Wednesday 4 September 2019

एडवोकेट मदन तिवारी पर जानलेवा हमला


महंगा पड़ा सामंतवादी मानसिकता का विरोध, घर में घुसकर परिजनों के साथ अधिवक्ता की हुई पिटाई
गया। बिहार के जाने-माने अधिवक्ता मदन तिवारी को सामंतवादी मानसिकता का विरोध करना महंगा पड़ गया। हमलावरों ने अधिवक्ता मदन तिवारी की सड़क पर पुलिस की मौजूदगी में बेरहमी से पिटाई की। इसके पूर्व हमलावरों ने घर में घुसकर अधिवक्ता के परिजनों के साथ भी मारपीट की।

मामला यह था कि अधिवक्ता मदन तिवारी की पुत्री अपने गया शहर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र अंतर्गत शहमीरतक्या मुहल्ले में एक एटीएम से पैसे निकालने के लिए गई। एटीएम से राशि निकली नहीं और खाते से पैसे काट लिए गए। एटीएम के बाहर दर्शाए गए मोबाइल फोन नंबर पर अधिवक्ता मदन तिवारी ने फोन कर बात की। फोन करने के कुछ अंतराल पर दो व्यक्ति मदन तिवारी के घर पर पहुंचे।

एक ने फोन कर अपने समर्थकों को बुलाया। इस बीच मदन तिवारी और उक्त दोनों व्यक्तियों के बीच बहस होने लगी। तभी पास के नूतन नगर मुहल्ले से बीस-पच्चीस की संख्या में आए हमलावर मदन तिवारी को घेरकर मारपीट करने लगे। मदन तिवारी के अनुसार, हमलावरों से बचने के लिए वे अपने घर के अंदर भागे। हमलावर भी घर में पीछा करते हुए प्रवेश कर गए। परिवार के सदस्य बचाव के लिए आगे आए। हमलावरों ने उनके साथ भी मारपीट की। मदन तिवारी घर के अंदर से अपने चैंबर होते हुए फिर घर से बाहर निकले। हमलावर मदन तिवारी के साथ सड़क पर मारपीट करने लगे। सिविल लाइंस थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन हमलावर पुलिस के सामने मारपीट कर फरार हो गए।

दोनों पक्षों की ओर से सिविल लाइंस थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दूसरे पक्ष के दो व्यक्तियों ने मदन तिवारी पर मारपीट कर सिर फोड़ने का आरोप लगाया है। वहीं, मदन तिवारी का कहना है कि घर में प्रवेश करने के क्रम में कुत्तों के लिए रखे दूध के बड़े बर्तन में या अन्य जगह पर संभवतः गिरने से हमलावरों को चोट लगी होगी। मदन तिवारी का कहना है कि वे और उनका परिवार जान बचाने के लिए भाग रहे थे। पुलिस के सामने उनकी पिटाई की गई।

बाद में एक और गाड़ी पुलिस वहां पहुंच गई। जब ये लोग हमला कर रहे थे उस दरम्यान अधिवक्ता मदन तिवारी ने सिटी डीएसपी को फोन करते हुए उन्हें तुरंत पुलिस फोर्स भेजने के लिए कहा परन्तु सीएम के प्रोग्राम में व्यस्तता के कारण समय पर पुलिस नहीं आई। वैसे अगर पुलिस नहीं आती तो नि:सन्देह अधिवक्ता मदन तिवारी के पूरे परिवार की हत्या ये लोग कर देते क्योंकि हमलावर बार कह रहे थे- ”जानता नहीं है, हमलोग भूमिहार हैं, रणवीर सेना का नाम सुना है न, गांव के गांव खत्म कर दिए, तुम्हारे परिवार को छोड़ेंगे नहीं, घर से बाहर निकलना बंद कर देंगे”।

पूर्व में भी नूतन नगर के अपराधी तत्व इस तरह की घटना को अंजाम दे चुके हैं। नूतन नगर में इनके आतंक के कारण कोई भी शरीफ परिवार रहना नहीं चाहता है। पुलिस ने एक दो बार गिरफ्तारी भी की लेकिन उसके बावजूद इनका जातीय दंभ और आतंक कम नहीं हुआ है। सदियों से सामंती मानसिकता आज भी इनके अंदर है। इनका आयकॉन इनकी जाति के अपराधी हैं। उनके पीछे ये लामबन्द हो जाते हैं। अधिवक्ता मदन तिवारी का कहना है कि किसी भी कीमत पर इनकी सामंती मानसिकता के आगे नही झुकेंगे, भले हत्या ही क्यों न हो जाय।



[साभार: भड़ास4मीडिया.कॉम]

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