Friday 28 January 2022

भास्कर मैनेजमेंट के दलालों ने फैलाया भ्रम!

नहीं है हाईकोर्ट का समझौते के संबंध में कोई आदेश।

भास्कर के कोटा के साथियों के मजीठिया मामले के संबंध में भास्कर मैनेजमेंट के कुछ दलाल चार-पांच दिन से यह भ्रम फैला रहे हैं कि राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को समझौता करने का निर्देश दिया है। यह भ्रामक जानकारी इसलिए फैलाई जा रही है क्योंकि भास्कर प्रबंधन इस मामले में बुरी तरह फंस गया है। न निगलते बन रहा है और न उगलते।

मामले को यूं समझिए:—

दरअसल कोटा के लेबर कोर्ट ने 09-04-2019 को अवार्ड जारी कर भास्कर प्रबंधन को करोड़ों रुपए अपने कर्मचारियों को देने का आदेश दिया था। भास्कर प्रबंधन ने लेबर कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में रिट दायर की और साथ में स्थगन आवेदन पत्र दायर कर लेबर कोर्ट के अवार्ड पर स्टे लगाने की प्रार्थना की। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 9 जुलाई 2020 को रिट पर नोटिस जारी करते हुए यह आदेश भी दिया कि यदि प्रबंधन 3 सप्ताह के भीतर 35% रकम कोर्ट में जमा करा देता है तो 9 अप्रैल 2019 के अवार्ड के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।

भास्कर प्रबंधन ने इस समयावधि के भीतर यह राशि जमा नहीं कराई और उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दायर कर दी।

पैसे की ताकत पर प्रबंधन ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मनु अभिषेक सिंघवी को खडा किया और उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 13 अगस्त 2020 को अपील पर नोटिस जारी करते हुए एकल पीठ के आदेश के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी।

बाद में सुनवाई के दौरान श्रमिकों के अधिवक्ता धर्मेंद्र जैन की ओर से यह आपत्ति की गई की अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील मेंटेनेबल ही नहीं है। अपील को खारिज किया जाए।

आगामी पेशियों पर भी प्रबंधन के वकील किसी न किसी बहाने से तारीखें बढवाते रहे लेकिन प्रबंधन को दिखने लगा कि अब इसे ज्यादा नहीं खींचा जा सकेगा।

24 जनवरी 2022 को सुनवाई के दौरान समझौते का पैंतरा फेंका गया। खण्डपीठ ने श्रमिकों के अधिवक्ता से पूछा तो हमारे अधिवक्ता ने साफ कह दिया कि अदालत को ऐसा लगता है तो वह आदेश जारी कर दे।

अदालत ने आगामी सुनवाई 14 फरवरी 2022 को नियत की है। समझौते सम्बंधी कोई आदेश नहीं दिया। लेकिन भास्कर के दलाल यह अफवाह फैला रहे हैं कि अदालत ने समझौते के आदेश दिए हैं। मामला लम्बा खिंचने से प्रबंधन को लग रहा है कि कर्मचारी मायूस हैं और इस अफवाह के प्रभाव में आकर उससे कम पैसे पर समझौता कर लेंगे। प्रबंधन ऐसा नहीं कर पाया तो खण्डपीठ इस अपील का निस्तारण करेगी जो प्रबंधन के खिलाफ ही होगा क्योंकि अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील मेंटेनेबल ही नहीं होती। दो—तीन सुनवाई में ऐसा हो गया तो भास्कर के पास लेबर कोर्ट के आदेश को मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा क्योंकि अपील के निस्तारण के बाद लेबर कोर्ट के अवार्ड पर स्टे भी नहीं रहेगा।

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