Friday 18 January 2019

WJI ने‌ 'वेजबोर्ड नहीं, तो विज्ञापन नहीं' समेत 28 सूत्रीय मांगपत्र PMO को सौंपा



WJI ने सदस्य पत्रकारों के हित में 3 लाख के दुर्घटना बीमा की घोषणा की
नई दिल्ली। वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया ने 16 जनवरी को अपने स्थापना दिवस के अवसर पर मीडिया महाधरने का आयोजन किया। पिछले कुछ समय से पत्रकारों की मांगों को लेकर वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया संबद्ध भारतीय मजदूर संघ काफी सक्रिय रहा है। ये देश में पत्रकारों का शीर्ष संगठनों में से एक है। यह संगठन पत्रकारों के कल्याणार्थ समय-समय पर रचनात्मक और प्ररेणादायक कार्यक्रम और आंदोलन चलाता रहा है। इसको देश के विभिन्न राज्यों से आए पत्रकार संगठन समर्थन दे रहे हैं। वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी और राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी द्वारा आहूत महाधरने में पत्रकार एकजुटता का दृश्य देखने को मिला। देश के 12 राज्यों के पत्रकारों और कई पत्रकार संगठनों धरने में आकर केंद्र व राज्‍य सरकारों के प्रति आक्रोश व्यक्त किया। महाधरने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप चौधरी के नेतृत्व में WJI प्रतिनिधिमंडल pmo पहुंचा और वहां पर पत्रकारों की 28 मांगों का ज्ञापन सौंपा।

इस बीच, WJI ने अपने स्थापना दिवस पर अपने सदस्य पत्रकारों के हित में 3 लाख के दुर्घटना बीमा की घोषणा की। महाधरने में भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार, संगठन महामंत्री अनीश मिश्रा और संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार भी पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों की मांगों को अपना समर्थन दिया। WJI प्रवक्ता उदय मन्ना ने बताया कि पत्रकारों में जो आक्रोश भरा है वो कोई भी दिशा ले सकता है। मीडियाकर्मी RJS स्टार सुरेंद्र आनंद के गीत ने माहौल में जोश भर दिया।

वर्किंग जर्नलिस्टस ऑफ इंडिया का मांगपत्र-


  • वर्तमान समय की मांगों पर ध्यान में रखते हुए वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में संशोधन किया जाए। 
  • इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया, वेब मीडिया, ई-मीडिया और अन्य सभी मीडिया कार्यकारी पत्रकार अधिनियम के अधिकार क्षेत्र में लाया जाए। 
  • भारत की प्रेस काउंसिल के स्थान पर मीडिया काउंसिल बनाई जाए। जिससे पीसीआई के दायरे और क्षेत्राधिकार को बढ़ाया जाए।
  • भारत के सभी पत्रकारों को भारत सरकार के साथ पंजीकृत किया जाए और वास्तविक मीडिया कर्मियों को पहचान पत्र जारी किया जाएं। 
  • जिन अखबारों ने वेजबोर्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया उन पर सरकारी विज्ञापन देने पर कोई अनुशासत्मक प्रतिबंध हो।
  • केंद्र सरकार लघु व मध्यम समाचार पत्रों को ज्यादा से ज्यादा विज्ञापन जारी करने के अपने नियमों को जल्द से जल्द परिवर्तित करे।
  • देश में पत्रकार सुरक्षा कानून तैयार किया जाए। 
  • तहसील और जिला स्तर के संवाददाताओं एवं मीडिया कर्मियों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन उपलब्ध कराई जाएं। 
  • भारत में सभी मीडिया संस्थानों को वेजबोर्ड की सिफारिशों को सख्ती से लागू करवाने के नियम बनाए जाए। 
  • ड्यूटी के दौरान अथवा किसी मिशन पर काम करते हुए पत्रकार एवं मीडियाकर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिजन को 15 लाख का मुआवजा और परिजनों को नौकरी दी जाए।
  • सभी पत्रकारों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन की सुविधा और सेवानिवृत्ति की उम्र 64 वर्ष की जाए। 
  • सभी पत्रकारों को राज्य एवं केंद्र सरकारों की तरफ से चिकित्सा सुविधा और बीमा सुविधा दी जाए। 
  • मीडिया में नौकरियों में अनुबंध प्रणाली का उन्मूलन किया जाए। 
  • कैमरामैन समेत सभी पत्रकारों को सरकारी कार्यक्रमों को कवर करने के लिए कोई पांबदी नहीं होनी चाहिए।
  • बेहतर पारस्परिक सहयोग के लिए जिला स्तर पुलिस-पत्रकार समितियां गठित की जाएं। 
  • शुरूआती चरणों में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा पत्रकारों से संबंधित सभी मामलों की समीक्षा की जाए और पत्रकारों से जुड़े मामलों को जल्द से जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाए। 
  • मीड़िया कर्मियों को देशभर में उनकी संस्थान के पहचान पत्र के आधार पर सड़क टोल पर भुगतान करने से मुक्त किया जाए। 
  • पत्रकारों को बस और रेल किराये में कुछ रियायत प्रदान की जाए। 
  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा PIB-DIP पत्रकारों की मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया को एकरूपता व सरल बनाया जाए।
  • समाचार पत्रों से GST खत्म किया जाए।
  • विदेशी मीडिया के लिए भारतीय मीडिया संस्थानों में विनिवेश की अनुमति ना दी जाए।
  • आनलाइन मीडिया को मान्यता दी जाए, उन्हें सरकारी विज्ञापन दिए जाएं व उनका सरकारी एक्रीडेशन किया जाए।

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