Thursday 9 April 2020

एक पत्र प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम


कानपुर [शारदा त्रिपाठी]। देश की राजधानी सहित अन्य कई राज्यों से मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार बकाया मांगने पर विभिन्न समाचार पत्रों से निकाले गए या भगा दिए गए करीब 20 हजार लोगो की सुध कोई लेगा या इन्हें अपनी मान मर्यादा बचाने के लिए जान देने पर मजबूर होना पड़ेगा। इन कर्मचारियों के जीवन यापन के लिए न तो सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान ले रही हैं और न किसी राज्य की हाई कोर्ट। सरकारें तो यह कहकर पल्ला झाड़ ले रही हैं कि मामला कोर्ट में है।

बीते वर्ष 2014 से जैसे कर्मचारियों की बाढ़ मजीठिया वेज बोर्ड का बकाया लेने के लिए बढ़ी। अखबार मालिक स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से एक-एक कर कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा। धीरे धीरे यह संख्या हजारों में पहुंच गई। इनमें ज्‍यादातर सभी कर्मचारियों द्वारा इसकी शिकायत प्रधानमंत्री सहित माननीय सुप्रीम कोर्ट में भी की गईं, लेकिन इन बेसहारा कर्मचारियों को सहारा नहीं मिल पाया। चाहे वह हाई कोर्ट हो या माननीय सुप्रीम कोर्ट अथवा प्रशासनिक अधिकारी। किसी से कोई मदद नहीं मिल पाई। अखबार में कार्यरत कुछ दलाल टाइप लोग ही मालिकों से धन ऐंठकर खुद करोड़पति बन गए। मारा गया तो वह कर्मचारी जो मजीठिया के अनुसार वेतन और अन्य सुविधाएं चाहता था।

खैर कोई बात नही मजीठिया के आर्डर आने शुरू हो गए हैं, सिर्फ उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां पर मालिकान मिलीभगत करके कर्मचारियों को धोखा दे रहा है, क्योंकि यहां पदस्त जज न तो अधिसूचना को सही मान रहे हैं और न ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को! कोई न कोई आपत्ति लगाकर मामले को निस्तारण के पहले हाई कोर्ट जाने को मजबूर कर दे रहे हैं। अभी हाल के दो दिन पहले कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया जी के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह भी सुझाव दिया गया कि 2 वर्ष तक अखबार के विज्ञापन रोक दिए जाए, जिस पर कुछ चुनिदा अखबार विरोध शुरू कर दिए। अधिकतर अखबार मालिक न तो सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को मान्य करते हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश। अभी भी कई अखबारों में कई कंपनी संचालित हैं जो सभी सिर्फ अखबार का ही काम देखती हैं। इन्हें न तो श्रम विभाग का डर रहता है और न तो कोर्ट का। जो कर्मचारी हिम्मत कर लड़ाई शुरू करता है उसे वर्षों लग जाते हैं न्याय मिलने में।

अतः मेरी उन सभी कर्मचारियों की ओर से सम्माननीय प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री सहित माननीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय व हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महोदय से आग्रह है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराया जाए और वर्षों से दबे कुचले कर्मचारियों को न्याय दिलवाकर इन्हें भी राहत दिलवाई जाए।

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