Monday 27 April 2020

सुब्रत राय के नक्शे कदमों पर चल रहे अर्नब


- दोनों ही सत्ता के नशे में चूर, दोनों चाट रहे धूल
- अर्नब की बात सुनने वाला केवल रिपब्लिक, सुब्रत का सहारा

अर्नब गोस्वामी पत्रकारिता जगत में दूसरे सुब्रत रॉय सहारा साबित हो रहे हैं। फर्क इतना है कि सुब्रत राय ने जनता को लूट कर साम्राज्य बनाया तो अर्नब कुछ नेताओं के सहारे सम्राट बनना चाहते हैं। इस कड़ी में वो स्तरीय पत्रकारिता को छोड़ छिछली पत्रकारिता कर रहे हैं और यही कारण है कि आज जब वो मुंबई पुलिस द्वारा पूछताछ करने के लिए बुलाने पर एन. एम जोशी पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वो अकेले थे यहां तक कि मीडिया वालों ने भी साथ नहीं दिया।

हास्यापद लग रहा था कि अर्नब का बयान लेने के लिए रिपब्लिक के ही रिपोर्टर थे, ठीक वैसे ही जैसे तिहाड़ जेल जाते सुब्रत की बात सहारा ही सुनता था। बाकी सब एंगेस्ट में लिखते थे। अर्नब की अकड़ वही सुब्रत रॉय जैसी कि कोई मेरा क्या बिगाड़ लेगा? अपने ही रिपोर्टर से कहा, राजनीतिक षडयंत्र है और मैंने कोई गलत नहीं कहा। ये वाड्रा कांग्रेस मुझे फंसा रही है। अर्नब जानते हो क्या बोल रहे हो? आखिर क्यों हो अकेले? मनन तो करो? ये जो आप कर रहे हो, क्या वो पत्रकारिता है? यदि नहीं बदले तो एक दिन सुब्रत रॉय की तरह जमीन में पड़े मिलोगे।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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