Tuesday 23 August 2016

मजीठिया: उत्तराखंड के लेबर कमीशनर का गिरफ्तारी वारंट कटा

मजीठिया वेज बोर्ड लागू ना किए जाने को लेकर चल रहे अवमानना मामलों की सुनवाई के दौरान 23 अगस्त को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों की पालना ना करने पर उत्तराखंड के लेबर कमीश्रर के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। अब सुनवाई की अगली तारीख 4 अक्तूबर, 2016 को पुलिस उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करेगी। राज्य के चीफ सेक्रेटरी और लेबर कमीश्रर को निर्देश दिए गए हैं कि वे अगली तारीख को मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने की विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें। आज अन्य चार राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड व मणिपुर के लेबर कमीश्रर कोर्ट के प्रश्रों के उत्तर देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर अपने-अपने राज्य के स्टैंडिंग काऊंसिलों के साथ कोर्ट रूप में उपस्थित थे।

जस्टिस रंजन गोगोई व जस्टिस पीसी पंत की बैंच ने दैनिक जागरण प्रबंधन को सख्त चेतावनी देते हुए मजीठिया वेजबोर्ड अवार्ड को अक्षरश: लागू करने या फिर जेल जाने को तैयार रहने को कहा है। जस्टिस गोगोई ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी प्रबंधन मजीठिया अवार्ड को 20जे की आड़ में नहीं छिपा सकता। यहां गौरतलब है कि इंडियन फैडेरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट और इसके वकील यह बात शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि प्रबंधन 20जे की आड़ लेकर अवमानना के खतरे से नहीं बच सकते। सुप्रीम कोर्ट ने आज अखबार मालिकों द्वारा 20जे के जरिये फैलाई धुएं की परत को हटा दिया है। जस्टिस गोगोई ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि 20जे उन कर्मचारियों के लिए है जो मजीठिया अवार्ड से ज्यादा वेतनमान पा रहे हैं, वहीं इससे कम वेतनमान पाने वाले कर्मचारियों के साथ किया गया किसी प्रकार का समझौता अमान्य होगा।

ऐसे में कुटिल और धूर्त प्रबंधन विशेषकर दैनिक जागरण, भास्कर और राजस्थान पत्रिका के लिए मजीठिया लागू करके वेतनमान व एरियर जारी करने के अलावा कोई चारा शेष नहीं रह गया है। वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट नियमित और ठेका कर्मियों में कोई भेद नहीं करता है, लिहाजा सभी कर्मियों के लिए मजीठिया वेज बोर्ड 11 नवंबर, 2011 से लागू होता है।

फिलहाल कर्मियों को सलाह दी जाती है कि वे मजीठिया अवार्ड के तहत देय अपने वेतन, भत्तों और एरियर का भुगतान ना किए जाने की शिकायत तुरंत अपने-अपने राज्य के लेबर कमीशनर से करें। ऐसे कर्मियों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे अपनी शिकायत की प्रति सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे अपने वकीलों को भी भेजें।

सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमीशनरों को स्पष्ट कहा है कि वे समाचारपत्रों के प्रबंधन से किसी प्रकार की या सभी प्रकार की सूचना, कागजात व रिपोर्ट इत्यादि प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अथारिटी के तहत कार्य कर सकेंगे और साथ ही वे प्रबंधन और कर्मचारियों से तथ्यों का पता लगाने के लिए जब जरूरी समझें संबंधित समाचार स्थापना का औचक निरीक्षण भी कर सकते हैं।

-परमानंद पांडेय
महासचिव, आईएफडब्ल्यूजे

Mob.- 09868553507
parmanand.pandey@gmail.com
parmanandpandey@yahoo.com


(हिंदी जानने वाले सभी साथियों के लिए यह अनुवाद हिमाचल प्रदेश के रविंद्र अग्रवाल ने किया है) 

मजीठिया: वाह...!!! री उत्‍तराखंड सरकार... सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही कर दी जांच! एरियर व बर्खास्‍तगी के मामले गोल...! http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/blog-post_11.html




मजीठिया: समझौतों को फरवरी 2014 के फैसले में खारिज चुका है सुप्रीम कोर्टhttp://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/2014.html



मजीठिया: 20जे तो याद, परंतु नई भर्ती को भूले, अवमानना तो हुई है http://patrakarkiawaaz.blogspot.in/2016/07/20_17.html






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