Wednesday 24 July 2019

मप्र हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने 20 जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की मंशा की स्पष्ट, कम वेतन पर नहीं होगा लागू

17 (1) में पत्रिका के दो कर्मचारियों की आरआरसी को वैध माना 

मजीठिया के लिए गठित मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की स्पेशल बेंच ने 18 जुलाई 2019 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इसमें राजस्थान पत्रिका के दो कर्मचारियों की धारा 17 (1) में जारी की गई आरआरसी को माननीय उच्च न्यायालय की स्पेशल बेंच ने वैध माना है। अब इन दोनों कर्मचारियों को मजीठिया के मुताबिक भुगतान का रास्ता साफ हो गया है।

इसके अलावा फैसले में सबसे बड़ी बात अब तक मजीठिया मामले को लेकर अखबार मालिकों द्वारा विवादित किए जा रहे 20 जे के मुद्दे को लेकर निकली है। माननीय स्पेशल बेंच ने प्रबंधन के वकीलों द्वारा 20 जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर की जा रही गलत व्याख्या को भी इस आदेश में ठीक किया है। माननीय विद्वान न्यायाधीश श्री सुजय पॉल की बेंच ने स्पष्ट किया है कि 19 जून 2017 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मंशा कतई ये नहीं है कि कर्मचारियों के कम वेतन पर 20 जे लागू होगा। 20 जे केवल अधिक वेतन के मामले में वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। इस फैसले से अब उन कर्मचारियों को सबसे अधिक मदद मिलेगी, जिनसे प्रबंधन ने जबरदस्ती या धोखे से कम वेतन होने के बाद भी जबरन हस्ताक्षर करा लिए हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब उनका कोई औचित्य नहीं रह गया है। कर्मचारी श्रम न्यायालय में इस फैसले की कॉपी लगाकर मैनेजमेंट के झूठ से पर्दा उठा सकते हैं।

इसके अलावा नईदुनिया का एक मामला और भास्कर के अन्य करीब 22 मामलों को लेकर उपश्रमायुक्त को 17 (2) में भेजने के निर्देश दिए हैं। इन मामलों में राशि का निर्धारण श्रम न्यायालय से होगा। 

गौरतलब है मध्यप्रदेश के विभिन्न् समाचार पत्रों जिनमें दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और नईदुनिया (जागरण ) शामिल हैं। इनके खिलाफ उप श्रमायुक्त द्वारा धारा 17 (1) में कर्मचारियों की सुनवाई करते हुए आरआरसी साल 2016 में जारी की थी। अखबार प्रबंधन ने इन आरआरसी को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जहां करीब तीन साल से मामला विचाराधीन था। इसमें  फैसला आया है।

सुनवाई के दौरान प्रबंधन के वकीलों ने अपने समर्थन में 20 जे को लेकर काफी देर तक जिरह की लेकिन कोर्ट के सामने उनकी कोई चालाकी काम नहीं आई। पत्रिका के कर्मचारियों की ओर से श्री अभिषेक अरजरिया ने जोरदार दलीलें रखीं और माननीय न्यायालय को बताया कि एक्ट के अनुसार किसी भी कर्मचारियों को कम वेतन नहीं दिया जा सकता। 20 जे को लेकर भी उन्होंने कोर्ट के सामने मैनेजमेंट के झूठ का पर्दाफाश किया और उप श्रमायुक्त द्वारा पत्रिका के दो कर्मचारियों के पक्ष में जारी की गई आरआरसी को बिलकुल सही साबित करने की दलील रखी। माननीय न्यायालय ने सभी की दलीलें सुनने के बाद पत्रिका के दोे कर्मचारी कौशल किशोर चतुर्वेदी और जूही गुप्ता की आरआरसी को वैध माना। बाकी अन्य मामलों में जारी आरआरसी निरस्त कर इन मामलों को उप श्रमायुक्त को धारा 17 (2) में भेजने के निर्देश दिए।

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