Monday 13 April 2020

पत्रकारों को कोरोना ने नहीं, मंदी ने मार डाला!



- रोज धड्डले से निकाले जा रहे मीडियाकर्मी
- मीडिया संस्थानों के लिए एडवाइजरी जारी करे आईबी मिनिस्ट्री

मैं अभी सोने के लिए जा रहा था कि टाइम्स ग्रुप की पत्रकार नोना वालिया की पोस्ट पढ़ी तो दंग रह गया। सामान्य दौर में सबसे अधिक लाभ कमाने वाला टाइम्स ग्रुप मंदी आते ही सबसे पहले अपने कर्मचारियों की नौकरी खाता है। 2008 में जब मंदी आई थी तो मैं भी टाइम्स ग्रुप का हिस्सा था। टाइम्स ग्रुप की सबसे गंदी बात यह है कि प्रबंधन या यूं कहें कि ब्रांड वाले, बता दूं कि टाइम्स में ब्रांड वाले सबसे शक्तिशाली होते हैं, जिनका एडीटोरियल से कोई काम नहीं होता। ये अंग्रेजों की तर्ज पर काम करते हैं यानी खुद बीच में नहीं पड़ते, टीम लीडर को कह देते हैं कि आदमी कम कर दो यानि निकाल दो। मैं टीम लीडर था तो उन दिनों मैंने ब्रांड को साफ कह दिया कि चूंकि टीम मैंने नियुक्त नहीं की, तो छंटनी करने का काम भी आप ही करो। इसकी सजा मैंने बाद में भुगती।

खैर पुरानी बात है। आज की बात यह है कि नोना ने पोस्ट पर लिखा है कि संडे मैगजीन की पूरी टीम को निकाल दिया गया है। एक फोन पर टीम लीडर पूनम सिंह ने सभी साथियों को दे दी। नोना इस ग्रुप में पिछले दो दशक से काम कर रही थी। ये बात अकेले टाइम्स ग्रुप की नहीं है। यह फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। न्यूज नेशन ने अपनी 15 सदस्यीय पूरी अंग्रेजी बेव टीम को झटके से निकाल दिया।

कोरोना के कहर के दौरान जान हथेली पर लेकर चल रहे मीडियाकर्मियों की सुध आखिर कौन लेगा? मुसीबत की इस घड़ी में देश के तमाम मीडिया संस्थान अपने कर्मचारियों को निकाल रहे हैं। और अधिकांश ने उनको धमका दिया है कि सेलरी में कटौती स्वीकार है तो काम करो, वर्ना नमस्ते। मैं पहले भी अपनी पोस्ट में लिख चुका हूं कि इंडियन एक्सप्रेस, सहारा, अमर उजाला समेत अनेक अखबारों ने सेलरी 10 से लेकर 50 प्रतिशत तक घटा दी है। टाइम्स और एचटी ग्रुप इस मामले में पहले से ही बदनाम हैं।

अंग्रेजी न्यूज पोर्टल द क्विंट ने भी नोटिस जारी कर अपनी टीम से कहा है कि 15 अप्रैल के बाद वे लीव विदाउट पे रहेंगे। हिन्दुस्तान टाइम्स मराठी का एडिशन 30 अप्रैल से बंद होने की बात है। इसमें चीफ एडिटर को भी घर बैठने के लिए कह दिया गया है।

न्यूज नेशन की टीम निकाले जाने को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने आज सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखकर चिन्ता जताई कि मीडिया संस्थान धड्डले से छंटनी और संस्थान बंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे मीडियाकर्मियों में अनिश्चितता और भय बन गया है। ऐसे समय में सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय को मीडिया संस्थानों के लिए एडवाइजरी जारी करनी चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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