Thursday 13 January 2022

सरकार, गरीब पत्रकारों पर रहम करो, प्लीज।


- आपके पास यश है, धन है, सामर्थ्य है, इन पत्रकारों के पास प्राइवेट नौकरी है

- इनके जीवन से खिलवाड़ करना बंद करो, बीमार हुए तो लाला वेतन काट लेगा

छह महीने में भाजपा द्वारा बदले गये तीन सीएम और एक पूर्व सीएम की कल देहरादून के एक होटल के छोटे से हॉल में प्रेस कांफ्रेंस थी। अब समझ से परे है कि इन चार सीएम को क्या नया कहना था कि ये प्रेस मीट बुला ली। सब जानते हैं कि निशंक अपनों पर ही बहुत घातक वार करते हैं। त्रिवेंद्र के सभी फैसले तीरथ और सीएम धामी ने बदल डाले। आज भी धामी सख्त भू कानून न होने पर अफसोस जता रहे हैं और त्रिवेंद्र उसे सही ठहरा रहे हैं। फिर काहे की एका। बस चलेगा तो तीनों सीएम मिलकर धामी को खटीमा से चुनाव हरवा देंगे। इसके अलावा भी पिछले पांच साल जो कुछ भी सभी सीएम ने झूठ या सच कहा, गरीब पत्रकारों ने हू-ब-हू छाप दिया। लाला की नौकरी जो करनी थी। परिवार पालने के लिए नौकरी कर रहे हैं। 

क्यों बुलाया पत्रकारों को? क्या नई बात कही? बेफजूल की प्रेस मीट थी और रिस्क इतना बड़ा। देहरादून में 1350 कोरोना मरीज आज ही आए हैं। ऐसे में 12 बाई 12 के हाल में पत्रकारों को कोविड गाइडलाइन के बिना बिठा दिया। या तो उनके लिए अच्छी व्यवस्था करो या वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस की व्यवस्था करो।

सीएम साहब, एक बात बता दूं। पिछले दो साल के दौरान दर्जनों पत्रकारों को कोरोना हुआ। कई मीडिया कर्मियों की मौत हुई। क्या सरकार ने उन्हें चवन्नी भी दी? यह भी बता दूं कि जब कोई पत्रकार बीमार हो जाता है। हास्पिटल में भी होता है तो भी उनका वेतन लाला द्वारा काट लिया जाता है। अधिक दिन बीमार रहने पर नौकरी से हटा दिया जाता है। पिछले दो बार के कोरोना काल में सैकड़ों मीडियाकर्मियों की नौकरियां चली गयी। कुछ चाटुकार और संपादक के मुंहलगे पत्रकार ही  अपना वेतन और नौकरी बचाने में सफल रहते हैं। 

जबकि सीएम साहब आपसे तो यह भी नहीं बना कि कोरोना वारियर्स के तौर पर पत्रकारों को बूस्टर डोज ही लगवा दो। सरकार, पत्रकारों पर रहम करो। बेवजह, पत्रकारों की जान से खिलवाड़ न करो। चुनाव आयोग को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

No comments:

Post a Comment