Sunday 14 May 2017

मजीठिया-फैसले के आसपास, सांसदों से कुछ सवाल (2)

इससे पहले आप शरद यादव के बारे में पढ चुके होंगे। आज चर्चा तरुण विजय की करते हैं-

2. श्री तरुण विजय -पांचजन्य के पत्रकार/23 तारीख को जंतर-मंतर पर केयूजे के प्रदर्शन के बाद यही परिचय उनका दिया गया था। पांचजन्य अखबार है। जेएनयू पर स्टोरी छापने के बाद आरएसएस ने इसे अपना मुखपत्र मानने से इंकार कर दिया था।
हमारा पूर्व सांसद और बीजेपी नेता से सिर्फ इतना ही कहना है कि मजीठिया का मामला कोई नया मामला नहीं है। इनकी पार्टी की सरकार तब भी थी और अब भी कई राज्यों में है। और इन्हीं के राज्यों में मजीठिया का खूब मजाक मालिक उड़ाते रहे हैं लेकिन ताज्जुब है श्री विजय के कान पर इससे पहले कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
अब न जाने क्यों उस दिन लाल झंडा लिए मजीठिया दिलाने जंतर-मंतर पर चले आए। एक बार भी राज्य सभा में, जब सदस्य थे,  इस मामले को नहीं उठाया। क्या गजब के आरएसएस के मुखपत्र से निकले पत्रकार हैं।
क्या इन बीजेपी के पत्रकारनुमा सांसद या पूर्व सांसद/ नेता फैसला आने के बाद समाचार पत्र के कर्मचारियों को उनका हक दिलाने के लिए कम से कम अपने प्रदेशों की सरकार पर दबाव बनाएंगे।
इन्हीं बीजेपी शासित राज्यों में अखबारों के साथ सबसे अधिक अन्याय और इनका शोषण हो रहा है। आप खुद ही देख लीजिए इन राज्यों और वहां के अखबार मालिकों की करतूत।
राजस्थान- राजस्थान पत्रिका,  दैनिक भास्कर
हरियाणा- दैनिक जागरण,  दैनिक भास्कर, अमर उजाला
उत्तर प्रदेश- दैनिक जागरण,  दैनिक भास्कर, अमर उजाला,  हिन्दुस्तान,  इंडियन एक्सप्रेस,  इंडिया टुडे
उत्तराखंड- दैनिक जागरण,  दैनिक भास्कर, अमर उजाला,  हिन्दुस्तान
मध्य प्रदेश- दैनिक जागरण,  दैनिक भास्कर
छत्तीसगढ़- राजस्थान पत्रिका,  दैनिक भास्कर
 जम्मू एवं कश्मीर- दैनिक जागरण,  अमर उजाला
झारखंड- दैनिक जागरण,  दैनिक भास्कर, प्रभात खबर, हिन्दुस्तान
महाराष्ट्र- सकाल,  इंडियन एक्सप्रेस,  लोकमत समाचार आदि।
इनके अलावा कई और राज्यों में भी भाजपा की सरकार है जहां की हालत अच्छी नहीं है।
-मजीठिया मंच से साभार

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