Saturday 29 August 2020

कोरोना काल में मजीठिया क्रांतिकारियों को राहत दिलाने को SC का दरवाजा खटखटाने की तैयारी, सभी साथी दें ये जानकारी


कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन और उसके बाद चल रही अनलॉक की प्रक्रिया में मजीठिया की लड़ाई बहुत धीमी पड़ गई है। कई राज्‍यों में अभी अदालतों का काम सुचारू रूप से शुरू नहीं हुआ है और कहीं शुरू हुआ तो वह मंथर गति से चल रहा है। ऐसे कुछ हालत श्रम आयुक्‍त कार्यालयों (DLC) के भी हैं। ऐसे में ये लड़ाई और लंबी ना जाए इसके लिए एक बार फिर इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजा खटखटाया जाएगा। 

मजीठिया को लेकर जून 2017 में आए अवमानना के फैसले और उसके बाद 6 महीने के टाइम बांड के बाद भी अभी तक लगभग 99 फीसदी साथियों के फैसले नहीं आए हैं। ऊपर से कोरोना संक्रमण की वजह से उत्‍पन्‍न स्थितियों ने इसको और लेट कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को नहीं मानने पर अड़े अखबार और मैगजीन मालिकों की हठधर्मिता और आज के हालत में कर्मचारियों की दशा को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। 

इसलिए मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे सभी साथियों से अनुरोध है कि वे अपने केस की जानकारी जल्‍द से जल्‍द हमें मुहैया करवाएं। केस चाहे श्रम कार्यालय (DLC) में चल रहा हो या लेबर कोर्ट या किसी अन्‍य ऊपरी अदालत में। आप चाहे रिपोर्टर हो, चाहे फोटोग्राफर हो, चाहे पेजमेकर हो, चाहे संपादकीय टीम का हिस्‍सा, चाहे मशीनमैन, चाहे ड्राइवर हो, चाहे किसी भी विभाग के हो। मामला चाहे रिकवरी (WJA Sec. 17) का हो या जबरन इस्‍तीफे, तबादला, बर्खास्‍तगी, छंटनी आदि का। आप चाहे हिंदी के अखबार या मैगजीन (इंडिया टुडे, आउटलुक आदि) से हो या फिर उर्दू, पंजाबी, अंग्रेजी, कन्‍नड़ आदि किसी अन्‍य भाषा से, आप का कार्यालय चाहे दिल्‍ली में हो या कन्‍याकुमारी में या चंडीगढ़ में, या चेन्‍नई में या जम्‍मू-कश्‍मीर में या कर्नाटक में या मणिपुर में या फ‍िर असम, महाराष्‍ट्र, नगालैंड, उत्‍तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा आदि जैसे किसी अन्‍य राज्‍य या केंद्रशासित प्रदेश में, आप अपनी जानकारी हम तक जरूर भेजें। 

इसके अलावा वे साथी भी अपने केस से संबंधित जानकारी दें, जिनके मामले लंबे समय से श्रम कार्यालय (DLC) में दायर हैं और उन्‍हें अभी तक लेबर कोर्ट में रेफर नहीं किया गया है। या फिर जिनके मामले काफी समय पहले श्रम कार्यालय (DLC) से लेबर कोर्ट में रेफर कर दिए गए हैं, परंतु वे अभी तक लिस्टिंग में नहीं आए हैं या वहां तक पहुंचे ही नहीं है। या फिर लेबर कोर्ट के आर्डर करने के बाद वह हाईकोर्ट में है परंतु उसपर आजतक कोई डेट नहीं लगी है, यानि एक भी सुनवाई नहीं हुई है। या फिर किसी अन्‍य अदालत में लंबे समय से बिना सुनवाई के पड़े हुए हैं। या फिर श्रम कार्यालय (DLC)  ने सुप्रीमकोर्ट के जून 2017 के आर्डर की अनदेखी करते हुए लेबर कोर्ट में केस रेफर न करके खुद ही खारिज कर दिया। विशेष तौर पर 20जे को लेकर। या फिर इस केस से संबंधित अन्‍य कोई जानकारी जो आपको जरूरी लगती हो आप हमें दे सकते हैं।  

साथियों, नीचे दिए एक फार्म दिया गया है। इस फार्म को आप खुद भी भरें और दूसरे साथियों से भी भरवाकर हमें निम्‍न आईडी पर मेल करें - majithia.award2011@gmail.com (फार्म की DOCX फाइल लेने के लिए ईमेल पर भी मैसेज भेज सकते हैं)

अधिक जानकारी के लिए इस नंबर 9431848786 पर संपर्क करें। 


फार्म- 

JOINT PETITION BY HARASSED/RETRENCHED/VICTIMISED EMPLOYEES OF NEWSPAPER ORGANISATIONS FOR TOTAL IMPLEMENTATION OF JUSTICE MAJITHIA WAGEBOARD AWARD 2011 AND REINSTATEMENT OF WORKERS WITH TOTAL BACK WAGES AND CONTINUITY OF SERVICES WITH ALL ATTENDANT BENEFITS 


#MAJITHIA_AWARD_2011

CLAIMED ON: . . . . . . . . . . . .


NAME OF WORKER:

AGE:

DESIGNATION/LAST POST HELD:

DATE OF APPOINTMENT:

DATE OF TRANSFER/TERMINATION/RETRENCHMENT:

NAME/ADDRESS OF EMPLOYER:



WORKING STATION ADDRESS:



CLAIM/CASE FILED AT: (Address with PIN code)




That, I, . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . .  S/o . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . , am covered by the recommendations of the Justice Majithia Wage Board Award and as such I am entitled for receiving the pay scale as per the #MajithiaAward2011. The honourable Supreme Court has very clearly ordered in the Contempt Petition (C) No. 411/2014 and in Writ Petition (C) No. 246/2011 that any transfer, termination and retrenchment of workers for demanding wages as per the #MajithiaAward2011 is illegal. The employer/management has grossly violated the order of the Honourable Supreme Court of India and the Competent Authority at the local level has been delaying the matter, which has already exceeded the 180-day deadline fixed by the Honourable Supreme Court of India. 

Most respectfully this is to request you to kindly intervene in to the matter and allow us to join duty with all back wages and salary and interim relief as per the Justice Majithia Wage Board Award. This is also to request you to kindly issue directions to the employer/management to release all our legal dues as per the Justice Majithia Wage Board Award and to do not victimize and harass any employee for demanding #MajithiaAward2011.


REPLY OF MANAGEMENT:

(Attach Evidence) Brief explanations 



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