Wednesday 6 December 2017

मजीठिया: जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्त को संयुक्त आयुक्त श्रम का नोटिस

कंपनी के बोर्ड प्रस्ताव के साथ न आने पर एचआर एजीएम शुकला की  हुई फजीहत
शेल कम्पनी कंचन प्रकाशन को लेकर उठा मामला

दैनिक जागरण के मालिक यानी अध्‍यक्ष महेंद्र मोहन गुप्त को श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार ने नोटिस जारी कर कर्मियों के द्वारा दायर किए गए जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा को लेकर वाद में पक्ष रखने के लिए तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होनी है। वहीं दैनिक जागरण के पटना के एजीएम, एचआर विनोद शुक्ला के जागरण प्रबंधन के पक्ष में उपस्थिति पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अधिवक्ता मदन तिवारी ने संबंधित बोर्ड के प्रस्ताव की अधिकृत कागजात की मांग कर एजीएम शुकला की बोलती बंद कर दी। दैनिक जागरण के हजारों कर्मियों को अपने कर्मचारी न मानने के दावे की भी श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डा. वीरेंद्र कुमार के सामने एजीएम शुकला की हवा निकल गई।

दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार को प्रबंधन ने गया से जम्मू तबादला कर दिया था। पंकज कुमार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा के आलोक में वेतन और अन्य सुविधाओं की मांग की थी। पंकज कुमार गम्भीर रूप से पिछले साल बीमार हुए थे। मजीठिया वेजबोर्ड की मांग को लेकर प्रबंधन इतना खफा हो गया कि 92 दिन के उपार्जित अवकाश शेष रहने के बाद भी अक्टूबर और नवंबर 2016 के वेतन में 21 दिनों की कटौती कर दी। पंकज ने प्रबंधन के फैसले के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय की शरण में न्याय की गुहार लगाई। एरियर के बकाया 32.90 लाख रुपए के भुगतान की मांग की। साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय से गया से जम्मू तबादला को रद्द करने की गुहार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने पंकज कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में छह महीने का टाइम बांड कर दिया।

पंकज कुमार सहित दैनिक जागरण के कई कर्मियों के वाद की सुनवाई 5 दिसंबर को पटना के श्रम संसाधन विभाग के संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार के समक्ष हुई। पंकज की तरफ से अधिवक्ता मदन तिवारी ने जागरण की ओर से उपस्थित एजीएम विनोद शुक्ला की उपस्थिति पर सवाल उठाया। अधिवक्ता तिवारी का कहना था कि किस हैसियत से शुक्ला ने जागरण के अध्यक्ष मदन मोहन गुप्ता, सीईओ संजय गुप्ता, सुनील गुप्ता एवं अन्य की ओर से उपस्थिति दर्ज कराई है। एजीएम शुकला ने कम्पनी सेक्रेटरी की एक फोटो कापी दिखाई। फोटो कापी पर शुक्ला को अधिकृत होने की बात कही गई थी।

अधिवक्ता तिवारी ने दलील कि कम्पनी द्वारा पारित किसी भी प्रस्ताव की अभिप्रमाणित प्रति जो बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले चैयरमेन या निदेशक द्वारा हस्ताक्षरित रहेगी, वहीं प्रति न्यायालय में कम्पनी द्वारा अधिकृत व्यक्ति के शपथ पत्र के साथ दायर की जानी चाहिए। अधिवक्ता तिवारी ने लिखित रूप से आपत्ति दर्ज कराई। उसके बाद न्यायालय ने शुक्ला को निर्देश दिया कि वे बोर्ड के प्रस्ताव की अधिकृत प्रति हलफनामा के साथ दायर करे। अधिवक्ता तिवारी ने श्रम विभाग के द्वारा जागरण के अध्यक्ष मदन मोहन गुप्ता सहित अन्य निदेशकों के स्थान पर प्रबंधन जागरण को नोटिस जारी करने के मामले को उठाया। संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार ने आपत्ति उठाए जाने पर कहा कि पूर्व में नोटिस जारी किया गया था। लेकिन अब जागरण समूह के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया गया है।

जागरण के कई कर्मियों ने श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त वीरेंद्र कुमार को बताया कि एजीएम शुक्ला को ओर से दायर जबाव में कहा गया है कि गोपेश कुमार एवं अन्य कंचन प्रकाशन के कर्मी है। कंचन प्रकाशन के साथ जागरण प्रकाशन का contract प्रिंटिंग के जाब वर्क का है। इसलिए ये सभी दैनिक जागरण के कर्मचारी नहीं है।
अधिवक्ता तिवारी ने संयुक्त आयुक्त वीरेंद्र कुमार के सामने न्‍यूज पेपर रजिस्ट्रेशन एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी अखबार एवं पत्रिका को अपने अखबार में अनिवार्य अधिघोषणा में उस प्रेस का नाम पता देना जरूरी है। जहां अखबार प्रिन्ट होता है। उस प्रेस का नाम पता अनिवार्य है। लेकिन जागरण के किसी भी एडीशन में कंचन प्रकाशन को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई या की जा रही है। ऐसे में न्यूज पेपर रजिस्ट्रेशन एक्ट का उल्लघंन जागरण प्रकाशन कर रहा है। ऐसे में अनिवार्य अधिघोषणा न करने के नियम का न पालन करने के कारण अखबार का निबंधन भी रद्द हो सकता है।

[मजीठिया क्रांतिकारी ग्रुप से साभार]


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