Saturday 4 July 2015

हमें क्यों चाहिए मजीठिया भाग-3B: लेबर इंस्पेक्टरों को नहीं पता वेतन गणना का फार्मूला




मजीठिया वेज बोर्ड की जांच के लिए लेबर इंस्पेक्टरों को दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद श्रम विभाग से बहुत अच्छे की उम्मीद नहीं की जा सकती। क्योंकि अधिकतर लेबर इंस्पेक्टर मजीठिया वेज बोर्ड की एबीसीडी से वाकिफ नहीं हैं और न ही उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन की गणना करने का अनुभव व प्रशिक्षण दिया गया है। लिहाजा वे विवशता में आदेशों का पालन करने के लिए समाचार पत्रों की यूनिटों व कार्यालयों में तो जा रहे हैं, मगर वहां जाकर क्या करना है इस संबंध में उनके पास कोई गाइडलाइन नहीं है। हिमाचल प्रदेश के संबंध में तो ऐसा ही देखने को मिला है। बाकी प्रदेशों में भी शायद इससे अलग स्थिति नहीं होगी, क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है।

इतना ही नहीं मेरे द्वारा एक साल पहले जब श्रम अधिकारी कांगड़ा स्थित धर्मशाला से आरटीआई के माध्यम से मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतन की गणना करके जानकारी मांगी गई थी, तो विभाग से जवाब मिला था कि श्रम विभाग सैलरी की गणना नहीं कर सकता। इसके बाद जब श्रम आयुक्त से अपील की गई तो यही जवाब वहां से भी मिला था। अपील के दौरान श्रमायुक्त ने कहा था कि आप वेतनमान न लागू करने की शिकायत कर सकते हैं, जब शिकायत की तो आज तक कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि यह बात जरूर पता चली कि विभाग के इंस्पेक्टर दोनों पक्षों के बयान दर्ज करने और फिर कोई समझौता न होने पर समझौता वार्ता विफल होने की रिपोर्ट ही बनाते हैं। उन्हें यह तक नहीं पता कि मजीठिया वेज बोर्ड के तहत किस समाचारपत्र की आय कितनी है और इसके कर्मचारी के कितना वेतन मिलना चाहिए।
(...संबंधित दस्तावेज संलग्र हैं)

फिलहाल लेबर इंस्पेक्टर समाचारपत्रों की यूनिटों में एचआर प्रभारी या अन्य अधिकारी को सूचित करके उनसे वेतन को लेकर जानकारी देने को कह रहे हैं। यह जानकारी कितनी सही है, इसकी जांच तभी हो पाएगी न जब लेबर इंस्पेक्टर को पता होगा कि किसी समाचारपत्र स्थापना में किस कर्मी को मजीठिया वेज बोर्ड के तहत कितना वेतनमान मिलना चाहिए था। इतना ही नहीं कई समाचारपत्रों में तो मणिसेना तक लागू नहीं है । इसके चलते मजीठिया वेतनमान के लिए एग्जिस्टिंग एमोल्युमेंट़स यानि मौजूदा मेहनताना ही नहीं बन पा रहा है। इसमें 11 नवंबर 2011 को आपको पूर्व के वेज बोर्ड के तहत मिलने वाली बेसिक व डीए के अलावा बेसिक का 30 फीसद अंतरिम राहत के तौर पर दिया गया लाभ जुडऩा है।
(....देखें संलग्र गणना शीट)

फिलहाल मेरा मत यही है कि जहां तक संभव हो सके, तो अपने क्षेत्र के लेबर इंस्पेक्टर सहित प्रदेश के लेबर कमीशनर को लिखित तौर पर अपनी-अपनी समाचारपत्र स्थापना की कुल आय व अपने पदों के अनुसार मजीठिया वेजबोर्ड के तहत बन रहे वेतन की जानकारी मुहैया करवाई जाए। इससे लेबर इंस्पेक्टर को अपनी रिपोर्ट बनाने में मदद मिलेगी। नहीं तो लेबर इंस्पेक्टर केवल श्रम विवादों की तरह ही दोनों पक्षों के दावों की रिपोर्ट बनाकर भिजवा देंगे। इससे न्यायालय में फिर से अस्पष्टता का माहौल बनेगा और मामला और लंबा लटक सकता है।

धर्मशाला में मजीठिया संघर्ष मंच की ओर से लेबर अधिकारी को इस संबंध में एक पत्र लिखा गया है, जिसमें पञकार की आवाज द्वारा मुहैया करवाई गई समाचार एजेंसी पीटीआई की एक कर्मचारी की सेलरी व एरियर की गणना की प्रतियां लगाई गई हैं। इसे लेबर कमीशनर के माध्यम से सभी इंस्पेक्टरों तक भिजवाने की भी मांग की जा रही है। (...संबंधित दस्तावेज संलग्र हैं)



संलग्र:
1. मजीठिया वेज बोर्ड के तहत प्रारंभिक वेतन की गणना करने का तरीका ।
2. श्रम विभाग से आरटीआई से प्राप्त जानकारी जिसमें लिखा गया है कि लेबर विभाग शिकायतकर्ता की सेलरी की गणना  नहीं कर सकता।

3. श्रम अधिकारी धर्मशाला को पीटीआई में लागू सेलरी की गणना की सूचना से संबंधित अर्जी की प्रति।
यदि आप यह प्रतियां डाउनलोड नहीं कर पा रहे हैं तो इसके लिए हमें मेल करें। आपकी पहचान गुप्‍त रखी जाएगी।

(यह जानकारी हमें उपलब्‍ध करवाई है श्री रविंद्र अग्रवाल जी ने आप इनसे इस मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं 9816103265इनका मेल आईडी है ravi76agg@gmail.com)

यदि हमसे कहीं तथ्यों में गलती रह गई हो तो सूचित अवश्य करें।(patrakarkiawaaz@gmail.com)

अंत में आपसे अनुरोध है कि जो साथी दूसरी भाषाओं को जानते हैं वे इस पूरे मैटर को पंजाबीउर्दूबंगालीमलयालम आदि अन्य भाषाओं में अनुवाद कर सोशल मीडिया और whatsapp के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा साथियों तक इस मैसेज को पहुंचाएं। जिससे पूरे देश के लाखों पत्रकार और गैर पत्रकार साथी मजीठिया के अनुसार अपने नए वेतनमान और एरियर के बारे में जान सके और अपने हक के लिए आगे आ सकें।

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