Sunday 24 September 2017

मजीठिया और अखबारों में फैली अराजकता को बखूबी बड़े पर्दे पर दर्शाती फिल्म JD



पिक्चर हॉलों में टंग चुकी है जेडी
★★

★ पत्रकारों के रीयल  जीवन पर बनने वाली पहली फिल्म

★ मजीठिया मांगने पर दलाल ने पत्रकार को नौकरी से निकाला

एक पत्रकार द्वारा बनाई गई फिल्म जेडी तमाम पिक्चर हॉल में लगी हुई है. इस फिल्म की खास बात यह है कि इसके निर्माता निर्देशक तो पत्रकार शैलेंद्र पांडे है ही इस फिल्म का संपूर्ण ताना बाना पत्रकारीय जीवन उसकी चुनौतियों और संघर्षों के ईद गिर्द घूमती है. छोटा शहर छोटा अखबार. लो सैलरी और जीवन यापन के लिए कदम कदम पर छोटी छोटी जरूरतों के लिए मोहताजी.
कैसे एक ईमानदार पत्रकार को भ्रष्ट रास्तों पर ले जाती है.

एक न बिकने वाला ईमानदार पत्रकार कैसे राजनीति को साफ करने के प्रयास में खुद एक मोहरा होकर रह जाता है. फिल्म में गाने और डॉलाग्स जोरदार हैं जो लोगों को बांधते हैं. इसमें कम सैलरी का दर्द दिखा तो गलत राह चुनते ही धन का अंबार भी दिखाया गया.

हक मांगने पर कैसे मीडिया के दलाल एक पत्रकार को सड़क पर ला देते हैं और मीडिया में महिलाएं किस प्रकार शोषण सहती हैं और आगे बढ़ने के लिए अपने जिस्म का प्रयोग करती हैं इन सब मुद्दों को जेडी (पत्रकार जनार्दन द्विवेदी) में शैलेंद्र पांडेय ने बखूबी उठाया है.
और हां इसमें मजीठिया वेज का मुद्दा भी एक पत्रकार की नौकरी खाता नजर  आया .

भाई शैलेंद्र पांडेय को पत्रकारों के रीयल जीवन. पर  फिल्म निर्माण के लिए बधाई और शुभकामना.

अाप सब से अपील अगर अब तक आपने फिल्म नहीं देखी तो आज ही देखिए. एक अखबार में काम करते हुए मजीठिया वेज और अखबारों में फैली अराजकता को पर्दे पर दिखाने के लिए भाई

शैलेंद्र  पांडेय को साधुवाद.


शैलेश अस्थाना
संयोजक
भारतीय पत्रकार एसोसिएश (बीपीए)




फिल्म देखकर
99683 95807 पर शैलेंद्र पांडेय को दे सकते हैं शुभकामना और सलाह.



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1 comment:

  1. I salute Mr Pandey's decision to make a film on this burning issue of exploitation and machinations inside the Media houses. Thanks a lot for this brave and bold step.

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