Monday 8 May 2017

...समानता होती तो आज इतने मीडिया कर्मी शोषण के शिकार नहीं होते

हर जगह हर संस्थान में लोग अपने अधिकार और अपने हक के लिए जगरूक है। आज 8 मई की ही बात है राजस्थान के कोटा जिले में प्रसिद्ध ओर चर्चित अस्पताल है "सुधा हॉस्पिटल"। होने को तो थोड़ा महँगा है, लेकिन सुविधा सम्पन्न है। यहाँ मरीजों के परिजनों को ज्‍यादा भटकना नहीं पड़ता, यहाँ का आफिस स्टाफ ही परिजन की भूमिका निभाता है। यहाँ लगभग 250 कर्मियों का स्टाफ है।

हर साल यहाँ कर्मियों का 10% से 15% इन्क्रीमेंट लगता है, लेकिन इस साल सिर्फ 5% इन्क्रीमेंट लगा। कर्मचारियो को धोखा लगा लेकिन वो हाथ पर हाथ धर कर नही बैठे रहे, उन्होंने सोचा और आज सामूहिक रूप से हड़ताल करके अपना विरोध प्रदर्शन किया। और अंत में जाकर हॉस्पिटल प्रबंधन झुका और इन्क्रीमेंट 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया और कर्मियों की जीत हुई है।

सभी हॉस्पिटल कर्मियों के जज्बे को सलाम ओर हॉस्पिटल के मालिक आर.के. अग्रवाल को दिल से आभार जिन्‍होंने हॉस्पिटल कर्मियों की पीड़ा को खुद की पीड़ा समझा। लेकिन पता नहीं इस देश का मीडिया कर्मी अब तलक क्यों सोया हुआ है।
रात दिन शोषण का शिकार होते हैं। मजीठिया वेजबोर्ड लाभ का कोई अता पता नहीं। ओवरटाइम किसी को मिलता नहीं। छुट्टी मांग लो तो प्रबंधन ऐसे आचरण करता है जैसे प्रबंधन की माँ का देहांत हो गया।

फिर भी मीडिया कर्मी खामोश है। पूरे देश भर में मीडिया कर्मियों में मजीठिया को लेकर हलचल है और सब उसका लाभ लेना चाहते हैं, लेकिन अपना कदम कोई बढ़ाना कोई नहीं चाहता जिन्होंने अपने कदम इस ओर बढ़ाया है वो जरूर इसका लाभ लेकर रहेंगे।

मीडिया कर्मियों को भी अपने हक के लिए जगरूक होना पड़ेगा नहीं तो पूरा जीवन गुलाम की तरह जीवन यापन करना पड़ेगा।

ताज्‍जुब की बात दैनिक भास्कर का मालिक भी अग्रवाल है और सुधा का मालिक भी अग्रवाल है, लेकिन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है। भास्कर वाले अग्रवाल जी का दिल इतना बड़ा नहीं जितना सुधा हॉस्पिटल वाले अग्रवाल जी का है। काश समानता होती तो आज इतने मीडिया कर्मी शोषण के शिकार नहीं होते।

एक प्रताड़ित मीडिया कर्मी  
  

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