Tuesday 12 January 2021

जागरण को एक ओर झटका, अभय छजलानी को वाहन सुख देने वाले नरेंद्र शर्मा ने पाई विजय


इंदौर, 12 जनवरी। जागरण प्रबंधन के नई दुनिया इंदौर को मजीठिया मामले में झटके पर झटके लग रहे हैं, लेकिन ना प्रबंधन और ना मालिक सुधरने का नाम ले रहे हैं। सोमवार को नई दुनिया में ड्राइवर के पद पर कार्यरत रहे नरेंद्र शर्मा ने मजीठिया में विजय प्राप्त कर अपने बुढ़ापे में नई दुनिया में की गई सेवा का ब्याज प्राप्त किया है।


वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि सोमवार को नरेंद्र शर्मा के पक्ष में माननीय लेबर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वेतन अंतर की राशि 27611 अंतरिम राहत राशि 52650 इस प्रकार कुल 81,261 रुपये का अवार्ड पारित किया है।


आपको बता दें कि यह राशि मात्र 4 माह यानि 2011 से मार्च 2012 तक की है। मात्र 4 माह की राशि प्राप्त कर बुजुर्ग साथी नरेंद्र शर्मा ने अपने बुढ़ापे में नई दुनिया में की गई सेवा का ब्याज वसूला है। वास्तव में इस बुढ़ापे में भी नरेंद्र शर्मा ने जिस साहस से केस लड़़कर विजय प्राप्त की उसके लिए उन्हें सलाम। ऐसे बुजुर्ग से युवा साथियों को सबक लेना चाहिए।


अभय छजलानी के थे ड्राइवर

नरेंद्र शर्मा नई दुनिया में अभय छजलानी के ड्राइवर थे। उन्होंने अभय की खूब सेवा की। यूं कहे कि उन्होंने कभी अभय को जमीन पर पांव रखने नहीं दिए। वे हमेशा उनकी सेवा में तत्पर रहते थे। नरेंद्र शर्मा वरिष्ठ मजीठिया क्रांतिकारी पदम शर्मा के पिता है। उन्होंने मजीठिया का केस स्वयं तो लगाया ही साथ ही अपने पुत्र पदम शर्मा को केस लड़़ने के लिए प्रेरित भी किया। ऐसे पिता को हम प्रमाण करते हैं।


जागरण प्रबंधन नहीं ले रहा सबक

20जे मामले में हाईकोर्ट से मात खा चुका जागरण प्रबंधन अब मजीठिया के केस में भी हाईकोर्ट की शरण में गया है। इस मामले में सभी मजीठिया केस में विजय कर्मचारियों को नोटिस भी भेजे गए हैं। लेकिन सोमवार को एक मामले में जागरण प्रबंधन को कोर्ट ने  दवज चतमेे करना पड़ा। वैसे कानूनविदों का कहना है कि हाईकोर्ट उसी कंडिशन में मजीठिया केस की सुनवाई कर सकता है, जब लेबर कोर्ट में विजयी कर्मचारी को जारी किए अवार्ड की आधी राशि जमा करें। इसके पश्चात ही हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। वैसे इस मामले में वाडिया का साफ कहना है कि हाईकोर्ट में मात खाकर लौटेंगे। माननीय श्रम न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है उस पर माननीय हाईकोर्ट अपनी मोहर लगाएगा और जागरण प्रबंधन को पुनः मुंह की खानी पड़ेगी।

(देखें हाईकोर्ट के नोटिस की कापी)




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