Thursday 23 March 2017

शरद यादव का राज्यसभा में मजीठिया और मीडिया पर दिया गया बयान अखबारों ने नहीं किया प्रकाशित

विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा में उठाया मुद्दा



जदयू नेता शरद यादव द्वारा बुधवार को राज्यसभा में उठाए गए जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के क्रियान्यन्वयन के मुद्दे को गुरुवार को देशभर के किसी भी बड़े समाचार पत्र ने एक लाईन तक नहीं प्रकाशित किया।

मीडिया मालिकों की इस हरकत से राज्यसभा में गुरुवार को विपक्ष के तेवर तल्ख दिखे। विपक्ष ने गुरुवार को राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया और कहा कि मीडिया ने उच्च सदन में कल चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान संपन्न रचनात्मक बहसों तथा सुझावों का प्रकाशन नहीं किया। बैठक शुरू होने पर सपा के नरेश अग्रवाल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश अपेक्षा करता है कि सदन में जो कुछ हुआ, उसकी खबर दी जाए। लेकिन जो खबरें दी जाती हैं, वह यह होती हैं कि सांसदों ने हंगामा किया और आसन के समक्ष आ गए। अगर आप नकारात्मक खबरें देते हैं तो सकारात्मक खबरें भी दिया करें। उन्होंने कहा कि जदयू के शरद यादव ने कल चुनाव सुधारों पर जो भी सुझाव दिए थे, बड़े समाचार पत्रों ने उनके बारे में एक शब्द भी प्रकाशित नहीं किया। आसन को चाहिए कि वह मीडिया को इस बारे में निर्देश दे। सपा नेता ने कहा आप डांट नहीं सकते लेकिन यह निर्देश दे सकते हैं कि जो भी सकारात्मक चर्चाएं होती हैं उनकी खबर दी जानी चाहिए।

शरद यादव ने कहा कि मुद्दों पर होने वाली बहसें सदन की चारदीवारी के अंदर ही दफन हो जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया को दी गई आजादी पत्रकारों के लिए नहीं बल्कि मीडिया मालिकों के लिए आजादी बन गई है। उन्होंने मांग की कि सरकार को इस संबंध में एक कानून बनाना चाहिए कि मीडिया मालिक एक ही कारोबार करें। उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि अगर मीडिया कोई खबर प्रकाशित नहीं कर रहा है तो इसमें आसन क्या कर सकता है। यादव ने कहा कि एक कानून बनाया जाना चाहिए जिसके अनुसार, मीडिया मालिकों को दूसरे कारोबार करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि मीडिया ने लोगों के विचारों को संवेदनशील बनाने और लोक महत्व के मुद्दों पर संवादों का संतुलन सुनिश्चित कर लोकतंत्र में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन मीडिया में विपक्ष की राय को भी महत्व मिलना चाहिए।

मनोनीत सदस्य एवं स्तंभकार स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि मीडिया को निर्देश देने की शुरूआत करना सरकार या संसद के लिए खतरनाक होगा। उनके इस कथन पर कई सदस्यों ने आपत्ति जताई। उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि अगर समुचित नोटिस दिया जाए तो इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया पर आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है। उप सभापति पी जे कुरियन ने मलयालम में एक उक्ति कही और फिर उसका अंग्रेजी में अनुवाद बताते हुए कहा कि अगर कुत्ता आदमी को काटता है तो यह खबर नहीं है लेकिन अगर आदमी ने कुत्ते को काट लिया तो यह बड़ी खबर है।  कुरियन ने कहा अगर आप ठीक से बैठें और संबोधित करें तो यह खबर नहीं है। लेकिन अगर आप संतुलित व्यवहार न करें तो यह खबर है। बहरहाल, मैं यह कहना चाहूंगा कि मीडिया हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए तथा ईमानदारीपूर्वक रिपोर्टिंग करना चाहिए।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
9322411335

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