Saturday 24 June 2017

मजीठिया: एडवोकेट उमेश शर्मा और दिनेश तिवारी सुप्रीम कोर्ट में दायर करेंगे पुनरीक्षण याचिका

मजीठिया वेजबोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसला पर मीडियाकर्मियों में बहस-विचार-चर्चा जोरों पर है। सूचना आ रही है कि मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई से जुड़े रहे दो वकीलों उमेश शर्मा और दिनेश तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करने का ऐलान कर दिया है। ये दोनों वकील अलग-अलग रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे। इनकी पुनरीक्षण याचिकाओं में मीडिया मालिकों को अवमानना का दोषी न माने जाने का बिंदु तो होगा ही, ट्रांसफर-टर्मिनेशन जैसे मसलों पर स्पष्ट आदेश न दिया जाना और इस मजीठिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट में फिर न आने की सलाह देने जैसी बातों का भी उल्लेख होगा। इन समेत ढेर सारे बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकृष्ट करते हुए फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एडवोकेट उमेश शर्मा और दिनेश तिवारी द्वारा रिव्यू पिटीशन दायर करने के ऐलान के बाद मीडियाकर्मियों में खुशी की लहर है। मजीठिया वेजबोर्ड मामले में 19 जून को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मीडियाकर्मियों और वकीलों का एक हिस्सा निराश है। शोषण, उत्पीड़न और अवमानना के आरोपी मीडिया मालिकों के साथ सुप्रीम कोर्ट का नरम व्यवहार चर्चा का विषय बना हुआ है। पीड़ित मीडियाकर्मियों को फौरी तौर पर कोई राहत सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नहीं दी है और सभी को एक बार फिर लेबर कोर्ट का रुख करा दिया है जहां लड़ाई वर्षों चल सकती है। इन सब बिंदुओं को देखते हुए देश भर के मीडियाकर्मियों के पक्ष में माननीय सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा और दिनेश तिवारी ने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में 19 जून के फैसले पर पुनर्विचार के लिए माननीय सुप्रीमकोर्ट में मीडियाकर्मियों के पक्ष में रिव्यू पिटीशन दायर करने का फैसला किया है।

एडवोकेट उमेश शर्मा ने मजीठिया क्रांतिकारी और आरटीआई एक्सपर्ट शशिकांत सिंह से बातचीत में साफ कहा कि वे मीडियाकर्मियों की लड़ाई को अधूरा नहीं छोड़ेंगे और वे इस फैसले में छूटी हुई कई बातों-खामियों को लेकर रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रहे हैं। इसके लिए उनकी पूरी टीम तैयारी में लगी है। उमेश शर्मा ने कहा कि माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश में कई खामियां हैं जिन पर सुप्रीमकोर्ट से गुहार लगाई जाएगी कि वे इन कमियों पर पुनर्विचार कर उन्हें दूर करें। एडवोकेट उमेश शर्मा द्वारा रिव्यू पिटीशन लगाए जाने की खबर से देश भर के मीडियाकर्मियों के चेहरे पर चमक आ गयी है। आपको बता दें कि उमेश शर्मा ने सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने से पहले ही बता दिया था कि लीगल प्वाइंट की डफली ज्यादा बजेगी तो अखबार मालिक बच निकलेंगे।

19 जून को आये सुप्रीमकोर्ट के फैसले में यूं तो ज्यादातर फैसले मीडियाकर्मियों के पक्ष में आये हैं, लेकिन कुछ फैसलों में सुप्रीमकोर्ट ने अखबार मालिकों को राहत दी है। इस फैसले में हुयी कुछ कमियों को लेकर रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रहे एक अन्य वकील का नाम दिनेश तिवारी है।

एडवोकेट दिनेश तिवारी ने खुद इस खबर की पुष्टि पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह से फोन पर हुयी बातचीत में की है। उन्होंने कहा कि वे जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में सुप्रीमकोर्ट के 19 जून फैसले में कुछ कमी देख रहे हैं और इन कमियों को लेकर वे सुप्रीमकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रहे हैं। दिनेश तिवारी बिहार के आरा के प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ मिथलेश कुमार का केस माननीय सुप्रीमकोर्ट तक लेकर आये थे। प्रभात खबर प्रबंधन ने मिथलेश कुमार का ट्रांसफर जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड का लाभ मांगने के कारण झारखण्ड के चाईबासा में कर दिया था।

इसके बाद वे एडवोकेट दिनेश तिवारी की मदद से सुप्रीमकोर्ट की शरण में गए थे। सुप्रीमकोर्ट ने उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दिया था। एक प्रश्न के उत्तर में एडवोकेट दिनेश तिवारी ने कहा कि उन्होंने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड मामले में अखबार मालिकों के खिलाफ लगाए गए अवमानना मामले में सुप्रीमकोर्ट द्वारा दिए गए 19 जून के फैसले को अच्छी तरह पढ़ लिया है। ये फैसला वैसे तो अखबार कर्मियों के पक्ष में है लेकिन कुछ प्वाइंट हमारे खिलाफ गए हैं। अखबार कर्मियों के खिलाफ गए फैसले में कई खामियां है जिसका लाभ अखबार मालिक उठाएंगे। इसलिए वे रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रहे हैं। वे और उनकी पूरी टीम रिव्यू पिटीशन के लिए दिन रात तैयारी कर रही है। एडवोकेट दिनेश तिवारी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट किसी के मौलिक अधिकार को ब्लॉक नहीं कर सकता और किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट बार-बार न्याय के लिए जाने से रोक नहीं सकता।


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