Tuesday 27 November 2018

दो पत्रकारों ने बदला पहाड़ का इतिहास


अर्जुन बिष्ट और मोहित डिमरी से प्रेरणा लें पत्रकार
प्रेस क्लब में दारू पीने और जुआ खेलने से नहीं होगा प्रदेश का उद्धार

घेस जहां से आगे नहीं देश, यानी चमोली जिले का सीमांत गांव। जहां कल ही 70 साल बाद बिजली पहुंची। इस गांव में आज खुशहाली हैं। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय मंत्री श्रीपद नायक इस गांव तक पहुंचे और बिजली की शुरूआत की। गांव बिजली की दूधिया रोशनी से जगमग हो गया। इस गांव के लगभग 300 किसान अब खुशहाल हैं और वहां जड़ी बूटी शोध संस्थान बनने से यहां के किसानों को और लाभ मिलेगा। इस सीमांत गांव में खुशियों की सौगात लाने का काम किया है अपने कर्मचारियों को वेतन न देने के लिए कुख्यात राष्‍ट्रीय सहारा के वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन सिंह बिष्ट ने। कई वर्षों की मेहनत और किसानों के साथ बैठकों के दौर के बाद बिष्ट को यह सफलता मिली। पहले दिये गये बीजों को किसान दाल बना कर खा गये। लेकिन पत्रकार बिष्ट जी निराश नहीं हुए और आज की तारीख में वे एक सच्चे पत्रकार की तर्ज पर समाज के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने गांव को पहाड़ को आबाद करने का आईना बना लिया है। मुझे गर्व होता है कि मैने बिष्ट जी के साथ पत्रकारिता की। ऐसे पत्रकार को मेरा सलाम।

दूसरे पत्रकार बहुत ही युवा हैं, लेकिन उनकी सोच देहरादून के प्रेस क्लब में दारू पीने और ताश खेल कर दिन बिताने वाले तथाकथित बड़े पत्रकारों से कहीं आगे है। नाम है मोहित डिमरी। यह भी संयोग है कि मोहित भी सेलरी और लोगों का पैसा हड़पने वाले सहारा ग्रुप के पत्रकार हैं। मोहित एक ओर स्थायी राजधानी गैरसैंण की मुहिम चला रहे हैं तो दूसरी ओर रुद्रप्रयाग की जनता के हक-हकूक की लड़ाई जनाधिकार मंच के बैनर तले लड़ रहे हैं। उन्होंने हाल में आल वेदर रोड की चपेट में आए सैकड़ों व्यापारियों और लोगों के घरों का मुद्दा उठाकर यह सवाल खड़ा किया है कि सरकार वोट बैंक के लिए मलिन बस्तियों पर अध्यादेश ला सकती है। लेकिन पहाड़ को बचाने के लिए नहीं। क्योंकि सरकार को पता है कि वहां लोगों की मजबूरी है कि कांग्रेस या भाजपा को ही वोट दें। मोहित का विजन बहुत अच्छा है। वह पूरे प्रदेश में स्थायी राजधानी और अन्य ज्वलंत मुद्दों को भी उठा रहे हैं। मुझे इस युवा पत्रकार पर भी नाज हे, जो अपने प्रदेश और गांवों की खुशहाली के लिए कठिन मेहनत कर रहा है। मैं मोहित के इस समर्पण और उसकी पहाड़ के प्रति भावना का सम्मान करता हूं और उसे भी सैल्यूट करता हूं। कई और पत्रकार साथी प्रदेश के हित में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। उनका जिक्र मैं दूसरे लेख में करूंगा।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से]

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