से उनके पक्ष में अवार्ड पारित हुआ। इसमें कंपनी को बकाये राशि के भुगतान का आदेश दिया गया, वहीं कुणाल को पीएफ की बकाया राशि के लिए इपीएफ एक्ट का सहारा लेने का निर्देश दिया गया। कोर्ट के निर्देश पर कुणाल ने 2020 में ही इपीएफ एक्ट के तहत इपीएफ कमिश्नर रांची के यहाँ आवेदन दाखिल किया। करीब तीन साल तक लम्बी लड़ाई चली।इस दौरान कई बार कंपनी की ओर से  झूठे तर्क दिए गये। यहाँ तक कि इपीएफ की गणना में वेरिएबल पे को शामिल करने पर भी सवाल उठाये गए पर, कुणाल के तर्कों से संतुष्ट होकर इपीएफ कमिश्नर ने कंपनी को सात दिनों के भीतर इपीएफ की बकाया राशि ब्याज सहित इपीएफ अकाउंट में जमा करने का आदेश दिया। आखिर में कंपनी को 9.46 लाख रूपये इपीएफ अकाउंट में जमा करने को मजबूर होना पड़ा।जानकारी हो कि न्यूट्रल पब्लिशिंग हाउस लिमिटेड प्रभात खबर के नाम से दैनिक हिंदी समाचारपत्र प्रकाशित करती है। कुणाल उसमें न्यूज़राइटर के रूप में काम करते हैं. वर्ष 2022 में सिविल कोर्ट मुजफ्फरपुर में एग्जीक्यूशन केस में जीत हासिल करने पर उन्हें करीब 24 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। यह राशि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड अवार्ड के तहत बकाये वेतन के रूप में मिला था।


शशिकान्त सिंह

पत्रकार और आरटीआई  कार्यकर्ता तथा उपाध्यक्ष न्यूज़ पेपर एम्प्लॉयज यूनियन ऑफ इंडिया (एनईयूआई)


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