Wednesday 27 December 2017

राजस्थान पत्रिका को लगा एक और झटका

उच्च न्यायालय ने रद्द किया आठ साल पुराना ​टर्मिनेशन ऑर्डर, कर्मचारी होगी बहाल


राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान पत्रिका की एक पत्रकार कर्मचारी की सेवामुक्ति को गलत मानते हुए उसे बहाल करने का आदेश दिया है। मामला आठ वर्ष पुराना है। सम्पादकीय विभाग में आर्टिस्ट के पद पर काम करने वाली कुमकुम शर्मा ने जब आर्टिस्ट की तरह ही काम लेने की बात कही तो उन्हें समाचार पत्र की समीक्षा में लगा दिया गया। विरोध करने पर उन्हें आरोप पत्र थमा दिया और अंदरूनी जांच की खानापूर्ति कर वर्ष 2009 में टर्मिनेट कर दिया।

यहां ऋषभचन्द जैन के माध्यम से उन्होंने श्रम अदालत में वाद दायर किया तो लम्बी सुनवाई के बाद अदालत ने प्रबन्धन के पक्ष में फैसला दिया। जैन साहब ने इसे राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने माना कि प्रार्थी से वह काम नहीं करवाया जा सकता था, जिसके लिए वह प्रशिक्षित नहीं हो। ऐसे किसी काम में कोताही के लिए उसे दण्डित भी नहीं किया जा सकता। इस मामले में प्रार्थी से ऐसा ही काम लिया जा रहा था, जिसके लिए कि उसकी नियुक्ति नहीं की गई थी। यह प्रार्थी को प्रताड़ित करने की श्रेणी में आता है। उच्च न्यायालय ने प्रार्थी का टर्मिनेशन आदेश रद्द कर दिया है। ऋषभचन्द जैन कर्मचारियों की तरफ से मजीठिया के केस भी लड़ रहे हैं।

कुमकुम शर्मा मामले में हाईकोर्ट का आदेश डाउनलोड करने के लिए यहां क्‍लिक करें या निम्‍न path का प्रयोग करें  https://goo.gl/bL5Jqf

No comments:

Post a Comment