Friday 23 March 2018

पत्रकारों के कमजोर होने से कमजोर होगा लोकतंत्र: सरकार

नई दिल्ली, 23 मार्च। सरकार ने आज स्वीकार किया कि मीडिया संस्थानों में पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों को अनुबंध पर नौकरी और मजीठिया वेतनबोर्ड के क्रियान्वयन न होने का मामला वाकई में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर कर रहा है तथा इसके समाधान के लिए विशेष प्रयास की जरूरत है।

केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने यहां एक कार्यक्रम में नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट और दिल्ली जर्नलिस्ट एसाेसिएशन के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में जल संसाधन एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल एवं सांसद धर्मेन्द्र कश्यप भी मौजूद थे।

कार्यक्रम में देश के जाने-माने पत्रकारों ने मंत्रियाें को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के कामकाज की दशाअों की जानकारी दी। वयोवृद्ध पत्रकार एवं एनयूजे आई के संस्थापक सदस्य राजेन्द्र प्रभु, के एन गुप्ता, विजय क्रांति ने कहा कि ठेके पर नौकरी के चलन ने पत्रकारों एवं पत्रकारिता को कमजोर कर दिया है। पत्रकारों को सामाजिक सुरक्षा नहीं है और उनका जीवन अनिश्चितता से भरा है। सरकार को इन विसंगतियों को दूर करने के लिए कुछ करना चाहिए। महिला पत्रकारों ने भी अपनी दिक्कतों से उन्हें अवगत कराया।

इस असवर पर गंगवार ने मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को सुचारु रूप से लागू करने, पत्रकारों की समस्याओं को दूर करने और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया संस्थानों में पत्रकारों को अनुबंध पर नियुक्त करने, मजीठिया वेतन बोर्ड को लागू करने से जुड़ी दिक्कतों और पत्रकारों की अन्य समस्याओं से अवगत कराया जाता रहा है। वह पत्रकारों की दिक्कतों काे दूर करने को लेकर काफी संजीदा है और इस बारे में चर्चा करने के लिए हमेशा उपलब्ध हैं। उन्होंने अगले सप्ताह पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए अपने कार्यालय में आमंत्रित भी किया।

केन्द्रीय श्रम मंत्री ने कहा कि वह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर बहुत गंभीर हैं। देश में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ लोगों को राहत एवं सुरक्षा देने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनानेे के लिए प्रतिबद्ध है और वह 40 कानूनों को मिला कर चार कानून बनाने वाली है जिनमें श्रमजीवी पत्रकारों से जुड़े मामलों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

मेघवाल ने माना कि यदि पत्रकार स्वतंत्र, सुरक्षित एवं निर्भीक नहीं रहेंगे तो लोकतंत्र भी सुरक्षित नहीं रहेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि संसद की विभिन्न समितियों की बैठक में ठेके पर नौकरियों एवं मजीठिया वेतन बोर्ड का मामला आता रहा है लेकिन पहले यह उतना गंभीर नहीं लगा लेेकिन आज उन्हें इसकी गंभीरता का अहसास हुआ है। वह मानते हैं कि निश्चित रूप से पत्रकार समाज की सूरत में बदलाव आना चाहिए और सरकार इसके लिए गंभीरता से विचार करेगी।

गंगवार और मेघवाल ने इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र प्रभु, अच्युतानंद मिश्र और अन्य पत्रकारों को सम्मानित किया। इनमें प्रभु, गुप्ता, हेमंत विश्नोई, रवीन्द्र अग्रवाल, यूनीवार्ता के विशेष संवाददाता एवं यूनाइटेड न्यूज आफ इंडिया वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार मिश्रा, एनयूजे आई के अध्यक्ष अशोक मलिक, महासचिव मनोज वर्मा, कोषाध्यक्ष राकेश आर्य, पाँच्यजन्य के संपादक हितेश शंकर, दिल्ली पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह, महासचिव प्रमोद कुमार आदि शामिल थे।

(साभार: वार्ता)


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