Tuesday 27 November 2018

टाइम्स आफ इंडिया में छपी बकवास खबर


चारधाम यात्रा को बताया सबसे खतरनाक यात्रा
चारधाम यात्रा को बदनाम करने की कोशिश

टाइम्स में 25 नवंबर को फ्रंट पेज पर शिवानी आजाद की एक बकवास खबर चारधाम यात्रा: इंडियाज डेडलीस्ट पिलग्रिमेज? प्रकाशित की गई है। इसमें एक लंबा चौड़ा इंट्रो दिया गया है कि प्राचीन समय के समय लोग जब चारधाम यात्रा पर जाते थे तो घने जंगलों व अन्य प्राकृतिक आपदाओं में जान खो देते थे लेकिन आज भी हालात नहीं बदले हैं। चारधाम यात्रा के दौरान मौतों का सिलसिला जारी है। नवम्बर माह तक चारधाम में 106 लोगों की मौत हो गई। इसकी तुलना अमरनाथ यात्रा से की गई है। गजब की बात है, कि रिपोर्टर को यह पता नहीं कि अमरनाथ यात्रा पर दो लाख लोग भी नहीं जाते हैं और उनका मेडिकल होता है और अधिकांश स्वस्थ लोग जाते हैं। कैलाश मानसरोवर इस वर्ष महज 4 हजार ही लोग गए। वो भी पूरी तरह से स्वस्थ घोषित होने के बाद। जबकि मोक्ष की तलाश में चारधाम जाने वाले यात्रियों की संख्या अमरनाथ की तुलना में आठ से दस गुणा अधिक है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में बुजुर्ग जाते हैं। लगभग साढ़े ग्यारह हजार फीट की चढ़ाई आसान नहीं होती है। यह सबको पता है। मैदानों से जाने वाले यात्री चार हजार फीट की उंचाई पर भी हांफने लगते हैं। जब सबको केदारनाथ धाम की हाइट का पता है तो उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

मैदान के प्रदूषण से जंग लगे फेफड़ों को एक्लीमेटाइज होने में समय लगता है जबकि सभी चाहते हैं कि एक सप्ताह में चार धाम की यात्रा हो जाए। बाडी साथ नहीं देती है इसलिए हार्ट अटैक या दम फूलने की समस्या होती है। जो लोग मरे हैं उनमें अधिकांश बुजुर्ग हैं। हां, यह सही बात है कि मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं। लेकिन 20 लाख यात्रियों का मेडिकल करना संभव नहीं है। बेहतर है कि तीर्थयात्री अपना मेडिकल व आक्सीजन लेकर जाएं। इस संबंध में गुप्तकाशी और सोनप्रयाग से ही तीर्थयात्रियों को आगाह किया जाता है। रिपोर्टर ने लिखा है कि अमरनाथ में इस वर्ष 31 लोगों की मौत हुई और पिछले साल 29। अगर आकलन किया जाए तो अमरनाथ में चारधाम की तुलना में अधिक मौत हुई हैं। औसत के आधार पर दो लाख पर 31 यानी बीस लाख पर 300 मौत। ऐसे में तो रिपोर्टर और डेस्क को चाहिए था कि अमरनाथ यात्रा पर स्टोरी का इंट्रो व हेडिंग बनाते लेकिन न्यूज को अनावश्यक संसेशनल बनाने के लिए इस तरह की डरावनी हेडिंग दी गई है। और ऐसे ही इंट्रो लिखा गया है। खबर बहुत ही स्पष्ट है कि इस बार चारधाम यात्रा में 106 लोग मरे और अमरनाथ में 31। लेकिन बेवजह का स्लांट देकर खबर को तूल देने की कोशिश की गई है जो कि निंदनीय है साथ ही टाइम्स के एथिक के खिलाफ भी। टाइम्स ग्रुप पॉजिटिव न्यूज में विश्वास करता है ना कि ऐसी बकवास न्यूज में।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से]

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