Thursday 14 January 2021

जागरण ग्रुप को मजीठिया में 16वां झटका, सरक्यूलेशन में कार्यरत दीपक दुग्गड को मिली विजय


इंदौर, 14 जनवरी। मजीठिया मामले में जागरण ग्रुप के इंदौर नई दुनिया को मंगलवार को एक फिर पराजय का मुंह देखना पड़ा। इस बार सरक्यूलेशन में कार्य करने वाले दीपक दुग्गड़ ने विजयश्री प्राप्त की। 

वरिष्ठ अभिभाषक सूरज आर. वाडिया ने बताया कि मंगलवार को मजीठिया मामले में माननीय श्रम न्यायालय ने नई दुनिया के सरक्यूलेशन में कार्यरत दीपक दुग्गड के पक्ष वेतन अंतर राशि (नवंबर 11 से सितंबर 2013) तक 3,84,034 रुपये का अवार्ड पारित किया है। यह जागरण ग्रुप के नई दुनिया की मजीठिया के रूप में 16वीं पराजय है।

मजीठिया क्रांतिकारी धर्मेन्द्र हाड़ा ने बताया कि दुग्गड समाजसेवी होकर आज मप्र के जैन ग्रुप के अध्यक्ष है। वे जैन समाज के बच्चों के लिए मैरिज ब्यूरो भी चलाते हैं। नईदुनिया मे रहकर इन्होंने प्रेस का ग्रामीण क्षेत्रों में डूबा पैसा निकलकर नई दुनिया प्रबंधन को लाखों फायदा पहुंचाया था, लेकिन उसके बावजूद नईदुनिया प्रबंधन इनके कार्यो का उचित मूल्य नहीं दे सकीं ना इन्हें समझ सकीं। लेकिन अब मजीठिया वेतनमान ने दुग्गड़ की सेवा को उन्हें इनाम दिया।


अब भी रूको और देखो में लगे वकील

मजीठिया के फैसले नई दुनिया के खिलाफ धड़ाधड़ जा रहे हैं, लेकिन इस मामले में अन्य अखबार के खिलाफ केस लड़ रहे वकील अभी भी रूको और देखो की नीति अपनाएं हुए हैं। मुझे याद है मेरे एक वरिष्ठ साथी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट हम गए हैं तथा सबसे पहले फैसला हमारा आएगा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि अभी तक प्रकरण में बहस तक पेश नहीं हुई। कुल मिलाकर अभिभाषक सूरज आर. वाडिया के अलावा कोई अभिभाषक मजीठिया मामले में गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है, जिससे अन्य प्रकरणों के आने में विलंब हो रहा है।


इसे कहते हैं एकजुटता

साथियों नई दुनिया प्रबंधन द्वारा मजीठिया मामले में हाईकोर्ट में शरण लेने की खबर मिलते ही  मैंने मुंबई, दिल्ली, राजस्थान के वरिष्ठ साथियों को अवगत कराया था। इस पर  मुंबई से वरिष्ठ साथी शशिकांत ने मुझे तुरंत ऐसे दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट के भेजे हैं, जिसमें स्पष्ट है कि मजीठिया मामले में लेबर कोर्ट के फैसले पर स्वयं सुप्रीम कोर्ट दैनिक भास्कर के मामले में स्पष्ट कह चुका है कि वे लेबर कोर्ट के फैसले के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं। अतः पूरा मामले आपके सामने स्पष्ट है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कापी मेरे द्वारा नई दुनिया के मजीठिया क्रांतिकारी धर्मेन्द्र हाडा को दे दी है। 

साथियों कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि आज जहां पत्रकार एक-दूसरे की टांग खींच रहे हैं, तथा कर्मचारी-कर्मचारी को नीचा दिखाने में लगा है ऐसे में मजीठिया केस में दूसरे शहर के साथी कैसे मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। 

(मप्र के एक साथी की रिपोर्ट)

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