Thursday 22 August 2019

पत्रकार को बुरी तरह परेशान करके फंस गया एचटी प्रबंधन, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर

हिंदुस्तान टाइम्स मुम्बई से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां पटना से हाल में ट्रांसफर होकर आए एक पत्रकार को हिंदुस्तान टाइम्स ने इतना परेशान किया कि इस पत्रकार ने हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर कर दी है। इस पीआईएल को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है। लगभग 33 साल हिंदुस्तान टाइम्स के पटना एडिशन में काम करने के बाद अचानक इस पत्रकार का मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया। अब यहीं से हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस पत्रकार के साथ जो किया, वह सुनेंगे तो चौक जाएंगे। यह घटनाक्रम हिंदुस्तान टाइम्स के असली चेहरे को उजागर करता है।

मुम्बई पहुंचने पर एचआर डिपार्टमेंट की हेड ने कुछ दिनों बाद उन्हें अपने ऑफिस में बुलाया और बाउंसर के जरिये इनका पटना में दिया गया आईकार्ड छीन लिया। फिर इनसे कहा कि आप रिजाइन दे दीजिए। इस साथी ने रिजाइन नहीं दिया और मुम्बई में न्यूज पेपर एम्पलॉइज यूनियन ऑफ इंडिया के महासचिव धर्मेन्द्र प्रताप सिंह से संपर्क किया। धर्मेन्द्र जी की सलाह पर ये पत्रकार मुम्बई के दादर पुलिस स्टेशन पहुँचे और पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन के खिलाफ किया।

पुलिस डिपार्टमेंट ने लापरवाही की तो पुलिस महकमे के आला अधिकारियों तथा मंत्रियों को ट्वीट पर ट्वीट और मेल पर मेल किया। प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी मेल किया। पुलिस महकमे में हड़कंप मचा तो दादर पुलिस ने हिंदुस्तान टाइम्स की एचआर की महिला अधिकारी को पुलिस स्टेशन बुलाया। महिला अधिकारी ने लिखित बयान दिया कि उन्हें ये पॉवर है कि इस पत्रकार का रिजाइन मांग सकती हैं। यही नहीं, इस महिला अधिकारी ने ये भी माना कि बाउंसर लगाकर नहीं बल्कि अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए मैंने इनसे इनका आईकार्ड लिया है।

कहानी में एक नया ट्विस्ट भी आता है। लगभग 33 साल हिंदुस्तान टाइम्स में नौकरी करने के बाद यह पत्रकार जब अपना पीएफ एकाउंट से कुछ पैसा निकालने गया तो पीएफ ऑफिस ने पहले उन्हें मुम्बई और दिल्ली दौड़ाया। फिर पीएफ ऑफिस की तरफ से बताया गया कि आपका पैसे तो हमारे पास पड़े हैं लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ने आपका जॉइनिंग एक साल पहले हिंदुस्तान डिजिटल में दिखाई है और नियमानुसार आप एक साल नौकरी कर के पीएफ एकाउंट से पैसा नहीं निकाल सकते। इसके लिए आप अपनी कंपनी से संपर्क करें।

इस पत्रकार ने जब कंपनी से संपर्क किया तो उसे कहा गया कि आप रिजाइन दे दीजिए फिर आपकी पूरी मदद करेंगे, नहीं तो हम कुछ नहीं करेंगे। धर्मेन्द्र जी की सलाह पर इस पत्रकार ने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के तहत अपना क्लेम तैयार कराया और लेबर डिपार्टमेंट में एक करोड़ रुपये के बकाये का क्लेम कर दिया। इसी बीच इस पत्रकार ने माननीय सुप्रीमकोर्ट को पूरा वाक्या लिखित रूप से और ऑनलाइन बताया तथा एक पीआईएल सुप्रीमकोर्ट में ऑनलाइन दायर कर दिया जिसे सुप्रीमकोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है। इस मामले पर जल्द सुनवाई होगी। सुप्रीमकोर्ट ने इस पत्रकार द्वारा भेजे गए स्पीड पोस्ट को भी रिकार्ड में लिया है। श्रम मंत्रालय के लिखे उनके पत्र पर मंत्रालय ने लेबर कमिश्नर महाराष्ट्र को पत्र लिखकर तुरंत इस मामले में एक्शन लेने को भी कहा है। इस पत्रकार ने मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली को भी पत्र लिखकर पूरी स्थिति से अवगत कराया है जिस पर वह भी करवाई कर रहा है।

[मुंबई से पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट शशिकांत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क : 9322411335]

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