Friday 12 October 2018

3 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित, मुख्‍य न्‍यायाधीश गोगोई ने जजों के अवकाश पर लगाई लगाम



नई दिल्ली। मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने अदालतों में लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए कार्यदिवस के दौरान छुट्टी नहीं का प्रावधान लागू करने का फैसला लिया है। लेकिन, सवाल यह है कि उनके इस सराहनीय फैसले से अदालतों में लंबित मामलों का बोझ कितना कम हो पाएगा।

गौरतलब है कि देश की अदालतों में 3 करोड़ से ज्‍यादा मामले लंबित हैं। जिनमें से उच्‍चतम न्‍यायालय में करीब 55 हजार, उच्‍च न्‍यायालों में 32.4 लाख और निचली अदालतों में 2.77 करोड़ मामले लंबित हैं। इस वजह से न्याय की उम्मीद लगाए लोगों की कतार लगातार लंबी होती जा रही है।

पद संभालने के साथ ही मुख्‍य न्‍यायाधीश गोगोई ने अदालतों में लंबित मामलों का बोझ कम करने के लिए कदम उठाए जाने के संकेत दिए थे। जल्द ही उन्होंने उच्‍च न्‍यायालय के कालजियम सदस्यों के साथ चर्चा कर कुछ कठोर कदम उठाए जाने के परामर्श दिए। मुख्‍य न्‍यायाधीश ने उच्‍च न्‍यायालय के मुख्य न्यायाधीशों से उन जजों को न्यायिक कार्य से हटाने को कहा जो अदालती कार्यवाही के दौरान नियमित नहीं रहते। साथ ही उन जजों के बारे में जानकारी देने को कहा जो काम के दौरान अनुशासन की अवहेलना करते हैं।

उच्‍च न्‍यायालय के किसी जज या निचली अदालत के किसी न्यायिक अधिकारी को आपात स्थिति को छोड़कर कार्य दिवस में छुट्टी मंजूर न करने पर जोर देने के अलावा न्‍यायमूर्ति गोगोई ने कार्य दिवस पर सेमिनार या आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रहने को कहा है। क्योंकि इस वजह से सुनवाई के दौरान सामने आनेवाले मामलों का वक्त जाया होता है। वीडियो कांफ्रेसिेंग के बाद एक आधिकारिक खत के जरिए मुख्‍य न्‍यायाधीश ने अदालती कार्यदिवस के दौरान जजों के एलटीसी लेने पर भी रोक लगाई है। वर्तमान में उच्‍चतम न्‍यायालय के जजों को एक साल में तीन एलटीसी मिलती है।

मुख्‍य न्‍यायाधीश ने उच्‍च न्‍यायालय के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ जजों से न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर
खाली पदों को भरने के लिए फौरन कदम उठाने को कहा है। उन्‍होंने जजों से कहा कि निचली अदालतों में केस के तेजी से निपटारे के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत है। अभी यह निगरानी तिमाही आधार पर होती है। उन्होंने जजों से ट्रायल अदालतों में मामलों के निपटारे के लिए रोजाना निगरानी के मेकनिजम की संभावनाएं तलाशने को कहा। देश की निचली अदालतों में करीब 2.6 करोड़ मामले लंबित हैं।

उच्‍च न्‍यायालय में लंबित मामलों में कमी लाने के लिए उन्‍होंने मुख्य न्यायाधीशों से ऐसे केसों की फाइलें एकत्र करने के बाद ऐसे मामले खंगालने को कहा जो एक समयसीमा के बाद निष्प्रभावी हो गए हैं। उन्‍होंने कहा कि अगला कदम उन आपराधिक मामलों की अपील की पहचान होना चाहिए, जिनमें निचली अदालत से सजा होने के बाद आरोपी जेल में बंद हैं। जो मामले 5 या उससे ज्यादा वर्षों से लंबित हैं, उन्हें सुनवाई के लिए फौरन सूचीबद्ध किया जाए।  मुख्‍य न्‍यायाधीश ने इसके साथ ही उच्‍च न्‍यायालय के कालजियम को सलाह दी कि जजों की नियुक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ संभावित नाम को चुनें। साथ ही उन्होंने सलाह दी कि मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम हाई कोर्ट जज किसी बाहरी दवाब से प्रभावित हुए बिना जजों का चुनाव करें।

[साभार: नवभारतटाइम्‍सडॉटकॉम]
https://navbharattimes.indiatimes.com/india/cji-ranjan-gogoi-no-leave-formula-for-judges-to-fight-pendency-bans-leave-on-workdays/articleshow/66172392.cms

No comments:

Post a Comment