Saturday 13 July 2019

मजीठिया से बचने को जबरन इस्‍तीफे लिखवा रहा दिव्‍य हिमाचल अखबार

डिजीटल कंपनी में डालने की है प्‍लानिंग, अब तक कई फंसे

हिमाचल से खबर है कि हिमाचल का अपना दैनिक होने का दंभ भरने वाली अखबार दिव्‍य हिमाचल का प्रबंधन मजीठिया वेजबोर्ड के तहत बकाया एरियर और नए वेतनमान को हड़पने के लिए अपने कर्मचारियों के इस्‍तीफे मांग रहा है। ऐसा करके प्रबंधन उन्‍हें वर्किंग जर्नलिस्‍ट एक्‍ट के दायरे से बाहर करके इस एक्‍ट के दायरे में ना आने वाली डिजिटल मीडिया कंपनी में डालने की जुगत में जुटा हुआ है। इस कड़ी में कई डरपोक या मजबूर कर्मचारियों ने ऐसा कर भी दिया है, मगर कुछ प्रबंधन से भिड़ने की तैयारी में हैं। सच्‍चाई यह भी है कि इस संस्‍थान के किसी कार्यरत कर्मचारी ने मजीठिया वेजबोर्ड की लड़ाई में पिछले आठ सालों से मुंह तक नहीं खोला है, इसके बावजूद प्रबंधन को देनदारियों का भय सताए जा रहा है, क्‍योंकि प्रबंधन जानती है कि कभी न कभी तो कर्मचारियों का हक उन्‍हें देना तो पड़ेगा ही। इसलिए इस्‍तीफे लेने और मजीठिया के तहत सेटलमेंट पर हस्‍ताक्षर करवाकर कंपनी अपनी देनदारियों से बचने की नाकाम कोशिश में जुट गई है।

फिलहाल एक साथी से सूचना मिली है कि इस संस्‍थान के कर्मचारी पिछले तीन साल से इन्‍क्रीमेंट को तरस रहे हैं। ऊपर से एचआर प्रबंधक आनंद शर्मा के नए फरमान ने उनके जख्‍मों पर नमक छिड़कने का काम करते हुए करीब सभी कर्मचारियों से इस्‍तीफा देने को कहा है। इसकी जद में अभी खासकर नॉन जर्निलस्‍ट स्‍टाफ है, प्रबंधन जानता है कि सभी को एकसाथ टारगेट किया तो बगाबत का बिगुल बज सकता है। लिहाजा बैच बनाकर इस्‍तीफे मांगे जा रहे हैं। इनके बाद जर्नलिस्‍ट स्‍टाफ का भी नंबर लग सकता है।

दिव्‍य हिमाचल के कर्मचारियों से कहा जा रहा है कि वे मौजूदा पद से इस्‍तीफा देकर दूसरी डिजीटल मीडिया कंपनी से जुड़ जाएं, ताकि प्रबंधन मजीठिया वेजबोर्ड के चंगुल से बच सके। इसके बादले उन्‍हें बेसिक में कुछ राशि बढ़ाकर ग्रेच्‍युटी व अन्‍य भत्‍ते देने का लालच दिया जा रहा है। कुछ ने तो इस लालच में आकर नो ड्यूज पर साइन भी कर दिए हैं। हालांकि प्रबंधन यह भी जानता है कि जबरन इस्‍तीफा लिखवा कर भी वह मजीठिया वेजबोर्ड का एरियर देने से नहीं बच सकता, क्‍योंकि माननीय सुप्रीम कोर्ट 7 फरवरी 2014 को आदेश दे चुका है कि सभी समाचारपत्र संस्‍थान अपने कर्मियों को 11 नवंबर 2011 से देय एरियर और नया वेतनमान दें। हां संस्‍थान यह बात जरूर समझ चुका है कि डरपोक और आसपास के क्षेत्रों से यहां काम पर रखे गए अधिकतर कर्मचारी थोड़े की लालच में अपना लाखों रुपये का बकाया भी छोड़ सकते हैं और अगर खूंटी पर रस्‍सी से बंधे पशु की तरह उनके दिमाग में नौकरी जाने का भय बिठा दिया जाए तो वे बिना रस्‍सी बांधे भी खूंटी के पास ही बैठे रहेंगे कहीं जाने की हिम्‍मत नहीं करेंगे। दिव्‍य हिमाचल की प्‍लानिंग यह है कि जितने अधिक कर्मचारियों से इस्‍तीफा लिया जाएगा भविष्‍य में उतनी बचत होगी, क्‍योंकि इसके बाद कर्मचारी मजीठिया वेजबोर्ड के लाभ पाने के हकदार नहीं रहेंगे। हालांकि जब तक उन्‍होंने इस कंपनी में  काम किया है तब तक का एरियर वे कभी भी क्‍लेम कर सकते हैं। हां इस्‍तीफा और फुल एंड फाइनल सेटलमेंट को कंपनी हर कानूनी लड़ाई में हथियार बना सकती है। ऐसे में जिन कर्मचारियों ने अभी तक इस्तीफे नहीं दिए हैं वे अपने हाथ काट कर देने से बचें और एकजुट होकर कंपनी का विरोध करें, क्‍योंकि जबरन इस्‍तीफा लेना अनफेयर लेबर प्रेक्‍टि‍स में आता है। वे एकत्रित होकर किसी जानकार साथी या यूनियन की मदद ले सकते हैं।

(हिमाचल के किसी साथी द्वारा भेजी सूचना पर आधारित)

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