Monday 7 January 2019

बड़ी खबर: अब अंशकालिक संवाददाताओं को भी मिलेगा मजीठिया का लाभ




देशभर के समाचार पत्रों में कार्यरत उन अंशकालिक संवाददाताओं के लिए जो समाचार पत्रों में समाचार भेजने के बदले नाम मात्र भुगतान पाते थे के लिए एक अच्छी खबर आई है। अब अंशकालिक संवादताताओं को भी समाचार पत्र कर्मचारी मानते हुए जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ देने का आदेश मेरठ की एक श्रम न्यायालय ने दिया है। इस श्रम न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को संज्ञान में लेते हुए यह आदेश सुनाया है।

श्रम न्यायालय ने हिन्दुस्तान के अंशकालिक संवाददाता संदीप नागर द्वारा दायर एक याचिका पर यह निर्णय सुनाया है। हालांकि यह भी स्पष्ट कर दूं कि यह जरुरी नहीं है कि एक श्रम न्यायालय दुसरे श्रम न्यायालय के दिए गए फैसले को अपने यहां लागू करे ही। लेकिन इससे एक रास्ता जरुर अंशकालिक संवाददाताओं के लिए खुल गया है।

बताते हैं कि मेरठ के रहने वाले संदीप नागर हिन्दुस्तान समाचार पत्र में अंशकालिक संवाददाता थे। उन्होंने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार अपना बकाया पाने के लिए श्रम विभाग में आवेदन किया था। इस पर हिन्दुस्तान प्रबंधन ने यह दावा किया कि संदीप नागर पेशे से एक अध्यापक है और वह श्रमिक की परिभाषा में नहीं आता है। श्रम विभाग ने इस मामले को श्रम न्यायालय में भेज दिया। इसी बीच कंपनी इलाहाबाद उच्च न्यायालय गई और दावा किया कि श्रमायुक्त मेरठ को श्रम न्यायालय में इस मामले को भेजने का अधिकार नहीं है। संदीप नागर के एडवोकेट ने दावा किया कि शासन द्वारा मेरठ के उपश्रमायुक्त को इसके लिए अधिगृहित किया गया है और यह कारवाई वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17(2) के तहत सही और वैधानिक है। साथ ही यह भी कहा गया कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय से यह स्पष्ट है कि श्रम न्यायालय मेरठ को वाद सुनने और निर्धारित करने का पूरा अधिकार प्राप्त है। इस मामले की सुनवाई करते हुए श्रम न्यायालय मेरठ ने पाया कि वादी संदीप नागर के मुख्य व्यवसाय टीचिंग का उल्लेख करते हुए भी हिन्दुस्तान प्रबंधन ने दी गई शर्तों के अनुसार समाचार प्रेषित करने और उसके बदले पांच हजार रुपये भुगतान किए जाने का उल्लेख है।
श्रम न्यायालय ने माना कि इससे स्पष्ट है कि श्रमिक और सेवायोजक के मध्य एक संबंध था और सेवायोजक द्वारा लिए गए कार्यों का भुगतान भी वादी को किया जाता है। श्रम न्यायालय ने साफ आदेश दिया है कि उक्त विवेचना के आधार पर सेवायोजक द्वारा उठाई गई सभी आपत्तियों का निस्तारण उनके विरुद्ध व श्रमिक के पक्ष में लिया जाता है। इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 23 जनवरी को रखी गई है। यह आदेश पीठासीन अधिकारी श्रीराम सिंह ने दिया है। फिलहाल संदीप नागर के पक्ष में आए इस निर्णय से देश भर के समाचार पत्रों में कार्यरत अंशकालिक संवाददाताओं के लिए जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ पाने का एक रास्ता खुला है।

शशिकांत सिंह 
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
९३२२४११३३५

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