Sunday 7 May 2017

मजीठिया वीरों को समर्पित एक कविता

आ गया समय निकट अब जीत न्याय की होगी
इतिहास में दर्ज कहानी मजीठिया वीरों की होगी

मुश्किलें सही पर अन्याय, अनीति के आगे झुके नहीं
भामाशाहों की घुड़की के आगे कदम कभी रुके नहीं

उनके धैर्य और साहस की गाथा अमर रहेगी
हम न रहेंगे, तुम न रहोगे बस बातें अमर रहेंगी

धूर्त, कायरों को आने वाली नस्लें धिक्कारेंगी
स्वाभिमान बेचने वालों को उनकी संतानें धिक्कारेंगी

अपने हक की आवाज उठाने का जिसमें साहस ना हो
वह कैसा है पत्रकार जिसका आचरण बृहनला जैसा हो

अतीत झांक कर देखो कलम तुम्हारी क्रांति बीज बोती थी
चाहे जितनी हो तलवार तेज गुट्ठल होकर रह जाती थी

वही कलम आज कुछ पैसों की खातिर दासी लगती है
पत्रकारिता तो अब लाला बनियों की थाती लगती है

हमने अपना श्रम बेचा है जमीर का तो सौदा किया नहीं
खबरदार सदा मौन रहने का व्रत तो है हमने लिया नहीं

न्यायालय की नाफरमानी की सजा भुगतने को तैयार रहो
शोषण करने वालों काल कोठरी में रहने को तैयार रहो

देखेंगे धन बल, सत्ताबल कितना काम तुम्हारे आता है
कौन है वह माई का लाल जो तुम्हें बचाने आता है

मनोज शर्मा
(जुझारु और क्रांतिकारी साथी मनोज शर्मा हिंदुस्‍तान बरेली में संपादकीय सेवाएं देने के साथ-साथ वकालत भी करते हैं।) 




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