Tuesday 11 July 2017

पठानिया जी का अंतिम संदेश- ''जिंदगी बहुत खूबसूरत है, लेकिन अपनों के बिना तू अच्छी नहीं लगती''

भला ऐसे भी कोई जाता है... : जिंदगी बहुत खूबसूरत है, लेकिन अपनों के बिना तू अच्छी नहीं लगती। मेरे व्हाट्सएप पर वरिष्ठ पत्रकार पठानिया जी का अंतिम संदेश यही था। पत्रकारिता में अपना जीवन खपा देने वाले बड़े भाई समान मित्र राकेश पठानिया अंतिम समय में मुझे याद करते रहे। (जैसा पारिवारिक सदस्यों ने आज अल सुबह बताया)। पता नहीं दोस्ती के कई कर्ज चुकाने बाकी रह गए।

जीवन सच में अनमोल है। आपके लिए खुद की जि़ंदगी न जाने क्या महत्व रखती है, लेकिन परिवार के लिए आप ही जि़ंदगी हो। यह वक्त न तो किसी तरह के वाद-विवाद का है और न ही इस असमय मृत्यु के कारणों की पड़ताल का। हम सबका फर्ज यह है कि हम पठानिया जी के परिवार की ऐसी क्या मदद करें कि उनका आगे का जीवन आसानी से कट सके। दोस्तों! पठानिया जी की पहचान एक कर्मठ पत्रकार के रूप में रही। पत्रकारिता के अलावा उनका कोई अतिरिक्त व्यवसाय नहीं रहा। धर्मपत्नी गृहिणी हैं, जबकि दो बच्चे अभी छोटी कक्षाओं में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

मैं दिल से आभारी हूँ धर्मशाला के प्रतिष्ठित व्यवसायी एवम दिवंगत पठानिया जी के मित्र श्री मुन्नू ठाकुर जी का जो संकट की इस घड़ी में पांच लाख की आर्थिक सहायता के साथ सामने आए हैं। वहीं नूरपुर के पूर्व विधायक श्री राकेश पठानिया ने दिवंगत पत्रकार राकेश पठानिया जी के एक बच्चे की शिक्षा का पूरा खर्च वहन करने की बात कही है। उम्मीद है दैनिक जागरण संस्थान उन्हें समुचित मुआवज़ा प्रदान करेगा। हमसे जो हर संभव मदद होगी, उसके लिए हम तैयार हैं।

(पत्रकार शशिभूषण पुरोहित की फेसबुक वॉल से)


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