Tuesday 31 July 2018

मजीठिया: बॅाम्बे हाई कोर्ट ने दी कर्मचारियों को बड़ी राहत, लेबर कोर्ट में हो रही सुनवाई पर हस्तक्षेप करने से किया इनकार

कंपनी द्वारा उठाये गए आपत्ति को भी किया रिजेक्ट

एडवोकेट उमेश शर्मा ने दमदार तरीके से रखा बॅाम्बे हाई कोर्ट में कर्मचारियों का पक्ष

जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में बॅाम्बे हाई कोर्ट ने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (2) में क्लेम लगाने वाले कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए लेबर कोर्ट की सुनवाई में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए साफ कहा है कि इश्यू तय करने और उस पर निर्णय सुनाने का लेबर कोर्ट को अधिकार है। हाई कोर्ट मामले में कोई दखल नहीं देगा। मुंबई के एक समाचार पत्र प्रबंधन कंपनी श्री अंबिका प्रिंटर्स एंड पब्लिकेशन्स के सात कर्मचारियों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (1) के तहत अपने बकाये को पाने के लिए कामगार आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगाया था। इस पर विवाद हुआ और मामला लेबर कोर्ट में पहुंचा। लेबर कोर्ट ने कुछ इश्यू तय किए, जिस पर कंपनी प्रबंधन बॅाम्बे हाई कोर्ट पहुंच गया। कर्मचारियों की तरफ से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने एडवोकेट उमेश शर्मा, जो देश भर के मजीठिया क्रांतिकारियों की सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्होंने बॅाम्बे हाई कोर्ट में कर्मचारियों का पक्ष जोरदार तरीके से रखा। इस दौरान कंपनी के एडवोकेट ने कर्मचारियों द्वारा किए गए क्लेम की रकम पर सवाल उठाया और कहा कि यह क्लेम राशि गलत है, क्योंकि हमारा क्लासिफिकेशन ही गलत तरीके से किया गया है। हम सातवीं कैटेगरी में आते हैं, जबकि कर्मचारियों ने यह क्लेम चौथी कैटेगरी के तहत लगाया है।

हाई कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश श्री एस सी गुप्ते ने कंपनी को एक पुराने रेफरेंस का हवाला देते हुए मत दिया कि कंपनी क्लासीफिकेशन को क्लियर कराने के लिए बैलेंस शीट का सहारा ले। इसके साथ ही कंपनी द्वारा जब एक और सवाल उठाया गया कि प्राइमरी इश्यू पर फैसला पहले होना चाहिए, तब इस पर एडवोकेट उमेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए डी. पी. माहेश्वरी के मामले से जुड़े फैसले का उल्लेख करते हुए हाई कोर्ट का ध्यान दिलाया कि ऐसा नहीं हो सकता।

इस फैसले पर एडवोकेट उमेश शर्मा ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि बॅाम्बे हाई कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे कर्मचारियों को विजय की तरफ ले जाएगा। यह फैसला सौ प्रतिशत कर्मचारियों के पक्ष में है। श्री शर्मा ने कहा है कि कंपनी द्वारा बैलेंस शीट देने के मुद्दे पर इस आर्डर में एक पासिंग रेफरेंस है और अगर इस पर अदालत चाहे तो बैलेंस शीट मंगा सकती है। इससे दूसरे कर्मचारियों को कितना फायदा होगा, इस पर उमेश शर्मा जी ने कहा है कि कोई भी कंपनी अगर बीच में हाई कोर्ट जाती है तो इस आर्डर का हवाला देकर हाई कोर्ट कंपनी के केस को रिजेक्ट कर देगा। यह पूछे जाने पर कि धारा 17 (2) के तहत कंपनी के लोग, जो बार-बार हाई कोर्ट जा रहे हैं कर्मचारियों को कितना फायदा होगा। इस पर श्री शर्मा ने कहा कि बहुत फायदा होगा। सभी कर्मचारियों को फायदा होगा और किसी का समय भी जाया नहीं होगा। उमेश शर्मा ने कहा कि इस केस में कंपनी हाई कोर्ट स्टे लेने भी गई थी, मगर हाई कोर्ट ने स्टे देने से न सिर्फ मना कर दिया, बल्कि उनका एप्लीकेशन ही रिजेक्ट कर दिया है... यह कहते हुए कि इसका कोई ग्राउंड नहीं है। प्राइमरी इश्यू पर उमेश शर्मा ने कहा कि प्राइमरी इश्यू तय नहीं होंगे, बल्कि सभी इश्यू तय होंगे। यह आर्डर हमें सफलता की ओर ले जाते दिख रहा है। यह कर्मचारियों के लिए विजय का एक रास्ता है। जज साहब ने बहुत ही तगड़ा आर्डर किया है।

-मुंबई से धर्मेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट
मोबाइल: 9920371264
ई-मेल: dpsingh@journalist.com

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