Wednesday 29 July 2020

साइबर क्राइम: अदालती चाबुक से बिलिबलाया भास्कर



हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी

दैनिक भास्केर रूपी ऊंट अंतत: कानून-कायदे के विशालकाय पर्वत के नीचे आ ही गया है। इस अखबार के कर्ता-धर्ता, जो खुद को पुलिस, प्रशासन, आला हुकमरानों आदि को अपनी जेबी वस्तु समझते थे, अब कानून की गहरी मार से बेचैन हो गए हैं। सूझ नहीं रहा है िक कानूनी कोड़े से खुद को कैसे बचाएं। हां, ठीक समझे आप, मामला सुधीर श्रीवास्तव का ही है। वो सुधीर श्रीवास्तव, जिनका फर्जी इस्तीफा दैनिक भास्क।र चंडीगढ़ एडीशन के एचआर एंड एडिमन विभाग के हेड मनोज मेहता और उनके मातहतों ने, श्रीवास्तव के ई-मेल से, श्रीवास्तव की अनुपस्थिति में डाल दिया था, अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के लीगल हंटर की मार से बिलिबला रहे हैं। हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुिलस अधीक्षक को आदेश दिया है कि श्रीवास्तव के साथ जो भी हुआ है उसकी तफसील से जांच करके आगामी 21 अगस्त को एिफडेविट के साथ उसके ( हाई कोर्ट ) समक्ष रिपोर्ट पेश करें। इस बाबत समन मनोज मेहता को भी तामील करवाया गया है। 

मेहता साहब बिलख रहे हैं, तड़प रहे हैं, पर उनका खैर मकदम पूछने वाला कोई नहीं दिख रहा- मिल रहा। चंडीगढ़ की साइबर पुलिस ने मेहता को तलब कर लिया है। 

28 जुलाई 2020 के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने जो कहा है उसका जरूरी अंश इस प्रकार है :--- 

CRM M-19383 of 2020
    Notice of motion for 21.08.2020
    Senior Superintendent of Police, UT, Chandigarh will file an affidavit regarding the status of investigation in FIR No. 0196, dated 28.09.2019 under Section 66 (C) and 66 (D) of the Information Technology Act, 2000, registered at Police Station West Sector 11, Chandigarh (P-7), by next date of hearing.

दैनिक भास्कर चंडीगढ़ एडीशन के एचआर डिपार्टमेंट के सबसे दानिशमंद- संजीदे- कर्मठ- कुशल कर्मचारी सुधीर श्रीवास्तैव का कसूर महज इतना रहा है कि उन्होंंने अपनी पगार मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुातियों के हिसाब से करवाने के लिए आवाज उठा दी। पहले तो उन्होंंने अपने हाकिमों के समक्ष अपना वेतन बढ़ाने की डिमांड रखी। जब उनकी मांग अनसुनी हो गई तो उन्होंने वर्किंग जर्नलिस्टन एवं नॉन जर्नलिस्टउ एक्टक के दफा 17 का सहारा लेते हुए लेबर कमिश्नर और लेबर कोर्ट का रुख कर लिया। मैनेजमेंट, खासकर एचआर के मुखिया मनोज मेहता को जब पता चला तो उसने अपने मातहतों की मदद से सुधीर की गैर मौजूदगी में उनका (सुधीर का)  ऑफि‍शियल ई-मेल खोलकर उनका इस्तीफा भास्क(र के आला अधिकारियों को भेज दिया। दरअसल सुधीर के सिस्टधम और ऑफि‍शियल मेल का पासवर्ड एक ही है जिसकी जानकारी उनके साथ काम करने वाले सभी लोगों को थी। 

यह साइबर क्राइम 20 जून 2019 को शाम साढ़े 8 बजे सुधीर के आफि‍स का काम समाप्त करके घर जाने के बाद किया गया। अगले दिन 21 जून को सुधीर जब ड़यूटी के लिए भास्कलर पहुंचे तो सिक्यो‍रिटी गार्ड ने उन्हेंल गेट पर यह कह कर रोक लिया कि आपको अंदर जाने की मनाही है। बाद में मनोज मेहता और एक अन्य मैनेजर हरीश कुमार बाहर गेस्ट  रूम में आकर मातमपुर्सी के अंदाज में सुधीर से मिले। दोनों कहने लगे, ‘अरे, तुमने तो इस्तीसफा दे दिया है।‘ इतना सुनते ही सुधीर का माथा ठनका और कहा, ‘मैंने इस्तीलफा कहां दिया है‘, अच्छाे तो तुम लोगों ने मेरा मेल खोलकर इस्तीलफा डाल दिया। ठीक है, कोई बात नहीं। दुखी सुधीर घर चले गए और बाद में पुलिस केस कर दिया। 

इस साइबर क्राइम केस से बचने के लिए मनोज मेहता और उसके संगी साथियों ने अखबारी दबंगई का भरपूर इस्तेमाल किया। उसके इस आपराधिक कार्य में चंडीगढ़ भास्कर के संपादकीय मठाधीशों ने भरपूर साथ दिया। नतीजतन चंडीगढ़ की साइबर पुलिस मामले की जांच करने, सबूत जैसे फुटेज आदि हासिल करने की बजाय आखि‍रकार निष्क्रिय, शांत हो गई। अपने साथ हुई इस ज्यादती, इस अपराध की शिकायत सुधीर ने दैनिक भास्कर के मालिकों सुधीर अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल और पवन अग्रवाल सबसे की, लेकिन किसी ने भी इसका संज्ञान नहीं लिया। उल्टे डीबी कॉर्प के एक वाइस प्रेसीडेंट रवि‍ गुप्ता ने उस फुटेज को ही मुख्यालय भोपाल मंगा लिया जिसमें मनोज मेहता और उसके मातहतों के कारनामों के सबूत कैद थे। 

इंसाफ के लिए सुधीर श्रीवास्तव ने पुलिस के छोटे से लेकर बड़े, सभी अधिकारियों के दरवाजे खटखटाये। जब राहत देने, इंसाफ दिलाने की बजाय सारे पुलिसियों ने मुंह फेर लिया तो सुधीर ने अदालत की चौखट पर दस्तक दे दी। अदालत के आदेश के बाद वही पुलिसये हिरण गति‍  से अपनी कार्रवाई में मशगूल हो गए हैं।

-भूपेंद्र प्रतिबद्ध, चंडीगढ़ 


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