Monday 4 October 2021

जागरण नईदुनिया से दो माह में करो मजीठिया की वसूली: हाईकोर्ट



वसूली कर जमा करनी होगी कंप्लायंस रिपोर्ट

ग्वालियर। मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ की डबल बैंच ने मजीटिया मामले में दो माह में जागरण नईदुनिया से अवार्ड की वसूली कर कर्मचारियों को दिलाने का ऐतिहासिक आदेश सोमवार 4 अक्टूबर को पारित किया है। माननीय जस्टिस श्री शील नागू की बेंच ने शासन को आदेश दिया है कि 31 दिसम्बर तक जागरण से मजीठिया अवार्ड की राशि वसूल की जाए। साथ ही जनवरी के दूसरे सप्ताह में हाईकोर्ट में कम्प्लायंस रिपोर्ट जमा की जाए। 

दरअसल जागरण नईदुनिया के अनेक कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2017 में राज्य सरकार से ग्वालियर लेबर कोर्ट में मामले रेफर होने के बाद क्लेम पेश किया था। कोर्ट में करीब 2 साल मामला चला। जागरण नईदुनिया ने यहां 20जे को लेकर आपत्ति ली और इस आधार पर केस खारिज किये जाने को मुख्य आधार बनाया। लेकिन श्रम न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश श्री कुबेरचन्द यादव ने 20जे को सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ठीक नहीं माना। उन्होंने व्याख्या की कि निर्धारित वेतन से कम पर 20जे का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह लेबर कोर्ट ने 10 कर्मचारियों के पक्ष में करीब ढाई करोड़ के आवर्ड अगस्त 2019 में पारित किए।

अवार्ड पारित होने के बाद कर्मचारियों ने जागरण के एमडी महेंद्र मोहन, सीईओ संजय गुप्त समेत अन्य को लीगल नोटिस भेजकर अवॉर्ड का पालन करने की अपील की। लेकिन मालिक के चाटुकारों ने इन अहंकारी और धृतराष्ट्र मालिकों के सामने कोई नई गोटी फेंक दी। अहंकारी मालिकों ने करीब दो साल तक लेबर कोर्ट के आदेश की पालना तक नहीं की। चाटुकारों ने धृतराष्ट्र को भरोसा दिलाया था कि आपका कुछ नहीं होगा हम हैं न। 



कर्मचारियों के जज्बे से निकला जीत का रास्ता

इस मामले में कर्मचारियों का जज्बा और अधिवक्ताओं के उचित मार्गदर्शन ने जीत का रास्ता आसान बना दिया। कर्मचारियों ने 2 साल तक धैर्य रखा और शासन में उच्च स्तर तक वसूली के लिए कागजी कार्रवाई करते रहे। चूंकि मामला अखबार से जुड़ा था और जागरण नईदुनिया भाजपा का चारणभाट मुखपत्र है, जिस कारण वसूली को लेकर शासन हीलाहवाली करता रहा। इसके बाद कर्मचारियों ने अगस्त में हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ में रिट फाइल की। मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के हक में आदेश दिया है।


1 comment: